आमवात (Rheumatism) के कारण, लक्षण, आयुर्वेदिक उपचार तथा आहार

आमवात रोग होने पर भोजन में अरुचि, अधिक आलस्य, बुखार, विभिन्न अंगों में सूजन, कमर और घुटनों में दर्द होता है। शरीर के दूसरे अंगों में भी सूजन और दर्द हो सकता है। आमवात की पहली अवस्था (first stage) में बच्चों में बुखार होता है । उसके बाद जोड़ों में थोड़ा दर्द होता है । धीरे-धीरे हृदय पर इसका प्रभाव होता है। दूसरी अवस्था (second stage) में, वयस्क व्यक्ति में बहुत से जोड़ इस रोग से प्रभावित हो जाते हैं और उनमें दर्द होता है । अस्थिसंधिशोथ (osteoarthritis), आमवातजन्य संधिशोथ (rheumatoid arthritis), वातरक्त (gout), कशेरुकसंधि शोथ (Spondylosis) आदि इस रोग के ही अन्तर्गत आते हैं।

आमवात की बीमारी में सबसे पहले शरीर में कमजोरी और भारीपन के लक्षण दिखाई देते हैं और फिर हाथों की बीच की उंगलियों में दर्द  होने लगता है। इलाज में देरी करने पर दूसरी उंगलियों में भी सूजन और दर्द होने लगती है। आमवात में शरीर के शरीर के जोड़ो में सूजन और दर्द होता है। दर्द की अधिकता से रोगी रात को सो भी नहीं पाता है। उंगलियां सीधी नहीं हो पाती है |

आमवात रोग के कारण  

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आमवात रोग
  • अनियमित रूप से, गर्म मिर्च-मसालों से बने वायु विकार उत्पन्न करने वाले, गरिष्ठ खाद्य-पदार्थों, शीतल पेयों का अधिक सेवन किया जाए और शारीरिक श्रम न किया जाए तो भोजन की पाचन क्रिया खराब हो जाती है तथा भोजन अधपचा रह जाता है। चिकित्सा विशेषज्ञों के अनुसार जब भोजन अधपचा रह जाता है तो भोजन का अपरिपक्व रस जिसे ‘आम’ कहते हैं, संधियों (जोड़ो ) में पहुंचकर वायु के संयोग से दर्द पैदा करने लगता है। इस बीमारी को ही ‘आमवात’ कहते हैं।
  • पाचन शक्ति की कमजोरी, व्यायाम का अभाव व ऐशो आराम वाला जीवन, तेल घी वाले व्यंजन व मांस आदि का अत्यधिक मात्रा में सेवन करने से आमदोष का निर्माण होता है, जो इस बीमारी का मुख्य कारण है | विरुद्ध आहार को भी आमवात का कारण माना जाता है |

आमवात रोग के लक्षण

  • सारे शरीर में तेज दर्द (malaise), अरुचि (anorexia) आलस्य (lethargy), बुखार, अपच (indigestion), शरीर के भिन्न-भिन्न भागों में सूजन इस रोग के मुख्य लक्षण हैं ।
  • वात-से होने वाले आमवात में जोड़ों में तेज़ तीखा दर्द, त्वचा रूखी, पेट में अफारा व बदहजमी होती है।
  • पित्त- से होने वाले आमवात में सारे शरीर, विशेष रूप से जोड़ों में जलन महसूस होती है ।
  • कफ- से होने वाले आमवात में रोगी धीरे-धीरे चलने-फिरने में भी असमर्थ हो जाता है।
  • आमवात में सुबह एड़ियों में दर्द होता है, क्योंकि आमदोष सुबह के समय शरीर में फैलता है । जबकि अस्थि संधिशोथ में चलने-फिरने या काम-काज करने से ही जोड़ों में दर्द होता है, क्योंकि इसमें आम दोष न के बराबर ही होता है |

आमवात के आयुर्वेदिक उपचार : आमवात चिकित्सा

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आमवात रोग का आयुर्वेदिक उपचार
  • आमवात में खाली पेट अधिक नहीं रहना चाहिए, क्योंकि व्रत से वायु और अधिक बढ़ जाती है ।
  • अदरक – आम दोष को कम करता है ।
  • हल्दी – इसे घी में भून कर खाना चाहिए |
  • अजमोदा भी आमवात के इलाज में लाभकारी है |
  • लहसुन – यह भी कटुरस प्रधान औषधि है यह कफ तथा वायु का शमन करता है । लहसुन को थोड़ा गर्म करके आम से प्रभावित जोड़ो पर लेप करने से लाभ होता है ।
  • हरीतकी – इसका प्रयोग भी लाभकारी है।
  • गुग्गुलु – (commiphora mukul)- यह एक अत्यन्त उपयोगी औषधि है । वृक्ष के तने को छेद कर इसकी गोंद प्राप्त की जाती है । इस गोंद को सुगन्धित धूप और अगरबत्तियों में भी प्रयोग किया जाता है । हवन में व घर की शुद्धि के लिए जलाया भी जाता है। गुग्गुलु से अम्वत के लिए दवा ऐसे तैयार करें। सबसे पहले त्रिफला का क्वाथ तैयार किया जाता है और इसमें गोंद को मिला दिया जाता है, जो पिघल जाती है । फिर पूरे द्रव को अच्छी तरह छान कर दूसरे बर्तन में डाला जाता है । जब इस तरल को दुबारा तब तक पकाया जाता है, जब तक यह कुछ-कुछ गाढ़ा न हो जाए । अन्त में इसे धूप में अच्छी तरह सुखा लिया जाता है । देखने में यह बादाम के पेड़ से प्राप्त गोंद के समान होता है। यह गोंद रक्तगत वसा (cholesterol) की अधिक मात्रा को कम करने व आमवात में लाभकारी है |
  • मेथीदाना का चूर्ण छह ग्राम और गुड़ सौ ग्राम लेकर व पानी में घोलकर शर्बत की तरह पी जायें। जोड़ों के दर्द में लाभ होगा। यह नुस्खा गठिया-जैसे रोग को भी दूर करता है।
  • सरसों के तेल में अश्वगन्धा की जड़ को इतना गरम करें कि अश्वगन्धा की जड़ काली पड़ जाये। इस तेल को ठण्डा होने पर संभालकर रखें और सुबह-शाम जोड़ों पर मालिश करें। दर्द में लाभ होगा।
  • आमवात चूर्ण :- अजवायन, हरड़ और सोंठ का चूर्ण पचास-पचास ग्राम की मात्रा में लेकर कूट-पीसकर रख लें। प्रतिदिन सुबह खाली पेट और रात को सोते समय एक चम्मच चूर्ण गरम पानी के साथ सेवन करें, लाभ होगा।
  • आमवात आहार : जोड़ों का दर्द होने पर रोगी को उड़द व चने की दाल, चावल, चना, गोभी, अरबी, टमाटर, दही आदि ठण्डे या वायु पैदा करने वाले पदार्थ नहीं खाने चाहिए। शीतल पेय भी रोगी को हानि पहुंचाते हैं, लेकिन करेला, मेथी, चौलाई, लौकी आदि शाक तथा अंगूर, सेब, पपीता आदि फलों का सेवन किया जा सकता है। पर इन्हें सेवन करने से पहले आधा चम्मच हरड़ का चूर्ण रात को गरम पानी के साथ लेने से आमवात में लाभ होता है। आमवात रोग में आहार से जुडी अधिक जानकारी के लिए पढ़ें यह पोस्ट – गठिया रोग में क्या खाना चाहिए और क्या नहीं
  • आमवात के रोगियों को आटे में बथुए के पत्ते मिलाकर व रोटी बनाकर खाने से जल्दी लाभ होता है।
  • अश्वगन्धा या असगन्ध की जड़ और खांड समान भाग में लेकर पीसकर कपड़े से छानकर रख लें। इस चूर्ण को रोजाना सुबह शाम एक चम्मच की मात्रा में गरम दूध के साथ एक-डेढ़ महीने सेवन करें। कमरदर्द, हाथ-पांव का दर्द और शारीरिक कमजोरी मिटाने के लिए यह एक उत्तम टॉनिक है, लेकिन इसका प्रयोग केवल सर्दियों में ही करना चाहिए। यह आमवात रोग के इलाज की एक अच्छी औषध है |
  • असगन्ध के चूर्ण को दो चम्मच देशी घी और गुड़ से बने हलवे में प्रात:काल खाली पेट पन्द्रह दिन तक लेने से गठिया-जैसा रोग भी ठीक हो जाता है। इस चूर्ण का प्रयोग करते समय तली-भुनी चीजें अथवा खटाई या बादी करने वाले पदार्थ न खायें।
  • प्रतिदिन पन्द्रह ग्राम बथुए के ताज़े पत्तों का रस पीने से जोड़ों का दर्द दूर हो जाता है। इस रस को प्रात:काल खाली पेट और सायं चार बजे के लगभग एक-दो माह तक सेवन करें। इसमें नमक या चीनी आदि न मिलायें तथा इसका सेवन करने से दो घण्टे पहले अथवा दो घण्टे बाद कुछ न खायें।
  • सौ ग्राम मेथीदाना और सौ ग्राम लहसुन की कलियों को छीलकर रात-भर पानी में भिगो दें। सुबह दोनों को एक-साथ मिलाकर पीस लें और ज्वार के बराबर गोलियां बना लें । रोजाना सुबह व् शाम  को यह एक-एक गोली इक्कीस दिन तक पानी के साथ सेवन करें। आमवात का रोग ठीक हो जायेगा ।
  • सोंठ का चूर्ण 3 ग्राम को कचूर 3 ग्राम के साथ पीसकर पुनर्नवा का क्वाथ बनाकर 100 ग्राम क्वाथ के साथ सेवन करें।
  • आक या एरंड के पत्तों पर तेल लगाकर हल्का-सा सेंककर आमवात में होने वाले जोड़ो के सूजन पर बांधने से दर्द ठीक होता है।
  • कूठ का चूर्ण 5 ग्राम एरंड के तेल के साथ सेवन करने से कुछ ही दिनों में ही आमवात रोग में लाभ होने लगता है।
  • गोखरू के फल 50 ग्राम और सोंठ 50 ग्राम, 500 ग्राम जल में उबालकर क्वाथ बनाकर पीने से आमवात का दर्द ठीक होता है।
  • एरंड का तेल 25 ग्राम मात्रा में सुबह बिना कुछ खाए-पीने से एक सप्ताह तक लेने से भी आमवात में लाभ दिखाई देने लगता है।
  • आमवात में कब्ज ना रहने दें ।
  • लहसुन, सोंठ और निर्गुण्डी 25-25 ग्राम मात्रा में लेकर एक लीटर पानी में क्वाथ बनाकर पीने से आमवात ठीक होती है।
  • मुण्डी और सोंठ को 50-50 ग्राम लेकर पीसकर चूर्ण बना लें। इसमें से 3 ग्राम चूर्ण सुबह और 3 ग्राम शाम को हल्के गर्म पानी से सेवन करने पर दर्द ठीक होता है।
  • सोंठ, काली मिर्च, पिप्पली और गिलोय सभी बराबर मात्रा में लेकर पीसकर चूर्ण बनाकर रखें। इसमें से 5 ग्राम चूर्ण सुबह-शाम भोजन के साथ जल से लेने पर आमवात की बीमारी ठीक होती है।

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