पुरानी कब्ज और पेट साफ करने के लिए होम्योपैथिक दवा

कब्ज या पुरानी कब्ज पाचन तंत्र की एक आम गड़बड़ी है । इस बीमारी में आँतें, खासकर बड़ी आँत, नियमित रूप से काम नहीं करतीं या जब काम करती भी हैं तो पूरी तरह से खाली नहीं होती। कब्ज अनेक रोगों का मूल कारण है, जैसे-शरीर में जहरीले पदार्थ पैदा करना। ये जहरीले पदार्थ खून में मिल जाते हैं और शरीर के विभिन्न भागों तक खून के दौरे के माध्यम से पहुँच जाते हैं। इससे विभिन्न प्रमुख अंग कमजोर हो जाते हैं और शरीर की रोग-प्रतिरोधी शक्ति घट जाती है। अपेंडिसाइटिस, गठियावात, आमवात, हाई ब्लड प्रेशर और मोतियाबिंद कुछ ऐसे रोग हैं जिनकी नींव पुराना कब्ज तैयार करता है। किसी व्यक्ति को सामान्य तौर पर दिन में कितनी बार शौच जाना चाहिए, यह अलग-अलग व्यक्ति पर अलग-अलग रूप से निर्भर करता है। अधिकतर लोग दिन में एक बार शौच जाते हैं। कुछ लोग दिन में दो बार शौच जाते हैं तो कुछ दूसरे ऐसे भी हैं जो दो दिन में एक बार शौच जाते हैं। फिर भी आराम और स्वास्थ्य के लिहाज से दिन में कम-से-कम एक बार खुलकर शौच आना आवश्यक और सामान्य समझा जाता है।

पुरानी कब्ज के लक्षण

कब्ज के सबसे ज्यादा पाए जानेवाले लक्षणों में से मल के सख्त होने की वजह से उसका समय पर न आना, शौच संबंधी आदतों में अनियमितता और शौच के समय मल निकलते समय कठिनाई या मल का ठीक से बाहर न निकलना आदि शामिल हैं। कब्ज के दूसरे लक्षणों में जीभ पर सफेद परत जैसी चढ़ जाना, मुँह से बदबू आना, भूख न लगना, सिरदर्द होना, चक्कर आना, आँखों के आस-पास गहरे घेरे बनना, मानसिक अवसाद, जी मिचलाना, चेहरे पर मुँहासे निकलना, मुंह में छाले पडना, पेट लगातार भरा-भरा लगना, बारी-बारी से कब्ज और दस्त होना, सेट शिरा (voricose veins), कमर के निचले भाग में दर्द होना, पेट में तेजाब ज्यादा बनना, गले और सीने के ऊपरी भाग में जलन होना, नींद न आना इत्यादि शामिल हैं।

पुरानी कब्ज के कारण

कब्ज या पुरानी कब्ज के मुख्य कारणों में भोजन संबंधी गलत आदतें और खराब जीवनचर्या हैं। आज हम जितने भी खाद्य पदार्थ खाते हैं उनमें से अनेक में रेशा कम बचता है, जिसके कारण कब्ज हो जाता है। आँतों द्वारा ठीक रूप से काम करने के लिए अनुपयोगी प्राकृतिक पदार्थ पर्याप्त मात्रा में बचना बहुत जरूरी है। अधिक साफ किए हुए आटे और घी, तेल से भरपूर खाद्य पदार्थों में विटामिन और खनिज पदार्थ नहीं होते। पानी कम मात्रा में पीया जाता है। आजकल मांसाहार अधिक मात्रा में किया जाता है, चाय और कॉफी भी ज्यादा पी जाती है, भोजन को कम चबाया जाता है, जरूरत से ज्यादा और अनाप-शनाप व्यंजन  खाए जाते हैं, खाने-पीने आदि का कोई नियम नहीं होता-ये सभी बातें मिलकर आँतों को ठीक से काम नहीं करने देतीं। इसके आलावा कब्ज होने ये कारण भी है – अनियमित शौच की आदत, जुलाब या दस्तावर दवाओं का बार-बार सेवन, देर रात तक जागना, सुबह लेट उठाना, बैठे-बैठे किए जाने वाले कार्यों की वजह से पेट की मांसपेशिया कमजोर हो जाना, शारीरिक क्रियाकलाप के लिए कोई स्थान या संभावना न हान तथा मानसिक दबाव और तनाव भी कब्ज के कारण बनते हैं।

पुरानी कब्ज के लिए होम्योपैथिक दवा

पुरानी कब्ज और पेट साफ करने की के लिए होम्योपैथिक दवा Purani kabj ke liye homeopathic medicine

  • क्रोनिक कब्ज, गुदा भरा हुआ तथा गुदाद्वार में बाधा महसूस होना, चिकना मल, मल-त्याग करने की निरंतर इच्छा, मल-त्याग के बाद भी संतुष्टि नहीं, मल-त्याग के लिए कई दिनों तक इच्छा न होना, चेहरे पर गोलाकार काले धब्बे —सीपिया-30 दो सप्ताह में एक बार।
  • पुरानी कब्ज, गुदा बँधा हुआ महसूस होना —साइफिलिनम-200 सप्ताह में एक खुराक।
  • कब्ज के साथ पीठदर्द—सेलेनियम-30 सुबह-शाम तथा भोजन के बाद, काली फॉस्फोरिकम-6 एक्स कुनकुने पानी में पाँच गोलियाँ लें।
  • कब्ज के लिए yelo गोली : कब्ज, मल को मशीनी प्रक्रिया द्वारा निकालना पड़ता है। सिरदर्द के साथ सख्त मल निकलता है—एलो-6 दिन में तीन बार। यह पेट साफ करने की अच्छी होम्योपैथिक दवा है |
  • गंभीर पुरानी कब्ज —ग्रेफाइट्स-30 दिन में तीन बार या नक्स वोमिका-30 दिन में तीन बार या ब्रायोनिया-30 केवल सुबह एक खुराक।
  • पुरानी कब्ज के लिए —लैक डिफ्लोरेटम-30 दिन में दो बार।
  • कब्ज, सूखा मल, आँत की सुस्ती के कारण मसूड़ों के किनारे पर नीला रंग—प्लंबम मेटेलिकम-30 हर छह घंटे पर।
  • कब्ज, जिद्दी कब्ज, मल एक नरम गोले की तरह मलद्वार से चिपका रहता है—प्लेटिना-30 एक खुराक रोज।
  • कब्ज, गुदा की अकडन के कारण, काला मल—प्रायोजेन-30 दिन में तीन बार।
  • कब्ज, तीव्र मल-त्याग की इच्छा, परंतु इसके लिए जाने में भय, पेट के ऊपरी भाग में तेज दर्द—इग्नेशिया अमारा-6 दिन में तीन बार।
  • कब्ज—लंबा, पतला, सूखा और सख्त मल अत्यंत कठिनाई से निकलता है तो —फॉस्फोरस-30 एक खुराक।
  • कब्ज, मल-त्याग करने की विफल इच्छा—नक्स वोमिका-200 रात में सोने से पहले एक खुराक या नक्स वोमिका-क्यू पानी में दो बूँदें दिन में दो बार।
  • कब्ज, निष्क्रियता या आकस्मिक चोट से—रूटा जी-6 दिन में तीन बार।
  • कब्ज, यदि एलुमिना-6 से लाभ न हो तो प्लंबम एसेटिकम-6 दिन में तीन बार आजमाएँ।
  • कब्ज, शुष्क तथा सख्त मल अधिक जोर लगाने पर निकलता है, मल-त्याग करने में अत्यंत परेशानी—लैक डिफ्लोरेटम-30 सुबह-शाम। पेट साफ करने लिए इस होम्योपैथिक दवा का प्रयोग करें |
  • कब्ज, या आँतों की निष्क्रियता—टेबेकम-30 दिन में तीन बार।
  • कब्ज, मल-त्याग की विफल इच्छा, ठंडा दूध पीने से राहत मिलने पर —आयोडियम-30 सप्ताह में एक खुराक।
  • कब्ज, दस्तावर एनिमा लेने के बाद अधिक गंभीर, मल-त्याग में कठिनाई, बेचैनी, सिर पर मालिश या रगड़ से राहत—टेरेंटुला हिस्पेनिया-30 दिन में तीन बार।
  • कब्ज, जब तक अधिक मल एकत्र न हो तब तक मल-त्याग की इच्छा नहीं। सख्त मल, गाँठदार, गुदा से चिपक जाता है, मल-त्याग के लिए जोर लगाना पड़ता है— एलुमिना-30 दिन में दो बार।
  • पुरानी कब्ज के लिए, अधिक मल-संचय होने तक मल-त्याग की इच्छा नहीं, अत्यंत कठिनाई से मल-त्याग, आंशिक रूप से निकलता है, कभी-कभी वापस चला जाता है, मशीन द्वारा निकालना पड़ सकता है—सेनीकुला-30 दिन में तीन बार।
  • कब्ज, गुदा की निष्क्रियता के कारण मल-त्याग की इच्छा नहीं। सख्त, बड़ा, गहरे रंग का और सूखा मल— पेट साफ करने लिए इस होम्योपैथिक दवा का प्रयोग करें – ब्रायोनिया एल्बा-30 दिन में तीन बार लें।
  • पुरानी कब्ज, मोटापे के साथ—फाइटोलाका बेरी क्यू पाँच बूँदें दिन में दो बार और केल्केरिया कार्बोनिका-200 पंद्रह दिनों में एक बार।
  • कब्ज, मूत्र-त्याग की तेज इच्छा—सरसापेरिला-6 दिन में तीन बार।
  • जिद्दी कब्ज, अत्यधिक गैस तथा बवासीर की परेशानी, एक या दो सप्ताह में मल-त्याग। इस कारण दो या तीन दिनों तक कमजोरी महसूस होना—कॉलिनसोनिया-क्यू पानी में दो से पाँच बूँदें, दिन में तीन बार।
  • गर्भवती महिला तथा शिशुओं को कब्ज—एलुमिना-30 दिन में तीन बार।
  • कब्ज उन लोगों में जो आसानी से नहीं जाग सकते, परंतु आसानी से सो जाते हैं, लंबे समय तक खड़े नहीं रह सकते, बंद तथा खुले स्थानों में असुविधा महसूस करते हैं— नक्स मॉस्केटा-30 दिन में तीन बार।
  • कब्ज, सूखा, सख्त तथा गोल मल—साइमेक्स-30 दिन में तीन बार।
  • कब्ज, सख्त तथा गाँठदार मल, इतना सूखा कि जला हुआ सा लगे, अधिक तथा पीड़ादायक मल—सल्फर-30 दिन में तीन बार।
  • पुरानी कब्ज, सख्त गोले की तरह मल, कब्ज के साथ बारी-बारी से डायरिया भी होता है—चेलीडोनियम-30 दिन में तीन बार।
  • अनियमित मल-विसर्जन (जैसे कब्ज या डायरिया)— मैंगेनम-30 एक खुराक रोज।
  • गुरदे का रोग, पेट में दर्द, पेट में सिकुड़न, वमन, तेज हिचकियाँ, एल्ब्युमिनेरिया (मूत्र में एल्ब्युमिन का होना), उच्च रक्तचाप, कब्ज— प्लंबम-6
  • कब्ज, बलगम के साथ सख्त मल—टर्मिनेलिया चेबुला-30 दिन में तीन बार लें।
  • पुरानी कब्ज, सख्त, सूखा, टूटा हुआ तथा निकलने में कठिन मल, कभी-कभी मल बलगम से ढका होता है— अमोनियम मुरिएटिकम-30 दिन में दो बार।
  • कब्ज, मल को मशीनी प्रक्रिया द्वारा निकालना पड़ता है— केल्केरिया कार्बोनिका-30 दिन में तीन बार।
  • कब्ज, गाँठदार तथा बड़ी मात्रा में मल, बलगम के धागे, अकसर मल के बाद बलगम निकलता है, मल-त्याग के बाद काफी दर्द, धोने पर गुदा में दर्द— पेट साफ करने लिए इस होम्योपैथिक दवा ग्रेफाइट्स-30 दिन में दो बार का प्रयोग करें |
  • कब्ज, आंशिक रूप से निकलने के बाद मल वापस चला जाता है— थुजा ओसी-30 दिन में तीन बार।
  • कब्ज, मल-त्याग नियमित रूप से होता है, परंतु सख्त तथा असंतोषजनक, मासिक-धर्म के दौरान अधिक मात्रा में, भेड़ के गोबर की तरह मल, गुदा की निष्क्रियता के कारण गुदा संकुचित या जख्मी, मल-त्याग के बाद रक्तस्राव या जलन, जिससे बाद में दर्द होता है— नेट्रम मुरिएटिकम-200 एक खुराक रोज।
  • पुरानी कब्ज — सल्फर-30 सुबह एक खुराक। नक्स वोमिका-30 रात में एक खुराक। हाइड्रॉस्टिस केनाडेन्सिस क्यू शाम को पानी में पाँच बूँदें मिलाकर लें।
  • कब्ज, मल इतने बड़े आकार का होता है कि वह निकल नहीं पाता, उसे मशीनी प्रक्रिया द्वारा निकालना पड़ता है— सेलिनियम-200 कुछ खुराकें।
  • कब्ज, मटमैली पीली जीभ, पतली शिथिल, जिस पर दाँतों की छाप दिखती है—हाइड्रॉस्टिस केनाडेन्सिस-30 सुबह-शाम लें।
  • कब्ज, गुदा के स्पिंलटर संपिलटर की कमजोरी, बड़े टुकड़ों में ठोस मल निकलता है—एलो सोकोट्राइना-200 कुछ खुराकें।
  • पुरानी कब्ज, डायरिया के साथ—कार्डस मेरियानस-30 हर छह घंटे पर। ‌
  • कब्ज, मल त्याग की विफल इच्छा—नक्स वोमिका-क्यू पानी में दो बूँदें, दिन में दो बार।
  • कब्ज, तेज बदबूदार साँस—कार्बोलिक एसिड-30 दिन में तीन बार।
  • कब्ज, गुदा में खुजली के साथ—सल्फर-30 सुबह में तथा नक्स वोमिका-30 रात में।
  • पुरानी कब्ज, खासकर वृद्धों में—एंटीमोनियम क्रूडम-6 दिन में तीन बार।
  • लीवर संबंधी समस्या, लीवर के क्षेत्र में दर्द और भारीपन, बाईं करवट सोने पर अधिक बुरी स्थिति, कब्ज या डायरिया या दोनों, श्वास का भारीपन —टेलिया ट्रिफोलिएट-30 दिन में दो बार लें |

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