बेल के जूस को पीने के फायदे तथा बेलपत्र रस के औषधीय गुण

आयुर्वेद चिकित्सा की कई किताबो में बेल के रोग निवारक गुणों का वर्णन किया गया है। आयुर्वेद के अनुसार बेल के जूस का स्वाद कसैला होता है और यह कई रोगों से छुटकारा दिलाने में सक्षम होता है । बेल की गिरी वात, पित्त और कफ दोषनाशक होती है। इसके सेवन से पाचन-शक्ति मजबूत होती है। बेल की गिरी शक्तिवर्द्धक और पौष्टिक होती है। बेल के कच्चे फलों का उपयोग अतिसार, दस्त में करते हैं। चिकित्सा विशेषज्ञों के अनुसार बेल का गूदा देर से पचता है लेकिन वात, पित्त और कफ के विकारों को ठीक करता है। कच्ची बेल के गूदे को सुखाकर औषधि के रूप में उपयोग किया जाता है। सभी फलों के सम्बंध में कहा जाता है कि फल पकने पर अधिक स्वादिष्ट व गुणकारी होते हैं, जबकि बेल के सम्बंध में कहा जाता है कि सुखाने पर बेल के पौष्टिक गुणकारी तत्त्व विकसित होते हैं।

हमारे देश के विभिन्न राज्यों में बेल को अलग-अलग नामों से जाना जाता है। संस्कृत में बेल को बिल्व, शांडिल्य, महाकपित्थ, श्रीफल, शैलूष, मालूर, गंधगार्भ आदि नामों से वर्णन किया गया है। जनसाधारण में बेल को बेलपत्थर के नाम से संबोधित किया जाता है, क्योंकि ऊपर से बेल फल पत्थर की तरह कठोर होता है। बेल के पेड़ो पर अगस्त-सितम्बर में फूल खिलते हैं, फिर मार्च से जून तक वृक्षों पर फलों की उत्पत्ति होती है। बेल के छोटे फलों की अपेक्षा बड़े फलों में बीजों की संख्या बहुत कम होती है। फलों को काटकर उनका गूदा खाया जाता है। बड़े आकार के बेल फल अधिक स्वादिष्ट होते हैं। बीज, छिलका कठोर होता है। पक जाने पर इसका रंग हल्का पीला-सा हो जाता है। बेल में गुणकारी रासायनिक तत्त्वों का समावेश होने के कारण बेल के फल अधिक पौष्टिक व रोगनाशक होते हैं। बेल के सेवन से शरीर को भरपूर शक्ति मिलती है। बेल में फॉस्फोरस तत्त्व होता है। बेल का सेवन करने से स्मरण शक्ति तेज़ होती है। रक्ताल्पता के रोगी को बेल फल तथा बेल के जूस से बहुत लाभ होता है, क्योंकि बेल में लौह तत्त्व होता है जो रक्त में हीमोग्लोबिन की बढ़ोतरी करता है। बेल फल में विटामिन बी-1′ बी-2′ और विटामिन ‘सी’ पर्याप्त मात्रा में होते हैं। 100 ग्राम बेल में 7.6 ग्राम विटामिन ‘सी’ होता है। बेल में पानी की मात्रा 84 प्रतिशत होती है। गर्मियों में बेल का सेवन करने से तेज़ प्यास भी शांत होती है। बेल में कार्बोज 16.2 प्रतिशत, प्रोटीन 0.7 प्रतिशत और वसा 0.7 प्रतिशत मात्रा में होते हैं। बेल में टेनिन अम्ल 20 प्रतिशत तक होता है बेल में कई न्यूट्रिशंस जैसे प्रोटीन, बीटा-कैरोटीन, थायमीन, राइबोफ्लेविन और विटामिन C काफी  मात्रा में पाया जाता है। बेल वृक्ष के पत्ते, छाल, जड़ व फल सभी को रोगों का निवारण करने के लिए उपयोग किया जाता है। आयुर्वेद चिकित्सा में बेल से ‘बिल्वादि चूर्ण’ बनाया जाता है। इस आर्टिकल में हम केवल बेल के जूस के औषधीय गुणों को बताएँगे | बेल के जूस को इसके पत्तो से तथा फल से निकाला जाता है दोनों का ही महत्त्व अलग-अलग है |

बेल के जूस के फायदे

बेल के जूस को पीने के फायदे तथा बेलपत्र रस के औषधीय गुण bel ke juice ke fayde ras banane ki vidhi
बेलपत्र का रस
  • बदहजमी के इलाज हेतु बेल के गूदे को पानी में डालकर रख दें। सुबह उठकर उस गूदे को थोड़ा-सा मसलकर छान लें। इस बेल के जूस में चीनी मिलाकर, शर्बत की तरह सेवन करें। नींबू का रस मिलाने से शर्बत अधिक स्वादिष्ट बन जाता है। उसके सेवन से जोरों की भूख लगती है।
  • अपच ठीक करने के लिए दूसरा नुस्खा यह है की, बेल की ताजी, कोमल पत्तियों को पीसकर, किसी कपड़े में बांधकर रस निकालें। 10 ग्राम पत्तियों के रस में काली मिर्च का 1 ग्राम चूर्ण और थोड़ा-सा नीबू का रस मिलाकर दिन में दो बार पीने से अजीर्ण की बीमारी ठीक होती है।
  • बेल के कोमल व ताजे पत्तों का जूस निकालकर, उसमें काली मिर्च का चूर्ण और मिश्री मिलाकर सेवन करने से पेट दर्द ठीक होता है।
  • बेल के जूस को शहद के साथ मिलाकर पीने से एसिडिटी में राहत मिलती है. यदि आपको मुंह के छाले हो गए हैं तो इसे पियें जल्दी ही राहत मिलेगी | गर्मी के मौसम में यह एक ठंडक पहुँचाने वाला बेहतरीन पेय है यह लू से भी शरीर को सुरक्षित रखता है |
  • बेल के ताजे व कोमल पत्तों को कूटकर, किसी कपड़े में बांधकर उसका रस निकालें। 50 ग्राम बेल के पत्तों के रस में छोटी पिप्पली का दो ग्राम चूर्ण मिलाकर सुबह-शाम सेवन करने से जलोदर रोग ठीक होता है। कुछ सप्ताह के सेवन से लाभ दिखाई देता है।
  • बेल के जूस (बेलगिरी से निकाला गया रस ) में काली मिर्च का चूर्ण मिलाकर सेवन करने से पेट में कीड़े होने की बीमारी ठीक हो जाती हैं।
  • बेल के कोमल व ताजे पत्तों का रस और काली मिर्च का चूर्ण मिलाकर सेवन करने से कब्ज ठीक होती है।
  • बेल के जूस में कुछ मात्रा गुनगुने पानी की मिला लें | इसमें थोड़ी सी मात्रा में शहद डालें | इस पेय के नियमित सेवन से खून साफ हो जाता है |
  • गन्ने के रस में बेल के जूस (गिरी) को मिलाकर पीने से पीलिया रोग में बहुत लाभ होता है।
  • बेल के मुरब्बे में नीम के कोमल, ताजे पत्तों का 5 ग्राम रस मिलाकर सेवन करने से पीलिया रोग ठीक होने में मदद मिलती है। दिन में दो-तीन बार इसका सेवन करें।
  • बेल की कोपलों को कूट-पीसकर, किसी कपड़े में बांधकर 50 ग्राम रस निकालें। रस को कांच के बर्तन में रखें। स्टील के बर्तन में अधिक देर रखने से बेल के जूस के गुणकारी तत्त्व नष्ट हो जाते हैं। अब इस रस में काली मिर्च का चूर्ण मिलाकर सुबह-शाम पीने से पीलिया ठीक होता है।
  • बेल के जूस (बेल के पत्तो से निकाला गया ) 10 ग्राम में थोड़ी-सी मिश्री मिलाकर पीने से आंत्रों में जलन ठीक होती है।
  • बेल के कच्चे फल को गर्म राख या गर्म रेत में दबाकर भून लें। फिर उस फल को ऊपर से साफ करके, कूट-पीसकर जूस निकालें यही बेल के जूस को बनाने की उचित विधि है। अब इस जूस में मिश्री मिलाकर दिन में दो-तीन बार सेवन करने से प्रवाहिका रोग में पेट की ऐंठन-मरोड़ की बीमारी ठीक होती है। बेल आंव का निर्माण बंद करती है |

दिल के रोगों से बचाव के लिए बेल के जूस के फायदे

  • बेल के जूस (पत्तों से निकाला गया ) लें। 7-8 ग्राम इस रस में श्रृंग भस्म, 3 ग्राम मात्रा में शहद के साथ मिलाकर चाटकर खाने से हृदय रोगों से बचाव होता है।
  • बेल के जूस, प्रवाल पिष्टी व शहद मिलाकर चाटकर खाने से हृदय को बहुत लाभ होता है।
  • बेल के कोमल व ताजे पत्तों के रस में गाय का घी मिलाकर सुबह-शाम सेवन करने से हृदय शूल (एंजाइना) रोग में बहुत लाभ होता है।
  • बेल के जूस (पत्तों से निकाला गया ) 10 ग्राम, प्रवाल पिष्टी 2 ग्राम और गिलोय का सत 2 ग्राम मात्रा में शहद के साथ मिलाकर, चाटकर खाने से हृदय की कमजोरी ठीक होने से धड़कन सामान्य होती है।
  • बेल के कोमल व ताजे पत्तों को कूट-पीसकर रस निकालें। 10 ग्राम रस में एक ग्राम सर्पगंधा का चूर्ण मिलाकर सेवन करें। सुबह-शाम दो बार सेवन करने से उच्च रक्तचाप में कमी आती है। यह भी जरुर पढ़ें – जानिए बेल के फायदे तथा बेलपत्र के बेहतरीन औषधीय गुण
  • बेलपत्र स्वरस 1 ग्राम में गाय का घी 5 ग्राम मिलाकर रोगी को चटाने से हृदय शूल में लाभ होता है।
  • अस्थमा रोगी को बेल के जूस (पत्तों का रस) , बांस के कोमल पत्तों का रस और सरसों का थोड़ा-सा तेल मिलाकर पिलाने से बहुत लाभ होता है। एक सप्ताह में ही रोगी को बहुत लाभ होता है। बेलगिरी का मुरब्बा वंशलोचन मिलाकर खाने से भी अस्थमा रोगी को लाभ होता है। खांसी की तेज़ी भी कम होती है। शारीरिक कमजोरी ठीक होती है।
  • बेल के जूस (पत्तों से निकाला हुआ) इस रस को घी डालकर देर तक आग में पकाएं। रस की 3-4 बूदें बताशे या चीनी मिलाकर बच्चे को खिलाने से काली खांसी शांत होती है।
  • पत्तों से निकाले गए बेल के जूस को पीने से रक्त विकार ठीक होते है जिससे पसीने कम आते हैं। पसीने से दुर्गंध भी नहीं आती।
  • बेल के जूस (गिरी से निकाला गया ) को पीसकर रस निकालें। उस रस को पानी में मिलाकर सेवन करने से रक्त विकृति के कारण उत्पन्न शोथ ठीक होता
  • बेल के कोमल व ताजे पत्तों को कूटकर, कपड़े में बांधकर रस निकालें। कुछ दिनों तक प्रतिदिन 20-20 ग्राम रस पीने से फोड़े-फुसियों की समस्या ठीक होती है।
  • फोड़े की उत्पत्ति के कारण व्रण (जख्म) अधिक फैल गया हो तो, बेल के पत्तों के रस में साफ कपड़े की पट्टी भिगोकर बांधे। इससे बहुत लाभ होता है।
  • पत्तों से निकले गए बेल के जूस में शहद मिलाकर पीने से आँखों की ज्योति तेज़ होती है।
  • दांतों के निकलने के समय कुछ बच्चों को कब्ज की भी शिकायत हो सकती है। ऐसे में बच्चे को बेल के पत्तों का रस 5-5 ग्राम मात्रा में दिन में दो-तीन बार देना चाहिए। बेल की गिरी में मिश्री मिलाकर सेवन कराने से कब्ज ठीक होती है।
  • बेल के जूस में नारियल का पानी मिलाकर पीने से नींद आने लगती है।
  • बेल के जूस (बेलगिरी से निकाले हुए ) गन्ने के रस में मिलाकर सेवन करने से दिमाग को पौष्टिक आहार मिलता है। इस मिश्रण में शहद मिलाकर सेवन करने से अधिक लाभ होता है।
  • बेल के जूस में बादाम घिसकर मिलाकर रखें। इस मिश्रण में शहद मिलाकर सेवन करने से मस्तिष्क को शक्ति मिलती है। थकावट नहीं होती। गेहूं के जवारे का रस बनाने की विधि तथा घर पर व्हीटग्रास उगाने के तरीके
  • बेल के कोमल व ताजे पत्ते, ग्यारह की संख्या में लेकर सिल पर पानी के छींटे मारकर पीसें। फिर उन्हें कपड़े में बांधकर, निचोड़कर रस निकालें। इस रस को पीने से बहुत दिनों से चला आ रहा सिरदर्द ठीक होता है।
  • बेल के जूस और निम्बू का रस मिलाकर सेवन करने से मोटापा भी कम होता है।
  • बेल के पत्तों का रस 10 ग्राम प्रतिदिन प्रातः समय सेवन करने से मधुमेह (डायबिटीज) में लाभ होता है।
  • प्रेगनेंसी में बेल का जूस :- बेल का रस गर्भवती स्त्रियों के लिए भी फायदेमंद होता है |
  • बेल के पत्तों का रस शहद के साथ सुबह-शाम सेवन करने से स्त्रियों के श्वेत प्रदर (ल्यूकोरिया) रोग में बहुत लाभ होता है।

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