जब कभी किसी व्यक्ति को रक्त की जरूरत पड़ती है, तो उसके अनेक रिश्तेदार, मित्र एवं परिचित इस भय से कि कहीं उन्हें रक्तदान न करना पड़े,इसलिए अकसर वहां से चुपके से चले जाते है। इसका कारण यह है कि आम लोगों के मन में यह गलतफहमी है कि रक्तदान करने से शरीर में कमजोरी आती है, जो लंबे समय तक महसूस होती है। जबकि वास्तविकता यह है कि रक्तदान करने से कोई कमजोरी नहीं आती है इसमें कोई दर्द नहीं होता है और न किसी प्रकार की अन्य समस्या होती है। रक्तदान के बाद न ही आपको चक्कर आएगा और न ही आप बेहोश होंगे, ये एक दूसरी आम ग़लतफ़हमी है जो अकसर लोगों को होती है | सामान्य खुराक लेते रहने से दिए गए रक्त की भरपाई 4 से 6 हफ्तों में हो जाती है। मानव खून का कोई ओर विकल्प नहीं है तथा रक्तदान के लिए किसी व्यक्ति को बाध्य नहीं किया जा सकता। इसीलिए लोगों से अपनी मर्जी से रक्तदान करने की अपील की जाती है। यह कोई दवाई नहीं है जिसे किसी प्रयोगशाला या फैक्ट्री में बनाया जा सके | जानवरों का रक्त भी मनुष्य के काम में नहीं आता है ।
रक्त का निर्माण और कार्य :
रक्त हमारे शरीर की अस्थिमज्जा, लीवर और तिल्ली में बनता है। इसी के माध्यम से सारे शरीर में ऑक्सीजन और पोषक तत्व पहुंचते हैं। शरीर में जो तापमान होता है, वह रक्त प्रवाह के कारण उत्पन्न होने वाली गर्मी का ही परिणाम है। इसलिए रक्त के माध्यम से सारे शरीर की गतिविधियों प्रभावित होती हैं। आमतौर पर एक स्वस्थ व्यक्ति के शरीर में 4 से 5 लीटर रक्त होता है। रक्तदान में एक बार में 250 से 350 मिली लीटर ही रक्त लिया जाता है।
रक्तदान की आवश्यकता
शरीर में रक्त देने की जरूरत प्राय: निम्नलिखित स्थितियों में पड़ती है :- आकस्मिक दुर्घटना में जब शरीर से अधिक मात्रा में रक्तस्राव हो चुका हो, गर्भपात, प्रसव के बाद, आमाशय व आंतों के अल्सर रोग में, हीमोफिलिया में, आपरेशन में जब अधिक रक्तस्राव हो चुका हो, कोलेप्स की मरणासन्न अवस्था में, ऑपरेशन के पहले, मरीज के हीमोग्लोबिन और लाल रक्त कण 40 प्रतिशत से कम संख्या में रह गए हों, संक्रमण में, ज्यादा जल जाने पर तथा किसी रोगी के खून की कमी से पीड़ित होने पर।
रक्तदान कौन कर सकता है

- रक्तदान करने वाले व्यक्ति की उम्र 18 वर्ष से कम और 60 वर्ष से अधिक नहीं होनी चाहिए।
- उसे टी.बी, डेंगू, मलेरिया, कार्डिएक अरेस्ट, किडनी रोगों और मिरगी से पीड़ित, सिफलिस, गोनोरिया, एड्स, दमा और अन्य संक्रामक रोगों से पूरी तरह मुक्त होना चाहिए।
- जो मधुमेह या सिजोफ्रेनिया से पीड़ित हों या जिनका वजन तेजी से गिर रहा हो। अगर बड़ी सर्जरी हुई है तो छह महीने तक रक्तदान करने से बचें।
- दानकर्ता का हीमोग्लोबिन 5 प्रतिशत से ज्यादा होना चाहिए और कम से कम 45 किलोग्राम उसका वजन होना चाहिए |
- रक्तदान गर्भावस्था के दौरान, रक्त की कमी (एनीमिया), हेपैटाइटिस बी व सी, यौन रोगों से पीड़ित होने, शराब पीने के 48 घंटो से पहले या नॉरकोटिक दवाओं के आदी होने पर नहीं करना चाहिए।
- यदि किसी व्यक्ति की शुगर 225 से अधिक नहीं है और वो इंसुलिन न लेता हो तो वो भी रक्तदान कर सकता है।
- गर्भवती और बच्चों को स्तनपान कराने वाली महिलाएँ- क्योंकि इन महिलाओं में आयरन न्यूनतम स्तर पर होता है। मासिक चक्र के दौर से गुजर रही स्त्रियों को भी रक्तदान को भी रक्त दान नहीं करना चाहिए ।
रक्तदान में कुछ बातों का ख्याल भी रखें
- एक बार रक्तदान करने के बाद तीन माह बाद ही दूसरी बार रक्तदान करना चाहिए।
- रक्तदान के बाद क्या खाये – रक्तदान के बाद चाय, कॉफी, 3 गिलास पानी, फलों का रस, दूध, अंडा, प्रोटीन युक्त खाने का सेवन कर कुछ समय तक आराम करना चाहिए।
- रक्त में शुगर की कमी ना हो इसके लिए कुछ मीठा जरुर खाएं |
- रक्तदान के बाद आहार – हर 3 घंटे के अंतराल पर हैवी डाइट लेते रहें पौष्टिक आहार लें और अधिक से अधिक फल खाएं | जूस जरुर पियें खासकर गाजर और चुकंदर का |
- ब्लड डोनेशन कैम्प में अक्सर फ़ास्ट फ़ूड दिए जाते है जैसे चिप्स, कुरकुरे, कोल्ड ड्रिंक्स आदि इनसे बचने की कोशिश करें | तथा पोष्टिक खाना ही खाएं जैसे फल, जूस या साधारण खाना |
- सब्जी, क्रीम तथा ब्रेड से बना सैंडविच आप खा सकते है |
- संक्षिप्त में ब्लड डोनेट के फ़ौरन बाद आपके नाश्ते में ये तीन चीजे जरुर होनी चाहिए – नमक, चीनी, तरल तथा कुछ ठोस जैसे बिस्कुट |
- ब्लड डोनेट करने से पहले हल्का नाश्ता जरूर कर लेना चाहिए | तथा ब्लड डोनेट से एक दिन पहले खूब सारा पानी पीना चाहिए |
- रक्त दान के फ़ौरन बाद तेज धूप तथा अधिक गर्मी से बचना चाहिए | कोशिश करें की भीड़-भाड़ वाली जगहों से दूर रहे |
- रक्तदान से पहले यदि आप कोई दवा ले रहे है तो इसकी जानकारी जरुर दें |
- रक्तदान एक सुरक्षित प्रकिया है | इसमें हर बार नई डिस्पोजेबल सुई का इस्तेमाल किया जाता है | अधिकृत केन्द्रों पर ट्रेंड तकनीशियन की निगरानी में ही रक्तदान करें तथा यह सुनिश्चित करें कि आपके रक्तदान के लिए नई किट का इस्तेमाल किया जाये |
रक्तदान के बाद क्या करना चाहिए
- खून देने के दो से तीन घंटे बाद तक कार ड्राइविंग, बाइक या अन्य कोई जोखिम वाला काम नहीं करना चाहिए |
- लंबे समय तक खड़े नहीं होना चाहिए |
- ब्लड डोनेट करने के बाद कम से कम चार घंटे तक या पूरा एक दिन धुम्रपान, तंबाकू या अन्य किसी भी प्रकार की नशीली चीज का सेवन बिलकुल ना करें इससे आपको चक्कर आने की समस्या हो सकती है |
- 12 घंटे बाद तक कोई भी हैवी एक्सरसाइज या भारी काम न करें |
- खून देने के तुरंत बाद बाहर निकलकर दौड़ भाग ना करें, आधे घंटे तक थोडा आराम करें |
रक्तदान के लाभ
- शोधकर्ताओं के मतानुसार रक्तदान करने से दिल के दौरे की आशंका कम हो जाती है। दिल की अन्य बीमारियों के होने की संभावना भी कम होती है।
- डॉ. डेविस मेयस के अध्ययन से यह तथ्य भी प्रकाश में आया है कि ब्लड डोनेट करने वालों से रक्तदान न करने वालों को दिल के दौरे की दोगुनी आशंका रहती है। क्योंकि रक्तदान करने से करने से हमारे खून में कैलोस्ट्रॉल जमा नहीं होता है |
- इसके अतिरिक्त कुछ वायरस हमारे शरीर में अपनी जगह बना लेते हैं, वो ब्लड डोनेट के दौरान शरीर से बाहर निकल जाते हैं।
- स्वस्थ व्यक्ति के ब्लड डोनेट करने के कोई नुकसान नहीं होते हैं, बल्कि शरीर में खून की कमी को पूरा करने के लिए मस्तिष्क ‘रक्त’ उत्पादक अंगों को और अधिक सक्रिय कर देता है, जिससे इन अंगो की क्रियाशीलता बढ़ जाती है और ये स्वस्थ बने रहते हैं।
- “O Negative” (O-) ब्लड ग्रुप यूनिवर्सल डोनर कहलाता है, इसे किसी भी ब्लड ग्रुप के व्यक्ति को दिया जा सकता है | इसलिए इमरजेंसी के हालात में इस प्रकार के ब्लड को बिना मैच करे ही रोगी को चढाया जा सकता है | यदि आपका ब्लड ग्रुप ‘O नेगेटिव’ है तो आपको जरुर रक्तदान करना चाहिए |
- मौका पड़ने पर या समाज सेवा के लिए स्वेच्छा से रक्तदान करने में संकोच न करें। आपके रक्त की एक एक बूंद अमूल्य है, जो किसी के जीवन को बचा सकती है। अत: एक स्वस्थ व्यक्ति को रक्तदान जरुर करना चाहिए।
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