वात रोग की होम्योपैथिक मेडिसिन : वात दोष संतुलन की होम्योपैथी दवा

वात रोगों (Rheumatism) की श्रेणी में शरीर में हड्डियों से जुड़े रोग तथा गैस से सम्बन्धित बीमारियाँ जैसे-पेट में गैस विभिन्न प्रकार के दर्द जैसे-हड्डियों के जोड़ों में दर्द, गर्दन-दर्द, पीठ-दर्द, कमर-दर्द, साइटिका का दर्द, कन्धे का दर्द, कोहनियों का दर्द, हाथ-पैरों में कम्पन यानि पार्किसन नामक रोग, घुटने का दर्द, पैरों की पिण्डलियों का दर्द, सिर-दर्द एवं माइग्रेन आदि माने जाते हैं। जब भी हमारे शरीर में कोई रोग होता है तब इसकी सूचना सबसे पहले हमारे मस्तिष्क को विभिन्न अंगो द्वारा भेजी जाती है | दिमाग को रोगों के पैदा होने की सूचना मिलते ही शरीर की रोग प्रतिरोधक प्रणाली को सतर्क करते हुए रोगों को रोकने की व्यवस्था की जाती है। इसलिए रोगों के संकेत मिलते ही रोगों की उत्पत्ति का कारण खोजकर यदि उसका इलाज कर दिया जाए तो बीमारियों से बचाव सम्भव है। इसलिए किसी भी रोग के लक्षणों को समझना सबसे जरुर काम होता है जो स्वयं रोगी ही सबसे अच्छी तरह कर सकता है इसलिए इस अर्टिकल में हमने वात असंतुलित होने पर प्राय जो बीमारियाँ होती है उनके लक्षण बताये है और साथ ही वात रोग की होम्योपैथिक मेडिसिन भी बताई गई है जो बहुत कामयाबी से उपचार करती है होमियोपैथी दवाइयों से वात रोगों को 90 प्रतिशत तक ठीक किया जा सकता है |

वात रोग की होम्योपैथिक मेडिसिन

vaat rog ilaj ki homeopathic medicine वात रोग की होम्योपैथिक मेडिसिन : वात दोष संतुलन की होम्योपैथी दवा

  • पुराने वात रोग में दर्द, चलने-फिरने से बढ़ता है, जोड़ों में अकड़न व छूने से दर्द होने पर स्टेलेरिया मिडिया 3 एक्स तीन बार दें।
  • पुराने वात रोग में उठने-बैठने के समय जोड़ों में कड़क-कड़क की आवाज आये पेट्रोलियम-200 सप्ताह में एक या दो डोज दें।
  • पैर की एड़ी में मोच आ जाने के कारण दर्द स्ट्रानशियाना कार्बोनिका 6 एक्स एक ग्रेन की मात्रा में दिन में चार बार दें।
  • पैर की पिंडलियों और तलवे में ऐंठन व जलन रात के समय, आधी रात के बाद दस्त हो जाना सल्फर 30 सुबह दो घण्टे के अन्तर से दो खुराक दें। सुबह वात में बहुत ज्यादा दर्द होने पर कॉलचिकम 2 एक्स दिन में तीन बार दें।
  • उपदंश रोग (Syphilis) व साथ में हड्डियों के दर्द में खासकर रात में हो तब काली आयोड 30 दो बार दें।
  • छोटे से स्थान में वात का दर्द, दोनों भुजाओं के जोड़ पर तेज दर्द हो तो लिथियम कार्ब छोटी शक्ति दिन में दो बार दें।
  • वात का दर्द दाहिने कन्धे व बाँहों में, जिसके कारण हाथ उठा नहीं सकता। रात में दर्द में बढ़ोतरी होती है इसके इलाज के लिए सैंगुइनेरिया केन-30 तीन समय दें।
  • वात रोग में एलर्जी या गैस के लक्षणों के साथ अंगूठे जितनी जगह पर दर्द काली बाइक्रोम 30 दिन में तीन बार दें।
  • वात रोग स्थान बदलने वाला, जोड़ों की अकड़न, पुराना वात रोग, जो कि चलने से कम हो जाता है स्टेलेरिया मिडीया 1 एक्स दिन में तीन बार दें।
  • वात रोग से दिल के रोग होने की संभावना भी होती है। ये दोनों बीमारियाँ होने पर दिल का तेज धड़कना, नाड़ी धीमी चलने पर कैलमिया लैटिफोलिया-6 चार-चार घण्टे के अंतर से दें।
  • वात दर्द दाहिने हाथ के ऊपरी भाग में सेंगुरिया कैनाडेन्सिस 30 तीन बार दें।
  • जोड़ों का मुड़ना व चटखना जिंकम मेट 30 दो बार दें।
  • जोड़ों का वात विशेषकर उँगलियों का स्टेफिससेग्रीया 30 तीन बार दें।
  • जोड़ों का चटखना या टूटना, टाँगों की कमजोरी में हिस्पेनिया 30 तीन बार दें।
  • आघात लगने से किसी स्थान की हड्डी टूटने पर दर्द होता है। इन परेशानियों को दूर करने व टूटी हड्डी जोड़ने के लिए सिम्फाइटम-30 दिन में 3-4 बार दें।
  • वात रोग की होम्योपैथिक मेडिसिन – रस टाक्स 200- बारिश के सीजन में वातरोग, ठण्ड में घूमने से, ठण्ड एवं नमी के कारण वातरोग होने पर यह दवाई कारगर है |
  • वात रोग के कारण, लक्षण और क्या है वात विकार
  • वात रोग की होम्योपैथिक मेडिसिन – ब्रायोनिया एल्वा 30– कब्ज के साथ दर्द हिलने से बढ़ता है गर्म, प्यास अधिक।
  • कास्टिकम 200– वृद्धावस्था में यह लाभकारी औषधि है।
  • लड़कोपोडियम 30– अँगुलियों एवं जोड़ों में तेज़ दर्द होता है। शाम 4 बजे से 6 बजे तक दर्द बढ़ने लगता है।
  • वात रोग की होम्योपैथिक मेडिसिन – फाइटोलेक्टा– वातजनित दर्द, कमर में दर्द जो अक्सर सवेरे बढ़ता है।
  • लिइम पाल 200– जब दर्द ऊपर की तरफ बढे, बर्फ तथा ठण्डे पानी लगाने से घटता हो।
  • सिमिसिफ्यूगा 200– बड़ी उम्र की औरतों के लिए यह वात रोग की होम्योपैथिक मेडिसिन काफी कामयाब है |
  • पल्सेटिला 30– वात रोग में स्त्रियों को होने वाले तेज दर्द जो सिकाई कराने से हो ऐसे हालात में यह दवा देनी चाहिए ।
  • मर्क सोल 30– दर्द रात में बढ़ता है, फ्लू के बाद वातरोग।
  • वात रोग की होम्योपैथिक मेडिसिन – इल्कामारा 30– मौसम के परिवर्तन से प्रभावित, भीगने पर ठण्ड लगने से दर्द होता हो |
  • वात रोग की होम्योपैथिक मेडिसिन – मेड़ोरिनम 200, 1000– परिवार में गठिया या वातरोग होने पर इसका प्रयोग किया जाता है।
  • बहुत तेज वात से मरीज ग्रसित हो तो कार्बो वेजीटेबिलिस-30 दिन में तीन बार लें।
  • वात, जो हदय पर दबाव का कारण बनती है, हमेशा पेट में गैस बने रहना एबीज केनाडेंसिस-30 दिन में दो बार।
  • वात, पेट अत्यंत फूला हुआ, खासकर खाना खाने के बाद, जो सीने तथा पेट पर दबाव डालता है–नक्स मास्केटा-200 एक खुराक प्रतिदिन ।
  • वात, गैस के कारण पेट अत्यधिक फूला हुआ, ऐसा लगना कि पेट फट जाएगा–कोलचिकम आटमनेल-12 हर छह घंटे के अंतराल पर दें |
  • वात, वायु का अत्यधिक जमा हो जाना, सभी का दबाव ऊपर की ओर, ऐसा लगना कि ऊपर की ओर दबाव के कारण पेट फट जाएगा एसफोटिडा-6 दिन में चार बार।
  • वात रोगियों को भोजन के तुरंत बाद काली बाइक्रोम-30 दिन में तीन बार लेनी चाहिए |
  • पेट में और ऊपर की ओर अधिक दबाव महसूस होने पर – लाइकोपोडियम-200 सप्ताह में एक खुराक।
  • यदि पेट का ऊपरी भाग गैस से भरा हो तो लाइकोपोडियम-200 की एक खुराक महीने में एक बार और यदि पूरा पेट गैस से भरा हो तो कार्बो वेजीटेबिलिस 30 दिन में दो बार।
  • यदि वात पेट के बीच में स्थित हो तो सीना-30 दिन में दो बार लें।
  • वात, पेट में, पाचन में परेशानी–आर्जेटम नाइट्रिकम-30 दिन में तीन बार।
  • वात, पेट का सख्त महसूस होना, डकार नहीं, वायु निकलना रेफेनस एस क्यू दो तीन बूंदे, दिन में दो बार लें |

क्रप्या नोट करें – यहाँ वात रोग की होम्योपैथिक मेडिसिन बताई गई है उनको इस्तमाल  करने से पहले किसी प्रशिक्षित होम्योपैथिक डॉक्टर से सलाह अवश्य लें, हालाँकि होम्योपैथिक दवाइयों के कोई साइड इफ़ेक्ट या रीएक्शन लगभग ना के बराबर होते है ये पूरी तरह सुरक्षित होती है | इन होम्योपैथिक दवाओ  के इस्तमाल को तभी तक दोहराएँ जब तक की रोग के लक्षण बने रहें एक बार बीमारी ठीक होने पर लगातार इनका प्रयोग ना करें |

वात दोष को संतुलित करने वाली चाय

वात दोष से पीड़ित व्यक्तियों को यहाँ दी गई भोजन सम्बंधी जानकारियों के पालन के साथ ही साथ रोजाना वात शमन करने वाला काढ़ा या आयुर्वेदिक चाय का सेवन जरुर करना चाहिए The Indian Chai नाम की  कंपनी ने जो कोलकाता में स्थित है वह आयुर्वेदिक वात दोष मुक्ति चाय बनाती है जिससे कई लोगो को लाभ हुआ है | आप चाहे तो इसे ऑनलाइन मंगवा सकते है हमने नीचे इसका लिंक दे दिया है इसकी 100 g पैकेट कीमत लगभग 400 सौ रूपये है |

इस चाय का इस्तमाल ऐसे करें

  • इसे बनाने की विधि ये है की आप इसे धीमी आंच पर लगभग एक छोटी चम्मच डेढ़ कप पानी में पांच मिनट तक उबाले उसके बाद बिना चीनी और दूध मिलाये इसे पियें |
  • इस चाय में दूध डालकर ना पियें आप चाहे तो स्वादानुसार चीनी डाल सकते है |
  • चाय के पैकेट पर मैनफैक्चरिंग  डेट जरुर चैक कर ले यह एक साल तक ही वैलिड होती है |
  • वात दोष मुक्ति चाय को इन जड़ी बूटियों से बनाया गया है – मुलैठी की जड़, स्टीविया पत्तियां (मीठी पत्ती), अदरक, इलायची, दालचीनी, सौंफ़, अजवाईन, मेथी, और ग्रीन टी।
  • चूंकि यह हर्बल चाय है इसलिए अच्छे स्वाद की उम्मीद ना रखें इसे काढ़े यानि दवा की तरह समझ कर इसका सेवन करें |
  • शुरुवात एक कप से करें लाभ महसूस होने पर दिन में दो कप पी सकते है |

वात दोष निवारक चाय के लाभ

  • जिन लोगो को वात असंतुलन की वजह से अत्यधिक चिंता, बेचैनी, नींद में कमी तथा अन्य स्नायु रोग या हड्डियों से सम्बंधित रोग हो उनको इस चाय के सेवन से काफी राहत मिलती है | इससे होने वाले अन्य लाभ ये है – गैस, सूजन और हड्डियों में दर्द और ऐंठन को कम करता है, कब्ज का इलाज करता है, पोषक तत्वों के अवशोषण को बढ़ाता है, विषाक्त पदार्थों को शरीर से निकालता है, तंत्रिका तंत्र को मजबूत करता है, तनाव को कम करता है, ताकत और कायाकल्प बढ़ाता है।

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