एसिडिटी की प्रॉब्लम से हैं परेशान तो खाएं ये फल और सब्जियां

एसिडिटी (अम्लता)- रक्त में 20% अम्ल (Acid) तथा 80% क्षार (Alkali) होती है। जब रक्त में अम्ल का अनुपात बढ़ता है तो यह अम्ल पेट को प्रभावित कर एसिडिटी रोग पैदा करता है। एसिडिटी को सामान्यत: हृदयदाह, अम्लशूल, कलेजा जलना (Heart-Burn) भी कहते हैं।

पेट से निकलने वाला एसिड अधिक लार के साथ जब गले तक आ जाता है तो पेट में जलन,सीने में जलन, खट्टापन महसूस होता है। बदहजमी या अपच (Dyspepsia) में भी इस प्रकार के लक्षण होते हैं। अत: दोनों के अन्तर को समझना चाहिए। यह जल्दी-जल्दी खाने, गलत भोजन करने से होता है। इस रोग में भोजन का ना पचना, भोजन के दो-एक घण्टे बाद खट्टी डकारे, छाती और गले में जलन, कब्ज, पेट-दर्द, अरुचि आदि लक्षण दिखाई देते हैं। भोजन के बाद छाती और गले में जलन तथा खट्टी डकारों के साथ खट्टे पानी से मुँह भर जाना और खट्टी उल्टियाँ होना भी इस रोग के प्रमुख लक्षण हैं। बिहार और बंगाल में यह बीमारी बहुत होती है।

बीड़ी-सिगरेट पीने वालों को अन्य लोगों की तुलना में रात में गरिष्ठ भोजन करने से अम्लपित्त (एसिडिटी), शुगर, हृदय रोग और खाँसी, दमा अधिक होता है। पान, गुटखा, तम्बाकू खाने वालो की लार में‘अल्कली बाई कार्बोनेट’ तम्बाकू सेवन से कम बनता है यह भी एसिडिटी होने का एक कारण होता है इसलिए स्वस्थ रहने के लिए तम्बाकू का सेवन नहीं करें।

एसिडिटी रोग से बचने के उपाय :- भोजन में क्षार और अम्ल पैदा करनेवाली वस्तुओं को ठीक-ठीक अनुपात में लेने से एसिडिटी को काफी हद तक रोका जा सकती है। कुछ विशेष फल सब्जियां ऐसे होते हैं जिनके खाने से रक्त की क्षारीयता बरकरार बनी रहती है; जबकि कुछ ऐसे भी खाद्य हैं जिनको खाने पर एसिड पैदा होते हैं तथा जो रक्त की क्षारीयता को कम करते हैं। सभी गूदेदार खाद्य पदार्थ ज्यादा अम्ल पैदा करते हैं, जो काफी हद तक रक्त की क्षारीयता को कम करते हैं, यहाँ तक कि अंडे भी इसी प्रकार के प्रभाव डालते हैं। हाँ, इनका प्रभाव मांस की अपेक्षा कम होता है। हर तरह के अनाज तथा रोटियाँ भी एसिड पैदा करती हैं; किंतु इनके द्वारा पैदा एसिड मांस की अपेक्षा कम होता है। हर तरह के फल, बेर, पत्ती और जडवाली सब्जियों को छोड़कर अधिक एसिड वाले पदार्थ कहे जाते हैं और ये रक्त एवं अन्य ऊतकीय द्रवों को क्षारीय बनाने में मदद करते हैं।

इस प्रकार हमारे प्रतिदिन के भोजन में 80 प्रतिशत क्षार पैदा करनेवाले रसदार फल, सब्जी, दाल, पके फल, पत्ती तथा जड़वाली सब्जियाँ और 20 प्रतिशत एसिड पैदा करने वाले फल, जिनमें प्रोटीन मौजूद हों-मांस, मछली, रोटियाँ इत्यादि भोजन में शामिल होनी चाहिए। इस अनुपात में भोजन करने से एसिड  संतुलित रहेगा, जिससे स्वास्थ्य अच्छा रहेगा। संतरे के आधे लीटर रस में आठ ग्राम पोटैशियम, जिसमें एसिड की मात्रा अधिक होती है, पाया जाता है। नींबू के आधे लीटर रस में 55 ग्राम और चकोतरे में 50 ग्राम एसिड पाया जाता है। अम्लता के दौरान नाश्ते में ताजे फल, दोपहर के खाने में अम्लयुक्त कच्ची सब्जियाँ और कम एसिड फल तथा रात के भोजन में कच्चे एवं पकी हरी सब्जियों, जैसे–चुकंदर, गाजर, फूलगोभी इत्यादि खानी चाहिए। सात दिनों के बाद इस आहार के साथ मीठे फल भी लिये जा सकते हैं। यहाँ नीचे कुछ ऐसे ही फल और सब्जियों के विषय में जानकारी दी गई जो एसिडिटी की बीमारी को ठीक करने में आपकी सहायता जरुर करेंगी इनमे से एक या दो फल अपनी खुराक में जरुर शामिल करें |

एसिडिटी दूर करने वाले फल व सब्जियां

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एसिडिटी भगाने के लिए खाएं ये फल
  • फालसा–गैस एवं एसिडिटी के पीड़ितों को फालसों का सेवन करने से आराम मिलता है।
  • आँवला—दो चम्मच आँवले के रस में इतनी ही मिश्री मिलाकर पीएँ या बारीक सूखा पिसा हुआ आँवला और मिश्री समान मात्रा में मिलाकर पानी से फांकी से लें।
  • आलू- आलू की प्रकृति क्षारीय है। इसमें पोटेशियम साल्ट होता है जो एसिडिटी को कम करता है। अम्लता के रोगी भोजन में नियमित आलू खाकर अम्लता को दूर कर सकते हैं। आलू सेका हुआ या उबला हुआ ही लें।
  • चाय–चाय एसिडिटी के रोगी के लिए हानिकारक है। इसका सेवन ना करें |
  • गाजर-गाजर का रस एसिडिटी (Acidosis) ठीक कर देता है।
  • लौंग- सुबह-शाम भोजन के बाद 1-1 लौंग खाने से लाभ होता है।
  • मूली–गर्मी के प्रभाव से खट्टी डकारें आती हों तो मूली के रस में मिश्री मिलाकर पीने से लाभ होता है।
  • आलू-जिन लोगो को एसिडिटी की अधिकता है, खट्टी डकारें आती हैं और गैस अधिक बनती है, उनके लिए गरम-गरम राख या रेत में भुना हुआ आलू खाना लाभदायक है।
  • पेठा–अम्लपित्त का रोगी जब भी खाना खाये, खाने के बाद दो पीस पेठा खाने से एसिडिटी ठीक हो जाती है।
  • केला–केले पर चीनी और इलायची डालकर खाने से एसिडिटी रोग में लाभ होता है।
  • नीबू- एसिडिटी के रोगी को भोजन के 45 मिनट पहले एक गिलास गर्म पानी में नीबू निचोड़ कर पीना चाहिये। इससे भोजन आसानी से पचेगा। नीबू में स्थित पोटेशियम एसिड को खत्म करता है। इसलिए गरम पानी में नीबू निचोड़ कर शाम को भी पीने से लाभ होता है। डॉ.अल्बर्ट ने अपनी पुस्तक ‘फूट्स फार हैल्थ’ में लिखा है कि लोग गलतफहमी में नीबू के रस को एसिड बढ़ाने वाला समझते हैं इस भूल के चलते इसके औषधीय गुणों को न पहचान कर एसिडिटी में नीबू का सेवन नहीं करते। नीबू एसिड का नाश करने वाला होता है। आप दिन में कई बार नीबू पानी में निचोड़ कर ले सकते हैं। स्वाद अच्छा बनाने के लिए इसमें शहद भी मिला सकते हैं, पर नमक नहीं मिलायें। यदि एसिडिटी बहुत अधिक हो तो दो चार दिन भोजन नहीं करें। बार-बार नींबू पानी, संतरा, मौसमी, अनन्नास, गाजर, पेठा, खीरा, लौकी आदि का रस पीकर ही रहें।
  • दूध–जिन्हें एसिडिटी हो, उन्हें दिन में तीन बार थोड़ा-थोड़ा दूध पीना चाहिए।
  • नारियल–कच्चा नारियल (डाभ) का पानी पीना इस रोग में अच्छा लाभ पहुँचाता है।
  • प्याज–साठ ग्राम सफेद प्याज के टुकड़े, तीस ग्राम दही में मिलाकर रोजाना तीन बार खायें। कम-से-कम एक सप्ताह तक सेवन करने से एसिडिटी में लाभ होगा।
  • जीरा–जीरा, धनिया और मिश्री–तीनों समान मात्रा में पीस कर मिला कर दो-दो चम्मच सुबह-शाम भोजन के बाद ठंडे पानी से लेने से एसिडिटी ठीक हो जाता है।
  • काली मिर्च काली मिर्च और स्वादानुसार सेंधा नमक मिलाकर पीस कर आधा चम्मच सुबह-शाम खाने के बाद फेंकी लेने से अम्लपित्त में लाभ होता है।
  • अजवाइन–पिसी हुई अजवाइन एक चम्मच, एक गिलास पानी, एक नींबू का रस मिला कर पीने से एसिडिटी में लाभ होता है।
  • भोजन में हल्के पदार्थ, चावल, मूंग की दाल, घिया, तोरई, परवल, टिंडे आदि सब्जियाँ तथा आहार के साथ हरे धनिये का सेवन विशेष रूप से करना चाहिए।
  • दूध बार-बार पिलाना चाहिए। अचार, शराब, कॉफ़ी और चाय इस रोग में लेना हानिकारक हैं।
  • रात में भूख से कम खाना खाएँ, खाना खाने के बाद घूमें एवं ढीले कपड़े पहन कर सोएँ, साथ ही चाय, काफी, तली हुई एवं अम्लीय वस्तुओं का सेवन कम करें। ये उपाय करने से आप एसिडिटी की बीमारी से हमेशा बचे रहेंगे |

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