श्वास कुठार रस, श्वासकास चिंतामणि रस के लाभ तथा सेवन विधि

श्वास कुठार रस (Swaskuthar Ras)

सांस से जुडी बिमारियों या अस्थमा के लिए यह आयुर्वेद की पॉपुलर दवा है. वात, कफ़ प्रधान खाँसी, अस्थमा, जुकाम, गला बैठना, सर दर्द, माईग्रेन जैसे रोगों में बेहद असरदार है. इसे खाने के अलावा सूंघने में भी इस्तेमाल किया जाता है. मृगी, हिस्टीरिया, उन्माद और सन्निपात जैसे रोगों में अगर रोगी बेहोश हो जाये तो इसे पीसकर नाक में फूंकने से होश आ जाता है |

पित्त प्रधान खाँसी, अस्थमा और अस्थमा के साथ दिल की कमज़ोरी वाले रोगियो को इस दवा का प्रयोग चिकित्सक की सलाह से ही करना चाहिए |

श्वास कुठार रस की मात्रा और सेवन विधि

श्वास कुठार रस, श्वासकास चिंतामणि रस के लाभ तथा सेवन विधि shwas kuthar ras Swaskas Chintamani Ras uses labh dose

  • 125mg से 375mg तक रोज़ दो-तीन बार तक शहद और अदरक के रस, पिप्पली चूर्ण या फिर रोगानुसार उचित अनुपान के साथ देना चाहिए.
  • श्वास रोग (नए अस्थमा) में – श्वासकुठार रस 5 ग्राम + लक्ष्मीविलास रस नारदीय 5 ग्राम + रस सिन्दूर 1.25 ग्राम + सोमलता चूर्ण 10 ग्राम. सभी को खरलकर 20 मात्रा बना लें. एक-एक मात्रा हर छह घंटे में शहद से चाटकर ऊपर से 4 स्पून कनकासव पीना चाहिए.
  • जुकाम में – श्वास कुठार रस 1 ग्राम + त्रिभुवनकीर्ति रस 2 ग्राम + लक्ष्मीविलास रस 2 ग्राम + टंकण भस्म 1 ग्राम + गोदन्ती भस्म 5 ग्राम. सभी को मिलाकर 8 डोज़ बना लें. एक-एक डोज़ हर छह घंटे पर शहद + अदरक के रस से देने से चमत्कारी लाभ होता है |
  • सुखी खाँसी (शुष्क कास) में – श्वास कुठार रस 5 ग्राम + श्रृंगाराभ्र रस 2.5 ग्राम + सितोपलादि चूर्ण 10 ग्राम + हल्दी चूर्ण 10 ग्राम. सभी को मिलाकर 20 मात्रा बना लें. एक-एक मात्रा रोज़ दो-तीन बार एक स्पून च्यवनप्राश के साथ देना चाहिए. साथ में कोई कफ सिरप भी यूज़ करें |
  • आधा शीशी(माईग्रेन) में – श्वास कुठार रस एक गोली + लक्ष्मीविलास रस एक गोली + गोदन्ती भस्म 1 ग्राम मिलाकर एक मात्रा. ऐसी एक-एक मात्रा हर छह घन्टे में शहद से खाकर ऊपर से 4 स्पून पथ्यादि क्वाथ पीना चाहिए |

श्वासकास चिंतामणि रस (Swaskas Chintamani Ras)

यह एक स्वर्णयुक्त रसायन है जो नए पुराने हर तरह के श्वास रोग या अस्थमा और खाँसी में बेजोड़ है. फेफड़े और हार्ट पर इसका मेन असर होता है. फेफड़े के विकार और रोगों को दूर कर यह फेफड़े को मज़बूत बनाता है. अस्थमा के पुराने रोगियों के लिए यह बेजोड़ दवा है.

श्वासकास चिंतामणि रस की मात्रा और सेवन विधि

  • एक-एक गोली सुबह-शाम शहद या रोगानुसार उचित अनुपान से देना चाहिए.
  • नए पुराने अस्थमा में – दमा या अस्थमा से अगर छुटकारा पाना हो तो इस तरह से इस दवा का सेवन करना चाहिए- श्वासकास चिंतामणि रस 5 ग्राम + अभ्रक भस्म 10 ग्राम + श्रृंग भस्म 30 ग्राम + सितोपलादि चूर्ण 40 ग्राम + हल्दी चूर्ण 50 ग्राम. सभी को मिलाकर 40 मात्रा बना लें. अगर रोगी का इसिनोफ़िलिया भी बढ़ा हो तो इस योग में 5 ग्राम मल्ल सिन्दूर भी मिला लें. एक-एक मात्रा हर छह घंटे में शहद से देना चाहिए. तालीस सोमादि चूर्ण 2 ग्राम एक स्पून वासावलेह के साथ सुबह-शाम दें. भोजन के बाद 4 स्पून कनकासव पीना चाहिए सुबह-शाम, धैर्यपूर्वक लगातार कुछ सप्ताह यूज़ करने से दमा से मुक्ति मिल जाती है |

श्वासचिंतामणि रस (Swaschintamani Ras)

श्वसनतंत्र या रेस्पीरेटरी सिस्टम की बीमारियों के लिए यह एक बेहद असरदार रसायन औषधि है. यह फेफड़े की कमज़ोरी दूर कर खाँसी-अस्थमा को जड़ से मिटा देता है और साथ की शारीरिक दुर्बलता और नर्व की कमज़ोरी को दूर करता है और इम्युनिटी पॉवर को बढ़ाता है |

श्वासचिंतामणि रस की मात्रा और सेवन विधि

  • 125mg से 250 तक सुबह-शाम शहद और बहेड़ा की मींगी के चूर्ण से या फिर रोगानुसार उचित अनुपान से देना चाहिए |

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