आजकल एक बीमारी तेजी से उभर रही है और वह है हाथ का सुन्न हो जाना, खास तौर पर रात में। यह समस्या युवा पीढ़ी में बढ़ रही है और इसका एक कारण है स्मार्ट फोन का बहुत अधिक इस्तेमाल। रात के समय इसका दर्द बुरी तरह से तड़पा देने वाला होता है। दरअसल यह कार्पल टनल सिंड्रोम की तकलीफ है। कंप्यूटर पर लगातार काम करने या एक ही स्थिति में लंबे समय तक हाथ को रखने से कार्पल टनल सिंड्रोम की तकलीफ हो सकती है। खास बात यह है कि महिलाओं को इसका खतरा तीन गुना अधिक होता है। इस बीमारी को मीडियन नर्व कम्प्रेशन भी कहते हैं। भारत में प्रतिवर्ष एक करोड़ से अधिक लोग इससे पीड़ित होते हैं।
कार्पल टनल सिंड्रोम क्या है?
कार्पल टनल सिंड्रोम हाथ और कलाई में पैदा होने वाला तेज दर्द है। कार्पल टनल हड़ियों और कलाई की अन्य कोशिकाओं द्वारा बनाई गई एक संकरी नली होती है। यह नली हमारी मीडियन नर्व की सुरक्षा करती है। मीडियन नर्व हमारे अंगूठे, बीच और अनामिका उंगलियों से जुडी होती है। लेकिन कार्पल टनल में जब अन्य कोशिकाएं जैसे कि लिगामेंट्स और टेंडन सज या फल जाते हैं तो इसका प्रभाव मध्य कोशिकाओं पर पड़ता है। इस दबाव के कारण हाथ सुन्न महसूस होने लग सकता है। साधारणतः कार्पल टनल सिंड्रोम ज्यादा गंभीर बीमारी नहीं है। इलाज के साथ, दर्द सामान्यत दूर चला जाएगा और आप को लंबे समय तक हाथ या कलाई में किसी समस्या का सामना नहीं करना पड़ेगा।
कार्पल टनल सिंड्रोम होने के कारण?
एक ही हाथ से लगातार काम करने से कार्पल टनल सिंड्रोम की परेशानी हो सकती है। यह सामान्यतः उन लोगों में अधिक होता है जिनके पेशे में कलाई मोड़ने के साथ पिंचिंग या ग्रीपिंग करने की जरूरत होती है। पुरुषों की तुलना में महिलाओं को कार्पल टनल का तिगुना खतरा बना रहता है। महिलाओं में यह गर्भावस्था के दौरान, मेनोपोज और मोटापा बढ़ने के कारण अधिक होता है।
इसमें वे लोग भी शामिल हैं जो कंप्यूटर पर कई घंटो तक काम करते हैं, इनके अलावा कारपेंटर, ग्रॉसरी-चेकर, मजदूर, संगीतकार, मेकैनिक, बागवानी, टेलरिंग का काम करने वाले, गोल्फ खेलने और नाव चलाने का शौक रखने वाले भी कार्पल टनल सिंड्रोम का शिकार हो सकते हैं। कार्पल टनल सिंड्रोम अन्य चीजों से भी संबंधित होता है। यह कलाई पर चोट लगने के कारण भी हो सकता है। फ्रैक्चर या कुछ बीमारियों जैसे मधुमेह, आर्थराइटिस या थाइराइड के कारण भी यह हो सकता है।
- पारिवारिक इतिहास: यदि परिवार में सीटीएस का कोई इतिहास है, तो व्यक्ति में सीटीएस से पीड़ित होने की संभावना बढ़ जाती है।
- एक ही स्थिति में बैठे रहने से रक्त वाहिनियों और मांसपेशियों के दबने से सामान्य रूप से शरीर का वह भाग सुन्न हो जाता है। रक्तप्रवाह में बाधा या धीमापन आने से भी सुन्नता आ जाती है। कई बार किसी अंग को पर्याप्त ऑक्सीजन न मिल पाये तो शरीर का वह हिस्सा सुन्न हो जाता है।
- कुछ स्वास्थ्य स्थितियां, जैसे कि मधुमेह और असामान्य रूप से निष्क्रिय थायरॉयड ग्रंथि।
- गर्भावस्था।
- कलाई पर कुछ चोटें: सीटीएस हाथ की चोट के बाद कभी-कभी हो सकता है।
- मोच, फ्रैक्चर और कुचलना (क्रश) जैसी चोटे सूजन का कारण बन सकती हैं, जो मध्य तंत्रिका पर दबाव डालती हैं।
कार्पल टनल सिंड्रोम के लक्षण क्या है?
कार्पल टनल सिंड्रोम के लक्षण आम तौर पर धीरे-धीरे शुरू होते हैं। पहले के लक्षणों में अक्सर अंगूठे, तर्जनी और मध्य उंगलियों में सुन्नपन या झुनझुनी शामिल होती। है जो आती-जाती रहती है। कार्पल टनल सिंड्रोम से कलाई और हथेली में भी दर्द हो सकता है।
इस प्रक्रिया में सबसे पहले एन.सी.वी टेस्ट किया जाता है। इसे नर्व कंडक्शन वेलोसिटी टेस्ट कहा जाता है। इसमें कुछ हल्की बिजली का तार लगाकर करंट दिया जाता है। इसे इलेक्ट्रोमायोग्राम कहा जाता है। इसमें हार्थों में हल्की झुनझनाहट जैसी महसूस होती है। इसके अलावा हाथों और बाजुओं की नाड़ी व मांसपेशियां की जांच की जाती है। इसी से पता चलता है कि कार्पल टनल सिंड्रोम का प्रभाव हाथ में है भी या नहीं। यह परीक्षण मांसपेशियों की क्षति का पता लगा सकता है और अन्य स्थितियों का भी पता लगा सकता है।
कार्पल टनल सिंड्रोम का इलाज
लक्षण शुरू होने पर जितना जल्द हो सके उतना जल्द कार्पल टनल सिंड्रोम का इलाज कराना चाहिए। व्यक्ति को चाहिए कि अपने हाथों को आराम देने के लिए अधिक बार विश्राम करे। लक्षणों को बढ़ाने वाली गतिविधियों से परहेज करने तथा सूजन कम करने के लिए कोल्ड पैक लगाने से भी मदद मिल सकती है।
यदि कार्पल टनल सिंड्रोम किसी प्रकार की चिकित्सकीय समस्या के कारण पैदा हुआ है तो डॉक्टर सबसे पहले उस समस्या का उपचार करेंगे। फिर वह कलाई को आराम दिलाने को कहेंगे या आप जिस तरह से अपने हाथ का इस्तेमाल करते हैं उसे बदलने के लिए कहेंगे। कलाई में स्लिंट बांधने को भी कहा जा सकता है। स्प्लिंट पहनने पर कलाई को हिला-डूला नहीं सकते। इसे पहनने से आप को रात में दर्द से राहत मिल जाएगी। कलाई पर बर्फ रखकर उससे मालिश कर सकते हैं और साथ ही कुछ खिंचाव वाले व्यायाम भी इससे निजात दिलाने में आप की मदद कर पाएंगे। यदि सर्जरी की जरूरत नहीं है तो लंबे समय तक अपनी कलाई को नीचे की ओर झुकाकर रखने से राहत मिल सकती है।
कुछ मामलों में सर्जरी की जरूरत होती है। इस सर्जरी में लिगामेंट काटना शामिल होता है। इसे आपकी मीडियन नर्व में दबाकर काट दिया जाता है। सर्जरी के कुछ ही हफ्तों व महीनों के बाद वापस अपनी कलाई और हाथ का सामान्य रूप से इस्तेमाल कर पाएंगे। हाथ, कलाई और अंगुलियों का व्यायाम करना बहुत ही जरूरी होता है।
बिना व्यायाम के आपकी कलाई कठोर हो सकती है और हो सकता है आप अपने हाथ का इस्तेमाल न कर पाएं। डॉक्टर परामर्श देते हैं कि आप दर्द को कम करने के लिए कुछ दवाइयां जैसे आइबुप्रोफेन (मोट्रीन), नैप्रोक्जेन (एलिव), केटोप्रोफेन (ओरूडीस) या एस्प्रिन ले सकते हैं। इसी के साथ डॉक्टर आप को कार्पल टनल में एक दवाई जैसे कोर्टीसोन के साथ इंजेक्शन भी लगा सकते हैं। इससे कुछ समय के लिए सूजन, झुनझुनाहट व दर्द खत्म हो जाएगा।
कार्पल टनल सिंड्रोम के लिए आयुर्वेदिक उपचार
कार्पल टनल सिंड्रोम बीमारी का आयुर्वेद में उन्ही दवाओ द्वारा इलाज किया जाता है जिनसे अंग विशेष सुन्न पड जाने पर किया जाता है | आयुर्वेद की दवा का सेवन किसी अपनी मर्जी से ना करें लेकिन आप नीचे दिए गए इन घरेलू नुस्खो को जरुर आजमा सकते है |
- बहुत से लोगों को अंग विशेष सुन्न पड़ जाने की शिकायत रहती है। जो अंग बार बार सुन्न पड़ जाता है उसमें पपीते के बीजों को पीसकर सरसों के तेल में मिलाकर धीरे-धीरे पन्द्रह दिनों तक मालिश करने से लाभ होता है।
- प्रात: उठते ही बिना कुछ खाये-पिये सोंठ और लहसुन की दो पुतियां छीलकर चबा लें, ऊपर से पानी पी लें। 10 दिन तक यह प्रयोग करें। ध्यान रहे जिन्हें लहसुन खाने से कोई कष्ट हो वे इस प्रयोग को न करें।
- सोंठ की एक गांठ और लहसुन की एक गाँठ लेकर सिल पर पानी का छींटा देकर पीसकर लेप-सा बना लें। इस लेप को उस अंग पर लगायें जो सुन्न पड़ जाता हो। 10 दिनों तक यह प्रयोग लगातार एक बार करते रहें, लेप सूखने पर उतार दें।
- दो चम्मच बड़े नारियल तेल में दो बूंद जायफल का तेल डालकर मिला लें। त्वचा की शून्यता (सुन्न होना) वाले अंग पर यह तेल लगाकर मालिश करने से त्वचा शुन्यता दूर होती है।
- शुंठी 1 गाँठ और लहसुन 1 गाँठ लेकर सिल पर पीस लें। पानी का छींटा देकर लेप बना लें। जो अंग सुन्न पड़ता (सो जाता) हो, उसके ऊपर अच्छी तरह लेप कर दें।
- हाथ के तलवों में तेल की मालिश करने से भी आराम मिलता है।
होमियोपैथिक औषधियों द्वारा सुन्नपन का इलाज
- ऐवेना सैटाइवा-अंगों का सुन्नपन, मानो पक्षाघात ग्रस्त हो गये हों। हाथों की शक्ति का ह्रास और स्नायविक दुर्बलता दूर करके नींद लाती है। सिरदर्द, थकान, अनिन्द्रा, भूख की कमी, चिन्ताएं प्रमुख लक्षण हैं। मूलार्क 10 से 20 बूंद गर्म पानी के साथ रोजाना सुबह-शाम दो बार दें।
- सिकेलि 30-पांव सुन्न हो जाते हों और उनमें ऐंठन होने पर दें |