जाने क्या है बाईपास सर्जरी-Open Heart & Bypass Surgery

Bypass Surgery – ह्रदय रोग आजकल दुनियाभर में बहुत तेजी से फ़ैल रहे है | दिल की बीमारी प्रमुख कारण और बचाव के उपाय हमने आपको अपने पुराने पोस्टो के जरिये बता दिए थे | इस लेख में हम एक और कदम आगे बढ़ाते हुए ह्रदय रोगों को ठीक करने के लिए आधुनिक चिकित्सा प्रणाली में क्या-क्या इलाज उपलब्ध है? इनकी कब आवश्यकता पडती है ? यह कैसे और क्यों किये जाते है ? इसकी सीरिज शुरू करने जा रहे है जिससे आपको इन जटिल रोगों के इलाज और Doctor द्वारा रोग की व्याख्या के दौरान आपको समझने में परेशानी नहीं होगी

भारत में जहाँ इतनी बड़ी आबादी रहती है और चिकित्सा सुविधा महंगी और जनसंख्या के बोझ के नीचे दबी हुई है, एक Doctor के पास उसकी क्षमता से कहीं अधिक मरीजो का भार होता है खासकर सरकारी या सार्वजनिक अस्पतालों में,  इस जल्दबाजी और आपा-धापी में अक्सर चिकित्सक के पास इतना समय नहीं होता है की वो मरीज को ठीक से रोग, सावधानियां और Treatment के बारे में विस्तार पूर्वक समझा सके, जिससे मरीज और उनके रिश्तेदार जानकारी के अभाव में मर्ज की गम्भीरता नहीं समझ पाते है और निर्णय लेने में देर कर बैठते हैं | इसलिए हम आपको ऐसे ही रोगों और उनके इलाज की प्रणाली के बारे में जागरूक बनाने के लिए आसान भाषा में पोस्ट लिखने का प्रयास करते है | इस जानकारी से मरीज ठीक तो नहीं होगा परंतु पूरी जानकारी और ज्ञान के साथ आत्मविश्वास से सही निर्णय लेने की उसकी  क्षमता जरुर बढ़ जाएगी | तो आइये जानते है ऐसे ही एक बड़े और जटिल रोग के इलाज के बारे में जिसको Bypass surgery के नाम से जाना जाता हैं |

दवाइयों एवं Angioplasty जैसी सर्जरी रहित विधियों से जब मौत की कगार पर पहुँच चुके दिल के मरीजों को बचाना संभव नहीं हो पाता तब मरीज को जीवन-दान देने के लिए दिल की Bypass surgery ही एक आखरी रास्ता बचता है। Bypass surgery अर्थात् Coronary Artery Bypass Grafting (C.A.B.G.) के जरिए हृदय में दोबारा रक्त-प्रवाह बहाल करके मरीज की जान बचाई जाती है।

सीने में दर्द Angina अथवा दिल के दौरे का संकेत होता है, जिसकी अनदेखी जानलेवा साबित हो सकती है। इन दोनों जानलेवा स्थितियों का कारण हृदय की एक या अधिक धमनियों में रुकावट आना है और मरीज की जान बचाने के लिए एंजियोप्लास्टी अथवा सर्जरी के माध्यम से रुकी हुई धमनी (Artery) या धमनियों को खोलना जरूरी होता है। किसी एक धमनी में अवरोध होने पर आम तौर पर एंजियोप्लास्टी का ही सहारा लिया जाता है। लेकिन जब एक या अधिक कोरोनरी धमनियों में बहुत अधिक जमाव होने पर या उनकी उपशाखाओं के बहुत अधिक सिकुड़ जाने पर Bypass Surgery यानी (सी.ए.बी.जी.) का सहारा लेना पड़ता है।

किन हालातो में Bypass Surgery जरूरी होती है?

 

Bypass Surgery जानिए क्या है बाईपास सर्जरी-Bypass & Open Heart Surgery
Bypass Surgery
  • जब Angiography से यह पता चले कि मरीज को कभी भी दिल का दौरा पड़ सकता है। अगर मरीज के सीने में दर्द उठने के कम-से-कम छह घंटे पहले ही Bypass Surgery कर दी जाए तो हृदय को दिल के दौरे से होनेवाले नुकसान से बचाया जा सकता है।
  • दिल के दौरे (Heart attacks) से उबरने के बाद भी सीने में दर्द बना रहने अथवा मरीज की हालत गंभीर रहने पर।
  • एंजाइना के लक्षण नहीं होने पर जब ECG, stress test और coronary angiography से यह पता चले कि मरीज की कई धमनियों में रुकावट है।

क्या है Bypass surgery ?

  • Bypass दो तरीके से बनाए जाते हैं। एक या दो जगह Bypass की जरूरत पड़ने पर इंटरनल मेमॅरी धमनी का रास्ता बदलकर उसे कोरोनरी धमनी के सँकरे हिस्से के अगले भाग में जोड़ दिया जाता है। इससे हृदय के उस भाग में रक्त-प्रवाह शुरू हो जाता है।
  • लेकिन दो से अधिक जगह Bypass के लिए रोगी के पैर की नस (लॉन्ग सेफनस वेन) का इस्तेमाल किया जाता है।
  • इसके लिए सबसे पहले रोगी के पैर से यह नस निकालकर उसे उलट लिया जाता है, ताकि उसकी बिना वॉल्व वाली साफ-सुथरी सतह अंदर की ओर आ जाए।
  • उसके बाद जरूरत के अनुसार उसके टुकड़े काट लिये जाते हैं। टुकड़े का एक सिरा बड़ी धमनी से जोड़ दिया जाता है और दूसरा सिरा कोरोनरी धमनी के सँकरे हिस्से के आगे जोड़ दिया जाता है।
  • इसी तरह आवश्यकतानुसार एक से अधिक bypass grafting किए जा सकते हैं। इससे हृदय मांसपेशियों में खून का प्रवाह सामान्य हो जाता है।
  • हालाँकि कुछ Bypass Surgery चिकित्सक पैर की धमनी के बजाय पेट में जानेवाली गैस्ट्रो-एपिप्लोइक आर्टरी का भी इस्तेमाल करते हैं।

कैसे की जाती है Bypass surgery ?

  • इस surgery के लिए छाती के बीच में चीरा लगाना पड़ता है, इसलिए पुरुषों में ऑपरेशन से पहले रेजर से छाती के बाल हटा दिए। जाते हैं, ताकि संक्रमण का खतरा न रहे।
  • Bypass Surgery  से पहले रोगी को बेहोश कर दिया जाता है। हृदय की गति को मॉनिटर करने के लिए कार्डियक मॉनीटर लगा दिया जाता है।
  • Bypass Surgery के लिए पहले छाती के बीच की हड्डी (स्टर्नम) को काटकर हृदय को खोल लिया जाता है। उसके बाद उसे हार्ट-लंग मशीन से जोड़ दिया जाता है, जिससे हृदय और फेफड़ों का काम यह मशीन करने लगती है।
  • हृदय को एक ऐसे घोल में नहला दिया जाता है जिससे उसका तापमान कम हो जाता है और उसका धड़कना भी बंद हो जाता है।
  • उसके बाद ग्राफ्टिंग का काम शुरू किया जाता है।
  • इसके लिए पहले से ही पैर की नस या पेट की धमनी का ग्राफ्ट तैयार रखा जाता है और जरूरत के हिसाब से Bypass ग्राफ्ट कर दिया जाता है। हार्ट अटैक के लक्षण, कारण, बचाव और फर्स्ट एड
  • उसके बाद हृदय और फेफड़ों को रक्त-संचार व्यवस्था से पुन: जोड़ दिया जाता है और वे पहले की तरह काम करने लगते हैं।
  • इसके बाद Heart-lung machine को हटा दिया। जाता है और हृदय की सतह पर पेसमेकर की दो तारें लगा दी जाती हैं।
  • पेसमेकर की तारों को अस्थायी पेसमेकर से जोड़ दिया जाता है। दिल की धड़कन के अनियमित होने पर यह पेसमेकर उसे नियंत्रित कर लेता है।
  • छाती की हड़ियों को तारों से मजबूती से सिलकर त्वचा में टाँके लगा दिए जाते हैं।
  • Bypass Surgery में तीन-चार घंटे का समय लगता है और इस दौरान रोगी को चार से छह यूनिट तक खून चढ़ाना पड़ सकता है।
  • Bypass Surgery के बाद अगले 24 से 48 घंटे तक मरीज को डॉक्टर, नर्स आदि की निगरानी में रिकवरी रूम में रखा जाता है।
  • कार्डियक मॉनीटर की तारें इलेक्ट्रॉड के जरिए मरीज की छाती से लगी होती हैं और ई.सी.जी. तथा हृदय की गति लगातार रिकॉर्ड होती रहती हैं।
  • एक धमनी में एक केन्यूला (नली) लगी रहती है, जिससे मरीज के रक्तचाप का पता चलता है, जबकि दूसरा केन्यूला गरदन की नस में लगा होता है और यह नस के भीतर का दाब बताता है।
  • मरीज की छाती में भी दो नलियाँ लगी होती हैं, जिनसे छाती के भीतर इकट्ठा हो रहा द्रव बाहर आता रहता है। ये सारी नलियाँ ऑपरेशन के एक दिन बाद निकाल दी जाती हैं।
  • इनके अलावा Bypass Surgery यानि ऑपरेशन के 16 से 24 घंटे बाद तक रोगी की साँस की नली में एक एंडोट्रेकियल ट्यूब डली रहती है। यह नली रेस्पिटर यंत्र से जुड़ी होती है। यह रोगी को सांस् लेने में मदद करता है।
  • जब रोगी अच्छी तरह साँस लेने लगता है तो रेस्पिरेटर को हटा दिया जाता है।
  • जब तक यह नली श्वास नली में होती है, रोगी न तो कुछ खा-पी सकता है और न ही बातचीत कर पाता है।
  • Bypass Surgery के दौरान रोगी के मुँह और नाक पर एक ऑक्सीजन मास्क भी लगा दिया जाता है, ताकि रोगी को पर्याप्त मात्रा में ऑक्सीजन मिलती रहे।
  • आमतौर पर Bypass Surgery के 10-12 दिन बाद रोगी को अस्पताल से छुट्टी मिल जाती है। तब तक उसकी छाती और पैर के जख्म भी सूख जाते हैं।
  • हालाँकि पैर से नस निकालने के कारण कुछ दिनों तक पैर में सूजन रह सकती है। लेकिन पैर ऊपर उठाकर आराम करने और चलते समय पैर पर क्रैप-बैंडेज बाँधने से सूजन कम हो जाती है। वह घर में हलके-फुलके काम कर सकता है।
  • दो-ढाई महीने बाद रोगी । धीरे-धीरे सीढ़ियाँ चढ़ सकता है और अपने कार्यालय आदि भी जा सकता है।
  • Bypass Surgery के बाद भी रोगी को कुछ दवाओं का सेवन करते रहना जरूरी होता है।
  • जैसे धमनियों में खून के थक्के बनने की प्रक्रिया को रोकने के लिए रोजाना एक गोली लेनी होती है। इसके अलावा यदि मरीज को मधुमेह या उच्च रक्तचाप है तो उसकी भी दवाएँ लेनी पड़ती हैं।
  • Bypass Surgery की सफलता रोगी के खान-पान और आचार-व्यवहार पर निर्भर करती है। एहतियात नहीं बरतने पर कुछ सालों में हृदय की दूसरी कोरोनरी धमनियों और यहाँ तक कि Bypass लगाई गई धमनियों एवं ग्राफ्ट में रुकावट आ सकती है और दोबारा Bypass Surgery कराने की नौबत आ सकती है |
  • हृदय रोग -कारण लक्षण और बचाव
  • ऑपरेशन के बाद 85 से 90 प्रतिशत रोगी का एंजाइना ठीक हो जाता है; लेकिन कुछ रोगियों में कुछ सालों के बाद एंजाइना यानि नस ब्लोकेज के लक्षण दोबारा आ जाते हैं। और फिर से Bypass Surgery करनी पड़ सकती है |

Beating heart surgery क्या है ? 

बीटिंग हार्ट सर्जरी की खोज होने से हृदय के ऑपरेशन के क्षेत्र में एक नया आयाम जुड़ गया है। अमरीका जैसे अनेक विकसित देशों में धड़कते दिल की सर्जरी अर्थात् Beating heart surgery तेजी से लोकप्रिय हो रही है। भारत में भी कुछ चुनिंदा हृदय चिकित्सा केंद्रों में इस सर्जरी का इस्तेमाल आरंभ हो गया है। जहाँ Beating heart surgery की विशेष सुविधाएँ उपलब्ध हैं।

Advantages of beating heart surgery.

  • परंपरागत Bypass Surgery के अंतर्गत मरीज की हार्ट-लंग मशीन के हवाले करके हृदय एवं फेफड़े को निष्क्रिय कर दिया जाता है और फिर हृदय की सर्जरी की जाती है।
  • हार्ट-लंग मशीन हृदय और फेफड़े के काम को सँभालती है। लेकिन इस तरह की सर्जरी के कई तरह के खराब प्रभाव भी सामने आए हैं। हृदय रोग में भोजन : कौन-कौन से फल और सब्जियां खाएं
  • इन खराब प्रभावों के मद्देनजर सुरक्षित हार्ट सर्जरी के रूप में बीटिंग हार्ट सर्जरी का विकास हुआ हैं ।
  • परंपरागत Open heart surgery से Beating heart surgery केवल इस अर्थ में अलग है कि इसमें हार्ट-लंग मशीन का इस्तेमाल नहीं होता है और सर्जरी के दौरान हृदय एवं फेफड़े को निष्क्रिय नहीं बनाया जाता है।
  • धड़कते दिल की सर्जरी करने के लिए आक्टोपस नामक यंत्र की सहायता से हृदय के उस भाग को स्थिर कर लिया जाता है जहाँ सर्जरी करनी होती है।
  • बीटिंग हार्ट सर्जरी ज्यादा सुरक्षित होती हैं इसमें मरीज को कम जोखिम के साथ ज्यादा स्वस्थ्य लाभ मिलता हैं | मरीज को कम समय के लिए अस्पताल में रहना पड़ता है | दिल की बीमारी से बचाव के उपाय-Heart Disease Prevention
  • बीटिंग हार्ट सर्जरी में ओपन हार्ट सर्जरी की अपेक्षा दिमाग पर खराब प्रभाव भी कम पड़ता हैं साथ ही यह कम खर्चीला होता है और इसमें मरीज को खून चढ़ाने की आवश्यकता या तो बिलकुल नहीं होती है, या बहुत ही कम होती हैं | इस ओपरेशन के दौरान मृत्यु दर भी कम होती है |

Reference: Content of this article based on Dr. P.U Lal and other famous cardiologists of India /Personal Interview and Articles wrote by them in different health Journals.

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