गर्दन दर्द के कारण, उपचार तथा इस समस्या से बचाव के टिप्स

गर्दन दर्द ऐसी आम समस्या है, जिसका सामना हर व्यक्ति किसी-न-किसी रूप में अवश्य करना पड़ता है, लेकिन कई लोग लापरवाही अथवा नासमझी के कारण जीवन-भर की आफत मोल ले लेते हैं। कई लोग गर्दन दर्द की अनदेखी करते रहते हैं, जबकि कई लोग इसका इलाज कराने के लिए नीम हकीमों अथवा के पास चले जाते हैं और अपनी गर्दन तुड़वा बैठते हैं।

उम्र बढ़ने पर गर्दन की हड्डी या उसकी डिस्क को कुछ-न-कुछ क्षति होती ही है और इस कारण हर व्यक्ति को अधिक उम्र होने पर किसी-न–किसी स्तर पर गर्दन दर्द का सामना करना पड़ता है, लेकिन सोने, बैठने और चलने-फिरने के दौरान सही मुद्राएँ अपनाकर, गर्दन के व्यायाम करके, शारीरिक वजन पर नियंत्रण रखकर गर्दन दर्द से काफी हद तक बचा जा सकता है। प्रकृति ने हमारी गर्दन को इस तरह का लचीला बनाया है कि उसे शरीर के अन्य अंगों की तुलना में सबसे अधिक मोड़ा और घुमाया जा सके, इसकी बनावट इस प्रकार की होती है ताकि हम गर्दन को पीठ की तुलना में अधिक घुमा सकें। लेकिन इस खास व्यवस्था के कारण गर्दन अन्य अंगों की तुलना में नाजुक बन गई है। इस कारण मामूली चोट या झटके भी गर्दन दर्द या डिस्क खिसकने का कारण बन सकते हैं। गर्दन की हड्डी (सर्वाइकल स्पाइन) रीढ़ का ही हिस्सा होती है।

गर्दन दर्द होने के कारण

गर्दन दर्द के कारण, उपचार तथा इससे बचाव की जानकारी gardan dard karan bachav upay
गर्दन दर्द से बचाव
  • गर्दन दर्द का प्रमुख कारण गर्दन की डिस्क का लचीलापन घट जाना या उसका घिस जाना है। डिस्क के घिस जाने या क्षतिग्रस्त हो जाने पर स्नायु की कार्यप्रणाली में भी बाधा पड़ती है। उदाहरण के तौर पर, डिस्क के बाहरी हिस्से के घिसने के कारण भीतर के मुलायम टिशु बाहर आ सकते हैं। इसे हर्निएट डिस्क कहा जाता है। इससे वहाँ के स्नायु पर दबाव पड़ सकता है। इसके अलावा आसपास की दो वर्टिब्रा आपस में रगड़ खा सकती हैं, जिससे स्नायु को नुकसान पहुँच सकता है। जो गर्दन दर्द का एक कारण बन सकता है |
  • कई बार डिस्क से गुजरने वाले स्पाइनल कॉर्ड पर दबाव पड़ सकता है। इन सभी कारणों से गर्दन दर्द, सुन्नपन, कमजोरी और गर्दन को घुमाने में तकलीफ हो सकती है। फ्रेक्चर, ट्यूमर और संक्रमण के कारण भी गर्दन की समस्याएँ हो सकती हैं। तनाव और उच्च रक्तचाप भी गर्दन दर्द का कारण बन सकते हैं।
  • गर्दन की एक अत्यंत तकलीफदेह अवस्था स्पाइनल स्टेनोसिस है। यह तब पैदा होती है, जब गर्दन के जोड़ों में आर्थराइटिस हो जाती है और इन जोड़ों के आस-पास की हड्डी बढ़ने लगती है। हड्डी बढ़ने से स्पाइनल नर्व पर दबाव पड़ता है, जिससे गर्दन और बाँहों में दर्द और सुन्नपन महसूस हो सकता तथा चलने-फिरने में तकलीफ हो सकती है।
  • अगर आपके तकिये की ऊंचाई या मोटाई सही नहीं, तो आपको गर्दन दर्द की समस्या बनी रह सकती है | कुछ लोगों को ऊंचा तकिया रखकर सोने की आदत होती है, जिससे गर्दन की मांसपेशियों पर बेवजह खिंचाव पड़ता है, जिसके कारण वो दर्द करने लगती हैं, तकिया अगर बहुत नरम भी है, तो भी गर्दन दर्द हो सकता है, इसलिए ऐसा तकिया न लें, जो बहुत ज़्यादा सॉफ्ट हो |
  • इलैक्ट्रोनिक्स गैजेट्स और स्मार्ट फोन्स का जरूरत से ज्यादा इस्तेमाल से सर्वाइकल स्पाइन यानी गर्दन की हड्डियों को स्थायी नुकसान पहुंचने से भी गर्दन दर्द के मामले बढ़ रहे है |
  • “टैक्स्ट नैक यानी गर्दन, पीठ और कंधे की मांसपेशियों में अकड़न, दर्द और सुन्नपन की बीमारी से आज हर आयुवर्ग, खासकर युवा वर्ग अधिक प्रभावित है | आज जिस तरह से हम दिन रात मोबाइल तकनीक का इस्तेमाल कर रहे हैं और टैबलेट, कंप्यूटर जैसे स्मार्ट गैजेट्स का बिना रुके पूरे पूरे दिन इस्तेमाल कर रहे हैं, उस का विपरीत प्रभाव हमारे शरीर पर पड़ रहा है | इस संबंध में हाल में हुआ एक शोध बताता है कि 18 से 44 साल तक की उम्र की लगभग 79 प्रतिशत जनसंख्या, रोजाना मात्र 2 घंटे को छोड़ कर हर वक्त सैलफोन का किसी न किसी रूप में इस्तेमाल करती रहती है | इन तकनीक के बेतहाशा इस्तेमाल से हमारे शरीर को काफी हानि पहुंच रही है | लेकिन अगर हम इन गैजेट्स के इस्तेमाल को ले कर सतर्कता बरतें तो टैक्स्ट नैक की परेशानी से बच सकते हैं |
  • टैक्स्ट नैक गर्दन में होने वाले उस दर्द को कहते हैं जो लगातार लंबे समय तक फोन पर देखते रहने या दूसरे वायरलैस गैजेट्स के इस्तेमाल के कारण होता है | इस बीमारी के होने पर गर्दन का सामान्य झुकाव आगे की तरफ होने के बजाय पीछे की तरफ हो जाता है. इस तरह गर्दन की हड्डियों की प्रकृति में बदलाव आने से हड्डियों का क्षरण होने का खतरा बना रहता है | इसी क्षरण की वजह से रोगी के सिर, गर्दन, कंधे और पीठ में अकसर दर्द बना रहता है और इन अंगों की मांसपेशियां अकड़ जाती हैं |
  • टैक्स्ट नैक की पहचान :- रोगी के पीठ के ऊपरी हिस्से में अचानक तेज दर्द होने लगता है और वहां की मांसपेशियों में तनाव आ जाता है, लेकिन ऐसा होने से पहले रोगी को इस बात का एहसास तक नहीं होता, वह यह जान ही नहीं पाता कि मैसेज भेजने या चैट करने के दौरान लंबे समय तक गर्दन को नीचे झुकाए रखने से उस की गर्दन की मांसपेशियों को नुकसान पहुंच रहा है और वह अकड़ती जा रही है | इस का पता तब चलता है जब अचानक से गर्दन और पीठ के ऊपरी हिस्से में दर्द व अकड़न होने लगती है | इस बीमारी के होने पर रोगी में भावनात्मक और व्यावहारिक परिवर्तन जैसे तनाव के लक्षण भी उभर सकते हैं |
  • याद रखें गलत मुद्रा में बैठने या सोने की वजह से गर्दन और रीढ़ की हड्डी पर बार-बार तनाव पड़ने पर हड्डियों की समस्या बढ़ जाती है। शुरुआत में सिरदर्द और गर्दन दर्द की शिकायत होती है लेकिन धारे-धीरे दर्द का असर रीढ़ की हड्डी तक पहुँच कर उसमे टेढ़ेपन को बढ़ा देता है।

गर्दन दर्द से बचाव के उपाय

  • अपने सैलफोन को जितना हो सके अपनी आंखों के सामने रखने का प्रयास करें, ऐसा ही लैपटौप और टैबलेट का इस्तेमाल करते समय करें | कम्‍प्‍यूटर को इस प्रकार से रखें कि मॉनीटर का टाप आपकी आंखों की सीध में रहें।
  • मोबाइल पर लंबी बातें करते समयहैडसेट या स्पीकर फोन का इस्तेमाल करें इससे आप हानिकारक रेडिएशन से बचाव के साथ गर्दन को एक खास एंगल पर लंबे समय तक रखने की मजबूरी से भी बचेंगे ।
  • टी.वी देखते समय गर्दन लेफ्ट राईट या गलत दिशा मेंना रखें एकदम सीधे रखें |
  • फोन को कंधे पर रखकरबात करने की बुरी आदत को जितना जल्दी हो सके छोड़ दें |
  • अगर इन गैजेट्स का इस्तेमाल करते हुए आप को अपने जोड़ों और मांसपेशियों में तनाव महसूस हो रहा है तो अपने बैठने या लेटने की शारीरिक स्थिति में बदलाव करें |
  • पूरे दिन अपनी शारीरिक मुद्रा का ध्यान रखें. ध्यान रखें कि ड्राइविंग करते हुए आप का सिर आगे की तरफ न झुका रहे या लैपटौप पर काम करते हुए आप का सिर नीचे न झुके |
  • आप चाहे घर में हो या ऑफिस में, कंप्यूटर पर काम करते हुए। थोडे-थोड़े अंतराल पर 10 से 15 मिनट का ब्रेक अवश्य लें। नियमित टहलें और कुछ स्ट्रेचिंग ऐक्सरसाइज करें ताकि आप की गर्दन और कंधे की मांसपेशियों को आराम मिल सके और उन का तनाव दूर हो |
  • किशोर और युवा गर्दन दर्द को नियमित व्यायाम और स्वस्थ जीवनशैली के जरिए कम करने का प्रयास करें और नियमित पौष्टिक आहार लें व भरपूर पानी पिएं ताकि आप के शरीर में पानी की कमी न हो और आप की मांसपेशियां ठीक ढंग से कार्य करती रहें |
  • सोने, बैठने और चलने-फिरने के दौरान सही मुद्राएँ अपनाकर, गर्दन के व्यायाम करके, शारीरिक वजन पर नियंत्रण रखकर गर्दन दर्द से काफी हद तक बचा जा सकता है।
  • अपने भोजन में विटामिन डी, आयरन, कैल्शियम, फास्‍फोरसकी कमी ना होने दें |

गर्दन दर्द के लिए जाँच

  • गर्दन की तकलीफ होने पर कारणों की जाँच के लिए गर्दन के एक्सरे और एम.आर.आई. की जरूरत पड़ सकती है।

गर्दन दर्द का इलाज

  • गर्दन की तकलीफ की शुरुआती अवस्था में आराम, गर्दन के व्यायाम, नॉन स्टेरॉयडल एंटी इंफ्लामेट्री ड्रग्स (एन.एस.ए.आई.डी.) सिकाई और कॉलर की मदद से राहत मिलती है।
  • टेक्स्ट नेक के ज्यादातर मामलों में Physiotherapy और दवाओं के जरिए इलाज हो जाता है
  • सोते वक्त गर्दन एवं सिर के नीचे पतला तकिया लेने से भी आराम मिलता है।
  • कई बार गर्दन की ट्रैक्शन की भी सलाह दी जाती है, लेकिन किसी डाक्टर की देख-रेख में ट्रैक्शन लगाना चाहिए और व्यायाम करना चाहिए। यह भी पढ़ें – जानिए बच्चो की हाइट (कद) बढ़ाने के लिए उठने बैठने के सही तरीके क्या है ?
  • बहुत अधिक दर्द होने पर स्पाइन कॉर्ड के बाहर स्टेरॉयड अथवा एनेस्थेटिक दवाइयों के इंजेक्शन (इपीड्यूरल इंजेक्शन) दिए जा सकते हैं। इन उपायों से फायदा नहीं होने पर सर्जरी की जरूरत पड़ती है। मौजूदा समय में माइक्रोडिस्केक्टॉमी जैसी माइक्रोसर्जरी की मदद से डिस्क निकालना आसान हो गया है। कई मरीजों को माइक्रोडिस्केक्टॉमी के अलावा अस्थि प्रत्यारोपण की तथा कई मरीजों को प्लेटिंग की भी जरूरत पड़ती है।
  • आधुनिक तकनीकों की मदद से ऑपरेशन करने पर मरीज को दर्द कम होता है, अस्पताल में बहुत कम समय तक ही रहना पड़ता है तथा रोगी जल्द काम-काज कर सकता है। मौजूदा समय में कृत्रिम डिस्क का विकास हुआ है, जिसे निकाले गए डिस्क के स्थान पर लगाया जा सकता है। ऐसा करने पर गर्दन की गतिशीलता बरकरार रहती है।
  • गर्दन में दर्द होने पर हींग और कपूर बराबर मात्रा में लेकर सरसों के तेल में मिलाकर इसे अच्छी तरह मिलाकर इस पेस्ट को गर्दन पर मसाज करने से दर्द में आराम मिलता है।

गर्दन दर्द से छुटकारा पाने के लिए योग आसान

  • बाल आसन या शिशु आसन
  • नटराज आसन या रिक्लाइनिंग ट्विस्ट्स
  • बीतिलीआसन या गौ (काउ) मुद्रा
  • मार्जरिआसन या कैट (बिल्ली) मुद्रा
  • विपरीत कर्णी आसन या दीवार के सहारे पैर उपर करने की मुद्रा
  • उत्थिता त्रिकोण आसन या एक्सटेंडेड ट्राइऐंगल मुद्रा
  • इन योगासनों को करने की विधि जानने के लिए यहाँ विजिट करें |

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