स्वस्थ शरीर व शांत मन सभी की चाहत होती है। और यह चाहत विभिन्न योग आसनों की सहायता से पूरी की जा सकती है। यह तथ्य तो हजारों वर्षों से प्रमाणित होता आ रहा है कि योग हमें स्वस्थ तन और स्वस्थ मन देता है। इसलिए आज सारा विश्व योगमय होता जा रहा है। रोग मुक्त होना है, तो हमें योग की शरण में जाना ही होगा। योग का मतलब है योगासन। इसलिए आप सभी से अनुरोध है कि योगासन करें, निरोग रहें और खुश रहें। यदि आप विभिन्न बीमारियों पर विजय पाना चाहते है तो रोग के अनुसार सही योगासन का चुनाव करना बेहद जरुरी है आपकी इसी समस्या को सुलझाने का प्रयास इस पोस्ट में किया गया है | तो आईए, जानते हैं कौन-सा आसन किस रोग से हमें मुक्ति दिला सकता है। Yoga Asanas, Diseases and Asanas, Medical Cure by Asanas.
कृपया नोट करें – इस पोस्ट के अंत में योगासन के दौरान कौन-कौन सी सावधानियां बरतनी चाहिए? योग कब,कहाँ, कैसे करना चाहिए ? बच्चो के लिए सिर्फ दस मिनट में योग करने की आसान तरकीब बताई गई है उसे जरुर पढ़ें |
बीमारी के अनुसार योग (विभिन्न प्रकार के योगासन)

मोटापा दूर करने के लिए योग आसन –
- पश्चिमोत्तानासन, चक्रासन, गोमुखासन, मत्येन्द्रासन, धनुरासन, हस्तपादासन आदि।
मोटापा (चरबी की वृद्धि) दूर करने के लिए योग
- मंडूकासन, पश्चिमोत्तानासन, मयूरासन, सुप्त वज्रासन, धनुरासन, अर्द्ध मत्स्येंद्रासन और भस्त्रिका तथा उज्जायी प्राणायाम ।
हाइ ब्लडप्रेशर (उच्च रक्तचाप) –
- वज्रासन, सिद्धासन, पद्मासन, मत्स्यासन और शवासन।
गले की तकलीफ के लिए योगासन –
- मत्स्यासन, सिंहासन, सुप्त वज्रासन और सर्वांगासन।
सिरदर्द ठीक करने के लिए योग –
- पश्चिमोत्तानासन, हलासन, सर्वांगासन और शवासन।
हर्निया (अंत्रवृद्धि) के लिए योगासन –
- मत्स्यासन, सर्वांगासन और सुप्त वज्रासन।
अस्थि सन्धि विकार एवं कटिशूल दूर करने के लिए योग आसन –
- वीरासन, भुजंगासन, शलभासन, धनुरासन, वज्रासन, मत्स्यासन, सुप्त वज्रासन आदि।
उच्चरक्तचाप दूर करने के लिए योग आसन –
- शवासन, पद्मासन (में ध्यान), स्वस्तिकासन आदि।
निम्नरक्तचाप दूर करने के लिए योग आसन –
- सर्वाङ्गासन, शीर्षासन, भुजंगासन, योगमुद्रासन आदि।
श्वसन-विकार, फुफ्फुस विकार, जीर्ण कास-
- भुजंगासन, सर्वाङ्गासन, पश्चिमोत्तानासन, मत्स्यासन, वज्रासन, सिंहासन आदि।
अजीर्ण, मन्दाग्नि एवं अम्लपित्त के लिए योगासन –
- वज्रासन, वीरासन, पवनमुक्तासन, उत्तानपादासन, मयूरासन, अर्धमत्स्येन्द्रासन, गोमुखासन आदि।
विबन्ध एवं वायु विकार के लिए योगासन –
- पवनमुक्तासन, जानुशिरासन, भुजंगासन, धनुरासन, उत्तानपादासन आदि।
मस्तिष्क विकार, अनिद्रा, चित्तोद्वेग आदि के लिए योगासन –
- शवासन, शीर्षासन, विपरीतकरणी, योगमुद्रासन, पद्मासन, स्वस्तिकासन आदि।
रजोविकृति, गर्भाशय विकृति के लिए योगासन –
- शलभासन, वीरासन, उत्तानपादासन, पश्चिमोत्तानासन, मत्स्यासन, सुप्त वज्रासन आदि।
अर्श, सिरा कुटिलता के लिए योगासन –
- शीर्षासन, सर्वाङ्गासन, हलासन, उत्तानपादासन आदि।
क्षय और दमा दूर करने के लिए योग –
- सिद्धासन, शीर्षासन, सर्वांगासन, मत्स्यासन, अर्द्ध मत्स्येंद्रासन, सुप्त वज्रासन, भुजंगासन, धनुरासन और भस्त्रिका प्राणायाम ।
यौन ऊध्र्वीकरण, पायरिया और पेट की पीड़ा के लिए योग –
- सिद्धासन, शीर्षासन, सर्वांगासन, मत्स्यासन, अर्द्ध मत्स्येंद्रासन, पद्मासन, वज्रासन और पश्चिमोत्तानासन |
कान, आँख और नाक का दर्द के लिए योगासन –
- सिद्धासन, सर्वांगासन, मत्स्यासन और अर्द्ध मत्स्येंद्रासन।
नष्टार्तव, पीड़ितार्तव, प्रदर, गर्भाशय और बीजाशय के रोगों के लिए योग
- सर्वांगासन, शलभासन, पश्चिमोत्तानासन और भुजंगासन । (गर्भावस्था के दौरान ये आसन नहीं करने चाहिए।)
क्रोनिक ब्रोंकाइटीज, कफ-कास-श्वास दूर करने के लिए योगासन
- मत्स्यासन और शलभासन
पाचनक्रिया संबंधी रोग ठीक करने के लिए योगासन –
- सर्वांगासन, वज्रासन, पश्चिमोत्तानासन और बद्ध पद्मासन ।
यकृत और प्लीहा की वृद्धि के लिए योगासन –
- सर्वांगासन, हलासन, मयूरासन और बद्ध पद्मासन ।
कब्ज दूर करने के लिए योग –
- हलासन, मयूरासन, धनुरासन, मत्स्यासन, पादहस्तासन और शीतली प्राणायाम ।
अंतर्गल, श्लीपद, हाथ-पैर का छोटा होना के लिए योगासन
- गरुड़ासन, त्रिकोणासन और उत्कटासन।
अर्श बवासीर ठीक करने के लिए योग
- सिद्धासन, पश्चिमोत्तानासन, शीर्षासन, गोमुखासन और महामुद्रा ।
पेचिश या मरोड़ के लिए योगासन
- बद्ध पद्मासन और कुक्कुटासन।
संधिवात के लिए योगासन –
- वृश्चिकासन, शीर्षासन, पश्चिमोत्तानासन, सर्वांगासन और सूर्यभेदन प्राणायाम ।
कुष्ठ रोग के लिए योगासन –
- शीर्षासन, पद्मासन, सिद्धासन, सिंहासन, गोमुखासन, वक्रासन और वृषासन।
हृदय रोग के लिए योग –
- शवासन, बद्ध पद्मासन और सिद्धासन।
अनिद्रा के लिए योग –
- सर्वांगासन, शवासन और सूर्यनमस्कार।
मासिक धर्म के लिए योग –
- धनुरासन, मत्स्यासन, सुप्त वज्रासन और पश्चिमोत्तानासन।
अधिक नींद सुस्ती के लिए योग –
- लोलासन, कुक्कुटासन, उत्तमांगासन, बकासन, तोलासन, उत्थित द्विहस्तभुजासन और उत्थित एकपादशिरासन् ।
आँतों के रोग के लिए योग –
- लोलासन, गर्भासन, बद्धहस्त पद्मासन और सूर्यनमस्कार।
कमर का दर्द के लिए योग –
- वक्रासन, तोलांगुलासन, हलासन और सूर्यनमस्कार।
चर्मरोग (त्वचा के रोगों ) के लिए योग –
- पद्मासन, सिद्धासन, सिंहासन, वीरासन, उत्कटासन, मंडूकासन, सुप्त वज्रासन, वृक्षासन और शीतली प्राणायाम ।
सीने और फेफड़ों के रोग के लिए योग –
- योगासन और प्राणायाम बद्ध पद्मासन, उत्कटासन, सर्वांगासन, विपरीतकरणी, शीर्षासन, वृक्षासन और सूर्यनमस्कार।
बुखार के लिए योग –
- गर्भासन, उत्थित पद्मासन, सिद्धासन, गोमुखासन और शवासन।
नपुंसकत्व (नामर्दी) के लिए योग –
- पद्मासन, सिद्धासन, सिंहासन, मंडूकासन, वज्रासन, सुप्त वज्रासन और गोमुखासन।
नाड़ियों की अशुद्धि के लिए योग –
- लोलासन और उत्थित एकपाद शिरासन।
पैर के रोग के लिए योग –
- बद्ध पद्मासन, उत्कटासन, आकर्ण धनुरासन, तोलांगुलासन और पद्मासन ।
पथरी के लिए योग –
- मत्स्येंद्रासन, मत्स्यासन, तोलांगुलासन और वज्रासन।
लकवा (पक्षाघात) के लिए योगासन –
- पद्मासन, वीरासन, पर्वतासन, मत्स्येंद्रासन, मत्स्यासन, सिद्धासन, सिंहासन और मंडूकासन।
पित्तरोग के लिए योगासन –
- हलासन, वर्तुलासन, शलभासन और सीत्कारी प्राणायाम ।
मूच्र्छा (वायु), हिस्टीरिया के लिए योगासन –
- पद्मासन, वक्रासन, अर्द्ध मत्स्येंद्रासन, वृषासन, मंडूकासन और वज्रासन
रक्तपित्त (गलित कुष्ठ) के लिए योगासन –
- पद्मासन, मत्स्येंद्रासन, सिद्धासन, सिंहासन, गोमुखासन और वीरासन।
रक्तविकार, रक्तक्षय के लिए योगासन –
- लोलासन, कुक्कुटासन, बकासन, उत्कटासन, सर्वांगासन, शीर्षासन और वृक्षासन ।
पीलपाँव के लिए योगासन –
- मत्स्येंद्रासन, उत्कटासन, एकपाद शिरासन।
एसिडिटी के लिए योगासन –
- जानुशिरासन, पश्चिमोत्तानासन, शीर्षासन और सर्वांगासन ।
मधुमेह के लिए योगासन –
- मयूरासन, भुजंगासन, मत्स्येन्द्रासन, गोमुखासन, चक्रासन आदि।
एनेमिया– रक्त की कमी के लिए योगासन
- पश्चिमोत्तानासन, धनुरासन, शीर्षासन, शवासन और शीतली प्राणायाम।
योगासन करते समय कुछ विशेष बातों का ध्यान रखना चाहिए वैसे तो यह जानकारी हम अपने पुराने लेख में दे चुके है फिर भी यहाँ संक्षेप में जान लेते है |
योग कहां और कैसे करें?

- खुली एवं ताजी हवा में योगासन करना सबसे अच्छा माना जाता है। अगर ऐसा न हो, तो किसी भी खाली जगह पर आसन किए जा सकते हैं।
- जहां योगासन करें, वहां का माहौल शांत होना चाहिए। वहां शोर-शराबा न हो। उस स्थान पर मन को शांत करने वाला संगीत भी हल्की आवाज में चलाया जा सकता हैं।
- सीधे फर्श पर बैठकर योगासन न करें। योगा मैट, दरी या कालीन जमीन पर बिछाकर योगासन कर सकते हैं।
- योगासन करते समय सूती के या थोड़े ढीले कपड़े पहनना बेहतर रहता है। टी-शर्ट या ट्रेक पैंट पहनकर भी योगासन कर सकते हैं।
- आसन धीरे या फिर तेजी से-दोनों तरह से करना फायदेमंद होता है। जल्दी करें तो वह दिल के लिए अच्छा रहता है और धीरे करेंगे तो वह मांसपेशियों के लिए बेहतर रहता है तथा इससे शरीर को भी काफी मजबूती मिलती है।
- ध्यान आंखें बंद करके करें। ध्यान शरीर के उस हिस्से पर लगाएं, जहां आसन का असर हो रहा है, जहां दबाव पड़ रहा है। पूरे भाव से करेंगे, तो उसका अच्छा प्रभाव आपके शरीर पर पड़ेगा।
- योग में सांस लेने एवं छोड़ने की बहुत महत्त्वपूर्ण भूमिका होती है। इसका सीधा-सा मतलब यही होता है कि जब शरीर फैलाएं या पीछे की तरफ जाएं, सांस लें और जब भी शरीर सिकुड़े या फिर आगे की तरफ झुकें तो सांस छोड़ते हुए ही झुकें।
योग आसन कब करना चाहिए ?
- आसन सुबह के समय करना ही सबसे अच्छा होता है। सुबह आपके पास समय नहीं है, तो शाम या रात को खाना खाने से आधा घंटा पहले भी कर सकते हैं। यह ध्यान रखें कि आपका पेट न भरा हो। भोजन करने के 3-4 घंटे बाद और हल्का नाश्ता लेने के 1 घंटे बाद योगासन कर सकते हैं। चाय-छाछ आदि पीने के आधे घंटे बाद और पानी पीने के 10-15 मिनट बाद आसन करना बेहतर रहता है।
ये सावधानियां भी बरतें
- योग में विधि, समय, निरंतरता, एकाग्रता और सावधानी जरूरी है।
- कभी भी आसन झटके से न करें और उतना ही करें, जितना आसानी से कर पाएं। धीरे-धीरे अभ्यास बढ़ाएं।
- कमर दर्द हो तो आगे न झुकें, पीछे झुक सकते हैं।
- अगर हार्निया हो तो पीछे न झुकें।
- दिल की बीमारी हो या उच्च रक्तचाप हो तो तेजी के साथ योगासन नहीं करना चाहिए। शरीर कमजोर है, तो फिर योगासन आराम से करें।
- 3 साल से कम उम्र के बच्चे योगासन न करें। 3 से 7 साल तक के बच्चे हल्के योगासन ही करें। 7 साल से ज्यादा उम्र के बच्चे हर तरह के योगासन कर सकते हैं |
- गर्भावस्था के दौरान मुश्किल आसन और कपालभाति बिलकुल भी न करें। महिलाएं मासिक धर्म खत्म होने के बाद, प्रसवोपरांत 3 महीने बाद और सिजेरियन ऑपरेशन के 6 महीने बाद ही योगासन कर सकती हैं।
ये गलतियां बिलकुल न करें
- किसी भी आसन के फाइनल पॉश्चर (अंतिम बिंद्) तक पहुंचने की जल्दबाजी बिलकुल भी न करें। अगर आपका तरीका थोड़ा-सा भी गलत हो गया, तो फिर अंतिम बिंदु तक पहुंचने का कोई भी लाभ नहीं मिलने वाला है। मसलन, हलासन में पैरों को जमीन पर लगाने के लिए घुटने मोड़ लें, तो बेकार है। जहां तक आपके पैर जाएं, वहीं रुकें, लेकिन घुटने सीधे रखें।
- योगासन करते हैं, तो फिर आपको खाने पर नियंत्रण करना भी जरूरी होता है। अगर आप अत्यधिक कैलोरी और अत्यधिक वसा युक्त वाला खाद्य-पदार्थ या फिर तेज मिर्च-मसाले वाला खाना खाते रहेंगे तो फिर योग का कोई खास असर नहीं होने वाला है।
- जब भी किसी बीमारी से छुटकारा पाने के लिए योगासन करें, तो विशेषज्ञ से पूछकर ही करें। योग का असर तुरंत नहीं होता है। ऐसे में दवाएं भी तुरंत बंद न करें। जब बेहतर लगे, जांच भी कराते रहें, फिर उसके बाद ही डॉक्टर की सलाह से दवा बंद करें।
- योगासन का असर होने में थोड़ा वक्त लगता है। फौरन नतीजों की उम्मीद नहीं करें। कम-से-कम खुद को 6 माह का समय दें। फिर देखें-असर हुआ या नहीं।
- लोग बीमारी का इलाज भी योगासन से करते हैं और फिर योगासन छोड़ देते हैं। यह समझ लें-योगासन बीमारियों का इलाज करने के लिए नहीं है इसे लगातार करते रहें, ताकि भविष्य में आपको बीमारियां न हों।
बच्चों के लिए सिर्फ 10 मिनट में होने वाले योगासन के टिप्स
- 5 मिनट गर्दन, कंधों, कुहनियों, कमर, घुटनों, पैरों, पंजों आदि की सूक्ष्म क्रियाएं (हर दिशा में घूमना, स्ट्रेच करना) करें।
- 2-3 मिनट सूर्य नमस्कार करें।
- 3 मिनट अपनी जगह पर खड़े होकर ही जॉगिंग करें।
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