आँख आने पर घरेलू उपचार, कारण, लक्षण : Conjunctivitis

आँख आना, अभिष्यंद अर्थात कंजक्टिवाइटिस (conjunctivitis). इस रोग को ‘”Eye Flu” भी कहते हैं। ये आँखों को सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचाती है। आँख आने की बीमारी में इतनी अधिक पीड़ा होती है कि रोगी बेचैन हो उठता है। जीवाणुओं से फैलने वाला संक्रामक रोग होने के कारण घर-परिवार में किसी एक व्यक्ति को होने पर दूसरे छोटे-बड़े सभी तुरंत इस रोग के शिकार बन सकते हैं। इस रोग के जीवाणु, रोगी के इस्तेमाल किए गए रूमाल, तौलिये और दूसरी वस्तुओं से स्वस्थ व्यक्तियों तक पहुंचकर उन्हें वायरल कंजक्टिवाइटिस का रोगी बनाते हैं। शुरू के कुछ दिन रोगी को अधिक पीड़ा से गुजरना पड़ता है।

आँख आने (कंजक्टिवाइटिस) के लक्षण : संक्रमीनेत्र के लक्षण

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Conjunctivitis Symptoms
  • आँख आने पर आँखें सुर्ख लाल हो जाती हैं।
  • वायरल कंजक्टिवाइटिस में आँखों से पूयस्राव (चिपचिपा गोंद जैसा तरल ) तेजी से निकलता है। आँखों में दर्द होने के साथ तेज जलन होती है। रोगी धूप में नहीं निकल पाता। रात में पूयस्राव होने से पलकें चिपक जाती हैं।
  • आँख में कीचड़ आना | ज्यादा आँसू निकलना |
  • चिपचिपे पदार्थ के आँखों पर आ जाने से धुंधला दिखने लगता हैं |
  • आँखों की पलको पर सफेद परत चढ़ जाती है |
  • आँखों में दर्द एवं जलन तथा खुजलाहट का होना।
  • आँख आने पर प्रकाश असहनीय लगता है। इस स्थिति को फोटोफोबिया कहते हैं।
  • रोग की तीव्र अवस्था में खून भी आ सकता है।
  • वायरल कंजक्टिवाइटिस होने पर आँखों में कोई वस्तु रडकने का अहसास होता रहता है |
  • पूयस्राव को साफ़ ठंडे पानी से दिन में चार-पांच बार साफ करना चाहिए और धूप में बाहर नहीं निकलना चाहिए |

 

आँख आने (कंजक्टिवाइटिस) होने के कारण :

  • आँखों के ऊपर और नीचे के पलकों के भीतरी भाग और आँख के सामने के भाग में पुतली को छोड़कर एक पतली श्लेष्मा झिल्ली रहती है। इसे कजक्टाइवा अथवा नेत्र श्लेष्मा कहते हैं। यह बाहरी कचरे इत्यादि से आंख की सुरक्षा करती है।
  • नेत्र श्लेष्मा में कई तरह के संक्रमण होते हैं, जिससे इसमें सूजन आ जाती है और जलन, खुजलाहट, लालामी इत्यादि कई लक्षण दिखते हैं। इसे कंजक्टिवाइटिस कहते हैं।
  • कंजक्टिवाइटिस कई प्रकार की होती है और इसके कई कारण होते हैं। जैसे – Allergic Conjunctivitis, Bacterial Conjunctivitis, Chemical Conjunctivitis, और Viral Conjunctivitis.
  • बैक्टीरियल कंजंक्टिवाइटिस होने पर आंखों से बहुत अधिक कीचड़ आता है। इस पोस्ट में इसी के लिए घरेलू नुस्खे बताए गए हैं |
  • यह रोग जीवाणुओं या विषाणुओं इत्यादि जीवित इकाइयों से भी हो सकता है और भौतिक पदार्थों, जैसे-आंख में कचरा, किसी मच्छर, कीट पतंगे या कोई रासायनिक पदार्थ जाने से भी हो सकता है।
  • किसी चीज से एलर्जी होने पर जैसे साबुन, शैम्पू, परफ्यूम से भी कंजक्टिवाइटिस हो सकता है | पर यह संक्रामक रोग नहीं होता है और बहुत ही कम लोगो को होता हैं |
  • घर से बाहर निकलने पर वाहनों के धुएं और धूल-मिट्टी के आँखों से लगने से जीवाणुओं को आँखों पर संक्रमण का खूब अवसर मिलता है।
  • दूषित जलवायु में रहने से भी इस रोग की अधिक उत्पत्ति होती है। गंदे पानी से नहाने पर भी कंजक्टिवाइटिस की बीमारी होती हैं | खासतौर पर Swimming pool, तालाब, समुंद्र, नदी या जोहड़ आदि में नहाने से |
  • कई तरह की बीमारियों, जैसे छोटी माता, खसरा, फ्लू इत्यादि में भी कंजक्टिवाइटिस हो जाती है।
  • महामारी के रूप में या बड़े पैमाने पर फैलनेवाली कंजक्टिवाइटिस एक विषाणुजन्य रोग है, जो एडीनोवाइरल टाइप-8 द्वारा फैलती है। यह रोग मानसून यानि बारिश की सीजन खासकर अगस्त के महीने में अकसर फैलता है।

आंख आने का इलाज के घरेलू नुस्खे / Conjunctivitis Home Remedies .

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Conjunctivitis Home Remedies
  • आँख आने पर गुनगुने और नमक मिले पानी (नॉर्मल सेलाइन) से दिन में तीन-चार बार आँखों को साफ करना चाहिए। आँखों के धोने से कीचड़, जिसमें रोग के विषाणु भी होते हैं, अलग हो जाते हैं।
  • सूखे आंवले और तिलों को 5-5 ग्राम मात्रा में पीसकर पलकों पर लेप करने से आँख आने पर होने वाली जलन ठीक होती है।
  • आंवले के रस की एक-एक बूंद, दिन में कई बार आँखों में डालने से लाली व जलन खत्म होता है। आंख आने का इलाज करने के लिये यह भी आसान उपाय है
  • पान के रस में थोड़ा-सा शहद मिलाकर बूंद-बूंद आँखों में तीन-चार बार से बहुत लाभ होता है।
  • आँख आने पर कपड़े को हलका गरम कर के आंखों पर रख कर सिंकाई करें |
  • आँख आने पर रात को सोने से पहले आंखों के ऊपर गाय का घी लगाएं और कपड़े से बांध कर सोएं |
  • नीम के पत्ते 5 ग्राम, सोंठ का चूर्ण 3 ग्राम और 1 ग्राम सेंधा नमक तीनों को बारीक पीसकर पलकों पर लेप करके पट्टी बांधकर सोने से सुबह कंजक्टिवाइटिस में आराम मिलता है।
  • नीम की कोमल पत्तियों को 10-10 ग्राम मात्रा में पानी के साथ पीसकर, किसी कपड़े में बांधकर रस निकालें। इस रस की बूंद-बूंद करके, दिन में तीन-चार बार आँखों में डालने से आँख आने से  होने वाली लाली और जलन ठीक होती है।
  • बबूल के कोमल पत्तों का रस निकालकर बूंद-बूंद आँखों में कई बार डालने से आँखों की लाली ठीक होती है।
  • आँख आने के घरेलू इलाज के लिए Green Tea का भी काफी महत्तव है क्योंकि इसमें टैनिक एसिड होता है जो संक्रमण या इंफेक्शन को दूर करने में मददगार साबित होता है | Green Tea के बैग को पानी में उबालकर ठंडा करके आँखों को दो तीन बार साफ़ करें तथा इन Green Tea Bags को बंद आँखों पर रखें |
  • सेब के सिरके को साफ़ पानी में मिलाकर आँखों को धोने से भी आँख आने की बीमारी के रोगाणु मर जाते हैं |
  • आँख आने पर गुलाब जल यानी (Rose Water) या गाजर के रस से आंखे धोने से भी (कंजक्टिवाइटिस) का इन्फेक्शन दूर होकर आंखे ठीक हो जाती हैं | गाजर के फायदे और 20 बेहतरीन औषधीय गुण
  • आँख आने पर मुलहठी को पानी में उबालकर उस पानी से आंखे धोएं |
  • एक चम्मच हल्दी पाउडर को एक गिलास पानी में उबालें। पानी एक चौथाई रह जाने पर एक बारीक सूती कपड़े से छान कर इस पानी से ऑंखें धो लें।
  • आँख आने के इलाज हेतू शहद और साफ़ पानी को समान मात्रा में मिला लीजिये। फिर किसी साफ़ सूती कपड़े की सहायता से इसे अपनी आँखों पर लगाइये। इससे आँखों का संक्रमण पूरी तरह दूर हो जाता हैं | – शहद के फायदे और इसके 35 घरेलू नुस्खे
  • Boric Acid Powder के एंटीसेप्टिक गुणों के चलते संक्रमण को ठीक करने में काफी उपयोगी है | एक गिलास पानी में आधा चम्मच बोरिक पाउडर को मिलाकर ऑंखें धोएं |
  • अपामार्ग की जड़ को पानी में घिसकर आँखों में लगाने से आँख आने की बीमारी ठीक होती है।
  • तांबे के बर्तन में दही और सेंधा नमक मिलाकर उसमें अपामार्ग (चिरचिटा) की जड़ को घिसकर आँखों में लगाने से आँख आने की बीमारी,जलन नष्ट होता है।  जानिए नमक के फायदे ,नुकसान और कितना खाएं?
  • गोखरू के पत्तों को 20 ग्राम मात्रा में पीसकर पलकों पर बांधने और हल्का-सा सेंकने से आँखों की लाली और और जलन से राहत मिलती हैं |
  • आँख आने की दवा के लिए आंवले के बीज 5 ग्राम, बहेड़े के बीज 10 ग्राम, हरड़ के बीज 15 ग्राम को कूट-पीसकर जल में पीसकर सूख जाने पर टिकिया बनाकर रखें। कंजक्टिवाइटिस वाली आंख में टिकिया को पानी के साथ थोड़ा-सा घिसकर आँखों में लगाने से लाली और जलन ठीक हो जाती है। यह भी पढ़ें जाने आंवले के बेहतरीन औषधीय गुण
  • अमरूद के ताजे 10 ग्राम पत्तों को पीसकर, एक रत्ती फिटकरी मिलाकर आँखों पर बांधने से आँख आने की बीमारी ठीक होती है।
  • सहजने के पत्तों के रस में बराबर मात्रा में शहद मिलाकर आँखों में बूंद-बूंद डालने से अभिष्यंद यानि आँख आने पर होने वाली सूजन और जलन नष्ट होती है।
  • सफेद प्याज के रस में शहद और कर्पूर मिलाकर किसी शीशी में रख लें और इसे रात में सोते समय आंखों में डालें।
  • शिशु की आंख आने पर चौलाई की जड़ के रस को माँ के दूध में मिलाकर बच्चों के आँखों में डालने से लाली, जलन और पीड़ा जल्द ही ठीक होती है।
  • आँख आने के इलाज के लिए इमली के बीज को पीसकर आंखों की पलकों पर लेप लगाने से काफी राहत मिलती है।
  • एक चम्मच गाय के घी में शुद्ध ताज़ा पीसी हुई हल्दी दो चुटकी मिलाकर हल्का सा गर्म करे , इसके बाद घी का रंग पीला हो जायेगा इसको रात में आँखों में डालकर सो जाए | दो बातो का ध्यान रखे एक तो हल्दी ताज़ा पीसी हुई होने चाहिए बाज़ार में मौजूद हल्दी पाउडर में रंग मिलाया जाता है जो आंख को नुकसान पहुंचा सकता है और दूसरा, आंख में सिर्फ घी डाले हल्दी पाउडर जो नीचे बैठा होगा वह आंख में ना जाने पाए इस बात का ख्याल रखें |
  • अगर आप घरेलू नुस्खे नहीं अजमाना चाहते है तो Q-Sap Eye Ointment आँख में लगाने वाली क्रीम का प्रयोग कर सकते है |
  • इनमे से कोई एक या दो उपाय ही अजमाए सब उपाय एक साथ न अजमाए |
  • घरेलू उपायों के अतिरिक्त यदि आप आधुनिक चिकित्सा प्रणाली से इलाज लेना चाहते हैं तो डॉक्टर की सलाह से आँखों में डालनेवाली दवा सल्फासेटेमाइड डालनी चाहिए, यह ध्यान रखें कि कार्टिकोस्टेराइड्स वाली दवाएँ अपने मन से नहीं डालना चाहिए, नहीं तो  इससे आँखों को नुकसान पहुँच सकता है। घरेलू उपाय भले ही थोडा देर से असर दिखाएँ पर ये पूरी तरह से साइड इफ़ेक्ट रहित होते हैं

आँख आने (कंजक्टिवाइटिस) में सावधानियां :

  • आँखों के स्त्राव में रोग के वाइरस होते हैं। यह स्त्राव हाथों, कपड़ों, रूमाल, चश्मों इत्यादि में लगकर अन्य व्यक्ति तक पहुँच जाता है।
  • सब लोग एक ही Eye Dropper से दवा न डालें और न ही Eye Dropper को आंखों से छुने दे
  • जब रोग फैल रहा हो तो स्वीमिंग पूल में नहाने से भी बीमारी लग जाती है। भीड़ भरे स्थानों, जैसे-सिनेमाघरों, मेलों इत्यादि में जाने से भी रोग हो सकता है। इसलिए जब रोग सब जगह फैल रहा हो तो इन जगहों पर जाने से बचना चाहिए।
  • आँख आने पर सोते समय डॉक्टर के बताये अनुसार कोई मलहम भी लगाया जा सकता है। इससे आँखों की पलक चिपकते नहीं हैं।
  • पट्टी या पैड का उपयोग न करके गहरे रंग का चश्मा लगाना चाहिए। इससे रोशनी भी तेज नहीं लगेगी।
  • आँख आने पर ऑंखें साफ़ करने के लिए बेहतर होगा की रूमाल की जगह टिशु पेपर का प्रयोग किया जाये ताकि एक बार इस्तमाल करने के बाद उसे फेंका जा सके |
  • आँख आने पर किसी भी तरह के कौस्मैटिक्स का इस्तेमाल ना करें |
  • आँख आने पर स्वस्थ व्यक्ति से हाथ न मिलाएं नहीं तो उसे भी संक्रमण हो सकता है |
  • कौंटैक्ट लैंस की जगह बीमारी ठीक होने तक चश्मा पहनें |
  • कई बार आँखों के डॉक्टर जीवाणु की एंटीबायोटिक्स से संवेदनशीलता की भी जाँच करते हैं। इसके बाद सही एंटीबायोटिक्स या जीवाणुरोधी दवाइयाँ लिखते हैं।
  • आँख आने पर यदि रोग से एक आँख ही प्रभावित है तो दूसरी को रोग से सुरक्षित रखने के लिए प्रभावित आँख की ओर करवट लेकर सोना चाहिए। पढ़ें यह भी – त्वचा को खराब करने वाले 12 कारण
  • आँख आने पर आंखें खुजलानी नहीं चाहिए , बारबार मसलने से आंखों के अंदरूनी हिस्सों को नुकसान पहुंच सकता है, घाव भी हो सकता है |
  • सामान्य आंख को सुरक्षित रखने के लिए बुलस आवरण (बुलस शील्ड) आते हैं। इन्हें भी प्रयोग किया जा सकता है।
  • आँख आने पर परिवार के सदस्य रोगी के रूमाल इत्यादि का प्रयोग न करें। संभव हो तो रोगी को परिवार के सदस्यों से थोड़ा अलग बिस्तर पर सोना चाहिए, ताकि अन्य सदस्यों को रोग न हो।
  • कंजक्टिवाइटिस बहुत ही संक्रामक बीमारी है, यह परस्पर संपर्क से लगती है | ना की दूर से मरीज की आँखों में देखने से ही रोग लग जाता है, यह तथ्य सही नहीं है। यह भी पढ़ें साबुन का इस्तेमाल करें पर जरा संभलकर
  • इस तरह ये सब सावधानियाँ रखकर इस साधारण लेकिन अत्यंत परेशान करने वाले रोग से बचा जा सकता है।

आँख आने (कंजक्टिवाइटिस ) की जटिलताएं :

  • कंजक्टिवाइटिस के एक प्रकार में श्लेष्मा पर छोटे-छोटे दाने दिखते हैं। वास्तव में ये दाने (फालिकिल) लिंफोसाइट नामक श्वेत रक्त कोशिकाओं के इकट्ठा होने से बनते हैं। इस तरह के नेत्र-श्लेष्मा जलन में आँखों की श्लेष्मा में छाले पड़ जाते हैं और आँखों की पुतली (कार्निया) भी रोग से प्रभावित होती है। कार्निया संबंधी जटिलताएँ 7 से 10 दिन पश्चात् मिलती हैं। इसमें पुतली की दीवारों पर सूजन आ जाती है। फिर कुछ अपारदर्शी धब्बे भी बन जाते हैं, जो श्लेष्मा ठीक होने के पश्चात् भी कई महीनों तक बने रहते हैं।

आँख आने (कंजक्टिवाइटिस ) होने पर क्या नहीं खाना चाहिए :

  • चिकित्सा विशेषज्ञों के अनुसार अधिक मिर्च-मसालों से बने अधिक चटपटे अम्लीय रस से बने खाद्य-पदार्थों, चाय-कॉफी आदि गर्म पेय और शराब नहीं पीना चाहिए |
  • आँख आने पर विटामिन B और C युक्त फलों और सब्ज‍ियों का सेवन अधिक करें |

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