आजकल पेट में गैस और अफारा एक आम रोग बन गया है। जिसे देखिए वही गैस की समस्या से पीड़ित है। पेट में गैस बनती है पर कभी यह सिर में चढ़ जाती है, कभी हृदय पर दबाव डालती है, कभी जोड़ों में फंसकर उन्हें पीड़ाग्रस्त कर देती है तो कभी आंतों में फंसकर उनके कार्य में बाधा पहुंचाने लगती है। इसका इलाज कितना भी करिए, फिर भी यह बार-बार सामने आ जाती है। अनेक इलाज इसके लिए लोग आजमाते हैं, कभी गोली से, कभी कैप्सूल, कभी टॉनिक तो कभी इंजेक्शन, कभी भस्म तो कभी काढ़ा… पर इतने प्रयत्नों के बाद भी इस रोग से निटपने में अपने को असमर्थ पाते हैं।
पेट में हवा भरने को आध्मान, उदर-वायु, आफरा आना, गैस बनना, वायु इकट्ठी होना कहते हैं। उदर-वायु एक ऐसी स्थिति है, जिसमें पेट में वायु एकत्रित होती है। आँतों और पेट दोनों में एक साथ वायु अपच, कब्ज के कारण एकत्रित होती है। पेट में अधिक वायु एकत्रित होने से पेट फूल (Distension) जाता है। कभी हृदय में फड़फड़ाहट (Fluttering) होने लगती है और लोग इसे हृदय रोग समझ लेते हैं। यह पेट की खराबी से होता है। कभी पेट सख्त हो जाता है। स्वस्थ रहने के लिए भोजन में मसाले भी आवश्यक हैं। प्राय: हल्दी, धनिया, नमक, मिर्च मसालों के रूप में प्रयोग किये ही जाते हैं। हींग भूनकर सेवन करने से वायु (वात) प्रकृति, जीरा पित्त प्रकृति एवं गर्म मसाले कफ प्रकृति को ठीक रखते हैं। रूखा भोजन वायु को बढ़ाता है। पेट में वायु (Gas formation) अधिक रूखे भोजन के कारण बनती है। जिनको वायु (Gas) अधिक बनती है, भोजन में चिकनाई, तेल, घी का प्रयोग करना चाहिये। रूखे भोजन का प्रयोग माँसाहारी करते हैं, क्योंकि माँस में चर्बी ज्यादा होती है। भोजन में मसालेयुक्त सब्जियाँ, घी, दूध, दही, मीठा शामिल हो तो यह सबसे अच्छा भोजन है।
गैस बने तो क्या खाना चाहिए : गैस भगाने के घरेलू उपाय

- मूली–भोजन के साथ मूली पर नमक, काली मिर्च डालकर दो महीनों तक रोजाना खाने से उदर-वायु, गैस, आफरा नहीं बनता।
- हींग–हींग को गर्म पानी में घोलकर नाभि के आसपास लेप करें तथा एक ग्राम हींग भूनकर किसी भी चीज के साथ खाने से लाभ होता है।
- यदि पेट-दर्द गैस भरने से हो तो दो ग्राम हींग आधा किलो पानी में उबालें। चौथाई पानी रहने पर गर्म-गर्म पीयें।
- अजवाइन-6 ग्राम पिसी हुई अजवाइन में डेढ़ ग्राम काला नमक मिलाकर भोजन के बाद गरम पानी से फांकी लेने से आफरा मिटता है। अजवाइन पेट की हवा को बाहर निकालती है। भोजन में किसी भी रूप में अजवाइन लेनी चाहिए।
- गुड़ खाने के बाद गुड़ खाने से उदर-वायु ठीक होती है।
- संतरा—इससे पेट के रोग ठीक होते हैं। किसी भी कारण से जिनका पेट फूलता हो, भरा रहता हो, अपच हो, उनके लिए यह लाभकारी है। सुबह संतरे का रस एक गिलास पी लिया जाये तो आँतें साफ हो जाती हैं, जिससे कब्ज नहीं रहती।
- अमरूद–अमरूद से गैस दूर होती है। इसे सैंधे नमक के साथ सुबह-शाम खाने से पाचन शक्ति बढ़ती है।
- फूल गोभी- कच्ची गोभी व गाजर का रस समान मात्रा में मिलाकर पीयें, गैस नहीं बनेगी।
- आलू – कच्चे आलू का रस आधा-आधा कप दो बार पीने से गैस दूर होती है।
- बथुआ—बथुआकी सब्जी, रस, इसका उबाला हुआ पानी पीने से गैस ठीक हो जाती है।
- करेला–गैस ठीक करने में करेले की सब्जी, रस बड़ा लाभदायक है।
- जीरा-जीरा सेंक कर, पीस कर, एक चम्मच जीरा, एक चम्मच शहद में मिलाकर रोजाना खाना खाने के बाद लेना चाहिए ।
- भोजन के बाद सीधे लेटकर आठ लम्बे साँस लें, फिर दाहिनी करवट लेकर सोलह साँस लें और अन्त में बाँयी करवट लेकर बत्तीस लम्बे साँस लें। इस क्रिया से, किया हुआ भोजन अपने सही स्थान पर पहुँच जायेगा। गैस मुँह से डकार के रूप में उसी समय निकल जाती है। यह छोटा-सा नुस्खा हमेशा आजमायें और गैस से बचे रहें।
- काली मिर्च-दस काली मिर्च पीस लें। गर्म पानी में नींबू निचोड़ कर सुबह-शाम इसकी फांकी लें। इससे गैस आना बन्द हो जायेगा।
- धनिया- दो चम्मच सूखा धनिया एक गिलास पानी में उबाल कर छान कर उस पानी को तीन बार बराबर मात्रा में पीयें।
- दालचीनी–गैस से पेट दर्द को यह खत्म करती है। इसे कम मात्रा में ही लें, अधिक मात्रा में नुकसान करती है।
- सहजन–पेट में वायु-संचय में सहजन की सब्जी (फूल या फली की) लाभदायक है।
- लौंग–5 लौंग पीसकर उबलते हुए आधा कप पानी में डालें, फिर कुछ ठण्डा होने पर पीयें। इस प्रकार तीन बार रोजाना करें। गैस निकल जायेगी।
- बैंगन–पेट में गैस बनती हो, पानी पीने के बाद पेट इस प्रकार फूलता है, जैसे फुटबाल में हवा भर जाती है। ताजा लम्बे बैंगन की सब्जी जब तक मौसम में बैंगन रहें, खाते रहें। इससे गैस की बीमारी दूर हो जायेगी।
- पोदीना–सुबह एक गिलास पानी में 25 ग्राम पोदीने का रस, 31 ग्राम शहद मिलाकर पीने से गैस की बीमारी में विशेष लाभ होता है।
- मेथी मेथी की सब्जी वायु रोग में लाभ करती है। दाना मेथी, अर्जुन की छाल, कैर, आँवला समान मात्रा में पीस कर 1-1 चम्मच ठंडे पानी से सुबह खाली पेट फांकी लेने से गैस, पेट का भारीपन, भूख ठीक लगना, शरीर में हल्कापन लगता है।
- दूध-दूध उबालते समय उसमें एक पीपल डालकर दूध पीने से गैस नहीं बनती।
- अदरक-6 ग्राम अदरक बारीक काटकर थोड़ा-सा नमक लगाकर दिन में एक बार 10 दिन भोजन से पहले खायें। इससे पेट की गैस दूर होगी।
- सरसों का तेल–नाभि के स्थान से प्रायः पेट में गैस, दर्द, भूख न लगना आदि होते हैं। इनको दूर करने के लिये नाभि को सही बैठाना चाहिए। नाभि पर, सरसों का तेल लगाने से लाभ होता है। रोग के ज्यादा तेज़ होने पर रुई का फोया सरसों के तेल में भर कर नाभि पर रख सकते हैं, इसको पट्टी से बाँध भी सकते हैं।
- जायफल–जायफल को नींबू के रस में घिसकर चाटने से पेट साफ होकर वायु रोग ठीक होता है |
- नमक–सेंधा नमक एक भाग, देशी चीनी (बूरा) चार भाग, दोनों मिला कर बारीक पीस लें। आधा चम्मच रोजाना तीन बार गरम पानी से लेने से अफारा एवं वायु रोग ठीक हो जाती है।
- पानी-गैस होने पर खाना खाने के बाद एक गिलास गरम-गरम पानी, जितना गरम पिया जा सके, लगातार कुछ सप्ताह पीते रहने से वायु रोग ठीक हो जाता है।
- सौंफ- नींबू के रस में भीगी हुई सौंफ को भोजन के बाद खाने से पेट का भारीपन दूर होता है, गैस निकलती है, भूख लगती है |
- सेब-सेब का रस पाचन-अंगों पर पतली तह चढ़ा देता है जिससे वे संक्रमण और बदबू से बचे रहते हैं। जिससे गैस बनना रुक जाता है।
- हल्दी–पेट में जब गैस इक्कट्ठी हो जाती है तो बड़ा दर्द होता है। ऐसी स्थिति में पिसी हुई हल्दी और नमक पाँच-पाँच ग्राम गरम पानी से लें। तुरन्त लाभ होगा।
- काली मिर्च-(1) दस पिसी हुई काली मिर्च फाँक कर ऊपर से गर्म पानी में नींबू निचोड़ कर सुबह-शाम पीते रहने से गैस बनना बन्द हो जाती है।
- (2) 6 काली मिर्च, 3 लौंग स्वादानुसार रोटी सब्जी में डाला जाने वाला नमक एक कप पानी में उबाल कर पीने से गैस बनना बन्द हो जाता है।
गैस की रामबाण होम्योपैथिक दवा
1). asafoetida Q आधा कप पानी में 5 बूंदे इस दवा की डालकर पियें (ज्यादा अफरा हो तो फ़ौरन राहत पाने के लिए )
2 ). asafoetida 30 CH 2 बूंदे सीधे ही बिना पानी मिलाये दिन में दो बार लें (अगर रोजाना लेना चाहते हैं तो )
गैस तथा अफारा से बचने के लिए कुछ खास उपाय
- वास्तव में वायुविकार रोग नहीं, रोग का एक लक्षण मात्र है। इसका मूल कारण हमारी आदतों में छिपा हुआ है। दरअसल वायु रोग होने का मतलब है अपच और कब्ज़ का एक लम्बा इतिहास। धीरे-धीरे पाचन कार्य से संबंधित अंग कमजोर पड़ने लगते हैं। उनको सहारा देने वाली और अपने स्थान पर बनाए रखने वाली मांसपेशियां भी शिथिल पड़ जाती हैं और इन सबका कारण होता है लम्बे समय से चल रहे खाने-पीने की गलतियां, गरिष्ठ भोजन करना, गलत समय पर भोजन खाना, अति भोजन करना, बेमेल चीजें खाना और व्यायाम से जी चुराना। इस रोग से बचने के लिए नीचे बताए गए टिप्स को आजमायें |
- तले, भुने खाद्य पदार्थों से बचें।
- अरहर–अरहर पेट में गैस पैदा करती है। इसलिए इसे नहीं खाएँ।
- सप्ताह में एक दिन एक समय भोजन न करने की आदत डालें।
- पेट को इतना आराम देना आवश्यक है।
- भोजन के साथ पानी न पीएं। पेट के खाली होने तक पानी नहीं पीना चाहिए। उसके बाद आप इच्छानुसार पानी पी सकते हैं। पानी को भी एक साथ न पीकर धीरे-धीरे एक-एक बूंट करके पीना चाहिए। एक बार में ही सारा पानी न पीएं।
- नियमित रूप से व्यायाम करें। अपनी रुचि के अंनुसार, बागवान, दौड़ना, तैरना, साइकिल चलाना, रस्सी कूदना आदि में से कोई एक व्यायाम किया जा सकता है।
- भोजन को प्राकृतिक रूप में ग्रहण करें। कच्ची सब्जियों और फलों को भोजन में पर्याप्त स्थान दें।
- सफेद चीनी, कॉफी, चाय, एल्कोहल, पानमसाला, जरदा, गुटका तथा धूम्रपान का प्रयोग बिलकुल बंद कर दें।
- कब्ज़ न रहने दें। सूर्योदय से पूर्व उठने की आदत डालें। उठते ही सबसे पहले शौच जाएं। शौच जाने से पहले एक गिलास पानी पीना अच्छा है। शौच के लिए भारतीय पद्धति के शौचालय सर्वोत्तम हैं।
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बहुत उपयोगी जानकारी दी जाती है ।
साधुवाद
Thanks