हमारे शरीर में हमारी आँखें ही सबसे छोटी और विकसित इंद्रिय हैं। सिर की हड्डियों यानि (सकल) में आँखें सदा सुरक्षित रहती हैं। आँखों की पलकों तथा आई ब्रो से बाहर से आने वाली गंदगी और अवांछित तत्वों से आँखों की रक्षा होती है। दोनों आँखों की ऊपर वाली पलकों के अंदर वाले कोनों में लेक्रिमल ग्रंथियाँ होती हैं। इन ग्रंथियों से ही ऑसू बहते हैं। ये आँसू खारे, कीटाणुरहित तथा कीटाणुनाशक होते हैं। जब हम पलकें खोलते और बंद करते हैं, तो ये आंसू आँखों में एक सिरे से दूसरे सिरे तक फैल जाते हैं और आँखों को स्वच्छ रखते हैं, नम रखते हैं और छूत की बीमारियों से मुक्त रखते हैं।
आँखें हमारे शरीर का सर्वाधिक महत्वपूर्ण अंग हैं। ये हमारे जीवन का अनमोल रत्न हैं। इसलिए आँखों की देखभाल करना बहुत जरुरी है | कहा गया है ‘दृष्टि है तो सृष्टि है।”
Netra Yoga श्नख्ला के अंतगर्त आँखों की ज्योति को तेज बनाने के लिए ‘त्राटक’ की सिफारिश की है। किंतु यदि त्राटक उचित ढंग से न किया जाए, तो उससे हानि भी हो सकती है। दृष्टि को तेज करने वाले (eyesight improve) एवं आँखों के लिए ‘सिंहासन’ एक अत्यंत लाभदायक आसन है। इसके अलावा ‘शीर्षासन’ एवं ‘सर्वागासन’ जैसे आसन भी परोक्ष रूप से आँखों को लाभ पहुँचाते हैं। eye side weak solution के लिए नेत्र रोग विशेषज्ञ इन दोनों योगो को विशेष रूप से करने के लिए सुझाव देते है | क्योंकि ये लाभप्रद योग आँखों को स्वस्थ एवं रोशनी को बढ़ाने के लिए जांचे परखे व्यायाम हैं :
तो आइये देखते है आँखों के लिए प्रमुख योगासन और उन्हें करने की विधि / Best Yoga for eyes vision improvement.
1. सिंहासन / Yoga For Eyes {Simhasana }
about Simhasana –सिंहासन चौरासी आसनों में से एक है। इसे ‘भैरवासन’ भी कहा जाता है। इस आसन की मुखमुद्रा (चेहरे की बनावट) जब वज्रासन और भद्रासन में की जाती है, तब यह वज्रासन या भद्रासन सिंहासन के रूप में जाना जाता है।
सिंहासन करने की विधि :/ How To Do Simhasana Yoga
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- दोनों पैरों को घुटनों से मोड़ कर पीछे की ओर ले जाएँ। फिर पैरों के पंजों पर बैठ जाएँ। एड़ियाँ नितंब के दोनों ओर होनी चाहिए।
- दोनों घुटने एक-दूसरे से लगभग छ: इंच दूर रखें।
- दाएँ हाथ का पंजा दाएँ घुटने पर और बाएँ हाथ का पंजा बाएँ घुटने पर रखें। नथुनों (Nostrils) और मुँह से थोड़ी-थोड़ी साँस छोड़ते जाएँ और साथ ही जीभ मुँह से बाहर निकालें।
- जीभ निकालने की क्रिया पूरी होने के साथ साँस भी पूरी तरह बाहर निकल जानी चाहिए। अब साँस लेना बंद करें।
- कमर को सीधी रखिए। मुँह की सभी स्नायुओं (Nerves) को खींच कर इस ढंग से पूरी आँखें खोलें कि चेहरा शेर जैसा लगे।
- सामने देखिए और इसी स्थिति में छ: से आठ सेकंड तक स्थिर रहिए।
- आरंभ में एक सप्ताह तक यह क्रिया प्रतिदिन दो बार करें। कुछ अभ्यास हो जाने के बाद यह क्रिया प्रतिदिन चार बार करें।
सिंहासन करने के अन्य लाभ : Other Benefits Of Simhasana
- स्मरणशक्ति (मेमोरी) बढ़ाने के लिए यह आसन बहुत ही उपयोगी माना जाता है।
- गले अथवा आवाज की तकलीफ या टांसिल में सूजन की अवस्था में यह आसन दवाई का काम करता है।
- यह आसन सीने और पेट के रोग दूर करता है।
- इस आसन से तुतलापन मिटता है, कान तथा त्वचा को लाभ पहुँचता है।
- इस आसन से मुँह की सुंदरता और तेज में वृद्धि होती है।
- यह आसन करने से वज्रासन के सभी लाभ प्राप्त होते हैं।
- इस आसन से स्वस्थ एवं मधुर स्वर का विकास होता है।
2. शीर्षासन / Yoga For Eyes { Sirsasana }
about sirsasana -‘शीर्ष” का अर्थ है सिर। इस आसन में पूरा शरीर सिर के सहारे टिकाना होता है, इसलिए इसे ‘शीर्षासन’ कहा जाता है। इस आसन को ‘सभी आसनों के राजा’ कहा जाता है। इस आसन को कपालि आसन, वृक्षासन और विपरीतकरणी भी कहा जाता है। इस आसन को सरलता से करने के लिए इसकी चार स्थितियों में बताया है |
शीर्षासन करने की विधि : How To Do Sirsasana Yoga
- पहली स्थिति : चार तह किया हुआ कंबल या कोई मोटा कपड़ा भूमि पर बिछाइए।
- दोनों घुटनों के बल बैठिए। दोनों हाथों की उँगलियों को परस्पर फंसाकर उसे भूमि पर रखिए।
- दूसरी स्थिति : अब सिर को हाथ की बनी जंजीर और कुहनियों के बीचोबीच रखिए।
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- धीरे-धीरे पैर ऊपर उठाइए। आरंभ में पाँच से पंद्रह सेकंड तक पैर ऊँचे रखिए। प्रति सप्ताह क्रमश: 15 सेकंड का समय बढ़ाते हुए आधे घंटे तक यह आसन कीजिए।
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- इमेज में बताए अनुसार पैरों को ऊपर उठाए रखने का अभ्यास कीजिए। जल्दबाजी मत कीजिए।
- पैरों के पंजे आकाश की ओर तने हुए रखिए। स्वाभाविक रूप से साँस लेना जारी रखिए। फिर पैर धीरे-धीरे नीचे ले आइए।
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शीर्षासन की सावधानियां / Sirsasana Precautions
- यह आसन खाली पेट ही करें। आसन बहुत धीरे-धीरे कीजिए। ध्यान रहे, झटके न लगें।
- जब आप सिर के बल उल्टे खड़े हों, तो धीरे-धीरे साँस लें। मुँह से कभी साँस लेने की प्रक्रिया न करें।
- जब आप यह आसन सीखना शुरू करें, तब किसी व्यक्ति को पैर स्थिर रखने में सहायता करने के लिए कहें या दीवार का सहारा लेकर शीर्षासन करने की शुरुवात करें।
- गर्मियों में शीर्षासन लम्बे समय तक न करें। सर्दियों में इच्छानुसार यथासंभव लंबे समय तक यह आसन कर सकते हैं। आँखें खुली या बंद रखें, किंतु लंबे समय तक आसन करें, इससे मन को एकाग्र करने में मदद मिलेगी।
- शीर्षासन करने के बाद आराम करने के लिए शवासन करना अत्यावश्यक है।
- शीर्षासन से होने वाले लाभ के बारे में जानकर अति उत्साह में शरीर की शक्ति सीमा से अधिक समय तक यह आसन करने से हानि भी हो सकती है। आँख आने पर घरेलू उपचार, कारण, लक्षण : Conjunctivitis
- जिन्हें नाक, कान या गले में संक्रामक रोग हो, अनिद्र की तकलीफ हो या जिनकी आँखें ऑपरेशन से कमजोर हों, उन्हें सिर पर शरीर को टिका वाले आसन नहीं करने चाहिए।
शीर्षासन करने के अन्य लाभ : Other Benefits Of Sirsasana
- यह आसन गुरुत्वाकर्षण नियम के विपरीत है। यह आसन करने से मस्तिष्क प्रचुर मात्रा में प्राण और रक्त का संचार करता है।
- यह आसन मानसिक शक्ति में वृद्धि करता है, स्मृति शक्ति की विकसित करता है और कुंडलिनी शक्ति जाग्रत करता है।
- यह आसन सभी तरह की बीमारियों को दूर करता है। यह सभी रोगों का रामबाण इलाज है। यह पाचक रसों में वृद्धि करता है और आँख, नाक, सिर, गले आदि अंगों के दर्द तथा मधुमेह और दमा जैसे रोग दूर करता है।
- इस आसन से शरीर उचित अनुपात में रहता है। तथा इस आसन से शरीर की संतुलन शक्ति में वृद्धि होती है। शरीर क संतुलन तंत्र कार्यक्षम बनता है।
- इस आसन से हृदय का स्वास्थ्य और उसकी कार्य क्षमता बनी रहती है |
- यह आसन पेट को बढ़ने से रोकता है।
- Myopia या निकट दृष्टि दोष में लाभकारी है |
- ब्रह्मचर्य का पालन करने में यह आसन बहुत मदद करता है। यह शक्ति संचय करता है, शक्ति प्रदान करता है और शक्ति में वृद्धि करता है।
- इससे सारे शरीर में रक्त-संचार की कार्यक्षमता में वृद्धि होती है |
योगासन करते समय जरूरी हैं ये 25 सावधानियां
3. सर्वांगासन / Yoga For Eyes { Sarvangasana}
सर्वांगासन योगासन आंखों की रोशनी और चेहरे के तेज़ को बढाता है। इस आसन को आंखों ,दिमाग और चेहरे के लिए काफी फायदेमंद माना जाता है ।
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