खाने पीने की चीजो में मिलावट सेहत को बुरी तरह खराब कर सकता है, लंबे समय तक रोज-रोज मिलावटी भोजन करने से अच्छा भला शरीर भी कई बिमारियों का शिकार हो जाता है। मिलावट करने वाले व्यापारी खाद्य पदार्थों में बहुत सी विषैली वस्तुओं को भी मिला देते हैं। उनका एकमात्र उद्देश्य मुनाफा कमाना होता है। उन्हें इस बात की कोई चिन्ता नहीं रहती कि इसके साइड इफ़ेक्ट लोग भुगतेंगे। इसलिए आज कल कैंसर जैसे गंभीर रोग इतनी तेजी से बढ़ रहे है | आज के समाज में पुराने समय के मुकाबले ज्यादा लोग बीमार रहते है पर चिकित्सा क्षेत्र के उन्नत होने से मृत्यु दर कम है, इसलिए हमे इस गंभीर स्थिति का कम अहसास होता है | लेकिन तकनीकी रूप से आज ज्यादा लोग खराब सेहत के साथ जीते है जो मानसिक और शारीरिक दोनों ही प्रकार से है |
आपको यह जानकर ताज्जुब होगा कि गरमा गरम जलेबी, लड्डू में पड़ा पीला रंग, कोल्ड ड्रिंक्स, आइसक्रीम, कैचप और जैम इत्यादि में इस्तेमाल होने वाले विभिन्न रंग तथा होंठों को रंगने वाली लिपस्टिक से कैंसर जैसा जान लेवा रोग हो सकता है। “थनकम्मा जैकब” द्वारा लिखित पुस्तक ‘पायजन्स इन आवर फूड’ में बताया गया है कि खाद्य पदार्थों में स्वीकृत कोलतार रंगों में सबसे अधिक उपयोग में आने वाला रंग ‘अमरेंथ’ है। इसका इस्तेमाल कोल्ड ड्रिंक्स, कैचप, जैम व आइसक्रीम, औषधियों तथा लिपस्टिक जैसे अन्य सौंदर्य प्रसाधनों में किया जाता है। परन्तु अध्ययनों से अब पता चला है कि इससे कैंसर, प्रजनन शक्ति का कम होना तथा गर्भस्थ शिशु की मृत्यु तक हो सकती है या जन्म से ही शिशु में विकलांगता पैदा होने का खतरा बना रहता है। इसलिए अब अनेक देशों में इस रंग के प्रयोग पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने अधिकृत रंगों की अपनी सूची में से इस रंग का नाम हटा लिया है।
सस्ता और आसानी से मिलने वाला पानी में घुलनशील रंग ‘मेटालिन येलो’ कोलतार से ही बनता है। इससे अल्सर, खून की कमी, तथा कैंसर जैसी बीमारियां हो सकती हैं। इस पोस्ट में इन विषयों पर जानकारी दी गई है |
- मिलावट का शरीर पर खराब असर क्या है ?
- मिलावट की पहचान कैसे करें ?
- मिलावट से बचने के उपाय ?
- रंगो की मिलावट क्या है तथा इससे कैसे बचें ?
मिलावट से शरीर पर क्या-क्या खराब प्रभाव पड़ते हैं ?
- मिलावट वाली चीजे खाने से शरीर को शरीर को पूरी ताकत नहीं मिलती है तथा शरीर कुपोषण का शिकार हो जाता है।
- मिलावट के दुष्परिणाम की वजह से इससे बच्चों में शारीरिक विकास भी रूक जाता है शरीर की काम करने की क्षमता भी कम हो जाती है।
- मिलावट से रोग-प्रतिरोधक क्षमता भी कम हो जाती है जिससे व्यक्ति की रोगों से लड़ने की शक्ति भी कम पड़ जाती है। इस कारण व्यक्ति जल्दी जल्दी बीमार पड़ने लगता है |
- मिलावट के कारण फुड पॉयजनिंग भी हो सकती है। इसमें लोगों को अचानक उल्टी-दस्त होते हैं और इलाज न किया जाए तो मौत भी हो सकती है। आजकल ऐसी घटनाएँ भी बहुत घट रही हैं।
- सरसों के तेल में सत्यानाशी के तेल की मिलावट के कारण कई लोग हृदय रोग से ग्रस्त भी हो गए। तथा इस मिलावट के साइड इफ़ेक्ट की वजह से कई लोगो की जानें भी चली गईं। कुछ अंधेपन के भी शिकार हुए। इस तरह की बहुत-सी घटनाएँ आज भी हो रही हैं।
- दिल्ली में भी सरसों के तेल में मिलावट के कारण दर्जनों व्यक्तियों की जाने जा चुकी हैं।
- देशी शराब में मिलावट के कारण भी सामूहिक मौतों की खबरे मिलती ही रहती हैं।
मिलावट की पहचान : किस चीज में कौन सी मिलावट

- दूध– दूध की मिलावट तो सब जगह आम है। यह इतनी सरल है कि लोग आसानी से इसे अपना लेते हैं। दूध में पानी के अलावा उसका मक्खन भी निकाला जाता है अथवा उसमें दूध पाउडर या स्टार्च उसे गाढ़ा करने के लिए मिलाते हैं। आजकल यूरिया से नकली दूध भी बनता है जो इंसानों के लिए धीमा ज़हर पीने के समान है। इसको पीने से मृत्यु तक हो सकती है।
- घी– घी में जमने वाले वनस्पति तेल अथवा पशुओं की चर्बी मिलाते हैं (सूअर की चर्बी भी इसमें मिलाई जाती है)। इसके अलावा नकली सुगन्ध और रंग भी मिलाया जाता है। कुछ लोग शुद्ध देशी घी में आलू भी फेंटकर मिलाते हैं। शुद्ध घी की मिलावट बहुत ही सामान्य है।
- अनाज– चावल और गेहूँ में पत्थर, मिट्टी, रेत इत्यादि उसकी मात्रा बढ़ाने के लिए मिलाए जाते हैं।
- आटा– गेहूँ के आटे में चूने का पाउडर या सोप स्टोन पाउडर मिलाया जाता है अथवा सस्ता आटा जैसे- खेसारी दाल का बेसन आटे में मिलाते हैं। मैदा में सिंघाड़े का आटा मिलाते हैं।
- दालें– पुरानी दालों को अच्छा दिखलाने के लिए मेटानिल यलो नामक हानिकारक रंग मिलाया जाता है।
- चाय और कॉफी-चाय पत्ती में पुरानी या उपयोग की हुई पत्तियाँ रंगकर मिलाई जाती है। इसके अलावा इसमें रंगकर बुरादा भी मिलाया जा सकता है। कॉफी में इमली के बीज का चूरा मिलाते हैं।
- शहद– शहद में शक्कर का शीरा या गुड़ का शीरा मिलाया जाता है।
- सेब में मिलावट : सेबों पर मोम की परत चढ़ा दी जाती है, जिससे इसमें चमक आ जाती है। इसके लिए सेब को किसी धारदार चाकू से हल्के-हल्के खुरचें और अगर उस पर से मोम निकले तो समझ जाइए कि यह मिलावटी है।
- रबड़ी में ब्लाटिंग पेपर की लुगदी मिला दी जाती है।
- वनस्पति तेलों में सस्ते तेल और यहाँ तक कि ट्रांसफार्मर के खनिज तेल तक मिला दिए जाते हैं जो स्वास्थ्य के लिए बहुत हानिकारक होते हैं।
- मिर्च के पाउडर में नमक, बुरादा, मिट्टी, रेत, टेलकम पाउडर और कोलतार से बने हानिकारक रंग मिला दिए जाते हैं ताकि वह लाल दिखे |
- हल्दी को भी हानिकारक रंग मिलाकर पीला चमकदार बना दिया जाता है।
- बुरादे को केसरिया रंग में रंगकर असली केसर में मिला दिया जाता है।
- काली मिर्च में पपीते के बीज मिलाए जाते हैं।
- गरम मसाले और पिसे धनिये में बुरादे के अलावा घोड़े की लीद तक मिला दी जाती है।
- हींग में अक्सर मिलावट की जाती है। इस तरह मिर्च-मसाले भी शुद्ध प्राप्त नहीं हो पाते।
- कई कोला ड्रिंक्स में कानून विरुद्ध हानिकारक रंगों को इस्तेमाल किया जाता है।
- मीठी वस्तुओं में शक्कर की जगह सैकरीन का उपयोग करते हैं जो शरीर के लिए हानिकारक होता है।
- आइसक्रीम दही इत्यादि में भी मिलावट की जाती है जो स्वास्थ्य के लिए नुकसानदेह साबित होती है।
- सरसों के बीज में सत्यानाशी (भरभंडा) के बीज का मिश्रण करने से सरसों के तेल की मात्रा बढ़ जाती है। सस्ते तेलों में विशेष गंध के लिए एकाइम आईसोथायो साइनेट मिलाया जाता है। फ्लोरो ग्लूसिनोल का भी प्रयोग किया जाता है। सरसों में सत्यानाशी की मिलावट से खतरनाक ड्राप्सी रोग होता है।
- मिलावटी चाय की पहचान : फेरस सल्फेट से रंगी चाय पानी में डालने पर उसे रंगीन बना देती है।
- खड़िया मिट्टी मिले आटे को गूंधने में अधिक पानी लगता है और उसमें लसलसापन नहीं होता।
- शुद्ध हींग को पानी में घोलने पर पानी दूधिया रंग का हो जाता है। जलाने पर शुद्ध हींग लो देकर जलती है जबकि नकली हींग में ये गुण नहीं होते।
- यदि अरहर की दाल में मेटेलिक रंग मिलाए गए हैं तो उस पर हाइड्रोक्लोरिक अम्ल तथा पानी डालने पर दाल का रंग बैंगनी हो जाता है।
- वनस्पति मिले घी में यदि हाइड्रोक्लोरिक अम्ल और परफ्यूरॉल मिलाया जाए तो घी का रंग लाल हो जाता है।
- पपीते के बीज काली मिर्च से हल्के होते हैं एवं रंग भी कुछ अलग होता है। पानी में डालने पर पपीते के बीज ऊपर आ जाते हैं।
- मिलावट वाले दूध की पहचान :- असली दूध स्टोर करने पर अपना रंग नहीं बदलता, नकली दूध कुछ वक्त के बाद ही पीला पड़ने लगता है | अगर असली दूध में यूरिया भी हो तो ये हल्के पीले रंग का ही होता है। वहीं अगर सिंथेटिक दूध में यूरिया मिलाया जाए तो ये गाढ़े पीले रंग का दिखने लगता है |
- असली दूध को हाथों के बीच रगड़ने पर कोई चिकनाहट महसूस नहीं होती। वहीं, नकली दूध को अगर आप अपने हाथों के बीच रगड़ेंगे तो आपको डिटर्जेंट जैसी चिकनाहट महसूस होगी।
मिलावट से बचने के उपाय

- मिलावट पर पूरी तरह नियन्त्रण तो सम्भव नहीं है। यदि हम वस्तुओं को खरीदते एवं उनका इस्तेमाल करते समय कुछ बातों का ध्यान रखें तो एक हद तक मिलावट से बचा जा सकता है।
- सबसे बेहतर उपाय तो यह है की ज्यादातर मसाले तथा अनाज साबुत भी मिलते है आप इनको घर पर किसी ग्राइंडर (Dry Spice Masala Grinder) में पीस कर उपयोग करें | अनाज पीसने के लिए भी घरेलू आटा चक्की (Domestic flour mill) खरीद सकते है | यदि आपके पास समय का अभाव है तो बाज़ार में आपको इसकी सुविधा मिल सकती है |
- इसलिए जहाँ तक सम्भव हो साबुत मसाले खरीदें और उन्हें घर पर ही तैयार करें। इससे आपको दो फायदे होंगे एक तो आप मिलावट के जहर से बचेंगे साथ ही ताज़ा पिसे मसालों या ताज़ा आटा खाने को अधिक स्वादिष्ट बना देते है |
- भोजन में मिलावट रोकने में महिलाओं की प्रमुख भूमिका है। क्योंकि अधिकतर वस्तुओं का इस्तेमाल वे स्वयं ही करती हैं, अतः उन्हें इन बातों की जानकारी होना चाहिए कि कौन से खाद्य पदार्थों में मिलावट है और कौन से खाद्यों में नहीं इसलिए गृहिणियों को मिलावट रोकने के लिए इस आर्टिकल में बताई गई बातों पर ध्यान देना चाहिए |
- मिलावट से बचने के लिए हमेशा विश्वसनीय दुकान से खाद्य वस्तुएँ खरीदें ।
- बाजार भाव से कम दामों में बिकने वाली वस्तुओं में मिलावट हो सकती है।
- सस्ते के चक्कर में खुली हुई खाद्य वस्तुएँ या खुले पिसे मसाले बिलकुल ना खरीदे । यह भी पढ़ें – मसालों और हर्ब्स खरीदते समय ध्यान रखे ये बातें |
- मिलावट से बचने के लिए पैकिंग पर स्तरीयता का निशान या विश्वसनीय कम्पनी का नाम अवश्य देख लें ।
- मिलावट से बचने के लिए नकली रंग वाली फेंसी वस्तुएँ न खरीदें। ये स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होती हैं |
- ज्यादा गहरे रंगो वाले चमकदार फल सब्जियां ना खरीदे इन्हें, अकसर केमिकल से धोकर चमकदार तथा ताज़ा बनाया जाता है |
रंगों की मिलावट
- आमतौर पर खाद्य पदार्थों में दो प्रकार के रंगों का उपयोग किया जाता है, जिन्हें वैध और अवैध, दो वर्गों में बांटा जा सकता है। केवल दस रंगों को ही खाद्य पदार्थों में मिलाने की अनुमति दी गई है, जो वैध कहलाते हैं।
- हल्दी को लेड क्रोमेट से भी रंगा जाता है। इन रंगों में सबसे अधिक मैटेनिल यलो का उपयोग जलेबी, मिठाई आदि खाद्य पदार्थों में किया जाता है।
- वैध रंगों का मूल्य अवैध रंगों की अपेक्षा कहीं अधिक होने के कारण खाद्य पदार्थों में अवैध रंगों का प्रयोग अधिक किया जाता है। इसीलिए खाद्य पदार्थों में मिलावट रोकने संबंधी कानून के अंतर्गत प्रतिवर्ष दर्ज होने वाले 30 हजार से अधिक मामले, केवल रंगों की मिलावट के ही होते हैं।
- दालों में अरहर की दाल में ही अधिक मात्रा में रंग का उपयोग किया जाता है। इसके अलावा मसालों-पिसी हुई मिर्च, हलदी, हींग आदि में लगभग 60 प्रतिशत अवैध रंग मिले होते हैं।
- चीनी में अधिक सफेदी लाने के लिए अकसर डलसिन और सोडियम साइक्लेमट का उपयोग किया जाता है, जिससे हड्डियां गलने और टी.बी होने की संभावना बनी रहती है।
कृत्रिम रंग की मिलावट से होने वाले कई रोग
- खाद्य पदार्थों को रंगने के लिए प्रायः कृत्रिम रंगों (Artificial colors) का इस्तेमाल किया जाता है। ये कृत्रिम रंग विभिन्न ब्रांड नामों से बाजार में मिलते हैं। कानूनी कार्यवाही से बचने के लिए इन रंगों के निर्माता रंगों के पैकेट पर दिए गए निर्देशों में कुछ तकनीकी भाषा का प्रयोग करते हैं। जिसे आम उपभोक्ता समझ नहीं पाता। रंगों की ज्यादातर मिलावट हल्दी, दाल, मिर्च, धनिया, तेल, साबुन, बेसन, मिठाई, चॉकलेट, मीठी गोली, हरी सब्जी आदि में की जाती है।
- जाने दवाइयों के सेवन से जुडी सावधानियां और Medicine Side Effects
- पीले आदि कृत्रिम रंगों के ज्यादा इस्तेमाल से पुरुषों की यौन-क्षमता प्रभावित हो सकती है, तथा इससे कैंसर तक हो सकता है।
- मसालों में ‘लेड क्रोमेट’ मिलाया जाता है। इसके इस्तेमाल से शरीर में खून की कमी, गर्भपात, पैरालाइसिस (लकवा), मन्द बुद्धि होना, खून और दिमाग का क्षतिग्रस्त होना, जैसी तकलीफें खासकर बच्चों में होती हैं।
- खाने-पीने की रंगीन चीजों में अवैध रंगों की मिलावट 70 फीसदी तक की जाती है। इन चीजों में दालों, दूध से बनी चीजों और हरी सब्जियां भी शामिल है। ऐसी चीजों के खाने से बदहजमी से लेकर कैंसर तक हो सकता है। इसी तरह मीठा करने वाले पदार्थ सैकरीन (साइक्लामेट) आदि के सेवन से कैंसर हो सकता है।
रंगो की मिलावट से कैसे बचें?
- मिठाइयों और अन्य खाद्य पदार्थों में मिले हानिकारक रंगों से होने वाले दुष्प्रभावों से बचने के लिए बहुरंगी मिठाइयों व खाद्य पदार्थों का कम से कम उपयोग करें और यदि करना ही पड़े, तो प्रसिद्ध दुकानों से ही अच्छी क्वालिटी की खरीदें।
- मिलावट से बचने के लिए जहां तक संभव हो, घर पर ही मिठाइयां और व्यंजन बनाएं। उनमें देसी शक्कर, गुड़ और प्राकृतिक रंगों का प्रयोग करें। यह भी पढ़ें – जानें इन 25 खाद्य पदार्थों में मिलावट की पहचान कैसे करें ?
- मिठाइयों को यदि मन मुताबिक रंग व स्वाद देना आवश्यक हो, तो फलों के स्वाद तथा रंग वाली मिठाइयां बनाएं। जैसे-संतरे के छिलके पीस कर डालने से मिठाई का रंग व स्वाद, दोनों ही संतरे जैसा लगता है।
- सब्जियों को रंगीन व आकर्षक बनाने के लिए कद्दूकस करके गाजर, हरा पपीता, मूली, शलजम आदि मिला देने से वे रंग बिरंगी तथा जायकेदार हो जाती हैं और आप मिलावट वाले रंगो से भी बचे रहते है |
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