अच्छे स्वास्थ्य के लिए सुझाव : Health tips in hindi language

दुनिया की हर भाषा में यह कहावत बहुत लोकप्रिय है-‘पहला सुख निरोगी काया’ स्वस्थ शरीर में ही स्वस्थ मन का निवास होता है -A Sound Mind in Sound Body यानी अच्छे स्वास्थ्य, निरोगी शरीर से बढ़कर संसार में कोई सुख नहीं। अच्छे स्वास्थ्य के बिना जीवन में कोई सुख-आनंद नहीं रहता। जीवन बोझ बनकर रह जाता है। कोई भी व्यक्ति तभी स्वस्थ हो सकता है जब वह स्वास्थ्य के प्रति सचेत हो। खुश रहना सीखें। क्योंकि अच्छे स्वास्थ्य और ख़ुशी का आपस में नजदीकी संबंध हैं। अच्छी आदतों से ही अच्छा स्वास्थ्य मिलता है |

अच्छे स्वास्थ्य के लिए भोजन की भूमिका को बिलकुल भी नजरंदाज नहीं किया जा सकता, जो भोजन हम ले रहे हैं क्या उसमें वे सभी तत्त्व मौजूद हैं, जिनकी हमारे शरीर को जरूरत है? एक व्यक्ति शारीरिक परिश्रम करता है तो उसे ऐसे पौष्टिक पदार्थों की जरूरत होती है, जिससे कि उसके शरीर में अधिक शारीरिक ऊर्जा का संचार हो सके। दिमागी काम करने वाले व्यक्तियों के लिए ऐसे पदार्थों की जरूरत होती है, जिससे उसको दिमागी ताकत मिल सके। अच्छे स्वास्थ्य के लिए भोजन के अतिरिक्त व्यायाम खानपान से जुडी अच्छी आदते भी जरुरी है इन्ही सब जानकारियों को इस आर्टिकल में शामिल किया गया है |

अच्छे स्वास्थ्य के लिए  टिप्स  

जानिए अच्छे स्वास्थ्य के लिए क्या करना चाहिए तथा अच्छे स्वास्थ्य के लिए सुझाव अच्छे स्वास्थ्य ache swasthya ke liye kya kare tips
अच्छे स्वास्थ्य के टिप्स
  • कीटनाशक दवाओं तथा कृत्रिम खादों के असर को कम करने के लिए साबुत फलों और सब्जियों को कुछ समय तक नमक मिले खारे पानी में डुबोए रखकर तथा छिलके उतारकर खाने चाहिए |
  • वर्षा ऋतु में हरी सब्जियाँ नहीं खानी चाहिए क्योंकि इस दौरान बेक्टेरिया तथा अन्य कीटाणुओं की भरमार होती है इसलिए अच्छे स्वास्थ्य के लिए इन दिनों सुखाई हुई सब्जियाँ आपके खान-पान में शामिल होनी चाहिए । मौसमी सब्जियाँ जिन दिनों बहुत सस्ती हों, उन्हें अधिक मात्रा में लेकर सुखाया जा सकता है। यदि इन्हें सुखाने के पहले थोड़ी देर तक नमक के घोल में डुबो लिया जाए तो इनका रंग खराब नहीं होता और साल-दो साल इनमें कीड़ा भी नहीं लगता। इनमें से अस्सी प्रतिशत तक जलीय तत्त्व सूख जाने के बावजूद इनके विटामिंस, लवण और खनिज तत्त्व पूरी तरह बने रहते हैं। इन सूखी सब्जियों के अतिरिक्त आप दालों, चने आदि का उपयोग भी कर सकते है |
  • फल, सब्जियां, फलियाँ, आदि को प्राकृतिक स्थिति में या फिर पानी में उबालकर खाना आसानी से पचने वाला माना जाता है।
  • यदि आप सुबह के नाश्ते में तली वस्तुओं के स्थान पर अंकुरित दानों का और चाय की जगह दूध का प्रयोग करना शुरू कर दें तो आप कई रोगों से अपना बचाव कर सकते हैं। गेहूँ, चना, मूँगफली, मूँग, मक्का, मसूर, मोठ आदि अनेकों अनाज और दलहन, तिलहन आदि को अंकुरित करना बहुत ही आसान है। इससे इनका पोषक मूल्य (न्यूट्रीशन वैल्यू ) कई गुना अधिक बढ़ जाती है। नाश्ते के लिए आप प्रतिदिन प्रातः कोई भी अनाज, दलहन या तिलहन के साबुत दाने धोकर, थोड़े पानी में फूलने को रख दें, बरतन ढका रहे। चौबीस घंटे बाद एक मोटे-गीले कपड़े में इन दानों को बाँधकर टाँग दें। चौबीस घंटे बाद ये दाने अंकुरित हो जाते हैं। हलके व्यायाम के बाद इन अंकुरित दानों को अच्छी तरह चबाकर खा लें। साथ ही एक कप कुनकुना दूध भी पी लें। सूखे दानों की अपेक्षा अंकुरित दानों में उनका प्रोटीन, कार्बोज, लवण, विटामिंस, खनिज, वसा आदि सभी तत्त्व सक्रिय और जीवंत हो जाते हैं। आप अपने शरीर की जरूरत के मुताबिक या स्वाद बढ़ाने के लिए अनाज, दलहन और तिलहन को मिलाकर भी अंकुरित कर सकते हैं और ऐसा करना आवश्यक पोषक तत्त्वों को संतुलित करने की सबसे अच्छी विधि है। यदि आप इन दानों को ज्यादा मात्रा में अंकुरित करते हैं और आपके परिवार के अन्य लोगों की रुचि उसमें न हो तो शेष दानों को उबालकर, कड़ाही में तड़का लगाकर इसे स्वादिष्ट बना सकते हैं। वर्षा ऋतु में इसकी सब्जी की तरह उपयोग करके देखिए। बाजार में सब्जी की कमी या अधिक महँगाई का यह सेहतमंद  विकल्प है।
  • शाकाहार पर जोर दे आप कई बिमारियों से बचे रहेंगे – शाकाहार विभिन्न प्रकार के अनाज, दालें, तिलहन, शाक-सब्जी, फल, सूखे मेवे आदि पदार्थ शाकाहार के अंतर्गत आते हैं। बकरी, गाय, भैंस आदि का दूध, दूध से बनी वस्तुएँ, मक्खन-पनीर-घी आदि भी शाकाहारी मानी जाती हैं।
  • यदि आपके घर में खुले आसमान, सीधी धूप और हवा की गुंजाइश है तो भले ही आपके पास बगीचे के लिए भूमि न हो, आप खिड़कियों पर लटकाकर, दरवाजे के आजू-बाजू और छत पर, गमलों में इतनी सब्जियाँ उगा सकते हैं आप अपनी पचास फीसदी तक जरुरत पूरी कर सके इससे साफ ताज़ा सब्जियों से साथ ही शुद्ध हवा भी मिलेगी ।
  • यदि आप कम शारीरिक मेहनत करते हैं और व्यायाम बिलकुल नहीं कर पाते तो अच्छे स्वास्थ्य के लिए चीनी का उपयोग बंद कर दें। इसके स्थान पर गुड़, देशी शक्कर, किसमिस, खजूर, अंजीर आदि का उपयोग करें। यकीन मानिए, मधुमेह रोग से बचने के साठ प्रतिशत अवसर बढ़ जाएँगे।
  • अच्छे स्वास्थ्य के लिए छिलका वाली दालें ही फायदेमंद होती हैं और सस्ती भी इसलिए छिलके वाली दालों को ही खाएं |
  • आटे का चोकर (छिलका या भूसा ) मत निकालिए। मैदा का उपयोग कम-से-कम कीजिए। यदि गेहूँ के साथ सोयाबीन, चना आदि अन्य अनाज या दलहन मिलाकर पिसवाएँ तो वह बहुत ही पौष्टिक, पाचक और स्वादिष्ट हो जाता है।
  • याद रखें अच्छे स्वास्थ्य के लिए —‘पानी को दूध की तरह थोड़ा-थोड़ा पिएँ, लेकिन दूध को पानी की तरह गटागट पी जाएँ।
  • अच्छे स्वास्थ्य के लिए भोजन के समय यदि संभव हो सके तो फलों का प्रयोग करना चाहिए। फल शक्तिवर्धक होते हैं। फल, दूध, सब्जी भोजन को संतुलित बनाने में सहायक का काम करते हैं। एक युवक के आहार में 60 ग्राम फल अवश्य होना चाहिए। फल भोजन ही नहीं बल्कि दवा भी है। इनको हमेशा भोजन से पहले खाना चाहिए। जिन व्यक्तियों की पाचन शक्ति कमजोर है, उन्हें फल भोजन के साथ न खाकर अकेले ही खाना चाहिए। मौसम के अनुसार ही फल और सब्जियां खाने चाहिए। सूखे फल हमेशा पानी में भिगोकर खाने चाहिए। रोज एक फल अच्छे स्वास्थ्य के लिए खाना जरूरी है। फलों के खाने से स्वास्थ्य तो अच्छा रहता है, साथ में शरीर के अंगों को सुचारु रूप से काम करने का अवसर भी मिलता है। सबसे महत्त्वपूर्ण फल सेब हैं। इसका सेवन रोज करना चाहिए। भोजन के साथ सलाद का सेवन करने से पाचन क्रिया सरलता से होती है। सब्जियों का सूप भी कब्ज से सुरक्षित रखता है।
  • योगासनों से न केवल शरीर को स्फूर्तिवान्, सुगठित और स्वस्थ रखा जा सकता है बल्कि अनेक असाध्य रोगों का उपचार भी किया जा सकता है। वैज्ञानिक परीक्षणों से यह साबित किया जा चुका है कि दो घंटे खेलने से, तीन घंटे पैदल घूमने से अथवा एक घंटे तक तैरने से शरीर को जो लाभ पहुँचता है उतना ही लाभ केवल 20 मिनट के ‘पवन मुक्तासन’ से प्राप्त किया जा सकता है।
  • पेड़ रात में (सूर्यास्त से सूर्योदय तक) कार्बन डाइऑक्साइड छोड़ने लगते हों, लेकिन आम, पीपल, नीम, तुलसी, बड़ आदि पेड़ चौबीसों घंटे ऑक्सीजन ही छोड़ते हैं, यदि आपको अपने घर के आस-पास इन पेड़ो की सुविधा प्राप्त हो तो रोजाना सूर्योदय के समय इन पेड़ो के नीचे बैठकर खूब गहरी साँसें लें, प्राणायाम करें। इससे दमा और सांस के रोगियों को काफी लाभ पहुँचेगा।
  • साफ़ शुद्ध पानी—हमारे शरीर में लगभग 76 प्रतिशत पानी का भाग है। लू लगना या सर्दी होना तभी संभव होता है जब हमारे शरीर में पानी जरुरी स्तर से कम हो जाता है। कब्ज, रक्त की खराबी आदि रोग भी पर्याप्त पानी की कमी से ही पनपते हैं। संक्रामक रोगों के कीटाणु भी हम पर (हैजा, प्लेग, डायरिया आदि) खाली पेट और पानी की कमी से ही हमला कर सकने में समर्थ होते हैं। इसलिए अच्छे स्वास्थ्य के लिए और इन रोगों से बचाव के लिए ऐसे मौसम में खाली पेट और बिना पानी पिए घर से बाहर न निकलें।
  • वर्षा ऋतु में पानी में अनेक अशुद्धियाँ मिल जाती हैं। इसलिए पानी फ़िल्टर किया हुआ या उबाल कर ही पियें । उबालने से पानी के रोगाणु खत्म हो जाते हैं। फिटकरी घोल देने से पानी की धूल मिट्टी नीचे बैठ जाती हैं। पानी में लाल दवा परमेगनेट पोटाश मिलाने से भी कीटाणु नष्ट हो जाते हैं।
  • आयुर्वेद की दृष्टि से शरीर में पित्त, कफ और वायु तत्त्वों की ही प्रधानता होती है। इनमें असंतुलन पैदा होने का एक प्रमुख कारण हमारी आयु-वृद्धि है। किसी भी व्यक्ति के शरीर में जन्म से लेकर चालीस वर्ष की आयु तक ‘कफ’ की प्रधानता रहती है। इसलिए ठंडी चीजो के अधिक सेवन से इस उम्र में जल्दी ही सर्दी, खाँसी, मुँह में छाले आदि बीमारियाँ पैदा हो सकती हैं। 40 से 70 वर्ष की उम्र के बीच में ‘पित्त’ की अधिकता होती है। इसलिए अधिक घी तेल मसाले वाला भोजन, या अधिक भोजन इस उम्र वाले व्यक्तियों के लिए बीमारियाँ बढ़ाने का कार्य करता है।
  • दिन को हो या रात को, खाना खाने के बाद और शारीरिक व्यायाम या मेहनत वाला कार्य करने के एकदम बाद मूत्र-त्याग अवश्य करना चाहिए। अच्छे स्वास्थ्य के लिए किडनी द्वारा छाने गए जहरीले तत्वों को फौरन बाहर निकालना फायदेमंद होता है।
  • शाम या रात के भोजन के बाद कम-से-कम सौ कदम खुली हवा में घूमने जरुर जाना चाहिए ।
  • शरीर की सभी आवश्यक क्रियाओं का एक प्राकृतिक चक्र है जो हमारी जैविक घड़ी के निर्देशानुसार ही चलती हैं। सुबह 5 बजे से 7 बजे के बीच मल-त्याग क्रिया का समय है। इस समय के गुजर जाने पर पेट की उचित सफाई संभव नहीं हो पाती और हमारे शरीर में कब्ज, गैस , अल्सर,पाईल्स जैसे रोग पनपने लगते हैं।
  • अच्छे स्वास्थ्य के लिए सुबह के समय बिस्तर से उठते ही सबसे पहले एक लीटर पानी अवश्य पी लेना चाहिए। सिर्फ सर्दियों में या पहाड़ी स्थानों पर गुनगुना पानी पीना लाभकारी है। बाकी ताजा पानी ही सबसे अच्छा रहता है। धीरे-धीरे पानी पीने की मात्रा बढ़ाते हुए एक-सवा लीटर तक ले जाएँ ।

तो ये थे अच्छे स्वास्थ्य के लिए कुछ सुझाव आगे आने वाले दिनों में भी हम ऐसी ही अन्य जानकारियां  देते रहेंगे आप इनका पालन करें और सदैव सेहतमंद बने रहे |

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