एचआईवी एड्स के लक्षण और 4 मुख्य स्टेज

जैसा की हमने पिछले पोस्ट में बताया था की एड्स का वायरस अपने आप कोई रोग पैदा नहीं करता है वो केवल रोगी के शरीर को इतना कमजोर कर देता है की उसकी रोग प्रतिरोधक ताकत खत्म हो जाती है और अंत में मरीज किसी भी अन्य बीमारी से मारा जाता है | इसलिए देखा जाये तो एड्स के लक्षण अन्य रोगों से अलग नहीं होते है बस इतना फर्क है की एड्स होने पर रोगी पर किसी भी दवा का असर नहीं हो पाता है | इसलिए हो सकता है की बुखार जैसी मामूली सी बीमारी भी रोगी की मौत का कारण बन जाए | पुरुषो और महिलाओ में एड्स के लक्षण एक समान होते है |

एच.आई.वी. एड्स से संक्रमित होने पर कई लोगों में कोई लक्षण दिखाई नहीं देते। वाइरस के संपर्क मे आने के कई दिन या हफ्तों के बाद कुछ लोगों में फ्लू जैसा बीमारी के लक्षण दिखाई पड़ते हैं। वे बुखार, सिरदर्द, थकावट और गले की बड़ी हुई ग्रन्थियों की शिकायत करते हैं। एड्स के ये लक्षण सामान्यतः कुछ सप्ताह बाद अपने आप गायब भी हो जाते हैं। इसके पनपने का समय हर व्यक्ति में अलग-अलग लगता है। यह स्थिति कुछ महीनों से लेकर दस साल तक चल सकती है। इस अवधि में वाइरस सक्रिय होकर शरीर को अंदर से कमजोर बनाता जाता देता है | जाँच में एच.आई.वी. पाजी़टिव होने का मतलब होता है, की एड्स का वायरस आपके शरीर में प्रवेश कर गया है, परंतु इसका अर्थ यह नहीं है कि आपको एड्स है। एच.आई.वी. पाजीटिव होने के 6 महीने से 10 साल के बीच में कभी भी एड्स हो सकता है।
इस बीच अगर एक स्वस्थ व्यक्ति एच.आई.वी. पाजीटिव व्यक्ति के संपर्क में आता है, तो वह भी संक्रमित हो सकता है। संपर्क होने का मतलब छूना या साथ खाना खाने से नहीं है इसको विस्तार से नीचे समझाया गया है | Common HIV Symptoms in Men women and 4 stages of HIV infection |

पुरुषों और महिलाओं में एचआईवी एड्स के लक्षण :

HIV AIDS ke Lakshan पुरुषों और महिलाओं में एचआईवी एड्स के लक्षण
एड्स के लक्षण
  • प्रमुख एड्स के लक्षण : लगातार कई दिनों तक बिना कारण के बुखार बना रहना और किसी दवा से ठीक न होना। ये एड्स के लक्षण हो सकते है |
  • वजन कम होते जाना एवं तीन महीनों में ही रोगी का वज़न 20 प्रतिशत कम होना भी एड्स के लक्षण हो सकते है ।
  • लगातार एक महीने के ऊपर पतले दस्त लगना और दवाओं से ठीक न होना।
  • जरुरत से ज्यादा थकान का अनुभव होना | मांसपेशियां तनावग्रस्‍त और अकड़ी रहना |
  • फ़्लू जैसे लक्षण दिखने लगते हैं , इसमें बुख़ार, थकान, मांसपेशियों में खिंचाव, जोड़ों का दर्द सूजन और सिरदर्द प्रमुख लक्षण हैं | ये सभी एड्स के लक्षण हो सकते है |
  • साधारण लक्षण : एक महीने से अधिक समय तक खाँसी आना।
  • शरीर की सभी लसिका ग्रंथियों में सूजन आना।
  • मुँह में बालों युक्त सफेद चकते या धब्बे पड़ना। नाख़ून कमजोर होकर टूटना या उनका रंग बदलना भी एड्स के लक्षण हो सकते है |
  • अचानक वजन में कमी आना, भूख न लगना और रक्त की कमी होना |
  • पूरे बदन में खुजली एवं जलन होना। त्वचा पर लाल चकते और खुजली होना, त्वचा का पीला पड़ना भी एड्स के लक्षण हो सकते है |
  • बार-बार हर्पीस ज़ोस्टर नामक बीमारी का होना।
  • यौन अंगो में घाव, संक्रमण या खुजली की बीमारी होना और लंबे समय तक इनका बने रहना दवाई लेने के बावजूद मरीज का ठीक ना होना भी एड्स के लक्षण हो सकते है |
  • महिलाओ मे योनी के घाव, खुजली तथा अत्यधिक रक्तस्त्रावका होना |
  • हरपीज-सिंप्लेक्स नामक बीमारी का बढ़ते जाना। यहाँ यह भी समझ लेना आवश्यक है कि कई बार एड्स संक्रमण के बावजूद भी एड्स HIV Testing करवाने पर परिणाम पोजिटिव नहीं मिलता। ऐसे मामलों में कुछ सप्ताह बाद फिर से परीक्षण करवाना चाहिए लेकिन परीक्षण 100 प्रतिशत यह सिद्ध नहीं करता कि किसी रोगी को एड्स का संक्रमण नहीं है।
  • ये सारे लक्षण अन्य बीमारियों के भी हो सकते है इसलिए बिना जाँच के कुछ भी कहना संभव नहीं होता है | दरअसल एड्स के लक्षण में एक सबसे खास होता है, वो है मरीज को कोई भी बीमारी हो और वो दवा लेने के पश्चात भी लंबे समय तक ठीक नहीं होती है | इसके अतिरिक्त एड्स का मरीज अक्सर जल्दी-जल्दी बीमार पड़ता रहता है |

एड्स विषाणु से संक्रमित व्यक्ति में रोग की प्रमुख रूप से 4 अवस्थाएँ होती हैं

  • एचआईवी प्रारंभिक चरण : रोग की पहली अवस्था में रोगी केवल एड्स विषाणु का वाहक (कैरियर) बना रहता है, यहाँ तक कि परीक्षणों में भी रोग की पुष्टि नहीं हो पाती। यह अवस्था 4 से 21 सप्ताह तक रह सकती है अथवा कई मामलों में और भी लंबे समय तक रहती है एवं अधिकतर रोगियों को कोई तकलीफ नहीं होती। (इस समय को विंडो पीरियड भी कहते हैं।)
  • रोग की दूसरी अवस्था में संक्रमण के कारण रक्त में एंटीबॉडी बन जाती है, जिससे खून की जाँच के परिणाम पोजिटिव मिलते हैं। लेकिन एड्स के लक्षण फिर भी नहीं दिखाई देते है। यह अवस्था 6 महीनों से लेकर 10 से 12 वर्षों तक रह सकती है और इस अवस्था में मरीज अन्य स्वस्थ व्यक्तियों को भी रोग का शिकार बना सकता है। संक्रमित व्यक्ति इस दौरान स्वस्थ रहता है। उसमें एड्स के लक्षण नहीं दिखते। यह भी अवश्य पढ़ें – जानिए एच.आई.वी एड्स कैसे होता है, कारण
  • रोगी की तीसरी अवस्था में रोग के प्रारंभिक एड्स के लक्षण, जैसे-शरीर की लसिका ग्रंथियों (Lymph glands) में स्थायी रूप से सूजन आना, बुखार रहना, दस्त लगना, वजन कम होना इत्यादि शिकायतें हो जाती हैं। इसे एड्स रिलेटेड कांप्लेक्स (ARC) भी कहते हैं।
  • यह रोग की अंतिम अवस्था होती है। इसमें पहले के लक्षणों के अलावा अनेक अवसरवादी रोग, जैसे-टी.बी., हरपीज-सिंप्लेक्स, त्वचा कैंसर इत्यादि भी हो जाते हैं। और मरीज कमजोर होकर मृत्यु तक पहुँच जाता है।

“एक्वायर्ड इम्यूनो डेफिसिएंशी सिंड्रोम’ यानि एडस के लक्षण सामान्य बीमारियों के ही होते हैं, इसलिए एक लंबे समय तक एड्स का वायरस विशेषज्ञों को भी चकमा देने सफल हो जाता है। लेकिन एक सकारात्मक सोच के साथ अपने स्वास्‍थ्‍य पर थोड़ा ध्यान देकर एच.आई.वी. पाजी़टिव मरीज भी एक आम इन्सान की तरह जीवन गुजार सकता है।

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