केसर का औषधीय उपयोग, फायदे तथा केसर की पहचान के तरीके

केसर का अंग्रेजी नाम (Saffron) है | केसर के पौधे का वानस्पतिक नाम क्रोकस सैटाइवस है इसके अन्य नाम है कुंकुम, जाफरान। इसकी प्रकृति खुश्क और गर्म होती है इसलिए सर्दी के मौसम में रोजाना इसका सेवन करना चाहिए । केसर अपनी सुगंध और स्वाद के लिए प्रसिद्ध है। औषधियों, मिठाइयों में केसर डालने से सुगंध तो आती है, साथ ही स्वाद भी बढ़ जाता है। किसी भी खाद्य वस्तु का स्वाद, सुगंध और रंग के लिए केसर डाली जाती है। यह त्रिदोषों को दूर करने वाली होती है। इसके सेवन से सनायु तंत्र की कमजोरी और निम्न रक्तचाप दूर होता है। शरीर में शक्ति व स्फूर्ति आती है।

केसर का औषधीय उपयोग

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केसर के गुण
  • दिमागी तरावट और याददाश्त बढ़ाने के लिए केसर का दूध रोजाना सुबह-शाम पियें। मीठे के लिए शहद मिलाकर पियें तो अधिक लाभ होगा। पढने लिखने वाले बच्चो को तो इसका सेवन जरुर करना चाहिए |
  • अवसाद (Depression)-कई रिसर्च में यह यह पता चला है कि केसर डिप्रेशन कम करने के साथ-साथ कैंसर की भी रोकथाम करती है। केसर 30 मि.ग्रा लेते रहने से डिप्रेशन के लक्षणों में उतना ही सुधार होता है जितना अन्य डिप्रेशन की दवाओं से होता है। यह केसर लम्बे समय कम से कम 6 सप्ताह तो लें ही। केसर नॉरपाइनफ्राइन और डोपामाइन जैसे मूड को अच्छा बनाने वाले न्यूरोट्रांसमीटर्स की क्रियाशीलता को बढ़ा देती है।
  • कैंसर से बचाव -क्रोसिन ऐसा कैरॉटेनाइड है जो कैंसर को फैलने और बढ़ने से रोकने में सहायता करता है। केसर में यह क्रोसिन पाया जाता है। इससे केसर ट्यूमररोधी और कैंसर के फैलने से रोकने में सहायता करती है |
  • यकृत बढ़ना–यकृत (लीवर) बढ़ने पर जरा-सी केसर करेले के रस में पीसकर दो चम्मच करेले का रस और चौथाई कप पानी मिलाकर नित्य पियें |
  • सर्दी के प्रभाव सर्दी के कारण बुखार, खाँसी, जुकाम, बुखार में केसर का दूध पियें।।
  • सिरदर्द, माइग्रेन होने पर जरा-सी केसर का दूध में पीसकर माथे पर मले |
  • शक्तिवर्धक–केसर, चन्दन घिसकर तिलक लगाने से व्यक्तित्व में निखार आता है। मस्तिष्क की शक्ति बढ़ती है। मिठाई, चावल, दूध में प्रायः केसर डाली जाती है। इससे ये खाद्य पदार्थ टॉनिक की तरह प्रभावशाली बन जाते हैं।
  • भूख की कमी में केसर का सेवन लाभकारी होता हैं।
  • चोट लगने पर, त्वचा के झुलस जाने पर केसर का लेप लगाने से आराम मिलता है।
  • सौंदर्यवर्धक–(1) 250 ग्राम दूध में असली केसर (पाँच पंखुड़ियाँ) तथा एक छोटी इलायची डालकर, उबालकर रोजाना पीते रहने से रंग साफ होता है। सर्दियों में एक महीने तक पियें।
  • कच्चे दूध में रात को केसर भिगो दें। सुबह उस दूध को रुई के फोहे से चेहरे पर लगाकर आधा घंटे बाद चेहरा धोयें। कुछ सप्ताह के प्रयोग से चेहरा सुन्दर लगेगा। मुँहासे ठीक हो जाते हैं। केसर पर्याप्त मात्रा में लें, जिससे दूध का रंग गहरा हो जाये।
  • दाँत निकलना–शिशुओं को दाँत निकलते समय केसर देते रहने से बहुत लाभ होता है। शिशु रोते कम हैं। अच्छा पोषण हो जाता है। केसर में विटामिन बी-2′ तथा रिबोफ्लोविन प्रचुर मात्रा में मिलते हैं। इसके प्रयोग से दर्द में आराम मिलता है।
  • पाव चम्मच शुद्ध घी में 4-5 केसर का पाउडर सूंघने से आधासीसी का दर्द मिटता है। इसे उबटन के साथ पीस कर चेहरे पर लेप करने से चेहरे का रंग साफ होता है।
  • पेट दर्द-चौथाई चम्मच पिसी दाल-चीनी में जरा-सी केसर पीस कर गर्म पानी से फंकी लें।
  • पथरी–एक कप अंगूर के रस में केसर की थोड़ी सी मात्रा मिलाकर पियें। यह पथरी रोगियों के लिए बहुत फायदेमंद है.

स्त्रियों के लिए केसर का उपयोग : गर्भावस्था में केसर के लाभ

  • मासिक धर्म–अनियमित मासिक स्राव, मासिक स्राव में दर्द, स्राव की मात्रा कम इसके सेवन से ठीक होते हैं। केसर और कपूर थोड़ी थोड़ी मात्रा में मिलाकर रोजाना दो बार गर्म पानी से मासिक धर्म आने के चार दिन पहले फंकी लें। मासिक धर्म का दर्द नहीं होगा तथा मासिक धर्म खुलकर आयेगा।
  • बाँझपन—कभी-कभी विवाहित स्त्री गर्भधारण नहीं कर पाती है । जाँच में कोई कारण भी नहीं मिलता। केसर एक ग्राम, नाग केसर 5 ग्राम दोनों को पीसकर मिलाकर इसकी तीन पुड़िया बनाकर मासिक स्राव बन्द होने के बाद इसकी एक खुराक रोजाना गर्म दूध के साथ सुबह लें। ऐसा करने से गर्भधारण की संभावना बढ़ जाएगी ।
  • केसर का दूध पीने से नार्मल डिलीवरी की संभावना बढ़ जाती हैं। ऐसे में गर्भावस्था के पांचवे महीने से ही इसका सेवन करना चाहिए।
  • गर्भावस्था में केसर का दूध पीते रहने से होने वाले शिशु का रंग साफ़, उज्ज्वल होता है।
  • गर्भाशय में आई सूजन व दर्द केसर के नियमित प्रयोग से दूर होते हैं। स्त्रियों में हिस्टीरिया रोग को इसके द्वारा नियंत्रित किया जा सकता है।
  • याद रखें की, गर्भवती स्त्रियों को ज्यादा मात्रा में और लम्बे समय तक केसर का सेवन नहीं करना चाहिए क्योंकि इससे गर्भपात का खतरा रहता है। संतुलित मात्रा में केसर का सेवन करना चाहिए। दिन में सिर्फ केसर के 4 रेशे ही 1 गिलास दूध में मिलाकर पीने चाहिए। इसका अधिक सेवन करने से गर्भवती महिला और उसके बच्चे को नुकसान भी हो सकता है खासकर गर्मियों के मौसम में केसर ना खाएं ।

केसर का सेवन कैसे करे ?

  • किसी कूटनी में केसर की पाँच पत्तियां, पंखुड़ी जरा-सा दूध डालकर पीस लें, फिर इसे दूध में मिलाकर पियें।
  • सेवन विधि–एक गिलास गर्म दूध में जरा-सी केसर (पाँच पंखुड़ी) मिलाकर रोजाना सोते समय पियें। केसर का बारीक पाउडर पीस कर रखें। यह जरा-सी दूध में डालने से घुल जाती है। दूध स्वादिष्ट लगता है।
  • केसर के व्यापारी इसका वजन बढ़ाने के लिए इसे पानी या तेल में गीला करके भारी कर देते हैं। इसे दूर करने के लिए केसर को एक थाली में बीच में इकट्ठी करके रख दें। एक कटोरी को आग पर गरम करके इसके ऊपर औंधी करके इस तरह से रखें कि केसर कटोरी के बीच में रहे और सारा कटोरी से ढक जाए। कटोरी की गरमी से केसर सूख कर हल्की हो जाएगी। 4-5 मिनट बाद कटोरी हटा लें और केसर को शीशी में बन्द करके रख लें ।

असली केसर की पहचान क्या है ?

केसर का औषधीय उपयोग, फायदे तथा केसर की पहचान के तरीके kesar ke fayde pregnancy dudh

  • केसर की पहचान करना भी जरुरी है की वो असली है या नकली |
  • केसर को पानी में भिगोकर साफ सफेद कपड़े पर लगाकर मलने से यदि एकदम से केसरिया पीले रंग का धब्बा पड़े तो केसर असली है। पहले लाल रंग का धब्बा पड़कर फिर पीले रंग का हो तो यह केसर नकली है।
  • केसर की एक पंखुड़ी जीभ पर डालते ही गर्म लगती है। स्वाद कड़वा होता है।
  • केसर का रंग ही इसकी सबसे बड़ी पहचान है | रेक्टीफाइड स्पिरिट में जरा-सी केसर डालते ही रंगीन हो जाये और केसर की पंखुड़ी (रेशा) रंगीन बना रहे तो केसर असली है |

इस हर्ब के बेहतरीन गुणों तथा कई अन्य कारणों की वजह से इसका मूल्य बहुत अधिक होता है | यदि आपके लिए मूल्य अधिक मायने नहीं रखता है तो केसर का लाभ अवश्य उठायें |

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