मलेरिया के लक्षण, कारण, बचाव व उपचार

मलेरिया क्या है- मलेरिया मादा एनाफिलीज मच्छर के काटने से फैलनेवाला रोग है, जिसमें ठंड लगकर तेज बुखार आता है; लेकिन ये लक्षण रोग फैलाने वाले प्लाजमोडियम के प्रकार के अनुसार बदल भी सकते हैं। कई  मामलों में बुखार एक दिन छोड़कर आता है। यह एक संक्रमक बुखार है जिसमें निश्चित समय के अंतर से ठंड के साथ बुखार चढ़ता है और पसीना आकर उतर जाता है। इसका बुखार एक, दो, तीन, चार दिन का अंतर देकर लगातार आता है, लेकिन कभी-कभी रोज भी आ सकता है। रोग मच्छरों की सभी प्रजातियों द्वारा नहीं फैलाया जाता, बल्कि मादा एनाफिलीज इसके लिए जिम्मेदार होती है।

मलेरिया कैसे फैलता है :

Malaria रोग का जीवाणु प्लाजमोडियम प्रमुख रूप से दो प्रकार का होता है। एक, प्लाजमोडियम वाइवेक्स और दूसरा, प्लाजमोडियम फेल्सीपारम। ये रोगाणु परजीवी होते हैं मतलब ये अपना पोषण इंसान के रक्त से लेते हैं। जब मादा एनाफिलीज मच्छर मलेरिया से ग्रस्त रोगी का रक्त चूसती है तो खून के साथ मलेरिया रोग के बहुत से परजीवी मच्छर के पेट में पहुँच जाते हैं और यह मच्छर जब किसी स्वस्थ मनुष्य को काटता है तो Malaria के परजीवी लार द्वारा उसके रक्त में मिल जाते हैं और अपनी संख्या बढ़ाते रहते हैं।

मलेरिया के लक्षण :

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मलेरिया के लक्षण, कारण, बचाव व उपचार
  • शरीर में मलेरिया रोग के जीवाणुओं के पहुंचने के बाद 14 से 21 दिन के अंदर उसे मलेरिया बुखार आता है। जब परजीवी रक्त कोशिकाओं को तोड़कर बाहर निकलते हैं तो रोगी को कप कपी या ठंड महसूस होती है। तेज बुखार के बाद पसीना आता है तथा रोगी कमजोरी महसूस करता है। बाद में उसे गरमी भी लगती है।
  • मलेरिया के प्रमुख लक्षणों में बुखार आने के पहले जी मिचलाहट, उलटी आना, सिर दर्द, बदन दर्द, हाथ-पैर में कपकपी, प्यास लगना फिर तेज ठंड लगकर बुखार 103-104 डिग्री फा. तक चढ़ना, रोगी का छटपटाना और बड़बड़ाना, फिर पसीना आकर बुखार उतरना और आराम मिलना होते हैं। लंबे समय तक चलने वाले बुखार में रोगी की तिल्ली (प्लीहा) और जिगर (लिवर) बढ़ जाते हैं।
  • आजकल मलेरिया संक्रमण में ऊपर वर्णित लक्षण कई मामलों में नहीं मिलते। जैसे, ठंड लगकर बुखार न आकर केवल बदन दर्द या सिरदर्द होता है और रोगी की जाँच करने पर मलेरिया पाया जाता है।
  • मलेरिया बुखार कई बार एक दिन छोड़कर एक दिन आता है।
  • मलेरिया के पुराने रोग में रोगी की तिल्ली बढ़ जाती है, खून की कमी भी हो जाती है। इसलिए मलेरिया रोग को साधारण न मानते हुए तुरंत चिकित्सक से दवा लें।

मलेरिया की जाँच :

  • रोग की पहचान चिकित्सक लक्षणों के आधार पर करने के अलावा इसके लिए रक्त-पट्टिका (Slide) बनवाकर पैथोलॉजी विशेषज्ञ से सूक्ष्मदर्शी जाँच भी करवाते हैं। इसमें दोनों प्रकार के जीवाणुओं (वाइवेक्स एवं फेल्सीपारम) का पता चल जाता है।
  • इसके अतिरिक्त एक नई जाँच पद्धति भी उपलब्ध है, जिसमें फेल्सीपारम या वाइवेक्स प्रजाति का पता एक स्ट्रिप या कार्ड पर रोगी का रक्त डालकर चल जाता है। इसमें समय भी कम लगता है, लेकिन यह जाँच कुछ महँगी होती है।

मलेरिया का इलाज और मलेरिया की दवा :

  • कुनैन साल्ट की क्लोरोक्वीन chloroquine) मलेरिया के इलाज में काम आती रही है अन्य दवाओं में प्रिमाक्वीन , हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन , पैमाक्वीन आदि का प्रयोग किया जाता है जो किसी चिकित्सक के बताये अनुसार लेनी चाहिए |

मलेरिया से बचाव के उपाय :

  • मच्छरों से बचें। वहां सोएं जहां मच्छर न हों या कपड़ा ओढ़कर सोएँ।
  • बच्चो को मच्छरदानी या महीन (पतले) कपड़े के नीचे सुलाएँ।
  • शरीर पर सरसों का तेल लगाएँ। इससे मच्छर नहीं काटते।
  • मच्छरों और लार्वा को खत्म कर दें। मच्छर रुके हुए पानी में पैदा होते हैं। आस-पास के टूटे हुए बरतनों को हटा दें। तालाब या दलदल को साफ करें या उन पर थोड़ा सा तेल डालें।
  • घर के आसपास गड्ढों तथा पानी के इकट्ठा होनेवाले स्थानों को पाट दें।
  • छत की टंकी, टेंक, कूलर इत्यादि का पानी बदलते रहें। सप्ताह में एक बार जरूर बदलें। इससे भी मच्छरों के प्रजनन पर रोक लगाई जा सकती है।
  • खुले स्थानों पर जहाँ पानी हटाना संभव न हो वहाँ जला हुआ खनिज तेल या मिट्टी का तेल डालें। इससे मच्छर के लावा उत्पन्न नहीं होंगे।
  • पानी की निकासी की सही व्यवस्था करें। जहाँ तक संभव हो अंडर ग्राउंड निकासी की व्यवस्था करें। साफ-सफाई के लिए फिनाइल इत्यादि का प्रयोग करें। यह भी पढ़ें – चिकनगुनिया के कारण, लक्षण और रोकथाम टिप्स
  • कीटनाशकों का छिड़काव मच्छर पैदा होने वाले स्थानों में तथा घरों में करवाएँ। आजकल डी.डी.टी., बी.एच.सी. की जगह पाइरेथाइड का छिड़काव किया जाता है, जो बहुत असरकारक है (लेकिन इससे सावधानी भी रखें )
  • लार्वा वाली जगहों पर टेमीफास या मेलाथियान डालकर लार्वा नष्ट किए जा सकते हैं।
  • मच्छरदानियों का उपयोग-आजकल दवायुक्त मच्छरदानियाँ भी उपलब्ध हैं। इनका प्रयोग कर मच्छरों से बचा जा सकता है।
  • खिड़की-दरवाजों पर मच्छर जालियाँ लगवाएँ।
  • नीम की पत्तियों का धुआँ या नीम का तेल जलाकर मच्छरों को दूर रखें। पाइरेथम के धुएँ से भी मच्छर नष्ट हो जाते हैं।
  • वैसे आजकल कीटनाशक धुआँ उत्पन्न करनेवाले पदार्थ, मेट इत्यादि आते हैं। लेकिन ये नुकसानदायक होते हैं। अत: प्राकृतिक पदार्थों का उपयोग अधिक बेहतर होता है।
  • मच्छर रोधी क्रीम लगाकर भी मच्छरों को शरीर से दूर रखा जा सकता है।
  • रोग की पहचान के बाद उसे जड़ से दूर करने के लिए उसका पूरा इलाज लेना चाहिए। मलेरिया का इलाज बहुत कठिन नहीं है। जाँच के बाद सही दवाई की सही मात्रा ली जाए तो रोग जड़ से ठीक हो जाता है, लेकिन दवाई की पर्याप्त मात्रा न लेने से अकसर मलेरिया क्लोरोक्विन से प्रतिरोधी हो जाता है तब अन्य प्रभावी दवाइयाँ लेनी होती हैं।
  • हमें यह बात समझनी चाहिए कि मच्छरों द्वारा केवल मलेरिया ही नहीं, बल्कि खतरनाक रोग डेंगू, फाइलेरिया इत्यादि भी फैलाए जाते हैं। इसलिए यदि हम मच्छरों के प्रजनन पर रोक लगाएँ या उन्हें नष्ट करें तो इन रोगों से भी बचा जा सकता है।
  • याद रखें मच्छरों पर नियंत्रण ही मलेरिया पर नियंत्रण है। मच्छरों की जनसंख्या पर नियंत्रण- मच्छर रोग के परजीवियों के वाहक होते हैं। अत: बेहतर है कि इन्हें पनपने से रोका जाए।
  • Malaria रोग के मच्छर रुके हुए पानी में अंडे देते हैं। अंडे से लार्वा , फिर प्यूपा का निर्माण होता है और प्यूपा से मच्छर तैयार होते हैं। इस प्रक्रिया में 9 से 11 दिन लगते हैं। टाइफाइड के लक्षण, कारण और बचाव के उपाय
  • ऐसे क्षेत्रों में जहाँ मलेरिया बहुतायत से होता है, वहाँ के व्यक्ति डॉक्टर की सलाह से थोड़ी सी दवाइयाँ खाकर मलेरिया बुखार के प्रकोप से बचे रह सकते हैं। इसलिए जिस परिवार, गाँव या क्षेत्र विशेष में रोग अधिक हो वहाँ के व्यक्ति ये दवाइयाँ अवश्य लें। दवाएँ शासकीय चिकित्सालयों में नि:शुल्क दी जाती हैं।

मलेरिया में क्या खाये :

  • जब बुखार उतरे तब अरारोट, साबूदाने की खीर, बालों, चावल का मांड, बिदाना, अंगूर, सिंघाड़ा जैसी हलकी सुपाच्य चीजें खाएं।
  • जिस दिन बुखार आने वाला हो, उस दिन पुराने चावल का भात, सूजी की रोटी, थोड़ा दूध या मछली का शोरबा पिएं।
  • कच्चा केला, परवल, बैगन, केले के फूल की सब्जी खाएं।
  • गर्म पानी में नीबू निचोड़ कर स्वादानुसार चीनी मिलाकर 2-3 बार पिएं।
  • बुखार आने से पहले सेब खाएं। यह भी पढ़ें – डेंगू बुखार : लक्षण, बचाव, खानपान और उपचार के उपाय
  • प्यास लगने पर थोड़ा-थोड़ा छाछ पिएं।
  • बुखार में गरम पानी और बाद में गर्म किया ठंडा पानी ही पिएं।
  • मलेरिया रोग में बेल की गिरी ( बेलपत्र ) से भी बहुत स्वास्थ्य लाभ होता है। बेल के 50 ग्राम शर्बत में काली मिर्च के तीन दाने और तुलसी के 5 पत्ते डालकर थोड़ी देर आग पर पकाएं। कुछ देर बाद आग से उतारकर छानकर दिन में दो बार पीने से मलेरिया ज्वर से छुटकारा मिलता है।
  • बेल की गिरी (गूदे) के साथ काली मिर्च, तेजपत्र व दालचीनी का 3 ग्राम चूर्ण मिलाकर खाने से भी मलेरिया ज्वर से सुरक्षा होती है। काली मिर्च, तेजपत्र और दालचीनी बराबर-बराबर मात्रा में लेकर, अलग-अलग कूट-पीसकर चूर्ण बनाएं।
  • बेल की जड़ को जल में उबालकर, क्वाथ बनाकर पीने से मलेरिया के बुखार में बहुत लाभ होता है।

मलेरिया में क्या ना खाये :

  • भारी, गरिष्ठ, तले, मिर्च-मसालेदार चीजें भोजन में न खाएं।
  • मांस, मछली, अंडा न खाएं।
  • फ्रिज का ठंडा पानी, आइसक्रीम, ठंडी तासीर की चीजें सेवन न करें।
  • शराब न पिएं।
  • शरीर को ठंड न लगने दें। अधिक मेहनत वाला कार्य न करें।
  • और अधिक जानकारी के लिए पढ़ें पूरा पोस्ट – मलेरिया में क्या खाये क्या ना खाएं, परहेज

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7 thoughts on “मलेरिया के लक्षण, कारण, बचाव व उपचार”

    • Madhukar ji,
      Ummid hai ki Aap kisi doctor se dava le rahe honge. kai baar malaria ka bukhar thik ho kar fir se ho jata hai.
      isliye kam se kam 14 dino tak lagatar dava ka sevan jaruri hota hai. Aap khane peene ka khayal rakhe sharir jitna kamjor hota hai bimari utni hi lambi chalti hai. Agar aapko jayada pareshani ho to hospital me admit hona hi achha rahata hai.
      Thanks
      Get well soon

    • अनिल जी किसी भी बीमारी के बाद कमजोरी जाने में थोडा समय अवश्य लगता है आप इस पोस्ट को पढ़ें मलेरिया के बाद तथा मलेरिया में खानपान की जानकारी दी गई है – http://healthbeautytips.co.in/malaria-me-kya-khaye-kya-nahi/

  1. ऐसे क्षेत्रों में जहाँ मलेरिया बहुतायत से होता है, वहाँ के व्यक्ति डॉक्टर की सलाह से थोड़ी सी दवाइयाँ खाकर मलेरिया बुखार के प्रकोप से बचे रह सकते हैं। इसलिए जिस परिवार, गाँव या क्षेत्र विशेष में रोग अधिक हो वहाँ के व्यक्ति ये दवाइयाँ अवश्य लें। दवाएँ शासकीय चिकित्सालयों में नि:शुल्क दी जाती

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