जानिए क्या है मेडिक्लेम पॉलिसी और इसको खरीदने से पहले किन बातों का रखे ख्याल

मेडिक्लेम पॉलिसी ,स्वास्थ्य बीमा (Health Insurance) ये सभी नाम अपने जरुर सुने होंगे आज हम इसी विषय पर आपको जानकारी देंगे | इन दोनों का मूल उद्देश्य एक ही होता है बस मेडिक्लेम पॉलिसी विशेष रूप से अस्पताल में भर्ती के दौरान हुए खर्चों को वहन करती है, तथा एक “स्वास्थ्य बीमा” इलाज के खर्च के अतिरिक्त अन्य कई दूसरी सुविधाएँ भी देता है जिसमे इलाज से पहले और इलाज के बाद हुए खर्चो भी शामिल होते है, जैसे अस्पताल में भर्ती होने का खर्च, एम्बुलेंस का खर्च, बीमित मरीज के काम ना करने की वजह से होने वाले आर्थिक नुकसान की भरपाई के लिए दैनिक भत्ता देना आदि।

सभी लोगो की यही इच्छा रहती है कि वह कभी बीमार न पड़े। उसे अस्पताल के चक्कर न लगाने पडे़ं। यह स्वाभाविक है और बीमार न पड़ने का उसे अधिकार भी है। परंतु आज की जीवनशैली उसे बीमार पड़ने के लिए मजबूर करती है। वातावरण में बढ़ता प्रदूषण, आम रास्तों पर निरंतर बढ़ती भीड़, दुर्घटना, मिलावट युक्त पदार्थ, सामाजिक लापरवाही आदि अनेक बातों का स्वास्थ्य पर प्रत्यक्ष तथा अप्रत्यक्ष रूप से असर पड़ता रहता है। ऐसी स्थिति में शारीरिक तथा मानसिक स्वास्थ्य का जोखिम बहुत अधिक बढ़ गया है।  हमारे लाख चाहने के बावजूद बीमारी तथा अस्पताल से बचकर रहना नामुमकिन है। इसलिए इस समस्या से टक्कर लेने की पूरी तैयारी रखनी चाहिए। “Mediclaim Policy” या स्वास्थ्य बीमा इस बड़ी समस्या का एक प्रभावी समाधान है। बीमार पड़ना, अस्पताल में भरती होना, उसके बाद बेतहाशा खर्च से उबारने वाला साधन आरोग्य बीमा ही है। अस्पताल का बढ़ता खर्च किसी एक के नियंत्रण में नहीं है। स्पेशलिस्ट डॉक्टरों की फीस, विभिन्न जाँचों का खर्चा, दवाई तथा अस्पताल का खर्चा कम होने बात सोचना भी मुर्खता है। दुर्घटना और बीमारी हमेशा अचानक आती हैं। परिवार में किसी भी सदस्य को कभी भी इन समस्याओं से सामना करना पड़ सकता है प्रत्येक व्यक्ति को चाहिए कि अपनी क्षमता के अनुसार स्वयं के लिए तथा परिवारजनों के लिए एक कारगर आर्थिक व्यवस्था बनाए रखे। अपनी युवावस्था में, कमाई के दौरान स्वास्थ्य जोखिमों से पार पाने के लिए स्वास्थ्य बीमा जरुर खरीद लें। यह जरुरी नहीं है की आप कोई बड़ी महंगी मेडिक्लेम पॉलिसी खरीदे आप अपनी क्षमता के अनुसार छोटी पॉलिसी भी खरीद सकते है |

जनरल इंश्योरेंस कंपनियों की स्वास्थ्य बीमा पॉलिसियों के तीन मुख्य प्रकार हैं – शुद्ध स्वास्थ्य बीमा पॉलिसी। यात्रा से संबंधित स्वास्थ्य बीमा पॉलिसी। वैयक्तिक दुर्घटना एवं दुर्घटना मेडिक्लेम पॉलिसी। इस पोस्ट में हम स्वास्थ्य बीमा पॉलिसी के बारे में पढ़ेंगे अन्य सभी पॉलिसियों को हम आगे प्रकाशित होने लेखों में विस्तार से बतायेंगे । मेडिक्लेम बीमा पॉलिसी के विषय में सामान्य जानकारियां तो आपको कोई भी एजेंट या बीमा कंपनी अपने आप दे देती है लेकिन इस पोस्ट में हम मेडिक्लेम पॉलिसी से जुडी कुछ ऐसी शर्तो के विषय में भी बतायेंगे जो अकसर एजेंट द्वारा गोल कर दी जाती है या तकनीकी भाषा में होने की वजह से इन्हें समझने में आपको मुश्किल आती है |

मेडिक्लेम पॉलिसी क्या है ?

जानिए क्या है मेडिक्लेम पॉलिसी और इसको खरीदने से पहले किन बातों का रखे ख्याल mediclaim policy kya hai labh hindi me
स्वास्थ्य बीमा

What Is Health Insurance.

  • मेडिक्लेम पॉलिसी इसी पॉलिसी को रिइंबर्समेंट पॉलिसी कहा जाता है। यह अस्पताल में भरती हो जाने पर आनेवाला खर्च वापस मिलने की सुविधा की पॉलिसी है। तीन महीने के शिशु से लेकर अस्सी वर्ष के वरिष्ठ नागरिक तक कोई भी इसे खरीद सकता है। अट्ठारह वर्ष से कम उम्र के बालक-बालिकाओं को यह पॉलिसी अपने माता पिता या गार्जियन के साथ मिल सकती है। इस तरह की मेडिक्लेम पॉलिसी में मरीज को पहले इलाज का बिल चुकाना पड़ता है तथा बाद में उसे वह राशि बिल क्लेम करने के बाद वापिस दे दी जाती है |
  • कैश लेस मेडिक्लेम पॉलिसी में मरीज को पैसे जमा करवाने की जरुरत नहीं होती है इसके लिए आपको बीमा कंपनी द्वारा चुने गए कैश लेस हॉस्पिटल में अपना इलाज करवाना होता है तथा भर्ती होने के समय आपको या आपके हॉस्पिटल को सम्बंधित बीमा कंपनी को सूचना देनी होती है | आजकल Cashless Health Insurance ही अधिक चलन में है |
  • मेडिक्लेम पॉलिसी के लिए खास उम्र के समूहों के लिए खास बीमा रकम (किश्त) या प्रीमियम ली जाती है। बढ़ती उम्र के साथ प्रीमियम भी बढ़ता जाता है।
  • अस्पताल में भरती हो जाने पर होनेवाले खर्च की भरपाई पॉलिसी के अंतर्गत, पॉलिसीधारक को यदि किसी बीमारी की वजह से अथवा दुर्घटना की वजह से अस्पताल में भरती होना पड़ा, 24 घंटों से अधिक समय के लिए अस्पताल में रहना पड़ा, तब सारा खर्चा वापस मिल जाता है।
  • इस पॉलिसी के अंतर्गत क्लेम मिलने के लिए एक ‘नियत कालावधि’ (लॉक इन पीरियड) को पार करना अनिवार्य है। यानी पॉलिसी लेने के 30 दिन (पॉलिसी के अनुसार यह अवधि कम-अधिक भी हो सकती है) की अवधि तय की गई है।
  • इसको आप ऐसे समझे की यदि आप मेडिक्लेम पॉलिसी खरीदने के दूसरे ही दिन बीमार पड़ जाते हैं, तब क्लेम का मुआवजा बिलकुल नहीं मिलेगा। परंतु यदि दूसरे ही दिन कोई दुर्घटना हो जाती है, अस्पताल में भरती होना पड़ता है, तब (भले ही 30 दिन की अवधि पूरी नहीं हुई है) क्लेम दाखिल किया जा सकता है।
  • पॉलिसी खरीदते समय यदि खरीदार के शरीर में कुछ बीमारियाँ पहले से ही हैं, तब उनके उपचार के लिए क्लेम नहीं मिलता है। ये बीमारियाँ हैं—
  • दमा, ब्रोंकाइटिस
  • किडनी में सूजन
  • कॉलरा अथवा पेचिस
  • मधुमेह
  • रक्तचाप
  • फिट्स आना
  • जुकाम, खाँसी, बुखार।
  • कोई मानसिक बीमारी।
  • गले में सूजन, स्वरयंत्र में तकलीफ।
  • मिरगी।
  • जोड़ों में दर्द, गठिया, आमवात। या ऐसी कोई अन्य बीमारी जो बीमा खरीदने से पहले ही शरीर में शुरू हो चुकी हो |
  • अधिकांश कंपनियाँ पॉलिसी शुरू होने के बाद ‘4 क्लेम फ्री वर्षों’ के बाद (यानी इस दौरान 4 वर्षों में आपने कोई भी क्लेम नहीं लिया है तब) पहले से विद्यमान रही बीमारियों के लिए अस्पताल में भरती होने वाले क्लेम को योग्य मानती हैं।
  • मेडिक्लेम पॉलिसी के अंतर्गत हॉस्पिटलाइजेशन होने पर निम्‍नलिखित खर्च वापस मिलता है— कमरे का किराया। नर्सिंग का खर्च। सर्जन, अनस्थेशिया देनेवाले की फीस, डॉक्टर, स्पेशलिस्ट आदि की फीस। अनस्थेशिया, ऑक्सीजन, ऑपरेशन थिएटर का किराया, सर्जिकल उपकरण, एक्स-रे, डॉक्टरी जाँच रिपोर्ट, दवाइयाँ सलाइन, डाइलिसिस, केमोथेरेपी, रेडियोथेरेपी, पेसमेकर, कृत्रिम अवराव, कृत्रिम ऑर्गन आदि का खर्च।
  • मेडिक्लेम पॉलिसी के अंतर्गत उपरोक्त तमाम खर्चों के अलावा, अस्पताल में भरती होने के 30 दिन पहले वाले तथा अस्पताल से छुट्टी मिल जाने के बाद के 60 दिनों तक का, घर में इलाज पर हुआ खर्च भी वापस मिलता है। इसे ही ‘डोमिसिलियरी हॉस्पिटलाइजेशन बेनिफिट’ कहा जाता है। वैसे इस तरह की सुविधा अलग बीमा पॉलिसी
  • मेडिक्लेम पॉलिसी का क्लेम मिलने के लिए अस्पताल में कम-से-कम 24 घंटे भरती होना पड़ता है। यह शर्त किन्हीं खास उपचारों के के लिए की गई है। जैसे— डाइलिसिस। केमोथेरेपी। रेडियोथेरेपी। आँखों की सर्जरी। दाँतों की सर्जरी। पथरी का ऑपरेशन। टॉन्सिल्स का ऑपरेशन आदि।
  • ऊपर बताये गए इन सभी इलाजो में मरीज को 24 घंटों के लिए अस्पताल में भरती नहीं होना पड़ता, फिर भी मरीज को मेडिक्लेम पॉलिसी के अंतर्गत मुआवजा मिलता है।
  • जिन अस्पतालों में बीमाधारक भरती होते हैं, वे सभी अस्पताल मेडिक्लेम पॉलिसी के नियमानुसार सरकारी मान्यता प्राप्त होने जरूरी हैं |
  • मेडिक्लेम पॉलिसी खरीदने से पहले बीमा कंपनी द्वारा (approve) मंजूर किये गए हॉस्पिटल की लिस्ट जाँच ले की ये हॉस्पिटल आपके आसपास के एरिया में है या नहीं |
  • यदि पॉलिसीधारक के शरीर में, पॉलिसी लेने से पहले कुछ खास बीमारियाँ हैं, तब उनका क्लेम नहीं मिलता, इसे हम पहले ही बता चुके हैं। उन बीमारियों के नाम भी हम दे चुके हैं, इसलिए इन बीमारियों के साथ-साथ निम्‍नलिखित बातें भी असम्मिलित (Excluded) होती हैं।
  • जैसे- मेडिक्लेम खरीदने से पहले विद्यमान बीमारियों का इलाज।
  • पॉलिसी खरीदने के बाद के 30 दिनों के अंदर हुई बीमारी का इलाज।
  • मेडिक्लेम पॉलिसी लेने पर पहले साल में ही यदि मोतियाबिंद, हार्निया, बवासीर, प्रोस्टेट ग्रंथि में वृद्धि, मासिक धर्म की तकलीफ, गर्भाशय में उपजी गाँठ, गर्भाशय निकालना, भगंदर, जन्म से हुई कोई बीमारी आदि में मेडिक्लेम नहीं मिलता।
  • प्लास्टिक सर्जरी, कॉस्मेटिक सर्जरी आदि भी कवर नहीं होते है इसके अतिरिक्त चश्मा लगना, कॉन्टेक्ट लैंस लगवाना, ऊँचा सुनने के लिए मशीन लगवाना आदि। दंत चिकित्सा, दाँतों का निकलवाना आदि भी कवर नहीं होता है |
  • आत्महत्या का प्रयास, शराब, ड्रग्स आदि के सेवन की वजह से अस्पताल में भरती होना पड़ा हो। एड्स की वजह से अस्पताल में भरती होने पर। टॉनिकस, ताकत बढ़ानेवाली दवाइयाँ अथवा विटामिन्स पर होनेवाला खर्चा नहीं मिलता है।
  • कमजोरी की वजह से आराम करने के लिए अस्पताल में भरती किया गया हो। गर्भपात, बच्चा होना, सिजेरियन आदि इन सब के लिए भी आप बीमा राशी क्लेम नहीं कर सकते है।
  • नेचरोपैथी यानी प्राकृतिक चिकित्सा। आयुर्वेदिक चिकित्सा। मेडिक्लेम पॉलिसी प्रपोजल फॉर्म के साथ उपरोक्त सारी जानकारी दी जाती है। उसे ठीक से समझकर, उस पर चर्चा कर, सलाह-मशविरा करने के बाद ही प्रपोजल फार्म को भरें।
  • बीमे की किश्त को तय करने के लिए उम्र के हिसाब से निम्‍नलिखित समूह बनाए जाते हैं— उम्र के 35 वर्ष पूरे होने तक। 36 वर्ष-45 वर्ष तक। 46 वर्ष-55 वर्ष तक। 56 वर्ष-65 वर्ष तक। 66 वर्ष-70 वर्ष तक। 71 वर्ष-75 वर्ष तक। 76 वर्ष-80 वर्ष पूरे होने तक। 80 वर्ष की उम्र हो जाने के बाद मेडिक्लेम पॉलिसी नहीं दी जाती। इन सभी समूह के लिए बीमे की किश्त समूह (उम्र) के अनुसार तय की गई है। संबंधित समूह को निर्धारित किश्त प्रतिवर्ष अदा करनी पड़ती है। उम्र के एक समूह को पार करने के पश्‍चात् अगले समूह के लिए निर्धारित रकम की किश्त अदा करनी होगी।
  • मेडिक्लेम पॉलिसी व्यक्तिगत तथा परिवारिक खरीदी जा सकती है। इसके अंतर्गत पति/पत्नी तथा उन पर निर्भर उनके बच्चों और गार्जियन को शामिल किया जा सकता है। यदि पूरे परिवार के लिए एक ही समय में पॉलिसी (Family Health Insurance Plan) खरीदी गई, तब डिस्काउंट भी मिलता है।
  • मेडिक्लेम पॉलिसी के रीन्युअल बीमा किश्त में कोई भी छूट नहीं दी जाती। हर साल उस निश्‍चित तारीख को किश्त अदा करना जरूरी है। यदि आपने उस साल में कोई क्लेम नहीं लिया है तो आपको “नो क्लेम बोनस” के रूप में बीमा कवर की राशि बढ़ा दी जाती है |
  • किश्त भरने के लिए अधिकतम 8 दिनों की मोहलत दी जाती है, परंतु यदि इस दौरान मेडिक्लेम आता है, तब उसका भुगतान नहीं किया जाता। इसीलिए किसी भी कीमत पर मेडिक्लेम पॉलिसी को समय से ‘री-न्यू’ (नवीनीकरण) समय से करवाना जरुरी है।
  • यदि मेडिक्लेम पॉलिसी जीवन में पहली बार खरीद रहे हैं, तब उम्र के 45 वर्ष तक कोई चिकित्सीय जाँच नहीं करवानी पड़ती, परंतु इस उम्र के पार कर जाने पर डॉक्टरी जाँच के बगैर पॉलिसी नहीं दी जाती। इसीलिए अच्छा यही है कि जल्द-से-जल्द यानी उम्र के 30वें वर्ष तक ही पॉलिसी खरीद लें । ताकि कई गंभीर बीमारियाँ जो अक्सर बढती उम्र में होती है वो भी कवर हो सके |

रोजाना भत्ता देने वाली पॉलिसी

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हेल्थ इन्शुरन्स

Hospital Cash Daily Allowance Insurance Plans

  • अस्पताल में भरती हो जाने पर रोजाना भत्ता देनेवाली पॉलिसी इस पॉलिसी को ‘Hospital Daily Cash Policy’ भी कहा जाता है। मरीज के अस्पताल में भरती हो जाने पर प्रत्यक्ष तथा अप्रत्यक्ष रूप से कई खर्चे उभरकर सामने आते हैं। (जैसे इलाज के दौरान मरीज काम नहीं कर सकता तो उसकी इनकम कम हो जाती है ) मरीज तथा परिवारजनों को यह खर्चे उठाना पड़ता है। यह पॉलिसी उसकी व्यवस्था करती है। इस पॉलिसी को मेडिक्लेम के साथ अथवा स्वतंत्र रूप से भी खरीदा जा सकता है।
  • यदि मरीज को 24 घंटों से अधिक समय के लिए अस्पताल में भरती होना पड़े, तब इस कैश पॉलिसी की वजह से एक तय रकम मरीज को प्रतिदिन दी जाती है।
  • पॉलिसी बनवाते समय यह रकम निश्‍चित की जाती है। अस्पताल में भरती होने पर आनेवाले खर्च का, इस तय रकम से कोई सीधा संबंध नहीं होता। प्रतिदिन की तय रकम, सम एश्योर्ड के कुछ प्रतिशत, पहले से निश्‍चित की गई होती है। जैसे—यदि सम एश्योर्ड रकम 2 लाख रुपए है, तब उसका 1 प्रतिशत यानी 2 हजार रुपए रकम तय की जाती है, जो प्रतिदिन मिलती है। यदि मरीज को इसके बाद भी अस्पताल में रहना पड़े, तब अतिरिक्त रकम नहीं मिलती। भत्ता बंद हो जाता है।
  • अलग-अलग कंपनियों के नाम से स्वतंत्र रूप से या अन्य बीमा पॉलिसियों के साथ शेषपूर्ति के तौर पर यह पॉलिसी बेची जाती है। इसे खरीदना एक बुद्धिमानी की बात सिद्ध होती है। इसकी किश्त तुलनात्मक तौर पर छोटी होती है।
  • यह भी पढ़ें – हेल्थ इंश्योरेंस का चुनाव और क्लेम करने से जुड़े 40 सवालों के जवाब

Health Insurance की अहमियत को आप केवल इस बात से ही समझ सकते है की विश्व बैंक की रिपोर्ट (2002) के अनुसार अस्पतालों में भरती किए जाने वाले 24 प्रतिशत लोग इलाज पर खर्च करने के कारण गरीबी रेखा से नीचे आ गए; 40 प्रतिशत लोगों ने चिकित्सीय खर्चे को पूरा करने के लिए अपनी संपत्तियाँ बेच दीं या पैसा उधार लिया। ‘इन्वेस्ट इंडिया इकोनॉमिक फाउंडेशन’ द्वारा किए गए एक सर्वेक्षण के अनुसार, चिकित्सीय आपात स्थिति लोगों द्वारा साहूकारों से लोन लिये जाने का दूसरा सबसे बड़ा कारण है। (इकोनॉमिक टाइम्स, 18-9-2007) | इसलिए अपने आप को ऐसी किसी मुसीबत से बचाने के लिए किसी मेडिक्लेम पॉलिसी को आज ही खरीद लें |

मेडिक्लेम पॉलिसी तथा हेल्थ इन्सुरेंस से जुड़े मुख्य बिंदु संक्षेप में

  • मेडिक्लेम पॉलिसी लेने के दौरान अपनी सेहत से सम्बंधित कोई भी गलत जानकारी ना दें |
  • मेडिक्लेम पॉलिसी जितनी कम उम्र में आप लेकर रखेंगे उतना ही भविष्य में आपको इसका लाभ होगा | ऐसा करने से कुल दिए जाने वाले प्रीमियम (किश्त) में कमी आएगी तथा बड़ी बीमारियाँ भी कवर हो जाएगी जो अक्सर 35 की उम्र पार करने के बाद होती है |
  • यह जरुरी नहीं है की शुरुवात में आप कोई बड़ी बीमा राशि वाली मेडिक्लेम पॉलिसी खरीदे शुरू-शुरू में बहुत छोटी मेडिक्लेम पॉलिसी ले सकते है, बाद में बीमा की कवरेज यानि बीमा राशि को अपनी जरुरत के हिसाब से बढ़ाया जा सकता है |
  • अधिक उम्र में मेडिक्लेम पॉलिसी लेने से ना केवल बीमे की किश्त बढती है बल्कि यदि इस बीच आपको कोई बीमारी हो गई तो वो कवर नहीं होगी इसलिए किसी लंबी चलने वाली बीमारी होने के बाद मेडिक्लेम पॉलिसी लेने कोई लाभ नहीं होगा |

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