मधुमेह में व्यायाम : जानिए डायबिटीज रोगी कौन सा व्यायाम करें, लाभ तथा सावधानियां

तन और मन को स्वस्थ और सुंदर रखने में व्यायाम और योग की भूमिका बहुत महत्त्वपूर्ण होती है। पर डायबिटीज के होने पर इसकी उपयोगिता और भी बढ़ जाती है। मधुमेह में व्यायाम, समुचित आहार और योग से ही टाइप-2 डायबिटीज के बहुत से रोगी बिल्कुल स्वस्थ हो जाते हैं। जिन्हें दवा की जरूरत होती है, उन्हें भी लाभ होता है कि उनकी दवा कम की जा सकती है। पर मधुमेह में व्यायाम करते हुए कुछ विशेष सावधानियाँ भी ध्यान में रखनी जरूरी हैं। कुछ व्यायाम और योगासन बिगड़ी हुई डायबिटीज में नुकसान भी पहुँचा सकते हैं। इस आर्टिकल में इन्ही सब विषयों पर जानकारी दी गई है |

बहुत पहले से ही डायबिटीज के इलाज में व्यायाम और योग के महत्त्व को प्रमुखता दी गई है। सुश्रुत ने यह सुझाव दिया है कि मधुमेह का रोगी रोजाना कम से कम चार मील जरूर चले। यही मत आयुर्विज्ञान ने भी सामने रखा है। मधुमेह में नियमित व्यायाम करने से शरीर पर अनेक अनुकूल प्रभाव देखे जा सकते हैं ब्लड शुगर पर नियंत्रण बेहतर हो जाता है, इंसुलिन के अधिक प्रभावकारी हो जाने से ग्लूकोज़ ज्यादा आसानी से कोशिकाओं के भीतर जाने लगता है, मोटापा कम किया जा सकता है, हृदय और फेफड़ों की काम करने की क्षमता बढ़ती है, कोलेस्टेरॉल के नुकसानदेह घटक कम होते हैं और स्वास्थ्यवर्धक एच.डी.एल. बढ़ता है, रक्तचाप पर नियंत्रण रखने में मदद मिलती है, मन तथा शरीर दोनों स्वस्थ रहते है। इस आर्टिकल में इन सब विषयों पर जानकारी दी गई है – मधुमेह में व्यायाम करने के लाभ, कौन-कौन से व्यायाम करें, कितनी देर तक करें, किस समय करें ?, टाइप-2 डायबिटीज में व्यायाम, इंसुलिन लेने के दौरान व्यायाम |

मधुमेह में व्यायाम

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1st Exercise

व्यायाम से पहले बदन को गरमाएँ

  • हर रोज व्यायाम शुरू करते वक्त थोड़ा समय शरीर को खोलने और गरम करने पर भी जरूर लगाएँ। 10-15 मिनट की हल्की कसरत से ही पूरे शरीर में चुस्ती आ जाती है।
  • पहला व्यायाम : सीधे खड़े हो जाएँ।
  • अब दोनों पैर इस प्रकार खोल लें कि उनके बीच एक फुट का अंतर रहे।
  • अब दोनों बाँहें आसमान की तरफ उठाते हुए बिलकुल सीधी ऊपर ले जाएँ। 10 तक गिनें और बाँहें नीचे ले आएँ। यह व्यायाम तीन बार दोहराएँ।

मधुमेह में व्यायाम : दूसरा

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Exercise -2
  • ठोड़ी को छाती की तरफ नीचे ले आएँ। अब अपना सिर धीरे-धीरे बाईं ओर घुमाएँ। ध्यान रखें कि ठोड़ी ऊपर की ओर हो। फिर इसी प्रकार सिर दाहिनी ओर घुमाएँ। इस प्रकार सिर को दोनों तरफ बारी-बारी से घुमाते हुए यह व्यायाम तीन बार दोहराएँ।

मधुमेह में व्यायाम : तीसरा

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Exercise -3
  • सीधे खड़े हो जाएँ और पैरों को पहले की ही तरह एक-दूसरे से एक फुट की दूरी पर रखें।
  • इसके बाद नीचे की ओर झुकें। यह ध्यान रखें कि घुटनों पर टाँगें हल्की-सी ही मुड़ें, अधिक नहीं। कमर आसानी से जितनी अधिक झुका सकें, उतना ही उसे स्ट्रेच करें। धीरे-धीरे अभ्यास से यह स्थिति आ जाएगी कि हाथ की उँगलियाँ जमीन को छूने लगे।
  • इस मुद्रा में 10 तक की गिनती गिनें और फिर वापस सीधे खड़े हो जाएँ। यह व्यायाम भी तीन बार दोहराएँ। पर अगर रीढ़ की कोई तकलीफ हो, तो आपके लिए यह व्यायाम मना है।
  • रोज कम से कम 30 मिनट व्यायाम के लिए अवश्य दें। व्यायाम के बाद 5-10 मिनट शरीर को आराम के लिए भी जरूर दें। इससे शरीर तरोताजा हो जाएगा। चाहें तो शवासन भी कर सकते हैं। इससे व्यायाम करने के लिए शरीर में ऊर्जा बढ़ जाती है |
  • जिस दिन व्यायाम के लिए समय न निकल पाए, उस दिन व्यायाम की की कमी को अपने घर या ऑफिस में सीढ़ियाँ चढ़कर, घर से दफ्तर जाते और लौटते समय कुछ दूर पैदल चलकर और इसी प्रकार की दूसरी गतिविधियों द्वारा भी कर सकते हैं।

मधुमेह के रोगी कौन-कौन से व्यायाम करें ?

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मधुमेह में व्यायाम

व्यायाम दो तरह के होते हैं : ऐरोबिक और एनैरोबिक।

  • ऐरोबिक व्यायामों की बड़ी विशेषता यह है कि इन्हें करते हुए पेशियों को हर समय जरूरत के हिसाब से ऑक्सीजन मिलती रहती है। तेज गति से चलना, साइकिल चलाना, तैरना और हल्की दौड़ लगाना ऐरोबिक व्यायाम की आम मिसालें हैं।
  • इसके ठीक विपरीत एनैरोबिक व्यायामों में पेशियाँ ऑक्सीजन के अभाव में काम करती हैं। तेज दौड़ लगाना और वेट लिफ्टिंग एनैरोबिक व्यायाम के उदाहरण हैं। डायबिटीज में एनैरोबिक व्यायामों जैसे, वेट लिफ्टिंग से, दूर रहना चाहिए। डायबिटीज के रोगियों के लिए ऐरोबिक व्यायाम अनेक कई प्रकार से लाभकारी हैं। उन्हें करने से एक तो इंसुलिन अधिक कारगर ढंग से काम करने लगती है, दूसरा शरीर अधिक मात्रा में ग्लूकोज़ खर्च करता है। नतीजतन ब्लड शुगर पर नियंत्रण बेहतर हो जाता है।
  • मधुमेह में व्यायाम किसी भी रूप में हो सकता है : सुबह-शाम की सैर, जॉगिंग, हल्की कसरत, तैराकी, साइकिल चलाना और चाहें तो खेलकूद के जरिए भी। पर व्यायाम शुरू करने से पहले तथा यह तय करने के लिए कि कौन-सा व्यायाम कितने समय तक करना ठीक होगा, डॉक्टर से सलाह जरूर ले लें।
  • मधुमेह में व्यायाम का प्रोग्राम बनाते समय खानपान का समय और यदि डायबिटीज-रोधी दवा या इंसुलिन ले रहे हों, तो उसे लेने के समय जरूर ध्यान में रखें। ऐसा न हो कि व्यायाम करते समय रक्त शर्करा इतनी कम हो जाए कि कोई नयी समस्या खड़ी हो जाये ।
  • नियम से व्यायाम करने से हृदय, फेफड़ों और पूरी रक्तसंचार प्रणाली की क्षमता में भी बढ़ोत्तरी होती है। किंतु ऐरोबिक व्यायाम का पूरा लाभ तभी मिल पाता है जब हफ्ते में कम से कम पाँच दिन (बेहतर है कि सातों दिन) लगकर व्यायाम किया जाए। कौन-सा ऐरोबिक व्यायाम किसी मरीज के लिए सर्वोत्तम होगा, इसका फैसला उसकी उम्र, शरीर तथा शारीरिक स्वास्थ्य को देखकर किया जाता है। इस संबंध में व्यायाम शुरू करने से पहले ही डॉक्टर से सलाह कर लेनी चाहिए। सभी व्यायाम या खेल में अलग-अलग कैलोरी खर्च होती है |
  • 50 से ऊपर उम्र के लोगों के लिए तेज गति से चलना सबसे अच्छा व्यायाम है। और यह बिल्कुल आसान है; दूसरे इसमें जोखिम भी न के बराबर है।
  • कम उम्र में अपनी इच्छा अनुसार दौड़ने, तैरने, साइकिल चलाने या कोई भी आउटडोर खेल खेलने से शरीर चुस्त-दुरुस्त बना रह सकता है। लेकिन विशेष परिस्थितियों, जैसे पैरों की न्यूरोपैथी में पैरों के सुन्न होने पर, कुछ साधारण व्यायाम भी वर्जित श्रेणी में आ जाते हैं।

मधुमेह के रोगी को कितना व्यायाम करना चाहिए  

  • व्यायाम से पूरा लाभ तभी मिलता है जब आप रोजाना 30 से 45 मिनट लगकर व्यायाम करें। लेकिन शुरुआत धीमी होनी चाहिए। पहले हफ्ते रोज 10-15 मिनट का व्यायाम ही काफी है, फिर हर हफ्ते 5-10 मिनट बढ़ाते हुए 30 से 45 मिनट तक पहुँचना चाहिए। एकदम से खुद को थका लेना ठीक नहीं; इससे व्यायाम के प्रति मन में अनिच्छा जाग सकती है।

मधुमेह में व्यायाम करने के लाभ

  • मधुमेह में व्यायाम करने से शरीर में इंसुलिन का पहले से बेहतर असर होने साथ ही ब्लड शुगर में सुधार, कोलेस्टेरॉल में गिरावट, अच्छे कोलेस्टेरॉल यानि एच.डी.एल. में बढ़ोतरी होती है रक्तचाप पर बेहतर नियंत्रण तथा तनाव से छुटकारा मिलता है |

टाइप-2 डायबिटीज और व्यायाम

  • टाइप-2 मधुमेह में व्यायाम से ही रोग को काफी हद तक ठीक जा सकता है। टाइप-2 डायबिटीज के 50 प्रतिशत रोगियों में सिर्फ खानपान में सुधार और व्यायाम से ही ब्लड शुगर सामान्य हो जाती है। जिन रोगियों को डायबिटीज-रोधी गोलियों की जरूरत बनी रहती है, उनकी भी दवा की जरूरत अक्सर पहले के मुकाबले कम हो जाती है।
  • रोजाना के नियमित व्यायाम का शरीर के इंसुलिन रेसेप्टर्स पर अनुकूल असर पड़ता है। इससे रेसेप्टर्स इंसुलिन के प्रति अधिक संवेदनशील हो जाते हैं और नतीजतन इंसुलिन की खोई हुई क्षमता वापस लौट आती। है। इससे इंसुलिन की कुल जरूरत घट जाती है और ब्लड शुगर धीरे-धीरे सामान्य की ओर लौट आती है।
  • मधुमेह में व्यायाम करने से मोटापे से पीड़ित मरीजों को दोहरा लाभ मिलता है। एक तो इंसुलिन पहले के मुकाबले अधिक प्रभावी हो जाती है, दूसरा वजन कम हो जाए तो उसका भी ब्लड शुगर पर अनुकूल प्रभाव पड़ता है।
  • टाइप-1 डायबिटीज में इंसुलिन लिये बगैर जीवन नहीं चल सकता, पर इंसुलिन के साथ बहुत-सी चीजें नियम से करनी होती हैं। समय से भोजन और समय से इंसुलिन लेकर ही ब्लड शुगर नियमित हो पाती है और रोग नियंत्रण में रहता है। इस दिनचर्या में ही व्यायाम के लिए उपयुक्त समय बाँधना होता है। यह ध्यान रखना होता है कि व्यायाम से ब्लड शुगर का संतुलन खराब न हो।
  • यह छोटी सी बात हर कोई जानता है कि किसी भी काम में ऊर्जा का खर्च काम के हिसाब से ही होता है। शरीर जितनी अधिक मेहनत-मशक्कत करेगा, उसे पूरा करने में उतनी ही अधिक ऊर्जा व्यय होगी। व्यायाम करते समय भी शरीर की ऊर्जा की आवश्यकता बढ़ जाती है। इसकी पूर्ति धमनियों में दौड़ रहा ग्लूकोज़ करता है। नतीजतन रक्त में ग्लूकोज़ की मात्रा घट जाती है। इसीलिए व्यायाम करते हुए इस बात का ध्यान रखना होता है। यह न हो कि इतनी मेहनत-मशक्कत कर लें कि ब्लड शुगर इतनी घट जाए कि इमरजेंसी (हाइपोग्लाइसीमिया) जैसी स्थिति पैदा हो जाए और तुरंत डॉक्टर के पास भागना पड़े। हाइपोग्लाइसीमिया में रक्त में ग्लूकोज का स्तर अपनी सीमा से नीचे चला जाता है, यह अनावश्यक व्यायाम तथा चहलकदमी के कारण भी हो सकता है । इससे बचने के लिए आप चहलकदमी करें परंतु इसकी समय-सीमा न घटाएं-बढ़ाएं । यदि किसी व्यक्ति का उपवास हो तबीयत ठीक न हो या उसे डायरिया हो तो उस दिन व्यायाम तथा चहलकदमी नहीं करनी चाहिए। ऐसी अवस्था में ब्लड शूगर का स्तर नीचे गिर जाता है। यदि वह व्यक्ति दवाईयां लेता है तो ब्लड शूगर कम होने में देर नहीं लगती तथा वह हाइपोग्लासीमिक अवस्था में आ सकता है। दवा अथवा इंसुलिन पर आश्रित व्यक्ति को अनावश्यक चहलकदमी तथा व्यायाम से बचना चाहिए परंतु यदि आप करना ही चाहते हैं तो व्यायाम से पहले थोड़ा भोजन अथवा जूस अवश्य लें।

इंसुलिन और व्यायाम

  • टीके के बाद इंसुलिन का असर जिस समय सबसे अधिक होता है, उस समय व्यायाम करना उचित नहीं होता। यह समय अलग-अलग किस्म की इंसुलिन में अलग अलग समय पर बनता है। जैसे, सादी इंसुलिन में टीका लेने के तीन घंटे बाद और लेटे या एन.पी.एच. इंसुलिन में टीका लेने के सात घंटे बाद। ऐसे समय में यदि व्यायाम करना हो तो इंसुलिन की डोज में जरूरी फेर-बदल जरुर कर लें।
  • मधुमेह में व्यायाम करने से पहले इंसुलिन का टीका शरीर के किस अंग में लिया गया है, इस बात को भी नजरंदाज ना करें क्योंकि इसका भी ब्लड शुगर पर असर पड़ता है। जिस टाँग या बाँह पर टीका लगा है, उसे अधिक हरकत में लाने से इंसुलिन के जज्ब होने की गति तेज हो जाती है। ऐसा होने से भी ब्लड शुगर में अचानक कमी आ सकती है। इसलिए जिस अंग में टीका लें, उस अंग को व्यायाम के समय कम इस्तमाल में लाना ही बेहतर होता है।

पैरों में न्यूरोपैथी होने पर कौन-सा व्यायाम करें, कौन-सा न करें

  • उपयोगी व्यायाम – तैराकी, साइकलिंग, नौका चलाना, कुर्सी पर बैठकर किए जाने वाले व्यायाम,
  • वर्जित (निषेध व्यायाम ) ट्रेडमिल, देर तक चलना, जॉगिंग ऐसे सभी व्यायाम जिनमें पैरों पर वजन पड़ता है।

मधुमेह में व्यायाम किस समय करें

  • यह बात अहम नहीं है कि व्यायाम किस समय करें। कुछ लोग सोचते हैं कि सूरज निकलने से पहले व्यायाम करने से अधिक लाभ मिलता है, चूंकि उस समय हवा में ऑक्सीजन अधिक होती है। लेकिन यह सोच गलत है; दरअसल रात में पेड़-पौधे भी ऑक्सीजन की बजाय हवा में कार्बन डायऑक्साइड ही छोड़ते हैं। उनका ऑक्सीजन बनाने का काम सूर्योदय के बाद ही शुरू होता है। हाँ, यह बात अलग है कि सुबह का नियम बना लें तो उसका पालन करना थोड़ा आसान है।

भोजन और व्यायाम

  • व्यायाम के तुरंत पहले और बाद में भोजन करना ठीक नहीं होता। इससे अनावश्यक ही हृदय पर काम का दबाव बढ़ जाता है। हृदय का स्वास्थ्य अच्छा न हो, तो यह स्थिति ऐंजाइना रोग पैदा कर सकती है। हाँ, व्यायाम शुरू करने से पहले हल्का नाश्ता कर लेने पर कोई मनाही नहीं। उलटा उससे यह लाभ होता है कि ब्लड शुगर अचानक बहुत कम होने का डर खत्म हो जाता है।

मधुमेह में व्यायाम करने से रक्त में ग्लूकोज का स्तर घटता है । मधुमेह के 60 प्रतिशत रोगी आहार तथा व्यायाम अन्य 20 प्रतिशत दवा तथा अन्य 10 से 20 प्रतिशत रोगी इंसुलिन से ठीक हो जाते हैं। यदि एक व्यक्ति अच्छे आहार के साथ व्यायाम पर भी ध्यान देता है तो वह अपने मधुमेह को नियंत्रित कर सकता है परंतु आराम न आए तो जल्दी ही दवा शुरू कर देनी चाहिए । यदि स्तर नीचे पहुंच जाए तो भी दवा बंद न करें केवल दवा की मात्रा घटा दें। योगासन, सही आहार तथा व्यायाम भी सहायक हो सकते हैं।

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