जानिए वात दोष निवारक चाय के लाभ

वैसे तो उम्र बढ़ने पर व्यक्ति को तरह-तरह की बीमारियां होती हैं वात रोग भी उनमें से एक है, इस रोग में जोड़ों में दर्द, कमर में दर्द, पेट में गैस, एसिडिटी होती है साथ ही यूरिक एसिड सम्बंधित कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है | वास्तव में यह एक ऐसा रोग है जो अधेड़ उम्र की महिलाओं और बुजुर्गों में सबसे ज्यादा होता है। वात रोग एक बहुत ही आम बीमारी है और लगभग हर घर में कोई न कोई व्यक्ति इस बीमारी से ग्रसित दिखायी देता है। इस रोग से पीड़ित व्यक्ति अधिकांश समय एक ही जगह पर बैठा या लेटा हुआ दिखायी देता है क्योंकि हड्डियों में ऐंठन के कारण वह ज्यादा दूर तक चलने फिरने में समर्थ नहीं होता है। वात, पित्त और कफ जब असंतुलित होते है तब किसी भी व्यक्ति का शरीर कई रोगों का शिकार हो जाता है इन तीनो धातुओ का सही संतुलन एक स्वस्थ शरीर के लिए बहुत आवश्यक है इस आर्टिकल में हम वात दोष को संतुलित करने वाली वात दोष निवारक चाय के विषय में बताएँगे |

क्या है वात दोष ?

आयुर्वेद में ‘त्रिदोष सिद्धान्त’ की विस्तृत व्याख्या है; वात, पित्त, कफ-दोषों के शरीर में बढ़ जाने या असंतुलित होने पर कौन कौन से रोग शरीर को घेर लेते है इस बारे में बताया गया है | जब शरीर में वायु तत्व सामान्य से ज्यादा हो जाता है, तो इसे वात दोष कहते हैं। आमतौर पर वात शाम के समय या रात के अंतिम प्रहर में बढ़ता है। अगर कोई रोग आपके शरीर को शाम के समय या देर रात परेशान कर रहा है, तो इसका अर्थ है कि उस रोग का कारण वात दोष है। मोटापा भी वात दोष के कारण होता है। बात दोष के कारण ही कई लोगों के शरीर को खाना-पीना नहीं लगता है और शरीर सूखने लगता है। आमतौर पर एड़ियों में दरारें, बालों में डैंड्रफ, कमजोर दांत या दांतों में दर्द, घबराहट, डर और बुरे सपने वात दोष के कारण होते हैं।

वात दोष मुक्ति चाय क्या है ?


जिन लोगो को वात असंतुलन की वजह से कई बिमारियों का सामना करना पड़ रहा है उनको रोजाना वात शमन करने वाला काढ़ा या आयुर्वेदिक चाय का सेवन जरुर करना चाहिए | इस चाय के सेवन से वात असंतुलन की वजह से होने वाले रोगों में काफी राहत मिलती है तथा कई लोग तो वात के प्रभाव से बिलकुल मुक्त हो गए है | इसके कोई साइड इफ़ेक्ट भी नहीं है | वात दोष निवारक चाय से समान और अपान वात दोनों तरह के वात को संतुलित करते हैं | जैसा की आपको हमने पिछले आर्टिकल में बताया था की समाना वात का एक मुख्य कार्य पाचन तंत्र को नियंत्रित करता है। जब असंतुलित होता है तो खाद्य पदार्थों का पाचन ठीक से नहीं होता है, जिसके परिणामस्वरूप गैस और अपच होता है। अपान वात का मुख्य कार्य शरीर से अपशिष्टों को खत्म करना होता है और जब यह असंतुलित हो जाता है तो इसके परिणामस्वरूप कब्ज, दस्त, आंतों में ऐंठन होती है।

वात दोष निवारक चाय के लाभ

वात दोष निवारक चाय गैस, सूजन और हड्डियों में दर्द और ऐंठन को कम करता है, कब्ज का इलाज करता है, पोषक तत्वों के अवशोषण को बढ़ाता है, विषाक्त पदार्थों को शरीर से निकालता है, तंत्रिका तंत्र को मजबूत करता है, तनाव को कम करता है, ताकत और कायाकल्प बढ़ाता है। आप चाहे तो इसे ऑनलाइन मंगवा सकते है हमने नीचे इसका लिंक ऊपर दी गई फोटो पर लगा दिया है |

वात दोष निवारक चाय का इस्तमाल आप ऐसे करें

  • इसे बनाने की विधि ये है की आप इसे धीमी आंच पर लगभग एक छोटी चम्मच डेढ़ कप पानी में पांच मिनट तक उबाले उसके बाद बिना चीनी और दूध मिलाये इसे पियें |
  • इस चाय में दूध डालकर ना पियें आप चाहे तो स्वादानुसार चीनी डाल सकते है |
  • वात दोष मुक्ति चाय को इन जड़ी बूटियों से बनाया गया है – मुलैठी की जड़, स्टीविया पत्तियां (मीठी पत्ती), अदरक, इलायची, दालचीनी, सौंफ़, अजवाईन, मेथी, और ग्रीन टी।
  • चूंकि यह हर्बल चाय है इसलिए अच्छे स्वाद की उम्मीद ना रखें इसे काढ़े यानि दवा की तरह समझ कर इसका सेवन करें |
  • शुरुवात एक कप से करें लाभ महसूस होने पर दिन में दो कप पी सकते है |

वात चाय पैक टी बैग के रूप में भी आसानी से उपलब्ध है, इसको कई अलग-अलग ब्रांड बनाते है। वात दोष निवारक चाय कई हर्ब्स को मिलाकर बनाई जाती है जैसे –  नद्यपान जड़, दालचीनी, अदरक, और इलायची के अलावा, वात चाय में पाए जाने वाले अन्य सामान्य सामग्रियों में सौंफ, जायफल और कासनी जड़ शामिल हैं। अश्वगंधा और त्रिफला ऐसी जड़ी-बूटियाँ हैं जिनका उपयोग आयुर्वेद में वात प्रकार को संतुलित करने के लिए भी किया जाता है। आप अपने स्वादअनुसार किसी भी हर्ब प्रधान चाय का चुनाव कर सकते है | जैसे कुछ लोगो को इलायची का स्वाद पसंद आता है तो कुछ को अदरक का | हालाँकि एक बात सभी वात दोष निवारक चाय में सामान्य होती है की इसमें caffeine नहीं होता है अर्थात काली चाय की पत्ती या कॉफ़ी इसमें नहीं मिलाई जाती है |

-English Translation –

What is Vata ?

Vata governs movement in the body, the activities of the nervous system, and the process of elimination. If Vata dosha predominates, movement and change are characteristic of your nature. You tend to always be on the go, with an energetic and creative mind. As long as Vata is in balance, you will be lively and enthusiastic, with a lean body.

Signs and Symptoms of Vata Imbalance

  • nervousness, anxiety, panic, fear
  • twitches, tics, tremors, spasms
  • dry or chapped skin
  • constipation, gas, bloating, dry, hard stools
  • low body weight
  • dislike of cold and wind
  • difficulty tolerating loud noises
  • light, interrupted sleep
  • spacey, scattered feeling
  • excess thinking or worrying

Health Benefits of Calming Vata Dosha Tea

Health Benefits of Calming Vata Dosha Tea

  • A few sips of Calming Vata Tea will help your whirling mind settle down and your body relax.
  • Reduces gas, bloating and cramping, back pain, Treats constipation, Increases absorption of nutrients, Burns toxins, Strengthens the nervous system, Reduces stress, Increases strength and rejuvenation.
  • Vata is the principle of mobility that regulates all activity in the body, from how many thoughts one might have during a given period to how efficiently food moves through our intestines.
  • Vata is in charge of functions such as the pulsation of the heart, respiration, circulation and elimination. It is responsible for joy, happiness, creativity and speech. Vata is also in charge of the vital life essence, or prana. Thus when vata (prana) leaves the body, life ceases. If you have been burning the candle at both ends and are feeling overworked then you may need to energise your Vata dosha with Perfect Potion of Calming Vata Dosha Tea.
  • Whether at work, at home, or on the road, sweet soothing Vata Tea can help you stay calm and alert.

This tea is made by following Ingredients:

  • Licorice, Ginger, Cardamom, Cinnamon, Fennel, Ajwain, Fenugreek, Stevia Leaves and Green Tea.

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