ल्यूकोरिया की आयुर्वेदिक दवा : श्वेत प्रदर, सफ़ेद पानी का इलाज

श्वेत प्रदर या ल्यूकोरिया एक अत्यंत आम स्त्री रोग है. इस के अनेक कारण हैं। और इस से असंख्य महिलाएं पीड़ित हैं. योनि मार्ग से सफेद पानी स्राव को ‘श्वेत प्रदर’ कहा जाता है, मगर इस में रक्त की एक बूंद भी शामिल नहीं होनी चाहिए. हालांकि स्त्री जीवन के कुछ पड़ावों, जैसे युवावस्था में प्रवेश करते वक्त, गर्भावस्था के दौरान, मासिक स्राव के कुछ दिनों पहले स्राव पैदा होता है. मगर चूंकि इस की मात्रा सीमित और इस का उत्पादन अस्थायी होता है, अतः इस के लिए किसी तरह के इलाज की जरूरत नहीं पड़ती

वैसे तो मोटे रूप में प्रदर दो प्रकार काहोता है- श्वेत प्रदर (ल्यूकोरिया) और रक्त प्रदर, किंतुइन के अलावा भी कुछ प्रदर होते हैं, जैसे ट्राइको मोनियासिस यहसबसे आम प्रकार है और ल्यूकोरिया के पचास प्रतिशत से ज्यादा मरीज इसी बीमारी से पीड़ितहोते हैं | हालांकि यह प्रमुखता से विवाहित महिलाओं में पाया जाता है, मगर कुंवारी लड़कियां और रजोनिवृत्त महिलाएं भी इस का शिकार हो सकती हैं |वैसे तो यह यौन संबंधों से उत्पन्न संक्रमण है, मगर कुछरोगिणियों में यह उन के अस्वस्थ रहनसहन जैसे मरीज का तौलिया या वस्त्र इस्तेमालकरना या उस के साथ स्नान भी बीमारी का प्रसार कर सकता है | अकसर इस के जीवाणु शरीरमें उस समय प्रवेश करते हैं जब या तो मरीज की रोग प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाती हैया माहवारी के दौरान योनिमार्ग में कुछ रासायनिक बदलाव आते हैं | फफूंदी केसंक्रमण से उत्पन्न प्रदर इस प्रकार की बीमारी उन महिलाओं में प्रमुखता से पाईजाती है। जिन्हें या तो मधुमेह हो या फिर जो गर्भवती हों, ऐसाइसलिए होता है। क्योंकि यह फफूंदी अम्लीय माध्यम और शुगर की मौजूदगी में तेजी सेबढ़ती है | चूंकि मधुमेह के मरीजों के रक्त में शक्कर की मात्रा अधिक होती है अतः उन्हें इस संक्रमण का खतरा अधिक होता है |

ल्यूकोरिया इलाज के आयुर्वेदिक उपाय 

ल्यूकोरिया की आयुर्वेदिक दवा : श्वेत प्रदर, सफ़ेद पानी का इलाज safed pani likoria ayurvedik ghrelu ilaj
  • नोट : एक समय मर इनमे से केवल एक उपाय ही आजमायें |
  • लौह भस्म व यशद भस्म 125-125 मि.ग्रा., राल चूर्ण 500 मि.ग्रा. को 1-2 मि.ग्रा. की मात्रा में प्रतिदिन प्रातः-सायं 2 बार मधु के साथ मिलाकर सेवन करने से 2 माह के अंदर ही ल्यूकोरिया का रोग दूर हो जाता है।
  • बाजार से चंद्रप्रभावटी मिलती है। इसकी एक-एक गोली पानी के साथ प्रातः तथा शाम शुरू करें।
  • ल्यूकोरिया के इलाज के लिए अशोकारिष्ट तथा अश्वगंधारिष्ट लें। दोनों का एक-एक बड़ा चम्मच, दोनों समय भोजन के बाद पिएं।
  • त्रिबंग भस्म 125 मि.ग्रा., स्फटिका भस्म 250 मि.ग्रा. और जटामांसी चूर्ण 500 मि.ग्रा. इन सभी को अच्छी तरह मिलाकर किसी शीशी में रख लें। इसे रोजाना सुबह-शाम 5-5 ग्राम की मात्रा में शहद  में मिलाकर सेवन करने से पुराने से पुराना ल्यूकोरिया भी ठीक हो जाता है। यह नुस्खा आजमाने के दौरान (1 महीने तक) तिक्त, मीठा, तेल व खटाई का प्रयोग बंद रखें तथा यौन सम्बंध न बनायें ।
  • जल जमनी की पत्तियों को पीसकर 6-6 ग्राम की गोलियां बनाकर 1-1 गोली दिन में 3 बार 250 ग्राम मट्ठा या दही (जिसमें नमक व जीरा चूर्ण मिला हो) सेवन करने से ल्यूकोरिया रोग में आराम मिलता है। कुछ दिनों के लगातार प्रयोग से यह रोग हमेशा के लिए ठीक हो जाता है।
  • अशोक की छाल का चूर्ण और त्रिफला चूर्ण 100 ग्राम तथा संगजराहत भस्म 25 ग्राम लेकर सभी को अच्छी तरह मिलाकर 100 मात्राएं बना लें और 1-1 मात्रा सुबह-शाम शहद के साथ सेवन करें। आवश्यकतानुसार 3 से 6 महीने तक इसके सेवन से ल्यूकोरिया का रोग दूर हो जाता है।
  • शुद्ध रसौत, पठानी लोध, शतावर ढाक की गोंद, मुलहठी, अशोक की छाल प्रत्येक 125-125 ग्राम, नागरमोथा और सफेद मूसली 20-20 ग्राम, स्वर्णबंग, त्रिबंग भस्म, बंग भस्म, नाग भस्म, प्रवालपिष्टी, कुक्कुटाकत्वक भस्म प्रत्येक 2-2 तोला, यशद भस्म 5 तोला उपरोक्त सभी औषधियों को कूट-पीसकर और भस्मों को मिलाकर 2-2 रत्ती की मात्रा में दिन में 2 बार शहद के साथ सेवन करके ऊपर से मलाई खाने से ल्यूकोरिया रोग ठीक हो जाता है।
  • ल्यूकोरिया के रोग पर काबू पाने के लिए मुलेठी तथा सूखे आंवला को समान मात्रा में लेकर कूट-पीसकर छान लें। अब डेढ़ चम्मच शहद में आधा चम्मच इस पाउडर को मिलाकर चाटें तथा ऊपर से एक गिलास दूध पिएं। यह प्रयोग दिन में दो बार, सुबह तथा शाम करें ।  

ल्यूकोरिया के इलाज के लिए घरेलू नुस्खे

  • नोट : एक समय मर इनमे से केवल एक उपाय ही आजमायें |
  • सूखे आंवलों को पीसकर चूर्ण बनाकर 3 ग्राम चूर्ण सुबह-शाम पानी के साथ कुछ महीने सेवन करने से ल्यूकोरिया रोग खत्म होता है।
  • नागकेशर 3 ग्राम रोजाना मट्ठे के साथ सेवन करने से ल्यूकोरिया रोग का निवारण होता है।
  • मुलहठी का चूर्ण 1 ग्राम मात्रा में पानी के साथ सुबह-शाम सेवन करने से ल्यूकोरिया से मुक्ति मिलती है।
  • शिरीष की छाल का चूर्ण 1 ग्राम मात्रा में घी मिलाकर सुबह-शाम सेवन करने से ल्यूकोरिया ठीक  होता है।
  • बला की जड़ का चूर्ण बनाकर 3 ग्राम चूर्ण प्रतिदिन शहद मिलाकर सेवन करने और दूध पीने से ल्यूकोरिया में बहुत लाभ होता है।  
  • ल्यूकोरिया का इलाज करने के लिए बड़ी इलायची, माजूफल को बराबर मात्रा में लेकर दोनों के बराबर मिसरी मिलाकर पीसकर चूर्ण बना लें। 2 ग्राम चूर्ण सुबह, 2 ग्राम चूर्ण शाम को पानी के साथ सेवन करें |
  • 2 ग्राम जीरे के बारीक चूर्ण को बराबर मात्रा में मिसरी मिलाकर चावल के धोवन के साथ सेवन करने से ल्यूकोरिया में बहुत लाभ होता है।  
  • नीम के पत्तों को पानी में उबालकर उस पानी को छानकर योनि साफ़ करने से ल्यूकोरिया के ‘ट्राइकोमोनास वैजाइनैलिस’ नामक जीवाणु खत्म होते हैं।
  • डिटोल को पानी में मिलाकर भी योनि को साफ़ करें।
  • ल्यूकोरिया के इलाज हेतु रात को मुट्ठी भर फुला हुआ सुहागा तथा त्रिफुला 500 ग्राम पानी में भिगोकर रखें। प्रातः इस पानी को छानकर योनि को धोएं।
  • 3 ग्राम आंवले का चूर्ण और शहद मिलाकर प्रतिदिन सेवन करने से ल्यूकोरिया की बीमारी नष्ट होती है।
  • नागकेसर को पीसकर बारीक चूर्ण बनाकर रखें। आधे ग्राम चूर्ण को प्रतिदिन मट्ठे के साथ सेवन करने से धीरे-धीरे ल्यूकोरिया का निवारण होता है।
  • अश्वगंधा का 3 ग्राम चूर्ण प्रातः और सायं दूध के साथ सेवन करने से सभी तरह के प्रदर रोग खत्म होते है और शारीरिक शक्ति का विकास होता है।  
  • अनार के कोमल पत्ते 10 ग्राम और 7-8 दाने काली मिर्च के लेकर 200 ग्राम पानी में देर तक उबालें। फिर इस पानी को छानकर पी लें। कुछ सप्ताह तक सेवन करने से ल्यूकोरिया रोग ठीक  हो जाता है।

ल्यूकोरिया का आधुनिक इलाज

  • मेट्रानिडाझोल या टिनीडाझोल की गोलियों का सप्ताह भर सेवन ल्यूकोरिया की बीमारी को दूर कर देता है। यदि इलाज के बाद लक्षण फिर से आ जाए तो फिर रोगी महिला के पति को भी दवा की एक खुराक दी जाए क्योंकि अकसर यौन संबंध इस बीमारी का प्रसार करते हैं।
  • ये दवाइयां गर्भावस्था के पहले तीन माह के दौरान नहीं ली जानी चाहिए | ऐसे में भीतर रखने के लिए गोली या मरहम मिलती है, जो गोलियों जितनी ही असरकारक होती है |

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