कफ तथा पित्त नाशक आहार -Pitt & kapha Balancing Diet

पिछले पोस्ट में हमने वात नाशक आहार यानि वात संतुलित करने वाले खाने पीने के पदार्थो के बारे में बताया था इस पोस्ट में हम कफ तथा पित्त नाशक आहार के बारे में बतायेंगे | आयुर्वेद में “त्रिदोष” का महत्त्व, इसके दोषों का शरीर पर प्रभाव, इन्हें संतुलित करने के उपाय तथा विभिन्न दोषों के अनुसार सही खानपान की अहमियत के बारे में हम पहले ही विस्तारपूर्वक बता चुके हैं | आइये फिर भी एक बार इसे संक्षिप्त में जान लेते है |

आयुर्वेद के अनुसार प्रत्येक रोग तीन दोषों पर निर्भर है-वात, पित्त और कफ। यदि इनका अनुपात शरीर में ठीक हो तो मनुष्य स्वस्थ रहेगा, कोई रोग उसे नहीं होगा। परन्तु ऐसे लोग बहुत कम होते हैं। कोई न कोई वस्तु प्रत्येक मनुष्य में आवश्यकता से अधिक होती है मतलब असंतुलित होती है। यही रोगों का मूल कारण है। माता-पिता की प्रकृति और उनके रोगों का प्रभाव बच्चे पर जन्म से ही होता है। यदि गर्भिणी माता का पित्त  बढ़ा हुआ था तो बच्चे की जन्म से ही पित्त-प्रकृति होगी। यदि यह बच्चा किसी समय भी पित्त बढ़ाने वाली चीज को खायेगा तो उसे पित्त के रोग जरुर घेर लेंगे। इसी प्रकार यदि कोई बच्चा माँ से कफ प्रकृति लेकर जन्मा है तो जरा-सी कफ वृद्धि से वह रोगी हो जायेगा। जो खुराक स्वास्थ्य की दशा में मनुष्य खाता है वह सब प्रकार की होती है। एक वस्तु वात नाशक होती है, तो दूसरी पित्त वर्द्धक और तीसरी कफ नाशक और वात वर्द्धक। ऐसी खुराक जिसमें तीनों दोष बराबर हों, न कोई खाता है और न खा सकता है क्योंकि हर एक चीज तोलकर तो खाई नहीं जा सकती है । कभी उड़द की दाल अधिक खा ली तो कभी पेट में चना अधिक पहुँच गया। यदि रोटी से थक गये तो खिचड़ी खा ली।

साधारणतः हमारे भोजन में दाल, चावल और गेहूँ शामिल रहता हैं। चावल पित्त दोष नाशक है, गेहूँ वात नाशक है। मूंग कफ-पित नाशक पर वात बढ़ाने वाली है। इस प्रकार हर रोज ली जाने वाली खुराक एक नया प्रभाव शरीर पर करती है। एक दिन किसी चीज से वात बढ़ गया और दूसरे दिन, सम्भव है कि वात नाशक खुराक मिल गयी तो कुछ कष्ट नहीं होगा । इस प्रकार जो कुछ थोड़ी-सी हानि बिना जाने-बूझे हो गयी थी, वह स्वयं ही दूर हो गयी। मतलब यह है कि हमारा खाना ही हमारे अन्दर सभी रोग विकार उत्पन्न करता है। यदि इसका उपाय न किया जाये या इसकी रोकथाम का प्रबन्ध न किया जाये तो शरीर में नए नए रोग उभर कर सामने आते हैं।

कफ नाशक आहार : कफ प्रकृतिवालों के लिए उत्तम आहार

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कफ तथा पित्त नाशक आहार

कफ अधिकतर कम आयु में, विशेषकर बच्चों में अधिक होता है। यह छाती, गले, फेफड़ों तथा जोड़ों में होता है। अत्यधिक मीठा, ठंडे पदार्थ तथा अधिक पोषक भोजन करने से कफ उत्तेजित तथा असंतुलित हो जाता है। जो लोग अपने आहार में वसा तथा चीनी अधिक इस्तेमाल करते हैं, उन्हें इस बारे में अत्यंत सचेत रहना चाहिए। नमक का अत्यधिक इस्तेमाल नहीं करना चाहिए, क्योंकि वह शरीर में द्रव के संग्रह को प्रेरित करता है। संतुलित कफवाले व्यक्ति के लिए तो हलका आहार ही उत्तम है। लेकिन कफ असंतुलन में तीखा भोजन करना चाहिए, क्योंकि यह पाचन की रक्षा करता है। भूख से अधिक भोजन नहीं करना चाहिए, क्योंकि इससे पाचन-तंत्र कमजोर हो सकता है।

  • हलके खाद्य पदार्थों के साथ नाश्ता
  • हलकी पकाई गई सब्जियाँ
  • मसालेदार भोजन पाचन को प्रेरित करते हैं, अतः हरी मिर्च, तिल, जीरा, मेथी तथा हलदी प्रयोग में लाएँ
  • गरम और ताजा भोजन
  • फलों में सेब
  • खिचड़ी
  • कड़वा, तीखा तथा सख्त सलाद
  • सुबह हलका गरम नींबू-पानी
  • शहद
  • अदरक की चाय
  • कच्चे फल
  • कफ से पीडि़त व्यक्ति को गरम भोजन, गरम सेब तथा ग्रिल पर भुनी मछली सेवन करनी चाहिए। गरम भोजन से कफ कम हो जाता है।
  • संतुलित कफवाले व्यक्तियों के लिए ग्रिल पर बना भोजन, उबला तथा सेंका भोजन अच्छा रहता है।
  • पाचन ठीक रखने के लिए रात का भोजन शुरू करने से पहले तीखा भोजन लेना अच्छा है।
  • अदरक की चाय या अदरक का रस चमत्कारिक है। धनिया की चाय भी उत्तम होती है, क्योंकि वह अपनी मूत्रवर्धक क्षमता के कारण कफ को कम करती है।
  • कच्ची सब्जियाँ हरा धनिया, धनिया के बीज, कालीमिर्च तथा जीरा, सभी तीखे मसाले तथा जड़ी-बूटियाँ, कम नमक, अचार, सरसों, खट्टा सलाद, सिरका तथा छौंक कफ प्रकृतिवालों के लिए उत्तम हैं।
  • सेब, सूखे मेवे, खुबानी, नाशपाती, केला, नारियल, खरबूज, नारंगी, पपीता, अनार, अंजीर, अनन्नास, आलूबुखारा, ताजा अंजीर, अंगूर मीठे तथा खट्टे फल ये सब कफ नाशक आहार है इनका सेवन करें।
  • मलाई निकाला हुआ वसायुक्त दूध, अंडे, चिकन, शंखमीन (एक प्रकार की मछली), समुद्री आहार तथा लाल मांस, जौ, ज्वार, गेहूँ, चावल, जई ये सब कफ नाशक आहार है इनका सेवन करें।
  • इसके अलावा शतावर, चुकंदर, अंकुरित सब्जियाँ, बंदगोभी, मिठाई, सब्जी का रस, टमाटर, ककड़ी तथा गाजर, फूलगोभी, बैंगन, लहसुन, हरी पत्तेदार सब्जियाँ, प्याज, मटर, हरी मिर्च, आलू, मूली तथा शकरकंद ये सब कफ नाशक आहार है इनका सेवन करें।
  • पाचन सुधारने के लिए अदरक का प्रयोग करें, परंतु नमकीन फलियाँ न खाएँ। वैसे सब प्रकार की फलियाँ, खासकर मोठ (किडनी बींस) कफवालों के लिए अच्छी होती हैं।
  • ठंडा देसी शहद अच्छा रहता है। गरम किया गया शहद शरीर के लिए हानिकारक है।
  • कफ नाशक आहार सब्जियाँ तथा बीज : सूरजमुखी तथा कद्दू के बीज। इसके साथ-साथ सब्जियाँ, कच्चे फल तथा सलाद कफ के लिए अच्छे हैं।
  • कफ असंतुलन में आयुर्वेद चिकित्सकों द्वारा पके भोजन की सलाह दी जाती है। लेकिन तले हुए भोजन से बचना चाहिए, क्योंकि यह शरीर में कफ की वृद्धि करता है।
  • कफ नाशक तेल : कफ प्रकृति के लोगों के लिए मूँगफली, मक्का तथा सूरजमुखी का तेल अच्छा होता है। सब्जियों को उबालकर उसमें थोड़ा मक्खन मिलाने के बाद लेना चाहिए।
  • बाजार में मिलने वाली खाने पीने की चीजें खाने से परहेज करना चाहिए। यदि ऐसा न हो पाए तो दोपहर के भोजन में सब्जियाँ लेनी चाहिए। मांसाहारी भोजन से बचना चाहिए। पिए जाने वाले सभी प्रकार के पेय गरम होने चाहिए।
  • कफ में वृद्धि से बचने के लिए दोपहर का भोजन करने से पहले उसपर कफ चूर्ण (त्रिकटु चूर्ण) छिड़क लेना चाहिए।
  • ये सब कफ नाशक आहार सर्वोत्तम है, इसलिए कफ को संतुलित अवस्था में रखने के लिए इसका सेवन करना चाहिए। बंद नाक तथा आलसी और अधिक नींदवाले व्यक्तियों में यह आहार आश्चर्यजनक परिणाम दिखाता है।

कफ नाशक आहार : नाश्ता

  • संतुलित कफवालों को सुबह का नाश्ता हलका ही करना चाहिए। गरम-गरम और मसालेदार भोजन लेना चाहिए।
  • ठंडा, मीठा तथा भारी भोजन हितकर नहीं है। ठंडा दूध तथा अति ठंडा रस नहीं लेना चाहिए, क्योंकि ये कफ उत्पादन तथा उसका असंतुलन बढ़ाते हैं।
  • कफ प्रकृति के लोगों के लिए मीठा अच्छा नहीं है, पर शहद अच्छा रहता है। आयुर्वेद इसका समर्थन करता है, लेकिन इसे अधिक मात्रा में नहीं, सिर्फ एक चम्मच प्रतिदिन लिया जाना चाहिए। शहद को कभी गरम करके नहीं लेना चाहिए, क्योंकि यह शरीर के लिए हानिकारक हो जाता है।
  • अधिक मात्रा में दुग्ध पदार्थ, जैसे—आइसक्रीम, मक्खन तथा पनीर लेना अच्छा नहीं है।

कफ नाशक आहार : क्या नहीं खाना चाहिए  

  • ठंडी क्रीम, आइसक्रीम, भारी और गरिष्ठ भोजन
  • अधिक मात्रा में मीठा
  • सूखा भोजन
  • नाश्ते, दोपहर के भोजन तथा रात के भोजन पर कफ चूर्ण और त्रिकटु चूर्ण छिड़कें।
  • अन्नः चावल, गेहूँ, जौ, जई का सेवन करें। परंतु भूरे चावल, ज्वार, राई, मक्का आदि से परहेज करें।
  • डेयरी पदार्थ : दूध, घी, मक्खन, आइसक्रीम, अंडे की सफेदी फायदेमंद है; लेकिन मट्ठा, खट्टी क्रीम, दही आदि ठंडे पदार्थ बहुत हानिकर हैं, अतः इनके सेवन से बचें।
  • मांस : चिकन ले सकते हैं, पर समुद्री भोजन तथा लाल मांस को परहेज करें।

पित्त नाशक आहार : क्या खाना चाहिए

  • सब्जियाँ, फलियाँ, स्टार्च युक्त भोजन, अन्न, कार्बोहाइड्रेट आदि लें; लेकिन गरम, नमकीन, भारी, तला भोजन, खट्टे तथा नमकीन स्वादवाले तैलीय फास्ट फूड से परहेज करें।
  • ठंडा पानी, ठंडा सूप, सलाद, ब्रेड, मक्खन तथा कम नमक। हलके गरम दूध में घी डालकर लेना दस्तावर का काम करता है तथा पित्त को कम करता है। यह भी जरुर पढ़ें – जानिए वात रोग में क्या खाना चाहिए तथा वात असंतुलन में परहेज
  • यदि चरबी और कोलेस्टरोल अधिक हो तो घी से परहेज करें।
  • अपने भोजन में जीरकादि चूर्ण तथा लहसुन का प्रयोग करें।
  • सामान्यतः पित्त-असंतुलन के शिकार लोग कलेजे की जलन, अत्यधिक प्यास, चिड़चिड़ापन तथा झगड़ालू स्वभाव के शिकार होते हैं। अतः गरमियों में ठंडा ताजा भोजन, दूध, आइसक्रीम, नींबू का रस, जड़ी-बूटीवाली चाय, पुदीना तथा मुलेठी की जड़ आदि लेना उत्तम रहता है ये सब पित्त नाशक आहार है |

पित्त नाशक आहार : पित्त दोष में क्या नहीं खाना चाहिए

  • सख्त खाद्य पदार्थ, अचार, खट्टी क्रीम तथा पनीर, कॉफी, लाल मांस, जो गरमी उत्पन्न करता है।
  • तला भोजन, जिसकी प्रकृति गरम होती है। यह भी पढ़ें – पंचकर्म आयुर्वेदिक चिकित्सा के लाभ तथा इसे कैसे किया जाता है |
  • मसालेदार भोजन, रेडिमेड भोजन, जो खट्टे और नमकीन होते हैं उन्हें खाने से बचना चाहिए |
  • बर्फयुक्त ठंडे खाद्य पदार्थ, गरम सूप, मसालेदार भोजन, पनीर तथा खट्टी क्रीम, नमक, नमकीन स्नैक्स के साथ कॉकटेल, मैदा, शराब, सूखा-नमकीन भोजन न लें। ये सभी पेट को उत्तेजित करते हैं।
  • पित्तवाले व्यक्ति के लिए हलका गरम या ठंडा, कड़वा, मीठा तथा सख्त स्वाद, मक्खन के बजाय घी का इस्तेमाल उत्तम रहता है। लेकिन भाप से बना गरम भोजन अनुपयुक्त है।
  • पित्तवाले व्यक्तियों का पाचन जन्म से ही अच्छा होता है। परंतु उन्हें कुछ-कुछ खाने की आदत होती है, जो कभी-कभी पाचन को बाधित तथा अस्त-व्यस्त कर देती है। इसलिए ऐसे व्यक्ति को काफी सचेत रहने की आवश्यकता है।
  • आवश्यकता से अधिक खाने की आदत के साथ-साथ नमक, खट्टा तथा मसालेदार भोजन का अधिक इस्तेमाल शरीर में पित्त की वृद्धि करता है।
  • पित्त के गुण गरम होते हैं, इसलिए ऐसे व्यक्ति को ठंडे भोजन तथा ठंडी जलवायु की आवश्यकता होती है। भोजन में कड़वे तथा तीखे स्वाद से परहेज करना बेहतर है।

पित्त नाशक आहार : नाश्ता

  • सेब का रस सबसे अच्छा होता है। ठंडे अनाज, दालचीनी तथा टोस्ट भी लें। परंतु नमक, तेल और मसाले, अचार, दही, खट्टा दही, खट्टी क्रीम, सिरका, खमीरवाले पदार्थ, अल्कोहलयुक्त पेय, कॉफी तथा नारंगी का रस बिलकुल न लें।
  • थोड़े घी के साथ मछली, चिकन ले सकते हैं; परंतु वसायुक्त मछली से परहेज करें। वैसे शाकाहारी भोजन अधिक अच्छा रहता है।
  • पित्त नाशक आहार के अनुसार फल :- सेब, नारंगी, चेरी, नारियल, अंजीर, आलूबुखारा, मीठे तथा पके अंगूर तथा आम |
  • पित्त प्रकृतिवालों के लिए वर्जित फल : केला, बेरी (रसभरी), खरबूज, खट्टी चेरी, अनन्नास, अंगूर, पपीता, खट्टे पदार्थ
  • पित्त नाशक सब्जियाँ : शतावर, मशरूम, चोकी, गोभी, भिंडी, अंकुरित सब्जियाँ मटर, बंदगोभी, फूलगोभी, शकरकंद, ककड़ी, पत्तेदार सब्जियाँ, हरी फलियाँ,
  • पित्त प्रकृतिवालों के लिए वर्जित सब्जियाँ :- प्याज, मूली, टमाटर, लहसुन तथा गाजर
  • पित्त की वृद्धि को शांत करने वाली जड़ी बूटियों के विषय में जानने के लिए पढ़ें यह पोस्ट –  Ayurvedic Remedies for Pitta

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