लाल चंदन के फायदे, आयुर्वेदिक औषधीय गुण तथा घरेलू नुस्खे

चंदन (Indian Sandalwood ) की पैदावार तमिलनाडु, मालाबार और कर्नाटक में अधिक होती है। इसका पेड़ सदाबहार, 30 से 40 फुट ऊंचा होता है। तने के बाहरी भाग में कोई गंध नहीं होती, जबकि अंदर का भाग सुगंधित और तेल युक्त होता है। चंदन 5-6 प्रकार का मिलता है, जिसमें सफेद, लाल, पीला, कुचंदन (पतंग) रंगों के आधार पर आमतौर से जाने जाते हैं। सबसे अच्छा चंदन स्वाद में कडुवा, घिसने पर पीला, ऊपर से सफेद, काटने में लाल और गांठदार होता है। एक किलो चंदन की लकड़ी से 100 मिलीलीटर तेल निकलता है, जो पीलापन लिए, कटुतिक्त स्वादयुक्त, गाढ़ा और तेज गंध वाला होता है। एक किलो बीजों से लगभग आधा किलो लाल रंग का गाढ़ा तेल निकलता है। चन्दन की (हार्ड वुड) का तेल अधिक अच्छा माना जाता है। इसे बोतलों में भरकर सीलबन्द करके अँधेरे और शुष्क स्थानों पर रखा जाता है। इस प्रकार यह लम्बे समय तक सुरक्षित बना रहता है। चन्दन का तेल बड़ा उपयोगी होता है। इसके द्वारा विभिन्न आयुर्वेदिक औषधियाँ तैयार की जाती हैं। इसके साथ ही इसका उपयोग कीमती इत्र, साबुन, मोमबत्तियाँ, धूपबत्ती, अगरबत्ती, पाउडर तथा विभिन्न प्रकार के सौन्दर्य प्रसाधनों में किया जाता है।

इसके चूर्ण की मात्रा 3 से 6 ग्राम तक तथा तेल 5 से 20 बूंद तक प्रयोग किया जा सकता है | उपलब्ध आयुर्वेदिक दवा चंदनादि तेल, चंदनादि लौह, चंदनादि वटी, चंदनासव आदि |

चंदन का लेप ठंडक देने वाला होता है। शरीर की त्वचा के रंग में निखार लाना, खाज-खुजली में राहत पहुंचाना, शारीरिक जहर के प्रभाव को खत्म करना, सुगंध के कारण मानसिक शांति को बढ़ाने वाला, रक्तस्रावी रोग जैसे-रक्तप्रदर, खूनी बवासीर, टी.बी., रक्तमेह आदि में भी यह गुणकारी होता है |

अब आइए, चन्दन की सहायता से तैयार की गई औषधियों की संक्षेप में चर्चा की जाए। चन्दन के दो अंगों का औषधि निर्माण में उपयोग किया जाता है। ये हैं-चन्दन की लकड़ी और इसका तेल । सामान्यतया इसके द्वारा तैयार की गई औषधियाँ दो प्रकार की होती हैं। पहली वे औषधियाँ हैं, जिनमें केवल चन्दन का उपयोग किया जाता है। इन औषधियों में अन्य जड़ी-बूटियाँ नहीं मिलाई जातीं। दूसरी वे औषधियाँ हैं, जिनमें चन्दन के साथ ही अन्य औषधियों का भी उपयोग किया जाता है।

सेवन की दृष्टि से भी चन्दन से तैयार की गई औषधियाँ दो प्रकार की होती हैं-बाह्य प्रयोग और अन्तः प्रयोग। बाह्य प्रयोग की औषधियाँ खाते अथवा पीते नहीं हैं, बल्कि इनका उपयोग मलहम, लेप अथवा पाउडर के समान किया जाता है। इनको खाने से रोगी को परेशानी हो सकती है। अन्तःप्रयोग की औषधियाँ शहद, दूध, पानी आदि के साथ गोली, चटनी, शरबत आदि के रूप में सेवन की जाती हैं। यहाँ पर चन्दन की सहायता से तैयार की जानेवाली दोनों प्रकार की औषधियों के विषय में जानकारी दी जा रही है।

लाल चंदन के उपयोग तथा घरेलू नुस्खे  

लाल चंदन के फायदे, आयुर्वेदिक औषधीय गुण तथा घरेलू नुस्खे Lal chandan tel powder ke fayde for skin health

  • चन्दन की सहायता से सिरदर्द की बहुत अच्छी औषधि तैयार की जाती है। इसके लिए चन्दन और सूखा धनिया दोनों 10-10 ग्राम लेते हैं और इसमें 1 ग्राम गलाब का अर्क मिलाकर अच्छी तरह पीसकर मलहम तैयार कर लेते हैं। इस मलहम का मस्तक पर लेप करने से सिरदर्द में आराम मिलता है।
  • सिरदर्द दूर करने के लिए चन्दन की सहायता से एक अन्य औषधि भी तैयार की जाती है। इसके लिए चन्दन, खस, मुलैठी, बला, कररुआ और कमल सभी बराबर-बराबर लेकर इन्हें कूट-पीसकर कपड़छन करके महीन चूर्ण बना लेते हैं। इस चूर्ण को दूध में मिलाकर इसका मस्तक पर लेप करने से सिरदर्द दूर होता है।
  • 8 से 10 बूंद चंदन का तेल बताशे में डालकर एक कप दूध के साथ सुबह-शाम सेवन करने से पेशाब की जलन, पेशाब में पीव (पस) आने की तकलीफ दूर हो जाती है।
  • जलन : शरीर के जिन अंगों में जलन महसूस हो, उन पर चंदन को पानी में घिसकर बनाया गया लेप लगाएं। इससे दर्द में जल्दी ही राहत मिलेगी।
  • फोड़े-फुसी, घाव चंदन पानी में घिसकर लगाने से ये जल्दी ही ठीक हो जाते हैं।
  • मुहांसे : दूध में लाल चंदन घिसकर दिन में 2-3 बार कुछ दिन नियमित लगाएं।
  • कान का दर्द : चंदन का गुनगुना गर्म तेल कान में 2-3 बूंद टपकाएं।
  • त्वचा विकारों में : चंदन को घिसकर बनाए गए लेप में थोड़ा-सा कपूर और गुलाब जल मिलाकर त्वचा से जुडी लगभग सभी बिमारियों पर लगाने से लाभ मिलता है।
  • पसीने की अधिकता : हाथ-पैरों के तलवों पर पसीना अधिक आने पर चंदन को आंवले के रस में घिसकर बनाए गए लेप को लगाएं, कुछ दिनों में कष्ट दूर होगा।
  • रक्त प्रदर : दूध में एक चम्मच चंदन का चूर्ण, घी और शकर समान मात्रा में मिलाकर पकाएं। फिर इसे दिन में दो बार कुछ दिनों तक सेवन कराएं।
  • बवासीर के मस्से : चंदन को जल में घिसकर मस्सों पर 2-3 बार लगाएं आराम मिलेगा ।
  • लू लगने पर : आंवले के 2 चम्मच रस में एक चम्मच चंदन का चूर्ण और आधा चम्मच पिसी हुई काली मिर्च मिलाकर सेवन कराएं।
  • तेज प्यास लगने पर : एक कप नारियल के पानी में एक चम्मच चंदन का बारीक चूर्ण मिलाकर दिन में 2-3 बार पिलाने से तेज प्यास शांत होगी।
  • चन्दन का तेल लगाने से या चन्दन को पानी में घिसकर इसका लेप करने से घमोरियों से राहत मिलती है।
  • चन्दन विभिन्न प्रकार के फोड़े-फुन्सियों आदि के लिए भी उपयोगी है। शरीर के किसी भी भाग पर घाव अथवा फोड़ा हो जाने पर चन्दन और तिल का मलहम तैयार करते हैं। इसके लिए चन्दन और काले तिल बराबर-बराबर लेकर इन्हें कूट-पीसकर बारीक चूर्ण बना लेते हैं। इसके बाद इसमें देशी घी में मिलाकर घाव पर लगाते हैं। इससे घाव जल्दी भरता है।
  • चन्दन, लाल चन्दन, गेरू, खस, गिले अरमनी, कपूर कचरी, हंसराज और प्रियंगु सभी बराबर-बराबर लेकर इन्हें कूट-पीसकर कपड़छन करके चूर्ण बनाकर, गुलाबजल में मिलाकर घावों और फोड़े-फुन्सियों पर लगाने से भी लाभ होता है। इसी तरह सफेद चन्दन, लाल चन्दन, मुलैठी, खस, नागकेसर, तिल, मेढ़ासिंगी, मजीठ, आक की जड़ की छाल और पुनर्नवा की जड़ सभी को बराबर-बराबर लेकर, कूट-पीसकर, कपड़छन करके बारीक चूर्ण बनाकर पानी में मिलाकर लेप करने से पुराने से पुराने घाव ठीक हो जाते हैं।
  • आग से जल जाने पर होने वाले घावों में भी चन्दन उपयोगी है। इसके लिए चन्दन, महुआ और मजीठ तीनों को बराबर-बराबर लेते हैं और इसे पीसकर बारीक कर लेते हैं। इसके बाद इसमें शुद्ध घी मिलाकर जले हुए घावों पर लगाते हैं। इससे घाव जल्दी भरते हैं और दर्द भी कम होता है।
  • कभी-कभी नाक के भीतर फुन्सी हो जाती है। इसमें चन्दन लाभ पहुँचाता है। इसके लिए चन्दन के तेल में सरसों का तेल मिलाकर इसे रूई से नाक के भीतर लगाते हैं। केवल चन्दन का तेल लगाने से भी फायदा होता है।
  • चन्दन एक्जिमा जैसे गम्भीर रोग में भी उपयोगी है। इसके लिए चन्दन के तेल में नींबू का रस मिलाकर प्रभावित भाग पर लगाते हैं। इससे एक्जिमा ठीक हो जाता है। चन्दन के तेल में चाल मोगरा का तेल मिलाकर लगाने से भी लाभ होता है।
  • चन्दन की सहायता से मुहाँसों की बड़ी कारगर औषधि तैयार की जाती है। इसके लिए चन्दन की लकड़ी का बुरादा, नीम की छाल का बुरादा, बकाइन की छाल का बुरादा, सूखा धनिया, चना मुरदार संग, सफेद काशगिरी सभी बराबर-बराबर लेकर, कूट-पीसकर बारीक़ चूर्ण तैयार कर लेते हैं। इस चूर्ण को गाय के दूध में मिलाकर आग पर चढ़ा देते हैं और निरन्तर चलाते रहते हैं। गाढ़ा हो जाने पर इसे ठंडा करके चौड़े मुँह की बोतलों में भरकर सीलबन्द कर देते हैं। इस औषधि को रात में सोते समय मुँह धोकर पूरे चेहरे पर मलें और सुबह गुनगुने पानी से चेहरा धो लें। एक महीने तक ऐसा करने से मुहाँसे खत्म हो जाते हैं और चेहरे पर दाग भी नहीं पड़ते।
  • चन्दन की सहायता से चेहरे को आकर्षक बनाया जा सकता है। इसके लिए चन्दन, लाल चन्दन, कूठ, मजीठ, लोध, प्रियंग के फूल, बरगद के अंकुर और मसूर बराबर-बराबर लेकर पीसकर चूर्ण बना लेते हैं। प्रतिदिन पाँच ग्राम चूर्ण पानी में मिलाकर लेप करने से चेहरे की झाइयाँ समाप्त हो जाती हैं और चेहरा चमकने लगता है।
  • चन्दन की सहायता से, पित्त के कारण होने वाले रोगों, विशेष रूप से बुखार के लिए एक उपयोगी औषधि तैयार की जाती है। इसके लिए 100 ग्राम चन्दन का चूर्ण लेकर 250 ग्राम गुलाब के अर्क में शाम के समय भिगो देते हैं। अगले दिन सुबह इस मिश्रण में 250 ग्राम पानी मिलाकर धीमी-धीमी आँच पर पकाते हैं। आधा पानी रह जाने पर उतारकर ठंडा कर लेते हैं और छान लेते हैं। अब इस छने हुए पानी में 500 ग्राम मिश्री मिलाकर फिर से आग पर चढ़ाते हैं और धीमी-धीमी आँच पर पकाते हैं। गाढ़ी चाशनी जैसा हो जाने पर इसे उतार लेते हैं। अब छोटी इलायची, मुलेठी, मिसरी, सत गिलोय 12-12 ग्राम तथा तवाखीर और वंशलोचन 6-6 ग्राम एवं 15 ग्राम कपूर लेकर सभी को मिलाकर पीसकर छानकर बारीक चूर्ण बना लेते हैं। इस चूर्ण को चाशनी में मिलाकर उसमें सोने अथवा चाँदी का वर्क मिला लेते हैं। इस औषधि को दिन में दो बार सेवन करने से पित्त सम्बन्धी सभी विकार दूर हो जाते हैं।
  • चन्दन की सहायता से पित्त सम्बन्धी विकारों की एक अन्य औषधि भी तैयार की जाती है। इसके लिए चन्दन का बुरादा 5 किलोग्राम, शक्कर 5 किलोग्राम और मुनक्का 2.5 किलोग्राम लेकर 20 लीटर पानी में गला देते हैं और आसव पात्र में रखकर मुँह बन्द कर देते हैं। एक महीने में आसव तैयार हो जाता है। इसे चन्दनासव कहते हैं। यह आसव पित्त सम्बन्धी विकार दूर करने के साथ ही पेशाब सम्बन्धी अनेक बिमारियों को दूर करता है।
  • चन्दन की सहायता से सामान्य प्रदर और रक्त प्रदर की उत्तम औषधि तैयार की जाती है। इसके लिए चन्दन, लाल चन्दन, खस, मुलैठी और अश्वगन्धा सभी 50-50 ग्राम लेकर कूट-पीसकर छानकर बारीक चूर्ण बना लेते हैं। यह चूर्ण सुबह-शाम 3-3 ग्राम, 12 ग्राम शहद और 12 ग्राम लाजवन्ती के रस के साथ लेने से प्रदर में लाभ होता है। इस औषधि का सेवन करते समय दही, चावल, खटाई और मिर्च का परहेज करना चाहिए।
  • चन्दन हृदयरोग और शारीरिक कमजोरी जैसे रोगों में भी उपयोगी है। इसके लिए चन्दन, वंशलोचन, धनिया, सारिवा, कंकोल, खस, केशर, सतावर का चूर्ण और गिलोय सत 12-12 ग्राम लेकर पीसकर छानकर बारीक चूर्ण तैयार कर लेते हैं और इसे एक बर्तन में रख देते हैं। इसके बाद बिजौरा नींबू का रस 1 किलो ग्राम तथा अनार का रस और नारियल का पानी 500-500 ग्राम लेकर इसे धीमी आँच पर पकाते हैं। यह जब अवलेह जैसा गाढ़ा हो जाए तो इसे उतारकर ठंडा कर लेते हैं और पात्र में रखा चूर्ण इसमें मिला लेते हैं। इस औषधि को चन्दनावलेह कहते है यह दिल के मरीजो के लिए अच्छी दवा के रूप में प्रयोग की जाती है |

Read more similer articles

New-Feed

Leave a Comment