मसालों और हर्ब्स खरीदते समय ध्यान रखे ये बातें

विभिन्न उपलब्ध विकल्पों में से चुनाव करना आदमी का सहज स्वभाव है। उसका यह व्यवहार जीवन में अपनायी जाने वाली वस्तुओं को चुनने व छाँटकर अपनाने में दिखता है। हम अपने लिए कपड़े, जूतों के  रंग, डिज़ाइन और क्वालिटी के बारे में संतुष्ट हो जाने के बाद ही उन्हें खरीदते है। इसी तरह से खाने पीने की चीजो के मामले में भी आपको अपने चयन अधिकार का लाभ उठाना चाहिए। जिससे हमारा शरीर सदैव स्वस्थ, सबल, समर्थ और रोग प्रतिकारक क्षमता से भरपूर रहे। लेकिन ऐसा तभी संभव है जब हमारे पास भोज्य पदार्थों की शुद्धता (असलियत) पहचानने की योग्यता हो। कोई भी आयुर्वेदिक या घरेलू नुस्खे बनाने के लिए हमेशा ताज़ा, साफ़ और स्वच्छ खाद्य पदार्थो या हर्ब्स का प्रयोग करना चाहिए | इस पोस्ट में दी गई जानकारी से आपको असली और उत्तम मसालों, ड्राई फ्रूट्स और हर्ब्स को चुनने में मदद मिलेगी ।

सबसे पहले जानते हैं मसालों का चुनाव करते समय याद रखने योग्य बातें :

सबसे पहले जानते हैं मसालों का चुनाव करते समय याद रखने योग्य बातें |
Tips to buy Herbs Spices dry fruits
  • मसाले खरीदने की वही जगह उपयुक्त हो सकती है जहाँ ज्यादा मात्रा में लोग खरीद-फरोख्त करते हैं। यह दो कारणों से जरूरी है, पहला : अधिक लोगों के उस दुकान से खरीदने का मतलब है वहाँ से मिलने वाले सामानों की शुद्धता के प्रति लोगों की विश्वसनीयता | अगर सामान असली न मिलता तो खरीददारों की भीड़ न लगती।
  • दूसरा कारण : किसी दुकान से ज्यादा मात्रा में खरीद होने का मतलब है उस पर सामानों के बराबर आने-जाने की निरन्तरता | ऐसी दुकानों पर कोई भी सामान लम्बे समय तक पड़ी रह कर अपनी क्षमता नहीं खोती है और आपको ताजा सामान मिलेगा ।
  • मसाले लेते समय ध्यान रखें, कम मात्रा में ही मसालों को खरीदें। अधिक मात्रा में मसाला खरीदने का मतलब है कि आप उसे ज्यादा दिनों तक डिब्बों में बन्द रखेंगे । डिब्बों में हवा के आने जाने के साथ ही उनकी सुगन्ध, स्वाद और पौष्टिकता घटती जायेगी ।
  • कभी भी मसालों के पाउडर को न खरीदें और न ही घर पर साबुत मसालों को पीस कर रखें। बाज़ार से खरीदे गये पीसे हुए मसालों में मिलावट की संभावना अधिक होती है जबकि घर पर साबुत मसालों को पीस कर बहुत दिनों तक रखने से उसमें उपस्थित पोषक तत्व ‘आक्सिडाइज़’ हो जाते हैं।
  • इस्तमाल से पहले ही मसालों को तोड़ें, कूटें, पीसें और पाउडर बनायें। खुले वातावरण में मसालों को खंडित अवस्था में रखने से उनका ज़ायका और महक दोनों खराब हो जाते हैं।
  • जहाँ तक सम्भव हो सके हर समय और हर स्थान पर प्राकृतिक (ऑर्गेनिक) मसालों का ही प्रयोग करें। क्योंकि इसमें रासायनिक कीटनाशक अथवा उर्वरक का प्रयोग नहीं किया जाता है। प्राकृतिक ढंग से उपजाये गये मसाले न केवल पौष्टिकता के भण्डार हैं बल्कि आपके स्वास्थ्य के रक्षक भी हैं।
  • शुद्ध मसालों का सेवन करना है तो पिसे हुए मसालों को खरीदना बंद कर दें, क्योंकि सबसे ज्यादा मिलावट पिसे हुए मसालों में होती है। बाज़ार में उपलब्ध हल्दी ,लाल मिर्च और गर्म मसाले पाउडर में सबसे ज्यादा मिलावट की जाती है | और इन मिलावटी मसालों या ऐसी ही अन्य खाने पीने चीजो से होने वाली बीमारियों की लिस्ट बहुत लंबी है |

Dry Fruits मेवो की खरीदारी करते समय ध्यान रखने योग्य जानकारी :

  • बादाम : मेवों के इस राजा की कई प्रजातियाँ आपको पंसारी की दुकान पर मिलेगी। जैसे; मामरा, सितार बाई, गुरबन्दी और कैलीफोर्निया आदि। इनमें से मामरा किस्म का बादाम सबसे अच्छा होता है। मामरा बादाम में भरपूर मात्रा में पुष्टिकारक तत्व और सबसे बेहतरीन ऑइल होते हैं। यह बादाम आसानी से उपलब्ध भी हो जाता है। अच्छे बादाम चुनने का तरीका यह है कि आप एक पीस को तोड़कर देखें। उसके अन्दर की गिरी पूरी तरह सफेद हो, उसमें किसी भी तरह के पीलेपन की झलक न हो चबाने पर गूदा कड़क और करारा हो। गिरी का मुलायम होना या फिर गूदे का पीलापन इस बात का इशारा है कि बादाम पुराने हैं और बासी होने के कारण उसमें मौजूद तेल खराब हो चुका है। ऐसे बादाम का प्रयोग कभी भी न करें। घर में रखे बादाम जब ऐसे ही जायें तो उन्हें फेंक स्वास्थ्य खराब करने वाला होता है ।
  • शहद : बेहतर होगा कि अपने जाने हुए या नजदीक के किसी छत्ते से ही शहद की प्राप्ति करें। निश्चय ही आपके घर के आस-पास मधुमक्खियों ने छत्ता लगाया होगा या किसी व्यक्ति को जानते हों जो आपके लिए छत्ते से उतारकर शुद्ध शहद ला सकता हो। इस तरह के शहद में सभी पौष्टिक तत्व मौजूद रहते हैं। ऐसे शहद को प्राकृतिक या ऑर्गेनिक कहा जा सकता है जो वर्षों तक बिना खराब हुए सुरक्षित रहेगा। दुकानों पर मिलने वाला शहद में स्वास्थ्यवर्धक पदार्थ कम रहते है। चाहे वह अच्छी कम्पनियों का ही क्यों न हो ? उसमें अधिक पौष्टिकता इसलिए नहीं होती क्योंकि ग्राहकों तक परिरक्षित पहुँचाने से पहले उसे उबालकर बोतलों में डाला जाता है। शहद को जांचने के लिए एक गिलास पानी में चम्‍मच भर शहद डालें। अगर शहद पानी में नीचे बैठ जाए तो यह शुद्ध है और नीचे बैठने से पहले ही पानी में घुल जाए तो यह मिलावटी है। यह भी याद रखें की शुद्ध शहद सर्दी में जम जाता है तथा गरमी में पिघल जाता है।
  • सेहतमंद भोज्य पदार्थों में से एक, शहद को गर्म करने पर उसके सारे ‘इन्जाइम्स’ मर जाते हैं। विटामिन और मिनरल के रासायनिक तत्व भी बदल जाते हैं। यह सारी स्थितियाँ शरीर को लाभ की जगह हानि पहुँचाती हैं। ऐसे शहद में दवाइयों जैसी महक आती है जो सेवन करने वाले को अच्छी नहीं लगती है। ताजे शहद का ही प्रयोग करें। ज्यादातर पहाड़ी स्थानों पर शहद मिलता है, अच्छा होगा कि आप जब भी कभी वहां घुमने जाये उस समय वहाँ से शहद की बोतलें खरीद लें। मैदानी क्षेत्रों में भी बहुतायत में मधुमक्खी पालन किया जाता है। इससे आम जनता को ‘पाश्चराईज़’ (गर्म किया गया) शहद की जगह शुद्ध, स्वादिष्ट और ऑर्गेनिक शहद की प्राप्ति सुविधाजनक हो गया है। ऐसा शहद खरीदने के लिए अपने आस-पास के जाने पहचाने लोगों से जरूर पूछे। यह भी पढ़ें – शहद के फायदे और इसके 35 घरेलू नुस्खे |
  • अंजीर : ताजे और सूखे दोनों प्रकार के मिलने वाले इस फल को लेने से पहले पंसारी की दुकान पर अंजीर की माला की सूक्ष्म परीक्षा कर लें। विश्वस्त हो जायें कि अंजीर पर धूल-मिट्टी न हो, कहीं से कटी-फटी न हो या उसमें कीड़ों द्वारा बनाये गये छेद न हों। यह देखा गया है कि ड्राई फ्रूट्स उन किरानों की दुकानों पर मिलते हैं जहाँ आटा, चावल और दाल आदि की भी बिक्री होती है। सूक्ष्म कीटों अथवा घुनों का अनाजों से उतरकर ड्राई फ्रूट्स पर आना आम बात है। इसलिए अंजीर की खरीददारी में सावधानी बरतना बुद्धिमानी है। चुनते समय बड़ी, मोटी, रसीली और ताजी अंजीर को उठाएँ, जिसकी पूरी माला में कीड़ों का नामोनिशान न हो ।
  • खुबानी : बाज़ार में कई प्रकार की खुबानी उपलब्ध है और पेय बनाने के लिए भी अलग किस्म की खुबानी का प्रयोग किया गया है। तुर्की खुबानी साधारणत: फल वाली दुकानों पर भी मिल जायेंगी। यह प्लास्टिक चढ़े पैकेटों में मिलती है जिससे इसका सुनहरा पीला रंग छनकर बाहर नज़र आता है। अफगानिस्तान की पहाड़ियों पर उगायी जाने वाली भूरे रंग की खुबानी केवल किराने की दुकानों पर मिलती हैं। आपके पास यह विकल्प है कि तुर्की खुबानी की अनुपलब्धता के समय आप भूरे रंग की खुबानी का भी प्रयोग कर सकते हैं। किसी भी प्रकार के फंगस या कीड़े को देखने के लिए अपनी आँखें खुली रखें और इनके एक भी संकेत मिलने पर पूरे पैकेट को त्याग दें।
  • खजूर : सैकड़ों किस्म के खजूर बाज़ार में उपलब्ध हैं। रंग में यह हल्के भूरे, गाढ़े भूरे, काले या बाघ की तरह रेखांकित होते हैं। चुनाव करते समय रंग में गाढ़े और मुलायम खजूर का चयन करें। जहाँ तक हो सके खजूर को चखकर यह सुनिश्चित कर लें कि दानेदार चीनी या रेतीले चीनी का स्वाद न हो। ऐसा होने पर खजूर के महीनों पुराने या बासी होने की संभावना होती है। अच्छे विक्रेता के यहाँ मिलने वाले खजूर पर पैकेटिंग की तारीख लिखी होगी। उन तारीखों को देखकर ताजे खजूर का चयन करें और घर लाकर फ्रीज में रख दें। यदि खजूर पर किसी भी तरह का सफेद पाउडर लगा हो तो उसे भी न खरीदें। खजूर को लेने से पहले उसे सूंघ लें और यदि उनमें फफूंद वाली महक आये तो समझ लें की खजूर में मौजूद चीनी का खमीरा बन चुका है। ऐसे खजूर को भी न खरीदे इस्तेमाल करने के लिए खजूर को कभी भीगे हाथों से न छूएँ क्योंकि गीलेपन से यह जल्दी ही खराब हो जाता है।

अनाज और हर्ब्स का चुनाव :

  • जौ : जाँच परख के बाद ही इस अनाज को पंसारी की दुकान से खरीदें। घुन लगे हुए या किसी भी प्रकार के कीटों द्वारा खाये हुए जौ को लेने से बचें ।
  • अपनी दोनों हथेलियों में जौ को लेकर उसको बेहतर ढंग से जाँचे, साफ-सुथरे जौ को खरीदकर ‘एयर टाइट बिन’ में स्टोर करें। बाज़ार से उसी जौ को मोल लें जिसका बाहरी छिलका उतरा हुआ हो। जौ का बाहरी छिलका बहुत खुरदुरा होता है जिसका पाचन शरीर में नहीं हो पाता है। इसलिए छिलके वाले जौ को नहीं खाना चाहिए । जौ का शर्बत बनांते समय उसी जौ का प्रयोग किया जाता है जिसके पीसने से आटा बनता है।
  • केसर – असली केसर के रेशे को पानी में दस पंद्रह मिनट रखकर निकालें। यदि रेशे का रंग वैसा ही रहे तो ये असली है और यदि रेशे का रंग फीका हो जाये तो नकली होती है। पानी में असली केसर डालने पर गहरा पीला रंग देता है। नकली केसर पानी में लाल रंग देता है। यह भी याद रखें असली केसर का स्वाद कड़वा होता है।
  • हल्दी – पिसी हल्दी खरीदते समय उसे छूकर देंखे। यदि उसमें चिकनाहट ज्यादा हो तो मिलावट का संकेत है। मिलावटी हल्दी में खुशबू भी कम ही होती है तथा वह ज्यादा चमकदार होती है। इसी तरह मिलावटी पिसा धनिया में खुशबू कम होती है। इसी प्रकार ब्रांडेड मसाले खरीदते समय उसकी एक्सपायरी डेट जरूर देख लें। गाजर के फायदे और 20 बेहतरीन औषधीय गुण
  • यदि आपके पास ताजी हर्ब्स लगाने की सुविधा न हो तो ऐसे में बाहर से हर्ब्स की ताज़ा पत्तियाँ लायें और उन्हें सुखाएँ और जार में सुरक्षित रख लें और अपनी जरूरत के अनुसार उसका प्रयोग करें। ध्यान रहे, सूखी हर्ब की पत्तियों का पाउडर बनाकर कतई न रखें। क्योंकि पीसने से हर्ब के सूक्ष्म तत्व और तरल पदार्थ ऑक्सीजन की उपस्थिति में नष्ट हो जाते हैं। हर्ब की पत्तियों को सुखाने के बाद साबुत ही जार में रखें और इस्तेमाल करने से कुछ क्षण पहले ही उन्हें कूटें या पाउडर बनायें।

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