तिल के फायदे तथा बेहतरीन औषधीय गुण

ज्यादातर सभी घरों में तिल का इस्तेमाल किसी ना किसी रूप में किया जाता है, आमतौर पर मीठी चीजों में सर्दियों के दौरान गुड़ के साथ इसका स्वाद बहुत पसंद आता है | तिल के लडडू, गजक आदि के रूप में खाया जाता हैं। तिल (Sesame) लेटिन नाम- Sesamum indicum तिल तीन प्रकार के पाये जाते हैं (1) काले तिल, (2) सफेद तिल (3) लाल तिल। गुणवत्ता के हिसाब से काले तिल सबसे अच्छे होते हैं। इसके बाद दूसरे नम्बर पर सफेद तिल आते हैं। लाल तिल सामान्य होते हैं और इनका चलन बहुत कम है। तिल के कई औषधीय गुण होते है जिसकी वजह से ही यह लंग कैंसर, पेट के कैंसर, ल्यूकेमिया, प्रोस्टेट कैंसर, ब्रेस्ट कैंसर होने की आशंका को कम करता है | इसके अलावा भी तिल के कई और फायदे हैं तो आइये जानते है तिल के फायदे तथा घरेलू नुस्खे |

शरीर पर तिल के फायदे तथा घरेलू नुस्खे

तिल के तेल के फायदे तथा बेहतरीन औषधीय गुण sharir me til ke fayde til ka tel
तिल
  • तिल का तेल- जैतून के तेल के स्थान पर तिल का तेल का में ले सकते हैं।
  • मुँहासे–चेहरे पर मलने लायक मात्रा में तिल का तेल+दूध+पिसी हल्दी मिलाकर, हल्का-सा गर्म करके चेहरे पर मलने से कील, मुँहासे मिट जाते हैं।
  • कब्ज़ – 62 ग्राम तिल कूटकर मीठा मिलाकर खाने से कब्ज़ दूर होती है। तिल, चावल और मूंग की दाल की खिचड़ी भी कब्ज़ दूर करती है।
  • कैल्शियम- शरीर को जितने कैल्शियम की प्रतिदिन आवश्यकता है, उतना 50 ग्राम तिलों में मिल जाता है।
  • शरीर पर तिल के फायदे :- शक्ति बढ़ाने वाला प्रयोग —सुबह खाली पेट एक मुट्ठी तिल चबा-चबाकर खाने से शरीर में शक्ति बढ़ती है, दाँत मजबूत होते हैं, दर्द नहीं करते हैं। तिल में कैल्शियम होता है, इसलिए छोटे बच्चों के लिए अधिक लाभकारी है। तिल खा लेने के बाद ठण्डा पानी पियें तथा इसके दो घण्टे तक अन्य कोई चीज नहीं खायें। इसलिए सुबह उठते ही शौच से निवृत्त होकर तिल चबायें। शरीर मजबूत और सुन्दर बन जाता है।
  • तिल खाते रहने से बाल काले रहते हैं। बाल गिरना बंद हो जाता है। खाने की मात्रा घटा-बढ़ा सकते हैं। यदि लगातार लम्बे समय साल भर तिल खाते रहें तो शरीर स्वस्थ बना रहता है।
  • तिलों में प्रोटीन मिलता है। मस्तिष्क की बनावट लैसीथीन द्रव्य से होती है। यह तिलों में अधिक मिलता है। इससे मस्तिष्क के स्नायु एवं माँसपेशियाँ शक्तिशाली होती हैं। तिलों में विटामिन बी कॉम्पलैक्स भी बहुत मिलता है। तिल और गुड़ समान मात्रा में मिलाकर लड्डु बनायें। एक लड्ड रोजाना सुबह-शाम खाकर दूध पियें। इससे शक्ति मिलती है। मानसिक कमजोरी एवं तनाव दूर होते हैं। कठिन शारीरिक श्रम करने पर साँस नहीं फूलता।
  • खुजली–सर्दी के मौसम की ठंडी हवाओं से त्वचा सूखी, रूखी होकर फट जाती है, तेज खुजली चलती है। तिल के तेल की मालिश करके गर्म पानी में नहाने से त्वचा की ये समस्याएँ दूर हो जाती हैं। सर्दी के मौसम में तिल के तेल की मालिश करें।
  • कमर व जोड़ों का दर्द (1) पचास ग्राम तिल के तेल में एक चम्मच पिसी सोंठ और मटर के दाने के बराबर हींग डालकर, उबालकर कमर और जोड़ों पर मालिश करने से सभी तरह के दर्दो में आराम होता है।
  • (2) पचास ग्राम तिल के तेल में पाँच चम्मच अदरक का रस मिलाकर इतना उबालें कि केवल तेल रह जाये, रस जल जाये। इस तेल की मालिश करने से जोड़ों का दर्द, गठिया में लाभ होता है। तिल का तेल दर्दनाशक का काम करता है। कहीं भी दर्द हो तिल का तेल लगायें, मालिश करें। लाभ होगा।
  • अधिक पेशाब आना —यदि पेशाब बार-बार जाना पड़ता है तो 125 ग्राम तिल, खसखस और अजवायन 60-60 ग्राम, तीनों को धीमी आँच पर कढ़ाई में सेंक लें। सेंकने में आधी कच्ची रखें। पूरी तरह से नहीं सेंकें। फिर इनको पीसकर पाउडर बना लें। रोजाना यह पाउडर दो चम्मच+एक चम्मच पिसी हुई मिश्री मिलाकर दो बार खायें। केवल अजवायन और तिल के सेवन से भी लाभ होता है।
  • सर्दियों में अँगुलियों में सूजन आ जाती है। तिल या सरसों के तेल में सेंधा नमक मिलाकर गर्म करें तथा रात को इस तेल को अँगुलियों पर लगाकर हाथो में दस्ताने पहन कर सोएँ, सूजन मिट जायेगी।
  • जुकाम, दर्द– सर्दी के मौसम में जुकाम हो जाए और ठण्ड के कारण बदन में दर्द हो तो 50 ग्राम तिल या सरसों के तेल में 5 ग्राम कपूर मिलाकर छाती और गले पर मलने से बहुत आराम मिलता है। कपूर दवा के काम वाला हो न कि पूजा में जलाने वाला इस बात का ध्यान अवश्य रखें ।
  • सिरदर्द (1) ठण्ड से सिरदर्द हो, ठण्डे पानी से नहाए , ठण्डी हवा में घूमने के कारण सिरदर्द हो तो नाक, कान, नाभि और तलवों पर तिल या सरसों का तेल लगायें, लाभ होगा। (2) तिल या सरसों का तेल नाक में लगाकर या कुछ बूंदें डालकर सूंघने से भी सिरदर्द ठीक हो जाता है।
  • रोजाना दो बूंद नाक के नथुनों में डालते रहने से आँखों की रौशनी बढ़ती है, सर्दी जुकाम नहीं लगती।
  • आधे सिर का दर्द सिर के जिस आधे भाग में दर्द हो उस नथुने में 8 बूंद तिल या सरसों का तेल डालकर सूंघने से आधे सिर का दर्द जल्दी ही ठीक हो जाता है। यह प्रयोग चार-पाँच दिन करें।
  • अलाइयाँ, घमौरियाँ गर्मी में शरीर पर होती हैं। चार चम्मच तिल या सरसों के तेल में एक चम्मच पानी मिलाकर फेंट कर शरीर पर तीन दिन रोजाना मालिश करने से ठीक हो जाती हैं।
  • तिल के तेल की मालिश करने से त्वचा का सूखापन मिट जाता है।
  • कमर दर्द, जोड़ों का दर्द, थकावट–काले तिल चार चम्मच, दो छुहारे पीसकर एक गिलास पानी में उबालें। अच्छी तरह उबलने पर छानकर इसमें एक चम्मच घी डाल लें और गर्म-गर्म ही पी जायें। लाभ होगा। यह प्रयोग सर्दी के मौसम में ज्यादा फायदेमंद होता है। इसकी प्रकृति गर्म होती है।
  • जनवरी में तिल की चीजें खायें। तिल के सेवन से भूख बढ़ती है। इससे बुद्धि, स्मरण-शक्ति तथा ग्रहण-शक्ति भी बढ़ती है।
  • खाँसी–यदि सर्दी लगकर सूखी खाँसी हो तो चार चम्मच तिल और इतनी ही मिश्री मिलाकर एक गिलास पानी में इतना उबालें कि आधा पानी रह जाए। फिर इसे रोजाना तीन बार पियें। केवल तिल उबालकर पीने से भी लाभ होता है।
  • त्वचा जल जाने पर – 2 चम्मच तिल और एक चम्मच चावल को पानी में चटनी की तरह पीसकर जले हुए पर मोटा लेप करें लाभ होगा। (2) जौ जलाकर तिल के तेल में अच्छी तरह घोटकर जले हुए अंग पर लगाने से भी लाभ होता है।
  • जलन–शरीर में कहीं भी जलन हो रही हो, तिल और दूध चटनी की तरह पीसकर लगाने से जलन शान्त हो जाती है।
  • घाव-सफेद तिल पर थोड़ा-सा पानी डालकर चटनी बनायें। इसमें थोड़ा-सा शहद मिलाकर घावों पर लगाकर पट्टी बाँधने से घाव ठीक हो जाते हैं।
  • रोग-निरोधक शक्ति यानि इम्यून पावर बढ़ाने के लिए सर्दी में एक-दो माह दो चम्मच तिल रोजाना चबाएँ या लड्डु खायें। तिल के तेल की मालिश करें। इससे आप स्वस्थ बने रहेंगे।
  • स्त्रियों को यदि मासिक धर्म देर से आता हो, या नहीं आ रहा हो, यदि आता है तो उसमें दर्द होता हो तो 5 चम्मच तिल, आधा गिलास पानी में उबालें। आधा पानी रहने पर स्वादानुसार गुड़ डाल दें और गुड़ पिघलने पर उतारकर ठण्डा होने दें। पीने जैसा हल्का गर्म रहने पर पानी छानकर रोजाना दो बार पियें। कुछ ही दिनों के प्रयोग से मासिक धर्म आ जायेगा और दर्द नहीं होगा। अधिकतम 14 दिन तक पिला सकते हैं। मासिक धर्म शुरू होने पर यह तिल का काढ़ा बन्द कर दें।
  • खाँसी सूखी—ऊपर बताए अनुसार तिल उबालकर गुड़ के स्थान पर पिसी हुई मिश्री मिलाकर पिलाने से खाँसी ठीक हो जाती है। बलगम, कफ भी निकल जाता है।
  • सर्दी से बचाव-सर्दी के मौसम में बाजरे के आटे में थोड़े से तिल मिलाकर रोटी बनाकर खाने से शरीर में आन्तरिक गर्मी पैदा होती है जिससे सर्दी में कँपकँपी नहीं लगती।

स्त्रियों के लिए तिल के लाभ

  • कष्टरज-तिल का काढ़ा, गुड़ मिलाकर पीने से मासिक धर्म के समय होने वाला दर्द दूर हो जाता है।
  • अल्परज, रजोलोप–आठ चम्मच तिल, एक गिलास पानी, इसमें स्वाद के अनुसार गुड़ या दस कालीमिर्च पिसी हुई मिलाकर उबालें। आधा पानी रहने पर रोजाना दो बार पियें। मासिक धर्म आने के 15 दिन पहले से मासिक स्राव काल तक पीती रहें। इससे मासिक धर्म खुलकर, पर्याप्त मात्रा में साफ आयेगा।
    मासिक धर्म बन्द–एक गिलास पानी में दो चम्मच तिल का काढ़ा बनाकर, छानकर थोड़ी सी सोंठ, काली मिर्च और पीपल का पाउडर मिलाकर पीने से बन्द मासिक धर्म खुलकर आता है। रोजाना तिल का काढ़ा बनाकर सुबह-शाम पीने से मासिक धर्म नियमित हो जाता है।

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