हेल्थ इंश्योरेंस का चुनाव और क्लेम करने से जुड़े 40 सवालों के जवाब

आजकल स्वास्थ्य सेवा सुविधाओं के खर्च में तेजी से और बहुत अधिक वृद्धि होने के कारण एक अच्छी हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी लेना बहुत जरूरी हो गया है। चूंकि स्वास्थ्य सम्बन्धी आपातकालीन परिस्थितियां बिना बताए कभी भी आ सकती हैं इसलिए एक उचित हेल्थ इंश्योरेंस लेना बहुत जरूरी हो गया है जो बढ़ते मेडिकल खर्च से आपकी रक्षा करता है और आपके ऊपर आर्थिक बोझ पड़ने नहीं देता है। लेकिन किसी भी इंश्योरेंस पॉलिसी की खरीद से पहले जरूरी है कि उसके बारे में पूरी जानकारी हासिल कर ली  जाए जिससे सही पॉलिसी का चुनाव करने में आपको आसानी हो, ऐसे निर्णय लेते समय अक्सर कई तरह के प्रश्न दिमाग में उठते है इन्ही सवालो के जवाबो को इस आर्टिकल में देने का प्रयास किया गया है | यहाँ  हेल्थ इंश्योरेंस खरीदने से पहले तथा उसके बाद क्लेम लेने तक लगभग सभी प्रश्नों को यहाँ सुलझाया गया है |

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हेल्थ इंश्योरेंस से संबंधित सवाल तथा उनके जवाब

हेल्थ इंश्योरेंस का चुनाव और क्लेम करने से जुड़े 40 सवालों के जवाब Health Insurance mediclaim FAQs Myths Busted
मेडिक्लेम पॉलिसी तथा हेल्थ इंश्योरेंस से जुड़े सवाल-जवाब

प्रश्न : क्या मेडिक्लेम तथा हेल्थ इंश्योरेंस राइडर एक ही तरह की पॉलिसी होती है?

  • उत्तर : नहीं। मेडिक्लेम पॉलिसी हॉस्पिटलाइजेशन का खर्च वापस मिलने के लिए है और लाइफ इंश्योरेंस पॉलिसी, पहले से फॉर्म में लिखी बीमारियों में से हुई बीमारी के लिए सारी अथवा तय की गई रकम दिलाने के लिए होती है।

प्रश्न : मेडिक्लेम पॉलिसी कौन सी लें? जनरल हेल्थ इंश्योरेंस कंपनी की या लाइफ इंश्योरेंस कंपनी की?

  • उत्तर : दोनों। दोनों पॉलिसियाँ अलग प्रकार की हैं और उनकी रचना तथा उद्देश्य भिन्न हैं। अपनी जरूरत के अनुसार तथा आर्थिक क्षमता के अनुसार दोनों तरह की मेडिक्लेम पॉलिसी लेनी चाहिए, परंतु यदि किसी एक को चुनना है, तब जनरल हेल्थ इंश्योरेंस कंपनी की पॉलिसी लेना आपके हित में होगा।

प्रश्न : क्या गर्भवती रहने पर, डिलीवरी में होने वाला खर्च आता है, वह मेडिक्लेम पॉलिसी द्वारा वापस मिलता है?

  • उत्तर : जी नहीं। व्यक्तिगत पॉलिसी में नहीं मिलता है, परंतु सामूहिक मेडिक्लेम पॉलिसी में इस खर्चे की सुविधा मिलने का इंतजाम किया जा सकता है। कुछ हेल्थ इंश्योरेंस कंपनियाँ व्यक्तिगत पॉलिसी में प्रसूति के खर्च का इंतजाम करने पर राजी हैं, यदि कुछ वर्षों तक ग्राहक पॉलिसी जारी रखे तब।

प्रश्न : मेडिक्लेम तथा हेल्थ इंश्योरेंस में आयकर द्वारा कौन सी तथा कितनी छूट मिलती है?

  • उत्तर : आयकर कानून-1961 में मेडिक्लेम के लिए एक खास अधिनियम 80-डी नाम से बनाया गया है। इसके अंतर्गत प्रत्येक बीमाधारक तथा उसके परिवार को मेडिक्लेम पॉलिसी प्रीमियम में प्रतिवर्ष 15,000 रुपए की छूट कर योग्य आमदनी में से मिलती है। वरिष्ठ नागरिकों के लिए इसकी सीमा 20,000 रुपए है। यदि किसी कंपनी अथवा संस्थान ने अपने कर्मचारी के लिए सामूहिक मेडिक्लेम पॉलिसी ली है, तब उस प्रीमियम के प्रमाणिक खर्च को कंपनी की आमदनी में से घटाया जाता है, परंतु सामूहिक पॉलिसी में प्रीमियम की वजह से व्यक्तिगत तौर पर कर में छूट नहीं मिलती।

प्रश्न : क्या चिकित्सीय जाँच के बगैर मेडिक्लेम पॉलिसी नहीं मिलती?

  • उत्तर : जनरल हेल्थ इंश्योरेंस कंपनियों की नई और पहली बार ही मेडिक्लेम पॉलिसी के इच्छुक व्यक्ति की उम्र यदि 45 वर्ष से अधिक है तब चिकित्सीय जाँच अनिवार्य है। इससे कम उम्र के लोगों को बगैर चिकित्सीय जाँच के पॉलिसी मिल सकती है। पॉलिसी का नवीनीकरण करते समय भी चिकित्सीय जाँच नहीं करनी पड़ती। यदि पॉलिसी बीच में ही ब्रेक हो जाती है, तब नई पॉलिसी के लिए वही पुरानी कार्यप्रणाली है। ब्रेक होने से पहले का प्रीमियम अथवा नो क्लेम बोनस पर विचार नहीं किया जाता। अतः समय पर मेडिक्लेम पॉलिसी का नवीनीकरण कर लेना चाहिए।

प्रश्न : मेडिक्लेम पॉलिसी की न्यूनतम तथा अधिकतम मियाद कितनी होती है?

  • उत्तर : जनरल हेल्थ इंश्योरेंस कंपनियों की मेडिक्लेम पॉलिसियों की मियाद आम तौर पर एक वर्ष की होती है। इन दिनों कुछ कंपनियों की मियाद 4 वर्ष भी है। लाइफ इंश्योरेंस के मेडिक्लेम की मियाद मूल पॉलिसी जितनी ही होती है।

प्रश्न : मेडिक्लेम पॉलिसी में एक वर्ष में कितने क्लेम किए जा सकते हैं?

  • उत्तर : इस पर कोई बंधन नहीं है। सम-एश्योर्ड बाकी रहने तक क्लेम किए जा सकते हैं।

प्रश्न : आयुर्वेदिक, निसर्गोपचार, यूनानी, होमियोपैथी द्वारा किए गए उपचारों को क्या मेडिक्लेम पॉलिसी मान्यता देती है?

  • उत्तर : जी नहीं, परंतु इन दिनों कुछ नई कंपनियों ने समूची सम-एश्योर्ड की 10 से 20 प्रतिशत रकम, उपरोक्त उपचार पद्धतियों के लिए देने का निर्णय किया है।

प्रश्न : मेडिक्लेम पॉलिसी लेते समय क्या मेडिक्लेम पॉलिसी की न्यूनतम अथवा अधिकतम सम-एश्योर्ड सीमा निर्धारित रहती है?

  • उत्तर : जी नहीं, परंतु न्यूनतम रकम की सीमा निश्चित की गई है। उदाहरण के लिए न्यूनतम 50 हजार रुपए और अधिकतम 1 लाख रुपए की सीमा पहले रहा करती थी। आज भी कई कंपनियों का निर्धारण अधिकतम रुपए 5 लाख से 10 लाख तक है। कुछ कंपनियों की अधिकतम सीमा निर्धारित नहीं है। वे 50 लाख से 1 करोड़ रुपए तक की सम-एश्योर्ड देती हैं।

प्रश्न : यदि एक से अधिक मेडिक्लेम पॉलिसियाँ ली गईं, तब क्या प्रत्येक कंपनी की ओर से क्लेम मिलेगा?

  • उत्तर : जी नहीं, परंतु यदि जनरल हैल्थ कंपनी की मेडिक्लेम पॉलिसी है और लाइफ इंश्योरेंस कंपनी की पॉलिसी भी है, तब किन्हीं बीमारियों में दोनों पॉलिसियों से मदद मिल सकती है। पॉलिसी लेते समय प्रत्येक कंपनी को, इससे पहले ली गई पॉलिसियों का विवरण देना पड़ता है। यदि जनरल हेल्थ कंपनियों की एक से अधिक पॉलिसियाँ बीमाधारक के पास हैं, तब वे सभी कंपनियाँ मिलकर मेडिक्लेम की रकम अदा करती हैं। प्रत्येक कंपनी स्वतंत्र तौर पर अलग से क्लेम नहीं देगी।

प्रश्न : नई मेडिक्लेम पॉलिसी लेने के बाद क्या कोई प्रतीक्षा काल निर्धारित है?

  • उत्तर : जी हाँ। आम तौर पर प्रतीक्षा काल 30 दिनों का होता है। इस काल के दौरान यदि क्लेम आता है तो उसे नहीं दिया जाता। परंतु यदि दुर्घटनावश अस्पताल में भरती होना पड़ा है तब यह नियम लागू नहीं होता।

प्रश्न : बीमारियों से निदान हेतु की गई जाँच का खर्च क्या मेडिक्लेम पॉलिसी में क्लेम योग्य माना जाता है? उदाहरण –एक्स-रे, सिटी स्कैन, एम.आर.आई. आदि।

  • उत्तर : जी हाँ, परंतु मरीज जिस बीमारी की वजह से अस्पताल में भरती हुआ है, उस बीमारी से यह जाँच संबंधित होनी अनिवार्य है। यदि सिर्फ सभी प्रकार की शारीरिक जाँच की है, परंतु अस्पताल में भरती नहीं होना पड़ा है, तब खर्च वापस नहीं मिलेगा।

प्रश्न : Pre-existing Illness यानी क्या?

  • उत्तर : मेडिक्लेम पॉलिसी लेने से पहले यदि कोई बीमारी है अथवा थी, उसे प्री-एक्झिस्टिंग इलनेस कहते हैं। उन्हें मेडिक्लेम पॉलिसी के अंतर्गत सुरक्षा नहीं मिलती। कुछ कंपनियों में यदि लगातार चार वर्षों तक मेडिक्लेम पॉलिसी जारी रही तथा एक भी क्लेम नहीं आया है, तब पाँचवें वर्ष से प्री-एक्झिस्टिंग इलनेस पर सुरक्षा मिलती है।

प्रश्न : हमेशा ली जानेवाली दवाइयाँ, बाह्योपचार, मधुमेह को नियंत्रण में रखनेवाले उपचार, टॉनिक्स आदि के खर्चे क्या वापस मिलते हैं?

  • उत्तर : जी नहीं।

प्रश्न : यदि पॉलिसी होल्डर नौकरी के कारण दिल्ली में रहता है और उसका परिवार किसी और शहर में, तब क्या वह सभी की एकत्रित पॉलिसी ले सकता है?

  • उत्तर : जी हाँ। एकत्रित पॉलिसी ली जा सकती है। अपने देश में किसी भी जगह पर इस सुविधा का लाभ लिया जा सकता है।

प्रश्न : मेडिक्लेम के तहत परिवार यानी क्या?

  • उत्तर : आप स्वयं, पत्नी, बच्चे तथा आपके माता-पिता।

प्रश्न : मेडिक्लेम पॉलिसी के अंतर्गत, विदेश में यदि अस्पताल में भरती होना पड़ा तब क्या सारा खर्च वापस मिल सकता है?

  • उत्तर : जी नहीं। मेडिक्लेम पॉलिसी की सुरक्षा सुविधा सिर्फ देशांतर्गत अस्पताल में भरती के लिए उपलब्ध है।

प्रश्न : मेडिक्लेम पॉलिसी क्या किसी और के नाम पर ट्रांसफर की जा सकती है? क्या उसे असाइन (रेहन) किया जा सकता है?

  • उत्तर : जी नहीं।

प्रश्न : मेडिक्लेम पॉलिसी के अंतर्गत क्या नामांकन (नॉमिनेशन) किया जा सकता है?

  • उत्तर : जी हाँ। पॉलिसी लेते समय अथवा लेने के बाद नामांकन किया जा सकता है।

प्रश्न : अस्पताल में भरती होने के बाद यदि पॉलिसीधारक की इलाज के दौरान मृत्यु हो जाती है, तब क्लेम किसे अदा किया जाता है? कैसे अदा किया जाता है?

  • उत्तर : यदि कैशलेस क्लेम सेटलमेंट है तब अस्पताल का सारा खर्च सीधे अस्पताल के खाते में जमा होता है, अन्यथा नामांकन किए व्यक्ति को दिया जाता है। इससे पहले बीमा कंपनी के पास अरजी देनी पड़ती है। यदि मरीज ने नामांकन नहीं किया है, तब मरीज के वारिस को सारी प्रक्रिया होने के बाद रकम अदा की जाती है।

प्रश्न : यदि मेडिक्लेम पॉलिसी का समय से नवीनीकरण न किया गया तब क्या होता है?

  • उत्तर : यदि पॉलिसी का नियत समय में नवीनीकरण न किया गया तो वह बंद पड़ जाती है। नियत समय के बाद 7 दिनों के अंदर नवीनीकरण कर सकते हैं। इसके बाद यह सुविधा भी नहीं रह जाती है। नई पॉलिसी लेनी पड़ती है। इसलिए पिछली पॉलिसी का क्लेम बोनस तथा यदि अन्य कोई लाभ होंगे तो वे भी नहीं रह पाते। यदि आवेदनकर्ता की उम्र 45 वर्ष से अधिक है, तब चिकित्सा जाँच अनिवार्य है। इसलिए मेडिक्लेम पॉलिसी का नवीनीकरण समय से करने में ही बुद्धिमानी है।

प्रश्न : हॉस्पिटलाइजेशन से पहले तथा बाद में घर आने पर जो इलाज किया जाता है, क्या वह खर्च मेडिक्लेम पॉलिसी द्वारा वापस मिलता है?

  • उत्तर : जी हाँ। आम तौर पर अस्पताल में भरती होने के पहले 30 दिन तथा अस्पताल से छुट्टी मिलने के बाद के 60 दिनों तक के इलाज का खर्चा, सांयुक्तिक कारणों के आधार पर अवश्य दिया जाता है।

प्रश्न : कैशलेस क्लेम सेटलमेंट का समय नहीं है, क्या उस समय क्लेम इंटिमेशन देनी पड़ती है?

  • उत्तर : जी हाँ। इसी में बुद्धिमानी है। हॉस्पिटलाइज होने पर 7 दिनों के अंदर बीमा कंपनी को इंटिमेशन देना जरूरी है।

प्रश्न : क्लेम फॉर्म जमा करने के लिए क्या कोई समय सीमा निर्धारित होती है?

  • उत्तर : जी हाँ। अस्पताल से छुट्टी मिलने के 30 दिनों के अंदर क्लेम फॉर्म जमा करना जरूरी है। यदि देर हो जाती है, तब उचित वजह देनी पड़ती है।

प्रश्न : प्री ऑथोराइजेशन क्या है?

  • उत्तर : मेडिक्लेम पॉलिसी में कैशलेस सेटलमेंट में टी.पी.ए. की ओर से पॉलिसीधारक अस्पताल में इलाज करवाने के लिए जो लिखित अनुमति माँगी जाती है, उसे फ्री ऑथोराइजेशन कहा जाता है। इस तरीके से इलाज करवाना सभी के लिए सुविधाजनक होता है। इस काम में अस्पताल का फॉर्म भरने पर मेडिक्लेम कार्ड के सहित (कार्ड की फोटो प्रति) टी.पी.ए. के पास भेजना पड़ता है?

प्रश्न : क्या टी.पी.ए. प्री-ऑथोराइजेशन तथा कैशलेस सुविधा से इनकार कर सकता है?

  • उत्तर : जी हाँ। यदि पॉलिसीधारक ने तमाम दस्तावेज नहीं लगाए हैं? बीमारी प्री-एक्झिस्टिंग (पहले से) है। अथवा पॉलिसीधारक ने पहले अपनी बीमारी छिपाई है, गलत जानकारी दी है, तब टी.पी.ए. इनकार कर सकता

प्रश्न : डे-केयर प्रोसीजर क्या है?

  • उत्तर : चिकित्सा तकनीकियों में जो तरक्की हुई है, उसकी वजह से किन्हीं बीमारियों पर इलाज 24 घंटों से भी कम समय में हो जाता है। शल्य क्रिया के बावजूद रोगी को छुट्टी देना संभव हो जाता है। इसे डे-केयर प्रोसीजर कहते हैं। इसका खर्च मेडिक्लेम में वापस मिलता है।

प्रश्न : नेटवर्क अस्पतालों तथा नॉन नेटवर्क अस्पतालों में क्या फर्क है?

  • उत्तर : संपूर्ण भारत के विविध अस्पतालों को आपस में जोड़ने की क्रिया का नाम नेटवर्क है। इन्हें नेटवर्क अस्पताल कहा जाता है। इस नेटवर्क के अंतर्गत जो अस्पताल नहीं आ पाते उन्हें नॉन नेटवर्क अस्पताल कहा जाता है। मेडिक्लेम पॉलिसीधारक का नेटवर्क अस्पतालों में कैशलेस हॉस्पिटलाइजेशन द्वारा इलाज किया जाता है। यदि पॉलिसी होल्डर नॉन नेटवर्क अस्पताल में इलाज करवाता है, तब उसे पहले अपनी जेब से खर्च करना पड़ता है और बाद में क्लेम फॉर्म जमा करने पर हेल्थ इंश्योरेंस कंपनी अथवा टी.पी.ए. की ओर से सारा खर्च वापस मिल जाता है।

प्रश्न : क्लेम फॉर्म टी.पी.ए. के पास जमा करें या हेल्थ इंश्योरेंस कंपनी के पास?

  • उत्तर : यदि टी.पी.ए. के माध्यम से सेटलमेंट होती है, तब फॉर्म टी.पी.ए. के पास जमा करें और हेल्थ इंश्योरेंस कंपनी को इसकी खबर दें। यदि टी.पी.ए. नहीं है, तब क्लेम फॉर्म सीधे हेल्थ इंश्योरेंस कंपनी के पास जमा करें।

प्रश्न : यदि किसी कंपनी ने कॉरपोरेट मेडिक्लेम पॉलिसी बनवाई है और पूरे परिवार को मेडिक्लेम की सुरक्षा प्रदान की है, तब दोबारा व्यक्तिगत मेडिक्लेम पॉलिसी लेना क्या व्यर्थ पैसा गंवाना नहीं है?

  • उत्तर : आप जब तक उस कंपनी से जुड़े हैं, तब तक ही इस मेडिक्लेम से आप लाभान्वित होते रहेंगे। इसके साथ ही इसकी सम-एश्योर्ड की सीमा तय है। यदि किन्हीं कारणों से आप कंपनी छोड़ते हैं अथवा कंपनी आपको छोड़ देती है, तब यह सुरक्षा हाथ से निकल जाती है। ऐसी स्थिति में यदि आपकी उम्र 45 वर्ष से अधिक है, तब नई मेडिक्लेम पॉलिसी लेना बड़ा मुश्किल काम है। इसीलिए परिवार की सुरक्षा हेतु व्यक्तिगत पॉलिसी लेना ही बुद्धिमानी की बात है। नौकरी के दौरान यदि आपको अस्पताल में भरती होना पड़ा, तब कंपनी की कॉरपोरेट मेडिक्लेम पॉलिसी के तहत दावा दाखिल करें, अपनी पॉलिसी को न छुएँ। नौकरी के बाद ही अपनी पॉलिसी का सही उपयोग करें। आपकी निजी पॉलिसी आपके आयकर में बचत करती है।

प्रश्न : अनिवासी भारतीय क्या भारत में मेडिक्लेम पॉलिसी ले सकते हैं?

  • उत्तर : जी हाँ। वे भारत में मेडिक्लेम पॉलिसी अवश्य ले सकते हैं, परंतु उन्हें भारत के ही अस्पताल में भरती होना पड़ेगा और इलाज भी यहीं करवाना पड़ेगा। विकसित देशों की तुलना में भारत में अस्पताल का खर्च बहुत कम आता है। चिकित्सा क्षेत्र की सारी अच्छी सुविधाएँ यहाँ भी उपलब्ध हैं। प्रीमियम की किश्त भी तुलना में बहुत कम है, अतः अनिवासी भारतीयों को चाहिए कि वे भारत में मेडिक्लेम पॉलिसी अवश्य लें।

प्रश्न : क्या अस्पताल तथा डॉक्टरों का बीमा करवाया जा सकता है? यदि डॉक्टर अथवा नर्सिंग की गलती की वजह से बीमाधारक की मृत्यु हो जाती है तब क्या नुकसान की भरपाई मिल पाती है?

  • उत्तर : जी हाँ। यदि दुर्भाग्य से ऐसा होता है, तब नुकसान की भरपाई अवश्य मिलती है। प्रत्येक डॉक्टर तथा अस्पताल के लिए उनकी व्यावसायिक जिम्मेदारी को देखते हुए व्यक्तिगत तौर पर ‘प्रोफेशनल इंडिमनिटी’ की पॉलिसी लेना कानूनन अनिवार्य है। अस्पताल पैकेज पॉलिसी के अंतर्गत यदि डॉक्टर अथवा नर्सेज की गलती की वजह से पॉलिसीधारक की मृत्यु हो जाती है, तब मरीज के वारिसों को बीमा कंपनी की ओर से कानूनन नुकसान की भरपाई अवश्य मिलती है।

प्रश्न : कुछ बच्चे जन्म से ही विकलांग अथवा मंद बुद्धि होते हैं। क्या उन्हें मेडिक्लेम पॉलिसी मिल सकती है?

  • उत्तर : जी हाँ। कुंडल केयर नामक पॉलिसी की सुविधा ऐसे बच्चों के लिए उपलब्ध है, परंतु इसे गर्भावस्था के दौरान ही लेना अनिवार्य है।

प्रश्न : मेडिक्लेम पॉलिसी किससे खरीदें? किससे लेने पर प्रीमियम की रकम छोटी होगी?

  • उत्तर : हेल्थ इंश्योरेंस कंपनी के एजेंटों तथा बीमा ब्रोकरों के माध्यम से मेडिक्लेम पॉलिसी खरीदी जा सकती है। कुछ कंपनियाँ सीधे ग्राहक को मेडिक्लेम पॉलिसी देती हैं। कंपनियों से सीधे लेने पर प्रीमियम में बहुत बड़ी बचत होती है, क्योंकि यहाँ एजेंट या ब्रोकर का कमीशन नहीं होता, परंतु इसके लिए बीमा इच्छुक व्यक्ति को खुद कंपनी के कार्यालय से संपर्क करना पड़ता है। कुछ-कुछ बैंकों ने समूह के रूप में अपने खातेदारों के लिए मेडिक्लेम की पॉलिसी की सुविधा उपलब्ध करवा दी है। यहाँ भी प्रीमियम में बड़ी बचत होती है।

प्रश्न : हेल्थ इंश्योरेंस कंपनियों, ब्रोकर्स, बीमा बेचनेवाले बैंक की जानकारी कहाँ उपलब्ध होगी?

  • उत्तर : आई.आर.डी.ए. की वेबसाइट पर बीमा कंपनियों, ब्रोकर्स, बैंकों की जानकारी उपलब्ध है। उनकी वेबसाइट के नंबरों तथा टोल फ्री नंबरों की मदद से आप नजदीकी कार्यालय का पता पा सकते हैं। विदेशों में बीमा सलाहकार (एजेंट नहीं) यह सेवा करते हैं। हमारे देश में भी निकट भविष्य में ऐसी सेवा उपलब्ध होने की संभावना है। इंटरनेट की सर्च मशीन पर भी यह जानकारी उपलब्ध है। हमारे परिशिष्ट में भी इसका समावेश किया गया है।

प्रश्न : मेडिक्लेम के दावे के संबंध में यदि कोई मुश्किल आती है, तब किससे सलाह लें? मार्गदर्शन किससे लें?

  • उत्तर : कुछ ऐसे संस्थान हैं, कंपनियाँ भी हैं, जो इस प्रकार की सेवा देती हैं। इंश्योरेंस अकादमी से भी मदद मिलती है। इसकी जानकारी इंटरनेट इंजन पर उपलब्ध है।

प्रश्न : क्या विदेशी नागरिक भारत में आकर अस्पताल में भरती होकर इलाज करवा सकते हैं? उन्हें उनके अपने देश के मेडिक्लेम के अंतर्गत क्या भारत में इलाज करवाने की अनुमति है?

  • उत्तर : जी हाँ। विकसित देशों के नागरिकों को उनकी वहाँ की मेडिक्लेम पॉलिसी के अंतर्गत पॉलिसीधारक को भारत के अस्पतालों में इलाज करवाने की अनुमति है। कुछ विदेशी पॉलिसियों में हर्बल तथा आयुर्वेदिक उपचारों का भी समावेश किया गया है। इसका मुख्य कारण यह भी है कि विदेशों में पॉलिसीधारक को ऑपरेशन के लिए भी करीब साल भर तक इंतजार करना पड़ता है। वहाँ की चिकित्सा व्यवस्था भी बहुत महँगी है। डेंटल टूरिज्म, मेडिकल टूरिज्म, आयुर्वेदिक टूरिज्म नामक चिकित्सा सेवा से संबंधित व्यवसाय इन दिनों भारत में जोरों से फलफूल रहा है।

प्रश्न : नई हैल्थ मेडिक्लेम इंश्योरेंस पॉलिसी लेने के पश्चात् प्री-एक्झिटिग बीमारियों की सुरक्षा प्राप्त करने के लिए क्या कोई प्रतीक्षा काल भी होता है? यदि हाँ, तो कितना?

  • उत्तर : जी हाँ। एक्झिटिग बीमारियों के क्लेम के लिए कम-से-कम 4 वर्ष तक इंतजार करना पड़ता है। यदि इस प्रतीक्षा काल के दौरान कोई क्लेम नहीं आता, तब उसके बाद यानी 5 वें वर्ष में प्री-एक्झिस्टिंग बीमारियों का भी क्लेम किया जा सकता है।

प्रश्न : लाइफ इंश्योरेंस पॉलिसी की तरह, क्या मेडिक्लेम हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी के बंद पड़ जाने पर कुछ समय पश्चात् उसे दोबारा शुरू (रिवाइवल ) किया जा सकता है?

  • उत्तर : जी नहीं, क्योंकि मेडिक्लेम हेल्थ इंश्योरेंस की पॉलिसी सिर्फ एक वर्ष की होती है। वह शुद्ध बीमा पॉलिसी है। उसके द्वारा कोई भी अतिरिक्त रुपया बीमा कंपनी के पास बाकी नहीं रहता। इसलिए बंद हो गई मेडिक्लेम पॉलिसी दोबारा शुरू नहीं की जा सकती। उसे फिर से लेना पड़ता है। इसीलिए मेडिक्लेम हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी का सही समय पर नवीनीकरण कराना आवश्यक है।

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