हाइपर कैलेमिक पीरियोडिक पैरालिसिस में क्या खाना चाहिए तथा क्या नहीं

पिछले पोस्ट में हमने “हाइपोकैलेमिक पीरियोडिक पैरालिसिस” के रोगियों के लिए उचित आहार बताया था इस आर्टिकल में हम हाइपर कैलेमिक पीरियोडिक पैरालिसिस के मरीजो को क्या खाना चाहिए और किन चीजो को नहीं खाना चाहिए, यह बतायेंगे | वैसे तो हम लकवे की बीमारी के कारण, लक्षण तथा लकवे के विभिन्न प्रकारों को पहले की बता चुके हैं फिर भी एक बार फिर से इस रोग के बारे में थोडा संक्षिप्त में जान लेते है |

आमतौर पर शरीर के बाएं या दाएं भाग की मांसपेशियों व नसों की कार्यशक्ति, गतिशीलता कम या समाप्त हो जाती है, तो उस रोग को पक्षाघात या लकवा के नाम से जाना जाता है। यह मुख्य रूप से पूरे  शरीर का, आधे शरीर का या केवल चेहरे का लकवा होता है। आयुर्वेद के मतानुसार पक्षाघात का मुख्य कारण शरीर में वात दोष का प्रकुपित हो जाना है।

हाइपर कैलेमिक पीरियोडिक पैरालिसिस के कारण : पक्षाघात के उत्पन्न होने के प्रमुख कारणों में उच्च रक्तचाप का अधिक बढ़ना, चोट के कारण मस्तिष्क में रक्त का थक्का बनना, रक्ताल्पता, विषम आहार-विहार, अत्यधिक व्यायाम या परिश्रम, तेज  मस्तिष्क शोथ, सिर में रक्तस्राव, मस्तिष्क के अन्य रोग, मिर्गी, माइग्रेन, हिस्टीरिया, डायबिटिक कामा, मस्तिष्क आवरण शोथ, आकस्मिक घटना के कारण अत्यंत हर्ष या तनाव की स्थिति, स्नायु रोग, अधिक शराब का सेवन, देर रात तक जागने की आदत, गठिया, अधिक ठंडे माहौल में रहना, वात उत्पन्न करने वाले पदार्थों का अधिक सेवन आदि होते हैं।

पैरालिसिस के लक्षण : पक्षाघात के प्रमुख लक्षणों में शरीर के प्रभावित अंग में क्रियाहीनता, दुर्बलता, इच्छानुसार अंग न उठा पाना, संज्ञानाश, सुन्नता, आंख से धुंधला दिखना, एक वस्तु के दो प्रतिबिंब दिखाई पड़ना, चक्कर आना, कमजोरी, बोलने की क्षमता घटना, अस्पष्ट बोलना, चेहरे की विकृति, मुंह का टेढ़ापन, कुरूपता, गर्दन का टेढ़ा होना आदि देखने को मिलते हैं। किसी भी बीमारी को जल्दी ठीक करने में जितना महत्त्व दवाई का है उतना ही महत्त्व उचित खानपान का भी है इसलिए हमने कई प्रकार के रोगों के लिए उचित आहार तालिकाएँ बताई है | इसलिए इसी श्रंखला को आगे बढ़ाते हुए आज जानते है की हाइपर कैलेमिक पीरियोडिक पैरालिसिस के मरीजो को क्या खाना चाहिए और क्या नहीं खाना चाहिए |

हाइपर कैलेमिक पीरियोडिक पैरालिसिस के मरीज का उचित आहार 

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Hyperkalemic periodic paralysis diet
  • शरीर में काफी मात्रा में तरल पदार्थ यहां भी जरूरी है : शरीर में तरल तरल पदार्थ की प्रचुरता के मामले में हाइपरकेपीपी और हाइपोकेपीपी में कोई अंतर नहीं है यानी यहां भी रोगी को पर्याप्त मात्रा में तरल पदार्थ लेने चाहिए। तरल पदार्थों में पानी सबसे बढ़िया है। ज्यादा से ज्यादा पानी पीएं। चाय में ग्रीन टी लें।
  • नुस्खा : हाइपरकैलेमिक पीरियोडिक पैरालिसिस में शहद बहुत काम की चीज है। यदि रोगी को रोजाना 150 ग्राम शहद मिल जाए तो उसे बहुत फायदा होता है। इसीलिए शहद को पानी में डालकर रोजाना सेवन करना चाहिए।
  • हाइपर कैलेमिक पीरियोडिक पैरालिसिस के रोगी को चाहिए कम पोटेशियम : हाइपरकेपीपी की स्थिति में रोगी को ऐसे पदार्थ चाहिए, जिनमें पोटेशियम की मात्रा काफी कम हो। मुश्किल यह है कि हर पदार्थ में थोड़ा-बहुत पोटेशियम तो होता ही है। हमें ऐसे पदार्थों की पहचान करनी है, जिनमें कम पोटेशियम हो। कम पोटेशियम से विशेषज्ञों का तात्पर्य है कि जब किसी पदार्थ की एक सर्विंग से 200 मिलीग्राम से कम पोटेशियम शरीर में जाएगा तो वह पदार्थ ‘लो पोटेशियम फूड’ कहलाएगा।
  • हाइपर कैलेमिक पीरियोडिक पैरालिसिस में फल : कम पोटेशियम वाले फलों में ब्लू बेरी, स्ट्रॉबेरी, क्रेन बेरी, आडू, नाशपाती, अंगूर, सेब, अनानास, तरबूज शामिल हैं। सेब, नाशपाती, आडू का छिलका उतारकर खाएं। ध्यान रखें कि कम पोटेशियम का मतलब यह नहीं है कि आप इन पदार्थों को भरपूर खाएं। यदि आप इन्हें ज्यादा खाएंगे तो इनमें कम पोटेशियम के बावजूद कुल पोटेशियम काफी ज्यादा हो जाएगा। इसलिए इन फलों की भी नियंत्रित मात्रा ही खाएं। नियंत्रित मात्रा का मतलब है एक सर्विंग यानी सेब है तो एक मध्यम आकार का सेब। अंगूर हैं तो एक छोटी कटोरी में जितने अंगूर आ जाएं। आडू है तो एक-दो आडू।
  • हाइपर कैलेमिक पीरियोडिक पैरालिसिस में सब्जी : सब्जियों में खीरा, सलाद पत्ता, कच्ची प्याज, हरी मिर्च, शलगम, हरी मटर, बैंगन में कम पोटेशियम होता है। इसके अलावा ब्रोकोली, फूलगोभी, पत्तागोभी, गाजर, मूली में भी कम ही पोटेशियम होता है, इसलिए ये भी ‘लो पोटेशियम फूड’ ही कहलाएंगी। लकवा में करेले की सब्जी भी बहुत फायदेमंद बताई गई है।
  • अंडा : अंडे में भी पोटेशियम की मात्रा ज्यादा नहीं होती। इसके अलावा अंडे से प्रोटीन भी मिलता है। तो अंडा हाइपर कैलेमिक पीरियोडिक पैरालिसिस के रोगी को कम पोटेशियम और ज्यादा प्रोटीन दे सकता है।
  • आइइसक्रीम और चॉकलेट : आइसक्रीम के वनीला प्रारूप में और चॉकलेट में भी पोटेशियम की ज्यादा मात्रा नहीं होती है।
  • हाइपर कैलेमिक पीरियोडिक पैरालिसिस में अनाज : सफेद ब्रेड, सफेद चावल, उबली मक्का में पोटेशियम की मात्रा काफी कम होती है।
  • पेय : नियंत्रित मात्रा में चाय लें । ग्रीन टी बेहतर रहेगी।
  • नुस्खा : बिना मलाई के थोड़े-से दूध में सौंठ और दालचीनी का चूर्ण डालें और चीनी की जगह शहद मिलाकर पी जाएं।
  • हाइपर कैलेमिक पीरियोडिक पैरालिसिस में भी प्रोटीन चाहिए, लेकिन कार्बो पर रोक नहीं है : हाइपोकेपीपी में प्रोटीन लेते वक्त हमें यह सावधानी बरतनी है कि प्रोटीन के चक्कर में ज्यादा कार्बोहाइड्रेट शरीर में न जाए, लेकिन हाइपरकेपीपी में कार्बोहाइड्रेट की बाधा नहीं है। इसलिए हम उन पदार्थों से तो प्रोटीन ले ही सकते हैं, जिनका जिक्र हाइपोकेपीपी के पोस्ट में हुआ है, साथ में हम अनाज और दालों से भी प्रोटीन हासिल कर सकते हैं। अनाज-दाल से हमें अच्छा कार्बोहाइड्रेट भी बढ़िया मात्रा में मिलता है।
  • प्रोटीन-कार्बो लेते वक्त पोटेशियम का ध्यान रखना है : प्रोटीन और कार्बोहाइड्रेट के धनी पदार्थ लेते वक्त हमें यह ध्यान रखना होगा कि कहीं इनके चक्कर में पोटेशियम की ज्यादा मात्रा शरीर में न चली जाए। ऐसी सावधानी की जरूरत हाइपोकेपीपी में नहीं थी। इसीलिए यहां हमें उन पदार्थों पर फोकस करना होगा, जिनमें प्रोटीन तो भरपूर हो, मगर पोटेशियम कम हो।
  • हाइपर कैलेमिक पीरियोडिक पैरालिसिस में मांस-मछली का सेवन : इसमें विशेषज्ञ बहुत ही नियंत्रित मात्रा में चिकन, अंडा और टूना मछली की सिफारिश ही विशेषज्ञ करते हैं। बाकी सी फूड और मांस से ज्यादा पोटेशियम शरीर में जा सकता है।
  • हाइपर कैलेमिक पीरियोडिक पैरालिसिस में दूध और इसके उत्पाद : इनमें काफी पोटेशियम होता है, लेकिन शरीर के लिए दूध भी जरूरी होता है। इसीलिए विशेषज्ञों की सलाह है कि बिना मलाई का दूध और पनीर बहुत नियंत्रित मात्रा में लेना चाहिए। बकरी के दूध के पनीर में काफी कम पोटेशियम होता है।
  • फल-सब्जियां : कम पोटेशियम वाली सब्जियों में हम पढ़ चुके हैं कि हरी मटर, फूलगोभी में पोटेशियम की मात्रा कम होती है। इन दोनों से हमें प्रोटीन भी मिलता है, इसलिए इनका सेवन करना चाहिए। इसके अलावा हमें वे सारे फल-सब्जियां खाने चाहिए, जिनका जिक्र कम पोटेशियम वाले प्रसंग में हुआ है। इससे हमें प्रोटीन की थोड़ी-बहुत मात्रा अवश्य ही मिलेगी।
  • हाइपर कैलेमिक पीरियोडिक पैरालिसिस में अनाज : अनाजों में सफेद चावल, कार्न पास्ता, मैक्रोनी से हमें अच्छा प्रोटीन मिल जाता है, साथ ही इनमें पोटेशियम भी ज्यादा नहीं होता, इसलिए प्रोटीन के लिए हम इनका भी उपयोग कर सकते हैं।
  • हाइपर कैलेमिक पीरियोडिक पैरालिसिस में ड्राई फ्रूट्स या नट्स : नट्स यानी बादाम, अखरोट, काजू, मूंगफली आदि से भी हमें अच्छा प्रोटीन हासिल होता है। साथ ही इनके जरिए ज्यादा पोटेशियम भी शरीर में नहीं जाता, इसलिए नियंत्रित मात्रा में नट्स का सेवन भी करना चाहिए।
  • नोट : उबली सब्जी में कच्ची सब्जी के मुकाबले पोटेशियम कम हो जाता है। इसी के साथ सब्जी के रस को छोड़ दें तो पोटेशियम और भी कम हो जाता है।

हाइपर कैलेमिक पीरियोडिक पैरालिसिस में क्या नहीं खाना चाहिए परहेज  

  • हाइपर कैलेमिक पीरियोडिक पैरालिसिस में ये फल न खाएं : आलूबुखारा, केला, पपीता, खरबूजा जैसे फल नहीं खाने चाहिए, क्योंकि इनमें काफी मात्रा में पोटेशियम पाया जाता है।
  • हाइपर कैलेमिक पीरियोडिक पैरालिसिस के रोगी को इन सब्जियों से दूर रहना चाहिए- आलू, शकरकंद, टमाटर में पोटेशियम बहुत होता है, इसलिए इनसे परहेज रखें। सोयाबीन समेत सभी प्रकार के बींस में भी पोटेशियम भरपूर होता है।
  • साधारण कार्बोहाइड्रेट (चीनी) कम लें : हाइपरकेपीपी में कार्बोहाइड्रेट चाहिए, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि आप साधारण कार्बो ज्यादा लेने लगे। साधारण कार्बो में चीनी, सिरप, जैम, जैली, स्वीट रोल्स, आइसक्रीम, कैंडी, कुकीज, सॉफ्ट ड्रिक, पुडिंग, केक, पेस्ट्री आदि आते हैं। इनके बजाय कॉम्पलेक्स कार्बोहाइड्रेट लें, जो अच्छा कार्बोहाइड्रेट कहलाता है। यह विभिन्न फल, सब्जियों और अनाज में पाया जाता है। शहद भी कार्बोहाइड्रेट है, मगर इसमें कई गुण भी हैं, इसलिए शहद को पानी के साथ जरूर लेना चाहिए।
  • ज्यादा तला भोजन और ज्यादा नमक भी नहीं : ज्यादा फैट वाला, ज्यादा तला भोजन और ज्यादा नमक का सेवन भी हाइपर कैलेमिक पीरियोडिक पैरालिसिस रोग में नुकसान करेगा।

हाइपर कैलेमिक पीरियोडिक पैरालिसिस में ये उपाय भी काम करेंगे

  • उड़द और थोड़ी-सी सौंठ उबालें। इसके पानी को निथार लें और हाइपर कैलेमिक पीरियोडिक पैरालिसिस के रोगी को रोज पिलाएं।
  • लहसुन और अजवायन (100-100 ग्राम), लौंग (10) और काली मिर्च (50 ग्राम) लें। एक छोटी गोली अफीम की भी ले लें। सभी को आधा किलो सरसों के तेल में उबालें। खूब पकने के बाद छान लें और सहेजकर रख लें। रोजाना इस तेल की मालिश लकवे वाले स्थान पर करें।
  • सरसों के तेल में पिसी काली मिर्च डालकर लकवे वाले स्थान पर रोजाना मालिश करें।

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