चिकन पॉक्स (चेचक) में क्या खाना चाहिए क्या नहीं खाना चाहिए

चिकन पॉक्स या छोटी माता (वेरीसैला) यह हरपीज वायरस वैरीसैला से होने वाला संक्रामक रोग है। इसके जीवाणु सांस नली के द्वारा शरीर में प्रवेश करते हैं और विभिन्न अंगों में रोग पैदा करते हैं। इसकी शुरुवात में बुखार, सिर दर्द, शरीर दर्द और मामूली ठंड लगती है और यह 24 घंटे तक रहता है। इसके बाद त्वचा में दाने दिखाई देते हैं और खुजली होती है। दाने धड़ में अधिक होते हैं तथा चेहरे में कम और हथेली तथा तलवे में नहीं होते हैं। रोग जटिल होने पर बैक्टीरिया संक्रमण, पूरे शरीर में संक्रमण (सेप्टीसीमिया), जोड़ों का दर्द (आर्थरायटिस), फेफड़े में सूजन (न्यूमोनिया) या मस्तिष्क में सूजन (इंकैफेलायटिस) हो सकता है।

चिकन पॉक्स के कारण लक्षण :- पहले दिन तो कुछ ही पानी के दाने निकलते हैं, लेकिन अगले कुछ दिनों में काफी दाने निकलकर पूरे शरीर में फैल जाते हैं। हर फफोले के चारों तरफ थोड़ी लाली होती है और शरीर में केंद्रित होती है। पहले दिन रोगी को आम तौर पर हलका बुखार होता है और इसलिए रोगी अकसर इस पर ध्यान नहीं देता है। ये फफोले छोटे और अलग-अलग होते हैं और एक-दूसरे में नहीं मिलते हैं। ये पानी के दाने बिना किसी दवा के ही आम तौर पर 10 दिन के अंदर ही कम हो जाते हैं, घाव पर पपड़ी पड़ जाती है और पपड़ी बिना कोई स्थायी निशान छोड़े निकल जाती है। हालाँकि कुछ रोगियों में घाव दाग छोड़ जाते हैं, लेकिन यह बाद में ठीक हो जाता है। कभी-कभी, घाव पायोजेनिक जीवाणुओं से इंफेक्ट हो जाते हैं, जो गोलाकार गड्ढेदार दाग छोड़ जाते हैं। यदि रोगी की प्रतिरोधकता में कमी के कोई लक्षण हों या चिकन पॉक्स के व्यापाक होने का खतरा हो तो एंटी वायरल दवा (एसीक्लोवीर) लेना आवश्यक है। रोगी के संपर्क में रहने वाले अन्य लोगों में इंफेक्शन से बचाव के लिए एहतियात बरतने के अलावा कोई विशेष सावधानियाँ बरतने की जरूरत नहीं है। जो लोग पहले चिकन पॉक्स से संक्रमित हो चुके हैं और जिन्हें इन वायरस के विरुद्ध प्रतिरोधकता आ गई है, उन्हें बचाव के लिए सुरक्षात्मक उपाय करने की आवश्यकता नहीं है। लेकिन जो लोग विशेषकर बच्चे, जिन्हें पहले चिकन पॉक्स का इंफेक्शन नहीं हुआ है या जिनमें पहले इंफेक्शन के दौरान पर्याप्त प्रतिरोधकता नहीं आई है, उन्हें रोगी से संक्रमित होने का खतरा होता है। ऐसे लोगों को रोगी से दूर रहना चाहिए, फिर सावधानी के तौर पर वैसे भी रोगी को अन्य लोगों से अलग रखना अनिवार्य है। मरीज की त्वचा से पपडि़यों के गिर जाने तक मरीज को अलग रहना चाहिए। रोगी के अस्पताल में रहने पर कॉर्टिकोस्टेरॉयड या प्रतिरोधकता को दबाने वाली दवाइयों का सेवन कर रहे रोगियों को चिकन पॉक्स के रोगियों से दूर रखना चाहिए। रोगी को तेज बुखार होने पर नहाना नहीं चाहिए। खुजली होने पर वहाँ कैलामाइन लोशन लगाया जा सकता है। अतिरिक्त इंफेक्शन के लिए एंटी इंफेक्टिव लोशन/मलहम लगाया जा सकता है। चिकन पॉक्स  में रोगी को नहाने के बजाय शरीर को स्पंज से साफ किया जाना चाहिए, लेकिन यदि रोगी को स्नान करने की इच्छा हो रही हो तो उसे डॉक्टर की सलाह पर नहाने दिया जा सकता है ।

चिकन पॉक्स में क्या खाना चाहिए – डाइट

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चिकन पॉक्स में खानपान
  • इस बीमारी में कॉर्बोहाईड्रेट युक्त आहार का अधिक सेवन करना चाहिए। ये शरीर में कैलोरी को बढ़ाते हैं। इसके लिए चावल, दलिया, ओट्स, आलू और केले खाएं। चिकन पॉक्स की वजह से हमारे शरीर को विटामिन ए और सी की बहुत जरूरत होती है। इसके लिए नींबू, संतरा, पपीता, तरबूत, गाजर, खीरे, टमाटर और स्प्राउट्स बहुत फायदेमंद हैं।
  • चूंकि भूख का न लगना चिकन पॉक्स का एक सामान्य लक्षण है, इससे आम तौर पर पानी की कमी भी हो जाता है। इस समस्या से बचने के लिए, और कुछ आवश्यक पोषक तत्वों को लेने के लिए, सुनिश्चित करें कि मरीज को प्रतिरक्षा को मज़बूत करने वाला ढेर सारा तरल भी उसके शरीर को मिल रहा हो।
  • चिकन पॉक्स में रोगी को फलों का सेवन अधिक करना चाहिए । जैसा कि बताया गया है, आपके शरीर को इस बीमारी से उभरने के लिए विषाणु से लड़ना और उसे मरना परता है | इसलिए शरीर को पौष्टिक भोजन जैसे अंगूर, केले, सेब, खरबूजे आदि जैसे नरम फलों का सेवन करें। आप के मुँह और गले में फफोले हो सकते हैं जिससे अनार या संतरा का सेवन करने में कठिनाई हो सकती हैं। इन फलों का मिल्कशेक या जूस बना लें और थोड़े-थोड़े समय में पीते रहें।
  • चिकन पॉक्स होने पर पूरे दिन दही की अच्छी मात्रा लें। दही कैल्शियम और प्रोबायोटिक्स का अच्छा स्रोत है, यह त्वचा की अच्छी तरह से उपचार करने में भी मदद करता है।
  • सुबह सबसे पहले एक गिलास नर्म नारियल पानी पिये। यह भी महत्त्वपूर्ण विटामिन और खनिजों से भरा होता है, शून्य कैलोरी होने की वजह से ये शरीर को ठंडा और रोग प्रतीक्षा प्रणाली को मज़बूत बनता है।
  • दोपहर और रात का खाना दोनों के साथ एक कप दाल लें। टमाटर और नमक के साथ कुछ मूंग दाल को उबालें। अगर आप चाहें तो एक चुटकी हल्दी भी डाल सकते हैं। ताजी धनिया के पत्तों के साथ गार्निश करें और सूप की तरह लें।
  • संतरे और अन्य खट्टे फल प्रतिरक्षा प्रणाली के लिए अच्छे होते हैं। रोज़ एक गिलास ओरेंज जूस स्वास्थ्य के लिए उचित माना जाता है। एक महत्त्वपूर्ण बात यह है कि आपको जूस में मिलाय जाने वाले योजक (एडिटिव्स) से दूर रहना चाहिए। प्राकृतिक फल और सब्जी का रस इस समय आपके लिए सबसे अच्छा है।
  • चिकन पॉक्स में ताजी सब्जियां और कच्चे फल लेना अच्छा है। तुलसी और कैमोमाइल जैसे हर्बल चाय भी इसमें मदद करती है। अन्य खाद्य पदार्थ जैसे गाजर, काजू, टोफू, अखरोट, अंडे, अदरक, लहसुन, चुकंदर और ब्लू बेरी भी इस में मददगार होते हैं। कच्चे फल और सब्ज़ी की सेवन करने की सलाह दी जाती है।
  • इस बीमारी में बहुत पानी वाले आहार का सेवन भी करना चाहिए जैसे ककड़ी, टमाटर, पालक तरबूज, कीवी, अंकुरित आहार आदि।

चिकन पॉक्स में इन चीजो से परहेज करे

  • चेचक में डेयरी उत्पाद, मांस, रोटी या किसी अन्य प्रकार के भारी भोजन – जो पचाने में मुश्किल होते हैं – से परहेज़ करना चाहिए। रिफाइंड, घी, तेल और जंक फूड से दूर रहें। शरीर को देने लायक उनमें कम या कोई पौष्टिक पदार्थ नहीं होते। रेड मीट और तले हुए भोजन या अन्य इसी तरह तैयार किए गए खाद्य पदार्थों से भी बचना चाहिए।
  • तली, गर्म मसाले वाली चीजों से परहेज करें। ज्यादा ठंडी और ज्यादा गर्म चीजें भी न खाएं।
  • अपने भोजन में सख्ती से किसी तेल या मसाले का प्रयोग न करें। न ही स्वाद के लिए थोड़ा भी लाल मिर्च पाउडर का प्रयोग करें ये आपके मुंह और गले के फफोले को जला और खुजली उत्पन्न का सकता हैं।
  • चिकन पॉक्स में पाचन तंत्र आम तौर पर धीमा होता है और आपको चिकन पॉक्स के पहले कुछ दिनों में कुछ भी खाने का मन नहीं कर सकता है। इसलिए जी मिचलाना और उलटी से बचने के लिए तेल का इस्तेमाल न करें साथ ही सामान्य वसा-मुक्त खाद्य पदार्थों को पचाना भी आसान होता है और कोई अम्लता संबंधित समस्याएँ नहीं होती।
  • अतिरिक्त शक्कर वाले खाद्य पदार्थों से बचे, या अधिक काबोर्हाइड्रेट वाले भोजन जैसे रोटी, पास्ता, कच्चा बादाम और बीज, क्योंकि ये इलाज को धीमा कर देता है।

चिकन पॉक्स या चेचक में ये उपाय भी आजमायें

  • इनमें जो भी चीज उपलब्ध हो, उसे चिकन पॉक्स के दानों पर लगाएं। रोग होते ही डॉक्टर को दिखाएं और इनमें से जो भी पदार्थ उपलब्ध हो, उसे दानों पर लगाएं। इन पदार्थों को लगाने से चेचक के दाने ठीक होने के बाद त्वचा पर दाग की आशंका नहीं रहेगी।
  • संतरे के छिलकों को पीसकर।
  • पानी में हल्दी घोलकर।
  • नीम की छाल को पानी में घिसकर।
  • नारियल के तेल में कपूर मिलाकर।
  • खास बात : वायरस से होने वाले इस रोग में शरीर पर लाल दाने निकलते हैं इन दानों में पानी-सा निकलता है। ये दाने धीरे-धीर सूखते हैं और इन पर खुरंड भी जमता है। जब खुरंड निकल जाता है तो दानों की जगह पर दाग बन जाते हैं।
  • इन पदार्थों का सेवन करें |
  • सुबह के समय आधा चम्मच तुलसी के पत्तों का रस पीएं।
  • शहद चाटें।
  • मुनक्का को तवे पर भूनकर खाएं।
  • तुलसी के बीज और धुली अजवायन को पीसकर पानी के साथ लें।
  • चिकन पॉक्स की बीमारी में हरी सब्जियां, मूंग की दाल और चपाती का सादा भोजन लें।
  • मौसमी फलों का सेवन करें।

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2 thoughts on “चिकन पॉक्स (चेचक) में क्या खाना चाहिए क्या नहीं खाना चाहिए”

    • परम्परागत चिकित्सा और आधुनिक चिकित्सा की मान्यताओं में अक्सर फर्क होता है इसलिए आप अपने डॉक्टर से इस विषय में पूछ सकते है | ऐसी कोई रिसर्च नहीं है जिसमे ये बताया गया हो की चेचक की बीमारी में नमक, तेल का सेवन नहीं करना चाहिए |

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