ह्रदय रोग में लौकी के लाभों को लेकर तरह-तरह के विचार है पर इसमें कोई शक नहीं है की लौकी में काफी मात्रा में ऐसे तत्व मौजूद होते है जो न सिर्फ ह्रदय के लिए बल्कि पूरा स्वास्थ्य पर लाभकारी प्रभाव डालते है | राष्ट्रीय शाकाहार शोध संस्थान और पतंजली आयुर्वेद द्वारा किए गये रिसर्च में लौकी के औषधीय गुणों को ह्रदय रोगों में इस्तमाल लिए उपयुक्त पाया है| लौकी पाचक होती है। पेट संबंधी रोगों में भी अचूक औषधि है। हालाँकि ह्रदय रोग में लौकी को लेकर दुनिया के अन्य देशो और चिकित्सा प्रणालियों में शोध होने का कोई खास प्रमाण नहीं मिला है| फिर भी भारत में ह्रदय रोगों जैसे – हृदय की बढ़ती धड़कन, बेचैनी, घबराहट, उच्च रक्त चाप से पीड़ित व्यक्तियों के लिए लौकी का सेवन रामबाण साबित हुआ है। ऐसा दावा कई संस्थान और योग गुरु श्री रामदेव जी करते है |
लौकी की प्रकृति- ठण्डी और तर होती है लौकी मस्तिष्क की गर्मी को दूर करती है। यह छिलके सहित खानी चाहिए। लौकी ठण्डी, रूखी होती है। लौकी का रस दूध के समान पौष्टिक है। तथा औषधीय गुणों से भरपूर है।
लौकी की गुणवत्ता कैसे पहचाने – जो लौकी हरी, नरम, चिकनी, छूने पर मुलायम लगती हो, जिसके बीज कच्चे मुलायम, अंगुलियों से दबाने पर दब जायें, कठोर नहीं हों, वह अच्छी होती है।
लौकी में वसा (Bad Cholesterol) बहुत कम होती है। इसमें पाया जाने वाला कार्बोहाइड्रेट सरलता से पच जाता है। इसीलिये प्राय: सभी रोगों में लौकी की सब्जी, सूप तथा रस देना लाभदायक है। लौकी के सेवन से रक्त अम्लता (ब्लड में उपलब्ध एसिड) सामान्य हो जाती है। लौकी रक्त के लाल कण (Blood Red Cells) बनने में सहायता करती है। लौकी शक्तिवर्धक, सभी धातुओं को बढ़ाने वाली व खाने में रुचि पैदा करती है।यदि लौकी या इसका जूस कडवा हो तो इसका सेवन नहीं करें। लौकी की सब्जी उबालकर खायें, तेल और मसालों में भूनें नहीं।
ह्रदय रोग में लौकी के फायदे और घरेलू नुस्खे /Bottle Gourd Benefits In Heart Diseases.
- हृदय- हमारे शरीर के हर भाग को रक्त पहुँचाने वाला, माँसपेशियों से बना एक पंप है, जो जन्म से लेकर मृत्यु तक हर क्षण, यहाँ तक कि निद्रावस्था में भी बिना एक पल आराम किए लगातार धड़कता रहता है। हृदय को रक्त मिलता है हृदय धमनियों से। इन हृदय धमनियों में कोलेस्ट्रॉल जमा होने से (Coronary Heart Disease), दिल का दौरा पड़ सकता है, जो जानलेवा भी हो सकता है। Coronary Heart Disease के होने के मूल कारण हैं आधुनिक जीवनशैली, अनियमित आहार, बढ़ता हुआ तनाव एवं धूम्रपान/तंबाकू सेवन। अगर दिल के दौरे, एंजियोप्लास्टी तथा बाईपास सर्जरी से बचना है तो इसके लिए नियमित व्यायाम, संतुलित आहार, अनावश्यक तनाव से बचना आवश्यक है। अधिक विस्तार से जानने के लिए देखें हमारा यह लेख – हृदय रोग -कारण लक्षण और बचाव |

- हृदय-शूल (Angina Pain)- हृदय को रक्तसंचार करने वाली रक्त-वाहिकाओं में रुकावट होने के कारण जो कष्ट और पीड़ा हो जाती है, उसे हृदय-शूल कहते हैं। हृदय रोग में रक्तवाहिनी (Blood Vessels), जो हृदय को रक्त पहुँचाती है, के अवरुद्ध हो जाने पर ओपन हार्ट (बाईपास सर्जरी) द्वारा पैर या हाथ से नसें निकाल कर इनके स्थान पर लगाई जाती हैं। दूसरी नसें लगा देने के पश्चात् भी बहुत से रोगियों की इन नसों में पुन: अवरोध हो जाता है, जिसके कारण पुन: सर्जरी करके दूसरी नस लगाते हैं। यह पहले ऑपरेशन से और अधिक जोखिम भरा होता है।
- ह्रदय रोग में लौकी का किसी भी रूप में सेवन करें, हृदय के लिए लाभकारी है। इसका सरल उपयोग है, लौकी की सब्जी में हरा धनिया, जीरा, हल्दी, नमक, मिर्च बहुत कम मात्रा में डालकर खायें। इसमें तेल या घी का (तड़का) छौंक नहीं लगायें। इससे हृदय को कार्यशक्ति बढ़ेगी।
- How To Make Lauki Juice For Heart Patients– सबसे पहले छिलके सहित लौकी के टुकड़े करके उस पर 11 पत्ते तुलसी के, 5 पत्ते पुदीने के और 5 कालीमिर्च डालकर पीस कर रस निकाल कर एक कप रस में एक कप पानी मिला कर खाना खाने के बाद प्रतिदिन पियें।निर्बल, रक्त की कमी, रुग्ण और ह्रदय रोग में लौकी का रस लाभकारी है।
- मोटापा, हृदय रोग, पेट के रोग (lauki juice for cholesterol)- नित्य सुबह खाली पेट एक गिलास लौकी के रस में 10-10 पत्ते तुलसी और पुदीना के पीसकर मिलाकर पीने से लाभ होता है। अम्लपित में शीघ्र लाभ होता है।
- हृदय-विकार- हृदय रोग से पीड़ितों को लौकी की सब्जी के साथ-साथ इसका रस 20 मि.ली. प्रतिदिन सुबह-शाम पीना चाहिए।
- Lauki Juice For Heart Blockage :- लौकी का रस नित्य पीने से हृदय की धमनियों में आयी रुकावट (heart blockage) कम हो जाती है। घबराहट दूर होकर हृदय दर्द से राहत मिलती है। कोलेस्ट्रॉल अपनी सामान्य अवस्था में आ जाते हैं। हृदय के अवरोध (Blockage) का खतरा कम हो जाता हैं। हृदय को शक्ति मिलती है और कार्य की गति बढ़ जाती है। ह्रदय रोग में लौकी का रस पीते रहने से लगातार लाभ होता जाता है।
- सेवनकाल- इस पोस्ट (लौकी का रस बनाने की विधि) में बतायेनुसार तैयार किया हुआ लौकी का रस लगभग छह महीने तक पियें। लम्बे समय तक पीते रहने से कोई हानि होने की सम्भावना नहीं है, फिर भी किसी प्रकार की हानि प्रतीत हो तो रस पीना बन्द कर दें।
- इस प्रयोग को करते समय टहलना आवश्यक है चाहे पहले दिन दस कदम ही चलें। इस प्रयोग के दस दिन बाद ही आराम अनुभव होगा। टहलने की दूरी धीरे-धीरे बढ़ाते हुए यथाशक्ति जितना लम्बा घूमना चाहें, घूम सकते हैं।
- जो व्यक्ति Angina से पीड़ित हैं, वे लौकी के रस का प्रयोग करके देख सकते हैं।
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संदर्भ (References)
- दिल की बीमारियों से बचना है तो रोजाना पीएं इसका एक गिलास जूस – दैनिक भास्कर एक प्रतिष्ठित भारतीय अख़बार (bhaskar.com)
- दिल की बीमारी को दूर रखे लौकी – onlymyhealth.com – एक प्रतिष्ठित वेबसाइट
- Making hearts beat better by Lauki “The Times Of India” (एक जाना माना अंग्रेजी अख़बार )
- Disclaimer :- इस पोस्ट में दी गयी जानकारी काफी रिसर्च और विशेषज्ञों द्वारा लिखे गये विभिन्न लेखो और पुस्तक पर आधारित है | फिर भी हमारा आपसे अनुरोध है की ये उपाय अजमाने से पहले अपने डॉक्टर से परामर्श अवश्य करें, क्योंकि ह्रदय से सम्बंधित रोग बहुत सवेंदनशील होते है जरा सी भी लापरवाही घातक हो सकती है | Please always consult your physician before using any new herb & Remedy.
Thanks for sharing for such a useful post.
धन्यवाद मनु जी