ग्वारपाठा को अंग्रेजी में एलोवेरा के नाम से जाना जाता है। इसकी उत्पति अरबी भाषा के ऐलोह (Alloeh) शब्द से हुई है, जिसका अर्थ है—“Shining Bitter Substance” (चमकीला कसैला पदार्थ)। कॉस्मेटिक के लिये इसका प्रयोग किसी-न-किसी रूप में बहुत पहले से ही होता रहा है। इसका इतिहास आज से लगभग 5000 साल पुराना है। मिस्र, ग्रीस, रोम, भारत एवं चीन देशों की पुरानी सांस्कृतिक सभ्यताओं में इसका प्रयोग काफी बड़े पैमाने पर मिलता है। आधुनिक जगत में इसका प्रयोग सौन्दर्य प्रसाधनों, मरहम, जूस, दवाइयों आदि में किया जा रहा है। यह अत्यन्त महत्वपूर्ण और उपयोगी पौधा है।
एलोवेरा संस्कृत में धृतकुमारी, घीकॅवार नामों से पहचानी जाने वाली वनस्पति है। यह खारी, रेतीली, जमीन या नदी तट के आसपास पैदा होती है। जड़ के ऊपर से ही चारों ओर इसके पत्ते मोटे, गूदेदार, चिकने, प्राय: दो फुट लम्बे और चार इंच तक चौड़े होते हैं। इसके पत्तो के दोनों ओर काँटे होते हैं। पत्तों को छीलने पर इनके अंदर घी के समान गूदा (जेल) निकलता है। इसके रस को सुखाकर एक पदार्थ बनाया जाता है जिसे मुसब्बर कहते हैं। इसे संस्कृत में कुमारी सार, हिन्दी में एलुबा यह पारदर्शी कुछ सुनहरी और भूरे रंग का होता है।
एलोवेरा का पत्ता– एलोवेरा के 1 से 2 वर्ष तक की उम्र वाले पौधे पर लगा हुआ पत्ता काफी फायदेमंद माना गया है। पत्ता जितना मोटा, लम्बा और वजन में भारी होता है, उतना ही औषधीय गुणों से भरपूर होता है। इसका रस स्वाद में कड़वा होता है। इसे फ्रिज में रखकर कई दिनों तक काम में ले सकते हैं। प्राय: देखा जाता है गाँवों में खेतों की मेड़, दीवार आदि पर किसान लोग खेत की सुरक्षा के लिये एलोवेरा लगाते हैं। इसका पौधा कहीं भी मिट्टी में लगाकर घर-घर में रखा जा सकता है।
एलोवेरा का सेवन हानिरहित है परन्तु गर्भावस्था के दिनों में स्त्रियों को इसका सेवन नहीं करना चाहिए। सप्ताह में एक बार ग्वारपाठे की सब्जी और एक बार दाना मेथी की सब्जी अवश्य खानी चाहिए, ऐसी पौराणिक मान्यता है। ग्वारपाठे को सभी प्रकार की जलवायु में तथा किसी भी प्रकृति के रोगी को सेवन कराया जा सकता है। इसके सेवन से शरीर से रोगाणु बाहर निकल जाते हैं, मल की शुद्धि हो जाती है, जठराग्नि बढ़ जाती है जिससे खाया हुआ भोजन अच्छी तरह से पचने लगता है। इसके सेवन से शरीर की सातों धातुओं की शुद्धि होती है। इसमें अनेक रोगों को दूर करने की क्षमता है।
ग्वारपाठे का प्रयोग आजकल पेय पदार्थ, टॉनिक और त्वचा की बिमारियों को ठीक करने हेतु किया जाने लगा है। पर सभी प्राकृतिक उपचारों की तरह इसका प्रयोग भी तभी अच्छा रहता है, जब हम इसे ताजा उपयोग में लें, क्योंकि इसके काटने और हवा के सम्पर्क में आने से यह कार्बनयुक्त (Oxidises) हो जाता है। इस पौधे को घर में भी (Indoor Plant) के रूप में लगाया जा सकता है। जितना हो सके, इसे प्राकृतिक रूप में ही उपयोग में लाना फायदेमंद होता है। इस पौधे को कम-से-कम रसायन युक्त करना चाहिए मतलब की इस पौधे को रासायनिक खाद ना डालें |
डॉ. पीटर एथर्टन (Dr. Peter Atherton) के अनुसार एलोवेरा का प्रयोग प्राकृतिक रूप से ताजा, बिना गरम किया, बिना सांद्र अवस्था वाला, बिना मिलावट के, पाउडर रहित करें अर्थात् तुरंत तैयार ताजा प्रयोग करें तो अच्छे परिणाम मिलते हैं। तो आइये जानते है एलोवेरा के औषधीय गुणों को इस पोस्ट में इतने सारे नुस्खे केवल इसलिए बताए गए है ग्वारपाठे का पौधा एक फर्स्ट ऐड किट के समान है जो बहुत सारे छोटे मोटे रोगों को ना केवल जड से ठीक कर देता है बल्कि प्राथमिक उपचार में भी कारगर है |
एलोवेरा के बेहतरीन औषधीय गुण

- (Sinusitis)- जुकाम लगने से आँखों की भौंहों पर दर्द होना प्रदाह का लक्षण है। विवर-प्रदाह होने पर दो सप्ताह तक लहसुन और शहद अच्छी मात्रा में खायें, फिर धीरे-धीरे इनका सेवन कम करते जायें। माथे और नाक नथुनों के दोनों ओर एलोवेरा के रस को गर्म करके लगायें। नाक में रोजाना तीन बार ग्वारपाठे का रस (Extract) निचौड़कर लगायें। पानी का भगोना भरकर उसमें थोड़ा-सा एलोवेरा के रस और युक्लिप्टस लोशन डालकर गर्म करें और उसकी भाप को नाक से अन्दर खींचें। इससे साइनोसाइटिस में लाभ होगा।
- मुँहासे (Acne)-चेहरा धोकर ग्वारपाठे का रस मलें। फिर एक घंटे बाद धोयें। त्वचा रूखी होने पर नारियल के तेल में एलोवेरा के रस को मिलाकर लगायें। ऐलोवेरा क्रीम भी लगा सकते हैं।
- एलर्जिक त्वचा प्रदाह (Allergie Dermatitis)- एलोवेरा का रस लगायें।
- दांतों के रोग मसूड़ों में दर्द सूजन- (Gingivitis), पायोरिया में एलोवेरा के रस या पेस्ट से मंजन करें।
- एलोवेरा के गूदे, रस से चेहरा रगड़कर साफ करने से चेहरा कोमल, लचीला और आकर्षक हो जाता है। एलोवेरा के पोषक तत्व मृत कोशों को हटाकर नये कोश पैदा कर देते हैं। इस प्रकार त्वचा सुन्दर बन जाती है।
- खाँसी-आधा चम्मच गर्म घी में दो चम्मच एलोवेरा का गूदा मिलाकर भूनकर शहद के साथ दिन में तीन बार खाएँ। तीन-चार दिन में ही खाँसी, जुकाम से राहत मिल जाएगी।
- फोड़ा पकने के निकट हो तो एलोवेरा के गूदे को गर्म करके बाँधने से फोड़े की मवाद निकल कर, घाव जल्दी भर जाता है।
- गाँठों की सूजन पर भी एलोवेरा के पत्ते को एक ओर से छीलकर तथा उस पर थोड़ा हल्दी पाउडर बुरककर तथा कुछ गरम करके बाँधने से लाभ होता है।
- चोट-मोच होने पर ग्वारपाठे के गूदे में पिसी हुई हल्दी मिलाकर बाँधने से आराम मिलता है।
- स्त्रियों के स्तन में चोट आदि के कारण या अन्य किसी कारण से गाँठ या सूजन होने पर ग्वारपाठे पर पिसी हल्दी डालकर गरम करके बाँधने से लाभ होता है। इसे दिन में 2-3 बार बदलना चाहिये।
- घाव- एलोवेरा के पत्तो से निकले रस में 96 प्रतिशत पानी मिलाकर घाव पर लगाएँ। यह रस एन्टीसेप्टिक है जो घाव में दर्द और सूजन को कम करता है। यह जख्मी जगह पर खून की पूर्ति करता है और घाव को भरने में सहायक होता है।
- त्वचा रोग– एलोवेरा त्वचा पर जादू की तरह प्रभाव डालता है, त्वचा के दागधब्बे, मुँहासे, खुरदरी, मृत त्वचा, गर्भावस्था में पेट पर हुए निशान, नाक-कान-गले के रोग, झुर्रियाँ को दूर करने में सफल है। ग्वारपाठे की ऊपरी सतह को काटें। अंदर से एक रंगहीन, लिसलिसा-सा पदार्थ निकलेगा, जो स्वाद में कड़वा होता है। इसे किसी एयर टाइट डिब्बे में डालकर फ्रिज में रखें। यह एलोवेरा का रस (Gel) है। इस रस को रोजाना चेहरे पर लगायें। चेहरा चमक उठेगा। त्वचा में कसावट आकर झुर्रियाँ दूर हो जायेंगी। इसे सारे शरीर पर मलने से भी लाभ ही होगा।
- त्वचा पर दाग, धब्बे दूर करने के लिए चेहरे पर ग्वारपाठे का गूदा मलें, रस मलें और अन्त में रस का लेप करें। लेप सूख जाने के बाद त्वचा को गर्म पानी से धोयें। कुछ दिन प्रयोग करते रहने से त्वचा साफ, सुंदर, बेदाग, कोमल लगेगी।
- ग्वारपाठे का बाहरी लेप लगाने के बाद जैसे-जैसे रस सूखेगा, त्वचा में खिंचाव, तनाव अनुभव होगा। लेप धोने के बाद ऐलोवेरा क्रीम लगायें या अन्य कोई भी चिकनाई लगा लें। इससे खिंचाव बंद होगा।
- बालों की देखभाल के लिए- एलोवेरा का रस बालों की कंडीशनिंग के लिए अच्छा है। यह बालों को भरपूर पोषण देता है। एलोवेरा के गूदे को धूप में सुखाकर, इसको पीसकर, छानकर डिब्बे में भर लें। इसे चेहरे का उबटन बनाने के काम में लिया जाता है।
- रक्तशोधक- 25 ग्राम एलोवेरा के ताजा रस को शहद 2 ग्राम और आधे नींबू के रस को मिलाकर दो बार सुबह-शाम पियें इससे खून साफ होता है।
- दाद, खुरदरी त्वचा, घाव या कोई भी त्वचा का रोग हो, एलोवेरा का पत्ता बीच में से चीरकर रोगग्रस्त त्वचा पर रखकर पट्टी बाँधे। एलोवेरा के रस को भी लगा सकते हैं। अवश्य लाभ पहुँचेगा।
- सोरायसिस पर एलोवेरा के पीले रस को लगाने से लाभ होता है, साथ में अतिरिक रस का सेवन भी करें। एलोवेरा को काटते ही पीला पानी-सा निकलता है, यह अधिक लाभ करता है। यह पीला पानी भी लगायें।
- सूर्य ताप से झुलसने (Sunburn) पर एलोवेरा के रस को लगाने से लाभ होता है। त्वचा के दाग-धब्बे दूर हो जाते हैं। एलोवेरा का सेवन रोगी को तो लाभ पहुँचाता ही है, साथ ही स्वस्थ व्यक्ति भी एलोवेरा का सेवन करके स्वास्थ्य और शक्ति से भरपूर हो सकता है। इसके सेवन से ताजगी और अच्छी नींद आती है।
- सभी रोगों में शुरू-शुरू में दो चम्मच रस लें। धीरे-धीरे मात्रा बढ़ाते जायें। एलोवेरा से लाभ धीरे-धीरे मिलता है। प्रारम्भ में प्रभाव करीब एक महीने के बाद अनुभव में आता है। तीन-चार महीनों में जरुर लाभ हो जाता है।
- मधुमेह (Diabetes)-एलोवेरा के रस को लम्बे समय तक पीने से मधुमेह में लाभ होता है। हाल ही में हुए एक अध्ययन में यह पता चला है कि एलोवेरा का रस मधुमेह के रोगियों में शुगर की मात्रा को कम करता है।
- एलोवेरा का एक और छिलका हटाकर पैर के तलुओं में रात को सोते समय बाँधे तो नींद बढ़िया आती है, आँखों को लालिमा दूर होती है। पैरों को जलन एवं टूटन में भी लाभ होता है।
- जो लोग स्वस्थ हैं वे सब्जी के रूप में इसका प्रयोग कर सकते हैं। इससे पाचन क्रिया में सुधार आता है।
- एक किलो एलोवेरा का रस, शहद दो सौ ग्राम, सौंठ, मिर्च, पीपल, त्रिफला प्रत्येक का दस-दस ग्राम चूर्ण मिलाकर रख दें। प्रतिदिन भोजन के बाद 25 मिलीलीटर रस और इसके बराबर का पानी मिलाकर पीयें। पेट की बीमारियों और वायुदोष के लिए यह अत्यन्त लाभदायी है।
- ग्वारपाठे का ताजा रस 5 चम्मच, शहद दो चम्मच और आधे नींबू का रस मिलाकर दो बार सुबह-शाम पीते रहने से सभी प्रकार के पेट के रोग ठीक हो जाते हैं।
- सिरदर्द होने पर ग्वारपाठे के रस या गूदे में थोड़ी दारु हल्दी का पाउडर मिलाकर गर्म करके फिर दर्द वाले स्थान पर लेप करने से लाभ मिलता है। ग्वारपाठे के गूदे को मसल करके या ताजे रस को माथे पर लेप करने से सिर दर्द दूर होता है।
- जोड़ों का दर्द-वायु या वातदोष के लिए यह रामबाण है। गठिया, सूजन, दर्द एवं वायु की अन्य बिमारियों में परम्परागत रूप से इसका प्रयोग किया जाता है। यह वातदोष का निवारण करता है। वात दर्द वाली जगह पर दारु हल्दी का पाउडर छिड़ककर ऊपर से एलोवेरा के पत्ते को गर्म करके एक ओर का छिलका काटकर बाँधने से लाभ मिल जाता है।
- गाठिया, संधिशोथ (Arthritis)- ग्वारपाठे का सेवन संधि प्रदाह से बचाता है तथा जोड़ों पर सूजन, बुखार रहने पर उनको ठीक करता है।
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aloe vera ek kadwa aur ek mithe swad ka hota hai, to plz bataye kaun sa aloe vera use karna sahi hai