आम के फायदे तथा कच्चे आम, पत्ते, जूस के औषधीय गुणों की जानकारी

आम गर्मियों का सबसे लोकप्रिय फल है यह इतना स्वादिष्ट और पौष्टिक होता है कि इसे फलों का “राजा’ भी कहा जाता है। आम मोटे तौर पर दो प्रकार का होता है 1. जो आम बीज बो कर पैदा किया जाता है उसे देशी आम कहते हैं। यह रस वाला होता है तथा चूस कर खाया जाता है या रस निकाल कर ‘आमरस’ के रूप में भी खाया जाता है। 2. जो आम कलम लगाकर पैदा किया जाता है उसे ‘कलमी आम’ कहते हैं। इन दो अंतर के अलावा आकार, रंग, स्वाद और गुण के आधार पर भी पहचाना जाता है इसकी अनेक किस्मे होती हैं जैसे- हाफुज, सफेदा, लंगड़ा, पैरी, नीलम, तोतापरी, राजभोग, मोहनभोग, फज़ली, दशहरी आदि। देशी आम रेशे वाला होने से रसदार होता है इस आम के कई स्वस्थ्य वर्धक लाभ है। जबकि कलमी आम रेशे वाला नहीं होता अत: काट कर खाया जाता है। रसवाला आम आसानी से पचने वाला होता है और चूस कर खाये जाने पर जल्दी पचता है।

आम भारत का देशी फल है इसका उल्लेख प्राचीन संस्कृत साहित्य में कई जगह मिलता है। भारत में ही इसकी पाँच सौ से अधिक किस्में हैं। पका आम बहुत स्वास्थ्यवर्धक, पोषक, शक्तिवर्धक और वजन बढ़ाने वाला होता है। आम का मुख्य हिस्सा शर्करा है, जो विभिन्न फलों में 11 से 20 प्रतिशत तक मौजूद रहती है। आम के खाने योग्य हिस्से का 6.78 से 16.99 प्रतिशत शर्करा है। ग्लूकोज व अन्य शर्करा 1.53 से 6.14 प्रतिशत तक रहती है। अम्लों में टार्टरिक अम्ल व मेलिक अम्ल पाया जाता है, इसके साथ-ही-साथ साइट्रिक अम्ल भी पाया जाता है।

सभी तरह के आम को आप खा सकते है लेकिन इसके लाभ आपको इसकी किस्म के हिसाब से ही मिलेंगे। कच्चा आम विटामिन ‘सी’ का अच्छा स्रोत होता है। इसका सलाद के रूप में इस्तेमाल किया जाता है, खासतौर से अन्य सब्जियों के साथ मिश्रित सलाद में। कच्चे हरे आम खट्टे, कठोर और गर्म तासीर के होते हैं। इनका उपयोग अचार, चटनियों और कई रेडी टू ईट डब्बा बंद खाने की चीजो के लिए होता है। कच्चे आम को चुटकी भर काला नमक, अदरक और जीरे के साथ लेना उन लोगों के लिए बहुत लाभदायक है, जिन्हें ठंड और कफ की शिकायत होती है इन्हें छिलके सहित आम से चटनी बनानी चाहिए। आम का अचार पूरे भारत में लगभग हर घर में बड़े चाव से खाया जाता है। हालाँकि बहुत खट्टे, मसालेदार या तैलीय अचार स्वास्थ्य के लिए अच्छे नही हैं तथा हड्डी के रोगों, संधिवात, साइनसाइटिस, गले की सूजन, जुकाम और एसिडिटी के रोगियों को इनसे खासतौर पर बचना चाहिए। पका आम अपने औषधीय गुणों के लिए जाना जाता है। यह हृदय को स्वस्थ रखता है, रूप-रंग सँवारता है और भूख बढ़ाता है। आम एक ऐसा गुणकारी पेड़ है जिसके सिर्फ फल ही नहीं बल्कि इसके सभी भाग औषधि-रूप में प्रयोग किये जा सकते हैं। आम के सभी गुण इस प्रकार हैं |

आम के औषधीय गुण

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आम खाने के फायदे
  • कमजोरी से वजन कम होने की स्थिति में आम और दूध का सेवन सबसे अच्छा उपचार है। इस तरह के उपचार के लिए पके और मीठे आमों को इस्तमाल किया जाना चाहिए। इसे दिन में तीन बार लेना चाहिए- सुबह, दोपहर और शाम । पहले आम खाना चाहिए और उसके बाद दूध पीना चाहिए। आम में शर्करा काफी मात्रा में रहती है, लेकिन प्रोटीन की कमी पाई जाती है। दूसरी तरफ दूध में प्रोटीन की काफी मात्रा होती है, लेकिन शर्करा की कमी पाई जाती है। एक की कमी दूसरे द्वारा पूरी कर ली जाती है। आम को दूध में बहुत अच्छी तरह मिलाकर आम-दूध आहार कम-से-कम एक महीना लेने से स्वास्थ्य में सुधार होता है, ताकत आती है और वजन बढ़ता है।
  • आम दूध का उपचार कई बीमारियों, जैसे-कमजोर आंखे, कब्ज, अपच, टी.बी रोग की शुरुवाती अवस्था तथा गुरदों के बिमारियों में रोगों के लिए प्रभावशाली उपचार है।
  • यदि भोजन करना बन्द करके कम से कम 40 दिन तक केवल आम का रस और दूध का ही सेवन किया जाए तो बहुत लाभ होता है। इसके दो तरीके हैं। एक तो पेट भर कर आम खा लें और ऊपर से उबाल कर ठण्डा किया हुआ मीठा दूध पीना चाहिए या आम का रस निकाल कर उसमें आधी मात्रा में दूध मिला कर थोड़ा सा सोंठ का चूर्ण और 1 या 2 चम्मच शुद्ध घी मिला कर एक बार सुबह और एक बार शाम को पीना चाहिए |
  • पहले दूध पीकर बाद में आम का रस पीया जा सकता है। यदि एक से दो माह तक यह प्रयोग कर लिया जाए तो शरीर में नई जान आ जाती है |
  • कच्चे आम को कैरी या आमिया कहते हैं। कच्चा आम स्वाद में कसैला, वात कम करने वाला खट्टा, रूखा, तीनों दोषों को ठीक करने वाला होता है। कच्चे आम का छिलका उतार कर गूदे के टुकड़े तराश कर धूप में सुखा लेते हैं जिसे आमचूर कहते हैं। यह दाल, सब्जी में डाला जाता है। यह खट्टा, कसैला, पेट साफ़ करने वाला होता है। आमचूर का अधिक सेवन नहीं करना चाहिए।
  • पके आम के रस में विटामिन ‘ए’ और विटामिन ‘सी’ भारी मात्रा में मौजूद रहते हैं। आँखों की रौशनी तथा शरीर की रोग प्रतिरोधक शक्ति को बढ़ाने के लिए विटामिन-ए’ और त्वचा रोग तथा रक्तविकार ठीक करने के अलावा, बाल, दांत व रक्त के लिए विटामिन-सी अच्छा काम करते हैं।
  • बच्चो के लिए शक्तिवर्धक ड्रिंक आम की गुठली के अन्दर निकलने वाली सात गिरी रात को पानी में भिगो दें। सुबह पीसकर आधा लीटर दूध में मिलाकर तेज उबालें। उबलने के बाद उतारकर ठण्डा होने दें। जरा-सी पिसी हुई दालचीनी (दो ग्राम) तथा स्वादानुसार पिसी हुई मिश्री मिलाकर 15 दिन रोजाना बच्चे को पिलाने से शरीर में एनेर्जी और बुद्धि बढ़ती है।
  • आम को यदि शहद के साथ सेवन किया जाता है तो टी.बी और प्लीहा रोग में बहुत लाभ पहुँचता है
  • आम को घृत (Ghrat) के साथ खाने से शरीर की शक्ति बढती है।
  • आम का मीठा अचार रक्त पित्त को दूर करने में सहायक होता है।
  • आम के दो पत्ते तथा पोदीने की 50 पत्तियाँ पानी में डालकर दोनों को चटनी पीस लें और एक कप पानी में घोलकर छान लें। इसमें एक चम्मच शहद मिलाकर पिलायें। उल्टियाँ तुरन्त बन्द हो जायेंगी।
  • झुर्रियाँ पूरे सीजन एक गिलास आमरस पीते रहने से चेहरे पर झुर्रियाँ नहीं पड़ती और झुर्रियाँ हों तो मिट जाती हैं।
  • चेहरे के काले दाग, झाँइयाँ –आम और जामुन की गुठली के अन्दर की गिरी समान मात्रा में लेकर, पानी के साथ दोनों को पीसकर चेहरे पर रोजाना रात को लेप करें। चेहरे को सुबह धोयें इससे दाग, धब्बे, झाँइयाँ ठीक हो जायेंगी।
  • पेड़ से आम को तोड़ने पर निकलने वाला तरल बिच्छू के काटे या मधुमक्खी के डंक पर लगाने से सूजन और दर्द से राहत मिलती है। इसको इकट्ठा करके बोतल में रखा जा सकता है।
  • दाद तीन हिस्सा अमचूर और एक हिस्सा सेंधा नमक पानी में गाढ़ा पीसकर रोजाना दाद पर लेप करने से जल्दी ही इस समस्या से छुटकारा मिल जाता है |
  • फुंसी होने पर अमचूर को पानी में पीसकर लगाने से छोटी-मोटी फुंसियाँ ठीक हो जाती हैं। दाढ़ी पर निकलने वाली फुंसियाँ (Barbers itch) भी ठीक हो जाती हैं।
  • बच्चे को मिट्टी खाने की आदत हो तो आम की गुठली ताजा पानी के साथ देना लाभदायक है। गुठली को सेंककर सुपारी की तरह खाने से भी मिट्टी खाना छूट जाता है।
  • आम की छाल-संकोचक, रक्तस्राव बन्द करने वाली, बवासीर, वमन और अतिसार नष्ट करती है। उपयोग आम को खाने के अलावा चिकित्सा में भी इसका उपयोग किया जा सकता है।
  • आम के पेड़ की छाल लगभग 30-40 ग्राम वजन में लेकर मोटा-मोटा पीस लें और 250 मिली पानी में डालकर शाम को रख दें। ऊपर से ढक दें। सुबह इसे खूब मसल कर छान लें और पी जाएं। सुजाक के रोगी को सीजन में जब तक आम मिलता रहे तब तक यह नुस्खा प्रयोग करें।
  • आम की गुठली की गिरी पीसकर, सूंघने से नकसीर में लाभ मिलता है।
  • आम के पत्तों को पानी में डाल कर उबालें। जब पानी एक चौथाई शेष बचे तब उतार कर ठण्डा कर लें और 1-2 चम्मच शहद डाल कर गरारे करने व पी जाने से गला ठीक हो जाता है।
  • आम की कच्ची कैरी को गर्म राख में दबा कर भून कर, इसका रस निकाल कर मिश्री मिलाकर पीने से लू का असर मिटता है।
  • आमचूर को पानी में पीसकर त्वचा पर लेप करने से मकड़ी के जहर का असर खत्म होता है।
  • आम की गुठली की गिरी पानी में पीस कर जले हुए अंग पर लेप करने से तुरन्त ठण्डक मिलती है।
  • खट्टा आम नहीं खाना चाहिए। आम खाने पर यदि अपच की स्थिति बने तो आधा चम्मच सोंठ चूर्ण, ठण्डे पानी के साथ खा लें या एक गिलास दूध में डाल कर थोड़ी देर उबालें और पी लें। इसके सेवन से आम खाने से हुआ अपच ठीक हो जाएगा।

आम के कुछ अन्य प्रयोग

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कच्चा हरा आम
  • आम की एक जाति कजरी होती है। उसमें सेब से 3 गुणा और संतरे से 30 गुण विटामिन ‘ए’ पाया जाता है। यह जीवन तत्व मात्र आम के गूदे में ही नहीं, बल्कि आम के छिलके में पाया जाता है। स्वास्थ्य एवं सौंदर्य की दृष्टि से आम खाना बहुत जरुरी है।
  • कच्चे हरे आम को जिसे अमिया भी कहा जाता है इसे भूनकर पानी में मसल कर उसके रस को छान लें। उसमें शक्कर, भुना हुआ जीरा, काली मिर्च, पिसा हुआ पोदीना एवं नमक इन सबको मिला कर स्वास्थ्यवर्द्धक एवं स्वादिष्ट शर्बत (आम का पन्ना) बनाया जाता है। इसका प्रयोग करने से लू ( धूप) का असर कम हो जाता है। यह शर्बत शरीर को ठंडा रखता है और कई तरह के विटामिन भी शरीर को मिलते है | यह हैजे के रोगी के लिए अति उपयोगी है। हैजे के रोगी को दो-दो घंटे बाद इस शरबत में पानी मिला कर थोड़ा-थोड़ा पिलाएं, इससे रोग की प्रारंभिक स्थिति में जल्दी ही लाभ होता है।
  • आम का मुरब्बा कच्ची अमिया से बनता है। यह पौष्टिक होता है पर इसे खाकर पानी नहीं पीना चाहिए। दूध पीया जा सकता है । आयुर्वेद में इसे एक महारसायन बताया गया है। यह आधि-व्याधि नाशक, ताकत तथा नई ताजगी देने वाला होता है। यह दिमाग और दिल को शक्ति देता है। आवाज़ साफ़ करता है यदि आप गाने के शौक़ीन है तो स्वर मीठा करने और गले को साफ़ रखने के लिए इस मुरब्बे के अतिरिक्त मुलेठी तथा सुहागे को भी नियमित प्रयोग करे ।
  • आम की गोंद को नींबू के रस में मिलाकर चर्म रोग पर लेप किया जाता है।
  • आम की छाल के दो प्रकार होते हैं एक ऊपर की और दूसरी अंदर की होती है। ऊपरी छाल तिक्त रस युक्त, कसैली, सुगंधित, रुचिकर, दाहनाशक, मलावरोधक और ठंडी होती है। अन्दर की छाल कसैली, दाहनाशक, मलावरोधक होती है। इसी छाल के साथ जामुन, बेर, बबूल और आँवला वृक्षों की भी छालों को मिलाकर क्वाथ तैयार कर उसमें थोड़ी-सी मिश्री मिला कर सेवन करने से खून बहना जल्दी ही बन्द हो जाता है। ऊपरी छाल को दही के साथ पीस कर नाभि एवं उसके आस-पास गाढ़ा लेप करने से अतिसार में विशेष लाभ होता है।
  • आम की गुठली की गिरी, बेलगिरी और मिश्री तीनों को एक समान मात्रा में लेकर चूर्ण बना कर उसे पाँच ग्राम की मात्रा में पानी के साथ सेवन करें। इससे अतिसार (दस्त) में लाभ होता है। भुनी हुई गुठली की गिरी का चूर्ण बना कर उचित मात्रा में शहद के साथ बच्चों को चटाएं। इससे दस्त जल्दी ही ठीक हो जाता है।
  • आम की गुठली का चूर्ण अस्थमा, दस्त, पुरानी पेचिश, अति रज:स्राव, श्वेत प्रदर, पाईल्स और गोल कृमि के लिए प्रभावशाली दवा है। इसे शहद के साथ या शहद के बिना लगभग बीस या तीस ग्रेन की मात्रा में लेना चाहिए।
  • आम की सूखी कोमल पत्तियों का पाउडर मधुमेह में उपयोगी है। जले कटे जख्मो पर सूखी पत्तियों की भस्म का उपचार भी उपयोगी है। पत्तियों या टहनियों से मिलने वाला दूध जैसा तरल एडियाँ फटने पर दवा की तरह उपयोग किया जाता है।
  • आम की गुठली की गिरी को पानी में भिगो कर एवं पीस कर आग से जले स्थान पर लेप करने से जलन शान्त हो जाती है।
  • आम के गुण, स्थिति के अनुसार अलग-अलग होते हैं। पेड पर पका आम भारी, वात को ठीक करने वाला होता है। पाल में पकाया हुआ आम पित्तनाशक, अम्ल रस रहित और विशेष रूप से मीठा होता है लेकिन पाल से उतरा हो तो खराब स्वाद और बदबू वाला होता है इसलिए ऐसा आम नहीं खाना चाहिए।
  • आम के अन्य घटक इस प्रकार हैं-प्रोटीन 6, वसा 0.1, खनिज पदार्थ 0.3, रेशा 1.1, फॉस्फोरस 0.02 और लौह पदार्थ 0.3 प्रतिशत । नमी की मात्रा 86 प्रतिशत है। आम का औसत ऊर्जा मूल्य प्रति 100 ग्राम में लगभग 50 कैलोरी है। मुंबई की एक किस्म का औसत ऊर्जा मूल्य प्रति 100 ग्राम 90 कैलोरी है। यह विटामिन ‘सी’ के महत्त्वपूर्ण स्रोतों में से एक है और विटामिन ‘ए’ का भी प्रचुर स्रोत है।
  • आम का सेवन खाली पेट नहीं करना चाहिए तथा इसको अधिक मात्रा में खाना भी स्वास्थ्य के लिए ठीक नहीं है |

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