प्रायः गांवों या जंगल में सांप काटने की दुर्घटनाएं अधिक हुआ करती हैं। यह लोगों की आम धारणा है कि सांप ने काट लिया तो जहर का प्रभाव होना भी निश्चित है, लेकिन याद रखिए कि सभी सांप जहरीले नहीं होते। हालाँकि कुछ सांप बहुत जहरीले भी होते हैं। इस बात का पता लगाना प्रायः कठिन हो जाता है कि जिस सांप ने काटा है वह जहरीला है या नहीं फिर भी सांप काटने पर दर्द तथा घाव तो हो ही जाता है। सांप के काटने पर उसे जहरीला समझकर ही उपचार करना चाहिए। ताकि जहर फैलने की आशंका दूर हो जाए। सांप के द्वारा काटा जाना एक गम्भीर दुर्घटना होती है। सांप अपने ऊपर के दांतों को शरीर में गड़ाकर इन्जेक्शन की तरह खून में जहर भर देता है।
सांप के काटने का निशान
दरअसल लोग सांप की जीभ से डरते हैं, लेकिन जीभ से कोई हानि नहीं पहुंचती। जब जहरीला सांप काटता है तो 2 इस प्रकार के निशान होते हैं। अगर निशान 2 से अधिक हों तो समझना चाहिए कि जहरीले सांप ने नहीं काटा है। दूसरी ओर इसका यह भी मतलब है कि सांप ने अपने जहलीले दांत नहीं गड़ाए हैं। ज्यादातर सांप हाथों या पैरों की उंगलियों में, अंगूठों में, टखने पर या हाथ में काटता है। सोया हुआ व्यक्ति सांप काटने पर जाग जाता है, उसे कोई चीज चुभने जैसी तकलीफ होती है। शुरू में दर्द ज्यादा नहीं होता। आगे पैदा होने वाले लक्षण सांप की प्रजाति पर निर्भर होते हैं।
भारत में दो जहरीली जाति के सांप मिलते हैं : 1. कोबरा 2. वाइपर
कोबरा सांप काटने का प्रभाव खून में इतना नहीं होता, जितना स्नायुमण्डल प्रभावित होता है। इसका यह मतलब निकलता है कि व्यक्ति के साँस लेने की प्रक्रिया पर खराब असर होकर वह मर जाता है। वाइपर के जहर का असर स्नायुओं पर कम, लेकिन खून पर ज्यादा होता है। खून में जमने की ताकत नहीं रहती इसलिए वह लगातार बहता है। इससे लोग समझते हैं कि खून का पानी बन गया है। इन दोनों ही नस्ल के सांपों के जहर में मार देने की शक्ति होती है। इलाज शुरू करने से पहले यह जानने की जरूरत होती है कि कौन से सांप ने काटा है। अगर सम्भव हो सके तो सांप को तलाश करना चाहिए। अक्सर ऐसा होता है कि काटने वाला सांप जहरीला नहीं होता, किन्तु रोगी सिर्फ सदमे से ही मर जाता है।
सांप के काटने के लक्षण

- आमतौर पर सांप काटने के तीन से चार घंटो के बाद ही पूरे शरीर में फैलता है |
- सांप काटने पर उस स्थान पर दर्द तथा उसके चारों ओर सूजन आ जाती है।
- सांप काटने पर दांतों के द्वारा बने हुए दो निशान दिखाई देते हैं।
- वहां त्वचा का रंग बैंगनी-सा हो जाता है।
- घायल को नींद या बेहोशी-सी आने लगती है।
- सांस और नाड़ी की गति धीमी पड़ने लगती है।
- सांप कैसा भी हो, उसके काटने पर चुभने का-सा दर्द होता है।
- रोगी की आंखें चढ़ जाती हैं, जबान लड़खड़ाने लगती है।
- यदि कोबरा सांप ने काटा हो तो रोगी को बेहोशी-सी होने लगता है क्योंकि उसका प्रभाव दिमाग और स्नायुमण्डल पर ज्यादा होता है। अंगों में खड़े होने की ताकत नहीं रहती। किसी-किसी रोगी को उल्टी भी होने लगती है।
- सांप काटने के लक्षणों में शामिल है, रोगी को सांस लेने में तकलीफ होने लगती है, फिर उसका बोलना भी बन्द होने लगता है और वह कोई चीज निगल नहीं सकता। जबान बाहर निकल आती है। प्रायः मुंह से झाग आने लगते हैं। इसके साथ ही पूरा बदन सख्त होकर अकड़ने लगता है। कई बार ठण्डे पसीने भी छूटते हैं। ये सभी लक्षण अच्छे नहीं होते। कुछ घण्टों में रोगी बेहोश होकर मर जाता है।
- कभी-कभी ऐसा भी होता है कि रोगी कई दिन तक बचा रह जाता है। तब जहर उसके शरीर से फूट पड़ता है, फलस्वरूप हाथ-पैर सूज जाते हैं, सांप काटने के बाद उस स्थान पर छाले पड़ जाते हैं। मसूढ़ों तथा नाक से खून बहने लगता है। इन लक्षणों का कम या अधिक दिखाई देना शरीर में पहुंची जहर की मात्रा पर निर्भर करता है।
- जैसा कि ऊपर बताया जा चुका है। वाइपर सांप के काटने पर स्नायविक लक्षण कम होते हैं, लेकिन फिर भी वे जहर की मात्रा पर निर्भर करते हैं। अगर जहर ज्यादा तादाद में पहुंचा होता है तो रोगी बहुत जल्दी मर जाता है, लेकिन यदि रोगी कुछ समय तक बचा रहता है तो सांप काटने के स्थान पर बने जख्म से बराबर रक्तस्राव होता रहता है। कुछ देर बाद नाक, आंखें और मुंह से भी खून बहना शुरू हो जाता है। क्योंकि खून में जमने की ताकत खत्म हो चुकी होती है। तब रोगी एक ओर जहरीले प्रभाव से और दूसरी ओर अधिक रक्तस्राव के कारण मर जाता है।
सांप काटने पर क्या करना चाहिए : प्राथमिक उपचार
- सांप काटने के बाद आप भले ही रोगी को तुरंत प्राथमिक उपचार देकर उसकी कुछ हद तक मदद कर सकते है लेकिन अंत में पीड़ित व्यक्ति का सही इलाज केवल डॉक्टर ही कर सकते है इसलिए फर्स्ट ऐड देने के दौरान ही सबसे पहले डॉक्टर को सूचित करना चाहिए या रोगी को हॉस्पिटल तक पहुँचाने के लिए किसी वाहन का इंतजाम करना चाहिए |
- सांप काटने के बाद रोगी को शांत रहने की कोशिश करनी चाहिए क्योंकि घबराहट में अधिक ब्लड प्रेशर बढ़ जाता है जिससे जहर और भी तेज़ी से शरीर में फ़ैल जाता है |
- यदि पैर में काटा गया है तो जूते हटा दें।
- उसके बाद सांप के काटे हुए अंग पर थोड़ा ऊपर की ओर कसकर कोई कपड़ा या रस्सी बांध दीजिए। काटे हुए स्थान से कुछ ऊपर की ओर कसकर एक बन्ध बांध देना चाहिए ताकि रक्त-संचार में मिलकर खून पूरे शरीर में न फैले। अगर सांप ने हाथ या पैर में काटा है। तो बन्ध कोहनी अथवा घुटने के नीचे नहीं बांधने चाहिए। इन दोनों भागों में दो हड्डियां होती हैं और रक्त की नलिकाएं उनके मध्य से जाती हैं; अतः इन स्थानों के बन्ध रक्त को नहीं रोक पाते। बन्ध कोहनी और घुटनों के ऊपर बांधना चाहिए। बन्ध लगाने के साथ ही डॉक्टर को बुलाना चाहिए।
- बन्ध के बाद काटे हुए स्थान को चाकू से थोड़ा चीरकर वहां पोटेशियम परमेगनेट के कुछ दाने भर देने चाहिए। अगर किसी कारण ऐसा न किया जा सके या सांप ने छाती, पेट या गर्दन में काटा हो-जहां कि बन्ध नहीं बांधा जा सकता हो तो फिर जख्म को मुंह से चूस डालना ही सबसे अच्छा इलाज होता है, लेकिन चूसने वाले व्यक्ति के मुंह में कोई घाव या छाला नहीं होना चाहिए। चूसने वाले को एहतियात के तौर पर अपने मुंह में रुई या कपड़े का टुकड़ा रख लेना चाहिए।
- सांप काटने बाद काटे गए अंग पर किसी साफ व तेज चाकू या ब्लेड से एक इंच लम्बा व एक इंच चौड़ा धन का निशान (+) बनाते हुए काट देना चाहिए। यह काट लगभग 1/4 इंच गहरी होनी चाहिए जिससे जहरीला रक्त बाहर निकल जाए।
- घाव के चारों ओर दबाकर अथवा मुंह से रक्त चूसकर थूक दीजिए।
- घाव को डेटॉल से धोकर पोटेशियम परमेगनेट का चूरा भर दीजिए।
- घायल को सोने मत दीजिए, बल्कि ठण्डे पानी से खूब भिगोइए। इससे भी जहर का प्रभाव कम होता है तथा व्यक्ति सोने भी नहीं पाता क्योंकि सोने से जहर बहुत तेज़ी से फैलता है।
- अचानक सांप काटने के बाद जहां डॉक्टर न मिल सके, वहां जल-चिकित्सा करना ठीक रहता है। जल-चिकित्सा का सिद्धान्त यह है कि सांप का जहर शरीर में इतनी अधिक और तेज गर्मी पैदा कर देता है कि रोगी अधिक गर्मी के कारण मरता है। इसी सिद्धान्त पर सांप के काटे मुर्दे को जलाया नहीं जाता, बल्कि पानी में बहा दिया जाता है। इस तरह की घटनाएं होती है कि बहाया हुआ मृत व्यक्ति फिर से जी उठता है। पानी की ठण्डक से जहर की गर्मी मर जाती है तथा रोगी स्वस्थ हो जाता है। बेहतर यह होता है कि रोगी को शुरू से ही पानी में रखा जाए या फिर उसके सिर पर लगातार पानी डालते रहना चाहिए। इन उपचारों से रोगी के बच जाने की सम्भावना बढ़ जाती है। पानी की यह क्रिया लगातार 12 घण्टे तक जारी रखी जा सकती है।
- सांप काटने के बाद यदि रोगी की साँस बंद हो गई हो तो कृत्रिम सांस देनी चाहिए |
सांप काटने पर की देशी दवा
- सांप काटने के बाद घर पर ही रोगी का इलाज करने का जोखिम नहीं लेना चाहिए इसलिए सभी प्रकार के घरेलू नुस्खो, तंत्र-मंत्र, झाड फूंक से दूर ही रहना चाहिए हाँ आप इन्हें फौरी तौर पर प्राथमिक चिकित्सा देने के लिए जरुर आजमा सकते है | वो भी तब जब हॉस्पिटल या डॉक्टर तक जल्दी ही पहुँच ना हो सके |
- सांप काटे हुए स्थान पर तम्बाकू के पत्तों को पानी में पीसकर लेप करें ।
- नीम की पत्तियों व कोंपलों का रस पिलाएं। ऐनिमा लगाकर दस्त कराएं।
- काली मिर्च व तम्बाकू के पत्ते का हुलास सुंघाने से छींकें आती है और बेहोशी नहीं आती।
- काली मिर्च, वनतुसली के बीज, फिटकरी का फूला, नौसादर, ब्राह्मी, अमलतास का गूदा, गिलोय, नीम की गुठली की गिरी, तज, भुनी हींग- इनको बराबर लेकर चने जैसी गोलियां बना लें । एक-एक गोली आधा-आधा घंटे के अंतर से घी और शहद के साथ खिलाएं।
- पीड़ित व्यक्ति को घी खूब पिलाएं।
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