नारियल के औषधीय गुण : जानिए सूखे व कच्चे नारियल के स्वास्थ्य लाभ

नारियल एक ऐसा फल है जिसे शुभ माना जाता है। इसलिए पूजा-पाठ के अवसरों पर इसका प्रयोग उपयोग किया जाता है, किसी कार्य का शुभारम्भ करते समय इसको फोड़ा जाता है, भगवान के प्रसाद में इसका उपयोग होता है। यह समुद्र तट के आस-पास, दक्षिण भारत विशेषत: केरल, पूर्वी बंगाल, उड़ीसा आदि में काफी मात्रा में पैदा होता है। दक्षिण में विशेष मात्रा में पैदा होने से दक्षिणात्यक और शुभत्व का प्रतीक होने से श्रीफल आदि भी नारियल के नाम हैं। यह ‘काड लिवर आइल’ का अच्छा स्रोत है | नारियल कच्चा (पानी वाला सफेद गिरी वाला) और पका हुआ गोला (अन्दर से सूखा ) दो अवस्थाओं में मिलता है। एक अवस्था बड़े आकार के हरे नारियल (डाब) की होती है जो मुम्बई तथा अन्य समुद्रतटवर्ती स्थानों में पाई जाती है। इसका पानी पीया जाता है जो ठंडा, प्यास मिटाने वाला, ज्वरनाशक और शरीर को अंदर से शुद्ध करने वाला होता है। सूखे नारियल को मिठाई, बिस्कुट आदि बनाकर खाया जाता हैं। कच्चा नारियल खाने, इसका पानी पीने से कब्ज़ दूर होती है। नारियल खाने से पसीना कम आता है, प्यास कम लगती है। थोड़ी सी मेहनत करने से ही यदि थकावट हो तो नारियल खाते रहें, इसका पानी पियें इससे पानी की कमी दूर होती है | नारियल के पानी में कार्बोहाइड्रेट, फ्रक्टोज, ग्लूकोज, अमीनो अम्ल, वसा, पोटेशियम, कैल्शियम होते हैं। इनके कारण यह अच्छा एनेर्जी बूस्टर है। पीलिया रोगियों को भी नारियल पानी पीने से लाभ होता है।

नारियल के औषधीय गुण

नारियल के औषधीय गुण : जानिए सूखे व कच्चे नारियल के स्वास्थ्य लाभ nariyal ke fayde kacha sukha coconut labh
नारियल के औषधीय गुण
  • यदि घुटनों का दर्द महसूस होने लगे तो सूखा नारियल 50 ग्राम रोजाना खायें। घुटनों पर नारियल के तेल की जोर, दबाव देते हुए रोजाना15 मिनट तक मालिश करें। मालिश धूप में बैठ कर, रात को सोते समय भी करने से अधिक लाभ होगा। त्वचा नारियल का तेल सोखती है। इसलिए देर तक मालिश करते रहें, जिससे तेल त्वचा के अन्दर जाते हुए गहराई तक प्रभाव डाले। जहाँ दर्द अधिक हो, वहाँ मालिश अधिक करें। ऐसा करने से घुटनों के दर्द में जल्दी ही आराम होता है। साथ ही नारियल खायें, इसका पानी भी पी सकते हैं। यह प्रयोग बहुत से रोगियों पर करके इसे सफल पाया गया है। घुटने के दर्द वाले इसे जरुर आजमायें ।
  • नारियल का तेल खाना पकाने के काम में लिया जाता है। नारियल का शुद्ध तेल कच्चा बिना गर्म किया हुआ प्रतिदिन दो-चार चम्मच पियें। इससे चयापचय (Metabolism) ठीक रहता है | पाचनशक्ति मजबूत होती है। मोटापा कम होता है। यह थायरॉयड को ठीक करता है। रासायनिक दृष्टि से नारियल का तेल मक्खन से बहुत कुछ मिलता-जुलता है।
  • नारियल में काफी मात्र में प्रोटीन होता है। इसमें सभी एमिनो अम्ल मिलते हैं। स्वास्थ्य के लिहाज से नारियल टॉनिक के समान है।
  • नारियल के तेल में नींबू निचोड़ लें और जरा-सा कपूर डाल लें। इस तेल की मालिश करने के बाद नहाने से खुजली ठीक हो जाती है। नमक कम मात्रा में खाएं ।
  • नारियल खाने से याददाशत भी बढ़ती है। इसके लिए नारियल की गिरी में बादाम, अखरोट तथा मिश्री मिलाकर हर रोज खाएं। बच्चों को इसे खिलाना चाहिए, इससे बच्चों का दिमागी विकास होता है।
  • प्यास अधिक—बार-बार पानी पीने से भी प्यास नहीं बुझती हो तो नारियल का पानी पिलाने से प्यास शान्त हो जाती है। बार-बार पानी नहीं पीना पड़ता।
  • नारियल का पानी दूध पिलाने वाली माँ, गाय और बकरी के दूध के समान होता है। जिन शिशुओं को माता का दूध नहीं मिल पाता है या बहुत कम मिलता है, उन्हें नारियल का पानी पिलायें। नारियल का पानी पीने से पेट दर्द, हिचकी में भी लाभ होता है।
  • कम नींद आने पर सोते समय नारियल के पानी को पीने से नींद गहरी आती है, उठने पर शरीर में ताजगी और स्फूर्ति मिलती है।
  • गर्भावस्था—गर्भावस्था में उल्टी होना, मिट्टी, चाक खाने का मन करना ये सब कैल्शियम की कमी के लक्षण होते है। नारियल का पानी पीने से ये सारे कष्ट दूर हो जाते हैं। गर्भस्थ शिशु का पोषण भी अच्छा होता है।
  • पेशाब की जलन—एक नारियल के पानी में चार चम्मच हरे धनिये का पेस्ट मिलाकर पीने से लाभ होता है।
  • चेहरे पर पड़ी झुर्रियाँ, दाग, धब्बे, चेचक के दाग, काले धब्बों पर प्रतिदिन दो बार नारियल के पानी को त्वचा पर लगायें जल्द ही लाभ दिखाई देगा ।
  • पेशाब रुकना–गर्मी के प्रभाव से पेशाब में रुकावट हो जाये तो नारियल का पानी पिलायें। बन्द पेशाब आने लगेगा। नारियल का पानी गुर्दो को ताकत देता है, मूत्राशय (ब्लेडर) की कार्यक्षमता बढ़ा देता है जिससे पेशाब अधिक लाता है।
  • गुर्दे के रोगों में नारियल का पानी पियें। नारियल का पानी स्नायुमण्डल का रक्षा कवच है। इसके पानी में शरीर की दैनिक आवश्यकता के बराबर विटामिन ‘सी’ होता है। पथरी होने पर पके नारियल का पानी पियें। यह पेशाब अधिक लाता है।
  • नारियल के पानी में संक्रमण (इंफेक्शन) नाशक गुण होते हैं। नारियल शरीर में ही ओक्सीटेट्रासाइक्लिन एन्टीबायोटिक का निर्माण करता है इससे बुखार, रक्तचाप आदि बीमारियाँ नियन्त्रण हो जाती है।
  • नारियल का पानी बीड़ी, सिगरेट, शराब, ड्रग्स और अन्य एन्टी-बॉडीज के साइड इफ़ेक्ट को दूर करता है।
  • पेट में कृमि हो तो सुबह खाली पेट कच्चा नारियल खाने और उसका पानी पीने से पेट के कीड़े निकल जाते हैं। पका हुआ सूखा नारियल खाने से भी कृमि निकल जाते हैं। कोलाइटिस, बवासीर, मधुमेह, गैस्ट्रिक और पेप्टिक अल्सर में कच्चे नारियल की गिरी खायें।
  • अम्लपित्त—इसमें नारियल के पानी को पीने से लाभ होता है। पेट से गले तक होने वाली जलन में लाभ होता है।
  • मालिश-बच्चों के नारियल के तेल की मालिश लाभदायक है।
  • सोरायसिस–सोरायसिस वाले स्थान पर नारियल का तेल मलें।
  • इसमें चिकनाई बहुत होती है बालों में इसे लगायें और मालिश करें। नहाने के बाद बालों को पूरी तरह सुखा कर इसे बालों की जड़ों में लगा कर 5-6 मिनट तक अंगुलियों से जड़ों (खोपड़ी) की मालिश करनी चाहिए। यह क्रिया रात को सोने के पहले भी की जा सकती है। ऐसा करने से बाल झडते व टूटते नहीं और घने, लम्बे और काले बने रहते हैं।
  • नारियल के तेल में नींबू का रस मिलाकर बालों में लगाने से रूसी एवं खुश्की से छुटकारा मिलता है।
  • कब्ज–नारियल कब्ज दूर करता है। नारियल की गिरी में रेशे और चिकनाई बहुत होती है। बहुत अधिक कब्ज होने पर रात को एक चम्मच नारियल का तेल पियें।
  • दुबलापन दूर करने में पानी वाला नारियल बहुत गुणकारी होता है। इसका तेल खाने और मालिश में उपयोग करने से शरीर सुडौल और मजबूत होता है।
  • मरहम आदि बनाने में इस तेल का उपयोग किया जाता है। घरेलू इलाज में नारियल के पानी को ड्रॉपर में लेकर 2-2 बूंद, नाक में दोनों तरफ, टपकाने से आधासीसी का दर्द दूर होता है। लाभ न होने तक सुबह शाम यह प्रयोग करना चाहिए।
  • पित्त की खराबी होने पर एसिडिटी, उलटी, दस्त, सीने व पेट में जलन या छाले होना आदि बीमारियाँ हो जाती हैं। कच्चा नारियल (सफेद गिरी वाला), खस और सफेद चन्दन का बुरादा 10-10 ग्राम लेकर एक गिलास पानी में रात को डाल कर रख दें। सुबह इसे मसल छान कर खाली पेट पीएं। इससे पित्त संतुलित होता है और ये सब बीमारियाँ दूर होती हैं।
  • गर्भवती स्त्री को गर्भ स्थापना होते ही नारियल की सफेद गिरी के 3-4 टुकड़े प्रात: चबा-चबा कर खाना चाहिए। इसके साथ 1-1 चम्मच मक्खन व पिसी मिश्री और थोड़ी सी (स्वादानुसार) पिसी काली मिर्च मिला कर चाट लें और फिर थोड़ी सी सौंफ मुँह में डाल कर 15-20 मिनट तक चबाते हुए रस निगलने के बाद सौंफ भी निगल लिया करें। यह प्रयोग प्रातः खाली पेट पूरे 9 महीनों तक करने से शिशु स्वस्थ व सुंदर होता है। इस प्रयोग के आधा घण्टे बाद तक कुछ खाए पीएं नहीं।
  • एक कप नारियल पानी में थोड़ा सा पिसा जीरा डाल कर पीने से गर्मी से लगने वाले दस्त बन्द होते हैं।
  • चेचक- स्तनपान कराने वाली माँ 30 ग्राम नारियल की गिरी प्रतिदिन सेवन करें तो बच्चे को चेचक रोग नहीं होता । दूध नहीं पीने वाले बच्चे 10 ग्राम गिरी प्रतिदिन खायें तो चेचक से बचाव होता है।

नारियल का रासायनिक विश्लेषण

  • ताजी 100 ग्राम गिरी में आर्द्रता 36.3, प्रोटीन 4.5, तेल 47.6, कार्बोज 13, रेशा 3.6, चूना 0.1 प्रतिशत और फास्फोरस 24 ग्राम, लोह 17 मि.ग्रा., विटामिन ‘सी’ 1 मि.ग्रा. तथा अल्प मात्रा में विटामिन बी ए.ई. और ताम्र होता है। सूखी गिरी में 57-75% तेल रहता है जो अन्य तेलों की अपेक्षा अधिक सुपाच्य होता है। इसे त्वचा आसानी से सोख लेती है।

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