जानें इन 25 खाद्य पदार्थों में मिलावट की पहचान कैसे करें ?

आजकल खाद्य पदार्थों में हानिकारक पदार्थों की मिलावट आम बात हो गई है। इसलिए मिलावट की पहचान करने की जानकारी सभी लोगो को जरुर होनी चाहिए क्योंकि खाद्य पदार्थों में मिलावट के कई दुष्परिणाम सामने आते हैं। नकली-सस्ती चीजों को मिलाकर बेचने वाले मुनाफा भी अधिक कमाते हैं। इस तरह मूल्य भी अधिक देना पड़ता है, पौष्टिकता भी कम हो जाती है। दूध में पानी मिलाने से दूध की मात्रा तो बढ़ जाती है, परंतु उसके पौष्टिक तत्त्वों में कमी आ जाती है। कई बार खाद्य पदार्थों में हानिकारक वस्तु की मिलावट करने से खाद्य पदार्थ विषैले भी हो जाते हैं। खाद्य पदार्थो में मिलावट की वजह से होने वाली कई गंभीर बिमारियों को हमने पिछले आर्टिकल में भी बताया था |

यहाँ कुछ खाद्य पदार्थों में मिलावट की पहचान के लिए इस्तेमाल की जाने वाली वस्तुओं तथा उन से होने वाले साइड इफ़ेक्ट बताए जा रहे हैं, ताकि आप भी उनसे सतर्क रहें और गृहिणियाँ इनसे बचाव के रास्ते ढूँढ सकें।

  • गेहूँ के आटे और मसालों में खड़िया मिट्टी गेरू या पीली मिट्टी मिलाई जाती है, जिन्हें आसानी से पचाया नहीं जा सकता, यह पाचन-संस्थान के कार्यों पर कुप्रभाव डालती हैं, जिससे आमाशय का कैंसर अथवा फोड़ा हो जाता है।
  • दालों में मिट्टी, कंकड़-पत्थर की मिलावट की जाती है जिससे खाते समय दाँत टूटने का खतरा रहता है। ये चीजें आहार-नली में श्लैष्मिक झिल्ली को प्रभावित करती हैं।
  • मावा में स्टार्च के मिलावट की पहचान के लिए इसकी थोड़ी मात्रा में पानी मिलाकर इस मिश्रण को उबालें। फिर इसमें आयोडीन की कुछ बूंदें डालें। यदि नीले रंग की परत दिखे, तो साफ है कि उसमें स्टार्च मौजूद है।

सब्जियों में मिलावट की पहचान

रसायनयुक्त मिलावट की सब्जियों को खाने से फेफड़ों में इंफैक्शन, अल्सर, कैंसर और एलर्जी जैसी घातक बीमारियां हो सकती हैं, क्रोमियम से चर्मरोग व श्वास संबंधी बीमारियों के साथ शरीर में रोगप्रतिरोधक क्षमता खत्म होने की समस्या रहती है, कॉपर से एलर्जी, चर्मरोग, आंखों के कार्निया का प्रभावित होना, उल्टीदस्त, लिवर डैमेज, हाइपरटेंशन की शिकायत मिलती है. मात्रा बढ़ने पर व्यक्ति कोमा में भी जा सकता है |

टौक्सिन बनने और जैनेटिक बदलाव के कारण सब्जियां कड़वी होती हैं | इन्हें कूकर व्यूटेन भी कहते हैं | उस कड़वी सब्ज़ी से बचें जो प्राकृतिक रूप से कड़वी नहीं होती. कड़वी सब्जी से उलटी, डायरिया और यूरीन से संबंधित समस्याएं होती हैं | रूटीन में कैमिकल मिलावट की सब्जियां खाते रहने से लोगों में चिड़चिड़ापन आता है, उन को नींद न आने की शिकायत रहती है | कई बार फेफड़ों में भी खराबी आ जाती है |

  • आमतौर पर रसायनयुक्त सब्जियों की सही पहचान तो प्रयोगशालाओं में ही होती है लेकिन फिर भी कुछ ऐसी तकनीकें होती हैं जिन से प्राथमिक स्तर पर पहचाना जा सकता हैं कि किन सब्जियों में कैमिकल का प्रयोग किया गया है और कौन सी सब्जियां ताजी हैं |
  • सबसे पहले तो उन सब्जियों को परखें जिन में कैमिकल कलर मिलावट का इस्तेमाल कर उन्हें हराभरा कर दिया जाता है| इस के लिए जो सब्जी आप खरीद रहे हैं उसे गुनगुने पानी में धो कर देखें, अगर उस में कैमिकल कलर होंगे तो पानी रंगीन हो जाएगा |
  • इसके अलावा जिन सब्जियों में मोम का इस्तेमाल हुआ हो उन्हें ब्लेड या चाकू से खुरच कर देखा जा सकता है |
  • छुरी से खुरचने से या डंडी के किनारे वाले भाग पर उजली परत को गौर से देखने पर मोम को पहचाना जा सकता है |
  • सब्जियों को 2 से 3 बार धोने से पैस्टीसाइड्स और इंसैक्टिसाइड्स हट जाते हैं इस तरह भी आप आसानी से मिलावट की पहचान कर सकते है | यह भी जरुर पढ़ें –  मिलावट के नुकसान
  • डिटर्जेंट की कुछ बूंदें पानी में मिला कर गुनगुने पानी में धोने से सब्जियों का वैक्स और कलर हट जाता है |
  • फल और सब्जियों को छील कर ही खाएं |
  • बंदगोभी के ऊपरी हिस्से के पत्ते जरूर उतार दें.
  • और्गेनिक तरीके से उगाई गई सब्जियां ही इस्तेमाल करें |
  • इसके अलावा कैमिकल से फुलाई या पकाई गई सब्जियों का पता काटने के दौरान लगाया जा सकता है, बहुत ज्यादा हरीभरी और चमकीली सब्जियों में रसायन के पाए जाने की संभावना ज्यादा होती है, इसलिए मौसमी और प्राकृतिक दिखने वाली सब्जियों को ही खरीदें |

प्रमुख खाद्य पदार्थों में मिलावट की पहचान और उसे जाँचने का घरेलू तरीका इस तालिका में बताया गया है |

 

मिलावट की पहचान कैसे करें

मिलावट की पहचान कैसे करें खाने पीने की चीजों में मिलावट की पहचान कैसे करें

नोट- आजकल बाजार में मिलावट की जाँच के लिए एक किट उपलब्ध है जो 200-250 रुपए में आती है। इसके साथ एक निर्देशिका भी रहती है आप चाहे तो इसका प्रयोग भी कर सकते है |

मिलावट की रोकथाम के लिए कानून

खाने में मिलावट की रोकथाम के लिए कानून है और “फूड एण्ड ड्रग” नाम का कमीशन भी है। यह कानून गॉंव और शहरी सभी क्षेत्रों में लागू होता है। शहरों में मुनिसिपल अधिकारी यह कानून लागू करते हैं। गॉंव में राज्य सरकार द्वारा नियुक्त फूड इंस्पेक्टर यह काम करते हैं। फूड इंस्पेक्टर का काम होता है कि वह सभी दुकानों और खाने के सामान आदि की दुकानों में जाए और वहॉं बिकने वाली खाने की चीज़ों की गुणवत्ता की जांच करे। अगर फूड इन्सपैक्टर को किसी चीज़ को लेकर शक हो तो वह गवाहों के सामने मिलावट की की जाँच के लिए उस चीज़ के नमूने ले सकता है। तीन नमूने लिए जाते हैं और उन्हें सील कर लिया जाता है। एक नमूने को जांच के लिए कोर्ट में भेज दिया जाता है। दूसरा नमूना खाने की जांच करने वाले अधिकारियों के पास रखा रहता है और तीसरा दुकानदार को संभाल कर रखने के लिए सौंप दिया जाता है। इस कानून में दोषी पाए जाने पर छ: महीनों की जेल और पैसों की सजा हो सकती है। Ref. स्रोत 

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