श्वेत प्रदर, ल्यूकोरिया, सफेद पानी आने के कारण, लक्षण तथा बचाव के उपाय

श्वेत प्रदर या लिकोरिआ या ल्यूकोरिया (Leukorrhea) अथवा “सफेद पानी आना” मासिक धर्म स्त्री के लिए प्राकृतिक तथा स्वाभाविक प्रक्रिया होती है। जब इसमें गड़बड़ी हो जाए तथा अनियमितता सहन करनी पड़े, तो यह बड़ा रोग बन जाता है। श्वेत प्रदर एक बीमारी है, इसलिए बिना छिपाए इसका पूरा इलाज होना ज़रूरी है। अधूरा इलाज बीमारी को फिर सिर उठाने का मौका दे सकता है तथा कई दूसरी तरह की तकलीफें भी पैदा कर सकता है। इस रोग से गृहस्थ जीवन भी खराब हो सकता है। इसलिए इस रोग का आभास होते ही, सही इलाज करवाना जरुरी हो जाता है। इस बीमारी में कुछ चीजो से परहेज़ तथा घरेलू आयुर्वेदिक उपचार भी बहुत फायदेमंद होते हैं जिनको हम अगले आर्टिकल में बताएँगे इस पोस्ट में केवल इस बीमारी के कारणों और लक्षणों को जानेंगे ।

श्वेत प्रदर के लक्षण  

श्वेत प्रदर, ल्यूकोरिया, सफेद पानी आने के कारण, लक्षण तथा बचाव के उपाय safed pani girne ke lakshan likoria reason

  • श्वेत प्रदर की पहचान के लिए कुछ लक्षण सामने आ जाते हैं, जो इस रोग का पता लगानेमें अहम भूमिका निभाते हैं। जैसे :- कभी-कभी नारी के योनि मार्ग से स्राव होने लगता है। यह पतला भी हो सकता है, गाढ़ा भी। यह सफेद भी हो सकता है, थोड़ा पीलापन लिए भी। इसमें चिकनापन होता  है। श्वेत प्रदर की बीमारी में योनि का गीला रहना या अंडरक्लॉथ का थोड़ा गीला हो जाना आम बात है। इसी से ‘श्वेत प्रदर’ हो जाने की पुष्टि होती है। यह स्राव किसी भी दिन, कभी भी हो सकता है। मासिक धर्म से पहले या बाद में सफेद पानी आना इस रोग में आम बात है।
  • रोगी महिला की पीठ तथा सिर में दर्द रहना आम बात है।
  • महिला को बेहद कमजोरी महसूस होती है।
  • चेहरे की रौनक कम हो जाती है।
  • श्वेत प्रदर की बीमारी में रोगी महिला की आंखें अंदर को धंसने लगती हैं और आंखों के चारों ओर काले घेरे पड़ने लगते हैं |
  • इस रोग में रोगी महिला को कुछ खाने को मन नहीं करता। मुंह का स्वाद खराब रहता है।
  • थोड़ा-सा काम कर देने से थकावट महसूस होती है। शरीर टूटा-टूटा रहता है।
  • जब श्वेत प्रदर रोग अधिक हो जाता है, तो महिला कई बार बेहोशी की स्थिति में भी आ जाती है।
  • गर्भाशय और योनि से सफेद पानी के स्राव के अलावा रोगी की कमर और कमर के निचले हिस्सों में दर्द और पेट में ऐंठन भी होती है। इसके अलावा कब्ज, सिर दर्द और शरीर में खुजली होती रहती है।
  • श्वेत प्रदर से ग्रस्त रोगी में चिड़चिड़ापन हो जाता है और उसकी आँखों के आस-पास के स्थानों पर काले धब्बे उभर आते हैं।

श्वेत प्रदर (सफेद पानी आने) के कारण : महिलाओं में सफेद स्राव के कारण

  • श्वेत प्रदर अनेक बीमारियों का एक लक्षण है। जैसे खून की कमी, आंतों की सूजन, गर्भाशय का बाहर निकलना आदि बीमारियों में श्वेत प्रदर रहता है। स्वास्थ्य के प्रति सजगता के अभाव के चलते व पेशाब का संक्रमण होने पर भी श्वेतप्रदर हो सकता है।
  • आम भारतीय नारियों के शरीर में आवश्यक पोषक तत्वों की कमी के कारण भी श्वेत प्रदर रोग बना रहता है। जो महिलाएं जननांगों की सफाई नहीं करतीं, उनमें भी यह समस्या बनी रहती है।
  • शरीर में हारमोन असंतुलन के कारण, अंडाणु के बनने के समय, गर्भावस्था की प्रारम्भिक अवस्था में, कभी-कभी नवजात कन्याओं में भी सफेद पानी की समस्या देखने को मिलती है। यह स्थिति स्वयं कुछ दिनों में सामान्य हो जाती है।
  • प्रदर रोग धीरे-धीरे बढ़ते हुए गंभीर रूप धारण कर लेता है। कभी-कभी खान-पान में कुछ गलती हो जाने पर या खाने-पीने की गलत आदतों के कारण शरीर में कुछ विषमताएँ पैदा हो जाती हैं और त्वचा, आंत, फेफड़े एवं गुरदे उनको शरीर से दूर नहीं कर पाते, तब नारी शरीर योनि और गर्भाशय के द्वारा प्रदर के रूप में वह सारी अशुद्धताएँ बाहर निकालता है। अगर आरंभ में ही ध्यान न रखा गया तब धीरे-धीरे इन इंद्रियों में सूजन आ जाती है और वहाँ से पीप बहने लगता है। इसमें एक तरह की दुर्गंध होती है और इसका रंग भूरा या पीला अथवा हलका हरा होता है।
  • श्वेत प्रदर की बीमारी कभी-कभी अविवाहित युवतियों को भी घेर लेती है। मासिक धर्म शुरू होने से कुछ पहले या शुरू होने के बाद इसके अनेक कारण हो सकते हैं, जैसे-जनन संबंधी इंद्रियों में उत्तेजना, गंदगी के कारण, कभी अंदर पहने गए दूषित कपड़े, पेट से जुडी कोई लंबी बीमारी |
  • मानसिक रूप से यौन संबंधों की अत्यधिक उत्सुकता और कभी-कभी यौन कोशिकाओं तथा इंद्रियों में ज्यादा उत्तेजना के कारण भी अधिक रिसाव होता है; लेकिन यह कुछ समय बाद अपने आप ठीक हो जाता है। युवा स्त्री में श्वेत प्रदर मासिक धर्म के दौरान हो सकता है। ऐसा होने पर स्त्रियों को मासिक धर्म के दौरान दर्द होता है तथा और भी विषमताएँ पैदा हो जाती हैं।
  • अधिक उम्र की महिला को अगर इस दौरान पीले रंग के द्रव का ज्यादा आये और पेशाब में अत्यधिक जलन हो तो इसका कारण श्वेत प्रदर ही होता है।
  • स्त्रियों के गर्भवती होने पर करीब चालीस वर्ष तक की स्त्रियों के लिए यह रोग बड़ा खतरनाक साबित हो सकता है। कभी-कभी तो बच्चे तक को हानि पहुँचा सकता है। इसके साथ ही स्त्री का स्वास्थ्य गिरता चला जाता है | अगर इस संक्रामक रोग का उपचार सावधानीपूर्वक नहीं किया गया तो यह महीनों-सालों तक रहता है और अन्य अंगों को भी रोगग्रस्त कर देता है।
  • श्वेत प्रदर रोग कभी-कभी अत्यधिक ठंड के कारण भी हो सकता है। ठंड से गर्भाशय में सूजन आ जाती है या कभी-कभी गर्भाशय के अपनी जगह से हट जाने पर भी अथवा अस्वास्थ्यकर या गंदे स्थानों पर रहने के कारण कीटाणुओं के साथ यह रोग आपके शरीर में अपना घर बना लेता है।
  • गर्भ निरोधक गोलियों का सेवन करने वाली तथा मधुमेह से पीड़ित महिलाओं में भी इसके संक्रमण की संभावना बढ़ जाती है । इसके अलावा यौन रोग से पीड़ित पुरुष के साथ शारीरिक संबंध बनाने पर भी यह रोग महिला को हो सकता है।
  • तकरीबन सभी यौन रोगों में श्वेत प्रदर के लक्षण पाए जाते हैं । गर्भाशय ग्रीवा (सरविक्स) की सूजन, मांस के बढ़ने से बना पॉलिप और सतही छीजन (सरवाइकल इरोजन) जैसी अन्य बीमारियाँ भी ल्यूकोरिया का कारण बन सकती हैं। कुछ महिलाओं को कॉपर-टी या गर्भनिरोधक जेली के इस्तेमाल से भी योनि से स्राव आने लगता है।
  • श्वेत प्रदर का स्राव हमेशा किसी बीमारी का ही लक्षण नहीं होता और बिना किसी कारण के भी स्राव हो सकता है। हर स्त्री को प्रजनन उम्र में सामान्यतः योनि से थोड़ा-बहुत स्राव होता रहता है, जिसमे से कुछ स्राव बाहर भी आ सकता है, विशेषकर डिंबक्षरण के समय, गर्भावस्था में एवं मासिक स्राव के पहले। बहुत चिंता करने पर या अधिक देर बैठकर रहने वालों में भी इसकी मात्रा बढ़ सकती है। यह सामान्य स्राव रंगहीन और पानी के जैसा पतला या लसलसा होता है। सामान्य स्राव के साथ कोई घाव या खुजली नहीं होती और इसके लिए किसी दवा की जरूरत नहीं होती है । इसके विपरीत असामान्य या रोगजनित स्राव तकलीफदेह होता है और इसका इलाज जरूरी होता है।

सफेद पानी या पैथोलॉजिकल स्राव के अन्य कारण

  • योनि का संक्रमण
  • योनि में ट्यूमर या पॉलिप
  • गर्भग्रीवा में इक्टोपी या नैवोथियन सिस्ट गर्भग्रीवा में पॉलिप या फाइब्रॉयड
  • गर्भग्रीवा या गर्भाशय का संक्रमण
  • गर्भग्रीवा का कैंसर
  • गर्भाशय का कैंसर
  • फैलोपियन ट्यूब का कैंसर
  • योनि संक्रमण-यह एक आम बीमारी है और अधिकांश स्त्रियाँ अपने जीवन में कभी-न-कभी इससे पीड़ित होती हैं। योनि के अधिकांश संक्रमण यौन रोगों के कारण होते हैं। संक्रमण से होनेवाला स्राव पीला, चमकीला या गाढ़ा और अधिक मात्रा में होता है। अधिकांश संक्रमण में श्वेत प्रदर के साथ-साथ जननांगों में खुजली भी होती है। यह शिकायत मासिक स्राव के बाद, किसी अन्य बीमारी के होने पर एवं ऐंटीबायोटिक लेने के बाद बढ़ जाती है। संक्रमण के लिए सही दवा लेने से यह स्राव एवं खुजली ठीक हो जाती है। कभी-कभी संक्रमण बार-बार होता है, विशेषकर उन लोगों को, जिन्हें मधुमेह की बीमारी है। यदि पति को मधुमेह की बीमारी हो तब भी पत्नी को बार-बार संक्रमण हो सकता है। अधिकांश संक्रमण पत्नी के साथ-साथ पति को भी होता है, इसलिए दवा दोनों को दी जाती है। कभी-कभी लंबे समय तक दवा की जरूरत पड़ सकती है।
  • कैंसर से होनेवाला स्राव बदबूदार, गंदा, मात्रा में अधिक एवं रक्त मिला होता है। कभी-कभी यह स्राव पतला पानी जैसा या मवाद जैसा भी हो सकता है। ऐसे स्राव की सही जाँच और जल्दी इलाज बहुत आवश्यक होता है।
  • गर्भग्रीवा में पॉलिप या इटोपी होने पर स्राव रंगहीन या सफेद पानी जैसा और अधिक मात्रा में होता है। कभी-कभी यह लसलसा भी हो सकता है। इटोपी में गर्भग्रीवा पर लाल दाने हो जाते हैं, जिसका कारण है-गर्भग्रीवा की अंत:परत का अपनी सीमा से बाहर तक बढ़ जाना। इसे एक छोटी सी सर्जरी यानि ओपरेशन कौटेराइजेशन (Cauterisation) के द्वारा ठीक किया जाता है। यदि पॉलिप या गर्भाशय के मुँह पर मस्सा हो तो उसे भी सर्जरी द्वारा हटा दिया जाता है।

श्वेत प्रदर से बचाव की जानकारी

  • ल्यूकोरिया से बचने के लिए जननांगों की साफ-सफाई पर ध्यान देना जरूरी है। नहाते समय साबुन से जननांगों की सफाई करना आवश्यक है। मासिक धर्म के दिनों में जननांगों की सफाई पर विशेष ध्यान देना चाहिए और लाव को सोखने के लिए सेनिटरी नैपकिन, टैम्पून या साफ कपड़ा इस्तेमाल करना चाहिए। सूती जाँघिया पहनना तथा खुले और आरामदेह कपड़े पहनना भी स्वास्थ्य के लिए अच्छा होता है। इसके इलाज के तौर पर एजिथ्रोमायसिन, सेकनिडाजोल और फ्लुकोनाजोल नामक तीनों दवाइयों की एक दिन की खुराक का सेवन कारगर होता है। हालाँकि इसके सेवन से पहले स्त्री रोग विशेषज्ञ से परामर्श कर लेना बेहतर रहता है। श्वेत प्रदर के देशी घरेलू इलाज के नुस्खे हम अगले आर्टिकल में बताएँगे उनको आप बिना किसी साइड इफ़ेक्ट के खतरे के आसानी से ले सकती है |

श्वेत प्रदर की जांच :

  • योनि के बाहर व अंदर से रिसने वाले सफेद पानी की लैब में जांच करवाई जाती है । पेशाब की जांच पस सेल्स व शुगर (शर्करा) का स्तर देखने के लिए तथा रक्त की जांच हीमोग्लोबिन, रक्त शर्करा व वीडी आरस्ल (गुप्त रोग की जांच) आदि की जांच की जाती है।
  • तपेदिक आदि के बारे में छाती के एक्स-रे से पता चल जाता है। तपेदिक जैसी बीमारियों में भी कुछ महिलाओं में सफेद पानी, यहां तक कि बांझपन भी हो सकता है।

श्वेत प्रदर रोग से जुड़े सवाल और उनके जवाब

योनि से पानी पड़ना किस चीज का लक्षण है?

  • यह योनि से जाने वाले पानी के रंग, गंध और प्रकृति पर निर्भर करता है। जैसे सफेद चिकना स्राव अनेक सामान्य स्थितियों में भी जा सकता है। पर दुर्गंधयुक्त स्राव या तो योनि के किसी संक्रामक रोग या भीतर के किसी गंभीर विकार का लक्षण है। रक्त मिला स्राव खतरे की सबसे बड़ी घंटी है। ऐसे में डॉक्टर से तुरंत जांच करा लेने में ही भलाई है।

योनि-स्राव या श्वेत प्रदर को असामान्य कब समझना चाहिए?

  • योनि से स्राव गिरता रहे, उसका रंग हरा, पीला या दही समान हो, उसमें दुर्गंध हो, योनि में दर्द, सूजन, खिंचावट या खुजली हो, या यूरिन करते समय जलन महसूस हो, तो यह समझ लें कि स्राव असामान्य है और डॉक्टर से राय लेना जरूरी है।

हरा-पीला पतला झागदार बदबूदार योनिस्राव किस रोग का संकेत है?

  • यह योनि में खास किस्म के सूक्ष्मजीवी ट्राइकोमोनास से हुई इंफेक्शन का लक्षण है। ऐसे में पेशाब करते समय जलन होती है, योनि में खुजली होती है, जननांग में दर्द होता है और अंदर सूजन हो जाती है।

क्या श्वेत प्रदर (ल्यूकोरिया) में फार्मेसियों द्वारा विज्ञापित दवाएं कामयाब साबित होती हैं?

  • बिलकुल नहीं। श्वेत प्रदर अपने में कोई रोग नहीं है। जब तक उसका मूल कारण पता न चले तब तक उसकी दवा चुन पाना संभव नहीं। फिर भी कुछ दवा निर्माता इस सत्य को ताक पर रख हर प्रकार के श्वेत प्रदर को एक ही दवा से ठीक करने का दावा करते हैं। सच यह भी है कि योनि से साफ या दूधिया दुर्गंधरहित स्राव कुछ स्थितियों में सामान्य तौर पर भी आ सकता है। यौन उत्तेजना के क्षणों में, मासिकधर्म से कुछ रोज पहले, डिंबग्रंथि से डिंब के छूटनेवाले दिन और गर्भावस्था में यह स्राव बिल्कुल सामान्य है। कब्ज होने और योनि बार-बार धोने से भी स्वच्छ स्राव हो सकता है। ऐसे में किसी दवा की जरूरत नहीं होती।

श्वेत प्रदर रोग में कौन कौन से योगासन लाभकारी होते हैं |

  • योगासन, विशेष रूप से जो पेट और गर्भाशय की मांसपेशियों को मजबूत बनाते हैं, नियमित रूप से कीजिए। इस रोग में लाभप्रद आसन हैं—पश्चिमोत्तानासन, सर्वांगासन, हलासन, पद्मासन, भुजंगासन और शलभासन। इसके अलावा खुले में व्यायाम और टहलना अच्छा होगा।

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