जानिए मिर्गी रोग में क्या खाना चाहिए और क्या नहीं

मिर्गी या अपस्मार( Epilepsy) -एक दिमाग से सम्बंधित रोग (न्यूरोलॉजिकल डिसॉर्डर) है, जिससे दुनिया भर में लाखों लोग प्रभावित होते हैं। यह बीमारी दुनिया में प्रति दस हजार में लगभग 50 व्यक्तियों को होती है। यह दिमाग में ज्यादा और असामान्य विद्युतीय गतिविधि के कारण होता है। स्कूल जाने वाली उम्र के हर 200 में से एक बच्चे को मिर्गी का दौरा पड़ता है।

जब राह चलते-चलते या बैठे-बैठे कोई व्यक्ति गिर पड़े अचेत हो जाए और उसका शरीर ऐंठ जाए, मुंह से झाग आने लगे, होंठ भिच जाएं, आंखें उलटी-सी दिखें, तो समझें कि उसे मिरगी का दौरा पड़ा है।

अधिकांश व्यक्तियों के लिए मिर्गी का रोग आजीवन नहीं होता, इसका प्रभाव कुछ सालों तक रहता है। नियमित रूप से उचित इलाज करने से लगभग 80 प्रतिशत मिर्गी रोगियों के दौरों को नियंत्रित किया जा सकता है । मिर्गी की बीमारी में करीब तीन साल तक नियमित दवा खानी पड़ती है। इसलिए नियमित दवा जरूर खाएं और दवा के साथ पौष्टिक भोजन करें, ताकि दवा का दुष्प्रभाव कम-से-कम असर करें। #Best #Diet #Food #Eatables #Vegetables #fruits for #Epilepsy #Patients.

मिर्गी रोग में ये भोजन खाएं :

Mirgi Epilepsy me kya khaye kya nahi parhej जानिए मिर्गी रोग में क्या खाना चाहिए और क्या नहीं
मिर्गी रोग में क्या खाना चाहिए और क्या नहीं
  • फलों में आम, अंजीर, फालसा, अनार, संतरा, सेब, नाशपाती, आडू, अनन्नास का सेवन करें।
  • अंकुरित मोठ, मूंग, दूध, तिल का तेल, दूध से बने पदार्थ के साथ नाश्ते में खाएं।
  • मेवे में बादाम, काजू, अखरोट सेवन करें। भोजन के साथ गाजर का मुरब्बा, पुदीने की चटनी खाएं।
  • लहसुन तेल में सेंक कर सुबह-शाम खाएं और कच्ची कली तोड़कर सूंघे |
  • गेहूं के आटे की चोकर सहित बनी चपाती, भुनी हुई अरहर, मूंग की दाल आहार में लें।
  • आहार सीमित मात्रा में सोने के दो घंटे पहले खाएं।
  • विटामिन बी-6 के धनी पदार्थ जरूर खाएं : विटामिन बी-6 (पायरीडॉक्सीन) का प्रयोग मिर्गी के रोग में बहुत लाभदायक माना गया है। विटामिन बी-6 के धनी पदार्थ न केवल रोग में फायदा पहुंचाते हैं, बल्कि ली जाने वाली दवाइयों के साइड इफेक्ट को भी कम करते हैं।
  • विटामिन बी-6 इन पदार्थों में होता है – गेहूं और चावल के चोकर और अन्य साबुत अनाज, दालों में। मिर्च पाउडर, शिमला मिर्च, पालक, हल्दी, तुलसी, अजवायन में, कच्चे लहसुन और कच्ची प्याज में, पिस्ता, मूंगफली और पहाड़ी बादाम में, मांसाहार (खास तौर से लिवर) में, मछलियों में (खास तौर से टूना, सामन, कॉड में), सूरजमुखी और तिल के बीज में, शीरा और ज्वार के सिरप में, केला और एवोकैडो में, पालक, शिमला मिर्च, ब्रोकोली, बिना छिला आलू, शलगम और फलीदार (बींस) सब्जियों में।
  • अंगूर का रस है बहुत लाभकारी : अंगूर का रस मिर्गी के रोगी के लिए अच्छा उपचार माना गया है। आधा किलो अंगूर का रस निकालकर सुबह खाली पेट लेना चाहिए। यह नुस्खा करीब छह माह करने से सुखद परिणाम मिलते हैं।
  • नाड़ी-रसायन को संतुलित करता है पेठा : पेठा मिर्गी की सबसे बढ़िया खाने में से एक है। इसमें पाए जाने वाले पोषक तत्वों से मस्तिष्क के नाडी-रसायन संतुलित हो जाते हैं, जिससे मिर्गी रोग की गंभीरता में गिरावट आ जाती है। पेठे की सब्जी बनाई जाती है, लेकिन इसका जूस नियमित पीने से ज्यादा लाभ मिलता है। स्वाद सुधारने के लिए इसके रस में चीनी और मुलहटी का पाउडर भी मिलाया जा सकता है।
  • ज्यादा वसायुक्त खाना खाएं : मिर्गी के मरीज को खाने में वसा की अधिक मात्रा देकर फायदा पहुंचाया जा सकता है। एक अध्ययन के अनुसार, कीटोजैनिक डाइट यानी खाने में वसा की अधिक मात्रा देकर मित्र के रोगियों को फायदा पहुंचाया जा सकता है।

मिर्गी में परहेज : क्या ना खाएं  

  • आवश्यकता से अधिक भारी, गरिष्ठ, तले, मिर्च-मसालेदार चटपटा भोजन न खाए।
  • मिर्गी की बीमारी में वात कारक भोज्य पदार्थ जैसे-उड़द, राजमा, कचालू, गोभी, मसूर की दाल, चावल, बैगन, मूली, मटर का सेवन न करें।
  • उत्तेजक पदार्थों में कड़क चाय, कॉफी, तंबाकू, गुटखे, शराब, मांसाहारी भोजन, पिपरमेंट आदि का मिर्गी रोग में परहेज करें।
  • मिर्गी में अधिक ठंडे और अधिक गर्म पदार्थों का सेवन न करें। खाली पेट ना रहें और व्रत ना करें |
  • गुस्सा ना करें और मानसिक तनाव में ना रहें |

मिर्गी के मरीज ये उपाय भी आजमाएं :

  • मिर्गी रोगी को एप्सम साल्ट मिले पानी से नहाने से लाभ होता है। इस उपाय से दौरों में कमी आ जाती है और दौरे भी ज्यादा गंभीर नहीं आते है।
  • मिट्टी को पानी में गीली करके रोगी के पूरे शरीर पर लेप करना भी काफी लाभकारी उपचार है। इसको लगाने के एक घंटे बाद नहा लें। इससे दौरों में कमी होकर रोगी स्वस्थ अनुभव करेगा।
  • रोजाना तुलसी के 20 पत्ते चबाकर खाने से रोग की गंभीरता में गिरावट देखी जाती है।
  • करोंदे के पत्ते सुखा लें और फिर बारीक पीसकर चूर्ण बना लें। दस ग्राम चूर्ण खट्टी छाछ में घोलकर रोज सुबह लें। दस रोज तक यह प्रक्रिया करने से मिर्गी के दौरे में कमी आएगी |
  • मिर्गी रोगी को 250 ग्राम बकरी के दूध में 50 ग्राम मेहंदी के पत्तों का रस मिलाकर रोजाना सुबह दो सप्ताह तक पीने से दौरे बंद हो जाते हैं। यह भी पढ़ें – मिरगी रोग के कारण, लक्षण, सावधानियां तथा आधुनिक उपचार की जानकारी
  • गाय के दूध से बनाया हुआ मक्खन मिर्गी में फायदा पहुंचाने वाला होता है। इसे दस ग्राम प्रतिदिन खाएं।
  • शहतूत का रस भी मिर्गी रोग में लाभदायक होता है। और सेब का जूस भी मिर्गी के रोगी को लाभ पहुंचता है।
  • गाजर, खीरा, चुकदर का रस भी मिर्गी के रोगी के लिए लाभदायक होता है।
  • जरा-सी हींग को नींबू के साथ चूसने से भी लाभ होता है।

सवाल : क्या मिर्गी की दवा ले रहा रोगी क्वीनोलोन ऐंटिबायोटिक ले सकता है?

जवाब : नहीं। डॉक्टर को इस संबंध में पहले से बता देना चाहिए। क्वीनोलोन ऐंटिबायोटिक जैसे सिप्रोलोक्सासीन, गेटीलोक्सासीन, स्पारलोक्सासीन, ओलोक्सासीन, नॉरलोक्सासीन और लोमालोक्सासीन लेने से फिर से ऐपीलेप्सी के दौरे पड़ने शुरू हो सकते हैं। क्वीनोलोन ऐंटिबायोटिक अक्सर काम में लाए जाने वाली दवा है, इसलिए इस बात को समझ लेना जरूरी है।

सवाल : क्या मिर्गी की दवा ले रही स्त्री के लिए गर्भ धारण करना ठीक है?

जवाब : हां, क्यों नहीं! सच्चाई यह है कि मिर्गी रोधक दवा ले रहीं 90-95 प्रतिशत मांओं की कोख से जन्म लेने वाले शिशु बिल्कुल स्वस्थ होते हैं। मां के बिल्कुल स्वस्थ होने पर भी बच्चा स्वस्थ ही हो, ऐसा नहीं होता। स्वस्थ माताओं की कोख से जन्म लेने वाले 3 प्रतिशत बच्चों में जन्मजात कमियां पायी जाती है। यह दर मिर्गी की दवा ले रही माताओं में थोड़ी ज्यादा होती है। यदि एक दवा चल रही हो तो 5-7 प्रतिशत और दो दवाएं चल रही हों तो 10-15 प्रतिशत ।

सवाल : क्या मिर्गी रोधक दवा ले रही मां बच्चे को अपना दूध दे सकती है?

जवाब : यह दवा पर निर्भर करेगा। यदि मां फिनोबाटोन ले रही है तो उसे बच्चे को अपना दूध नहीं देना चाहिए। यह दवा दूध से बच्चे के शरीर में पहुंच जाती है और उसे सुस्त बना देती है। अगर मां कार्बामेजापीन या वैल्प्रोयट दवा ले रही है तो वह बच्चे को दूध दे सकती है। ये दोनों दवाएं मां के दूध में स्ववित नहीं होतीं।

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