अजमोद (पार्सले) के फायदे तथा इसके बेहतरीन औषधीय गुणों का उपयोग

अजमोद (Celery Seeds) या पार्सले को संस्कृत में ‘अजमोदा’, ‘बस्तमोदा’, ‘ब्रह्मकुशा’ आदि नामों से भी जाना जाता है। यह पंजाब और बंगाल में विशेषरूप से बोई जाती है। इसके पौधे छोटे-छोटे अजवायन के पौधों की तरह होते हैं ये 1 फीट से 3 फीट तक ऊंचे होते हैं। इसके पत्ते किनारों पर कटे होते हैं। इस पर छतरी जैसे फूलो के गुच्छे लगते हैं। फूलों का रंग सफेद होता है, जो सूखाकर बीजों के रूप में बदल जाते हैं धनिया व अजवायन की ही तरह इन बीजों को ही अजमोद कहा जाता है। इसके बीज अजवायन से कुछ बड़े और धनिये से छोटे होते हैं। इसमें एमिनो एसिड, एंटीऑक्‍सीडेंट्स, एंजाइम, मिनरल, पोटैशियम, सोडियम, विटामिन ए, बी1, बी2, बी6 और सी आदि भरपूर मात्रा में होता है | आजमोद के पत्तो (पार्सले) से जूस बनाया जाता है जो गुर्दे, दिल और त्वचा से संबंधित कई समस्याओं से बचाने में मदद करता है। आप इसे सब्जी में मसाले के तौर पर डालकर इस्‍तेमाल कर सकते हैं। या इसकी हरी पत्तियों को सलाद पर डाल सकते हैं या फिर जूस बनाकर भी पी सकते हैं।

पाचन क्रिया को ठीक रखने में इसका खासतौर पर प्रयोग किया जाता है। अजमोद की तासीर गर्म होती है। प्राय: पेट के सभी रोगों में इसका प्रयोग होता है तथा यह इम्‍यून सिस्‍टम को मजबूत बनाता है |

अजमोद के औषधीय उपयोग

अजमोद (पार्सले) के फायदे तथा इसके बेहतरीन औषधीय गुणों का उपयोग ajmoda parsley ke fayde beej juice
अजमोद के बीज
  • पेट के रोग-अजमोद पेट के रोगों के लिए बहुत कामयाब हर्ब है। इसका चूर्ण पेट दर्द, कब्ज, गैस, वायु विकार, अपच, आँव आदि में रामबाण औषधि है।

अजमोद का चूर्ण बनाने की विधि-

  • अजमोद 30 ग्राम
  • बच 20 ग्राम
  • हींग 10 ग्राम
  • अजवायन 20 ग्राम
  • सेंधा नमक 10 ग्राम
  • हरड़ 15 ग्राम

इन सभी को पीसकर किसी बारीक कपड़े में छान लें और किसी शीशी में भरकर रख लें। सुबह-शाम आधा चम्मच चूर्ण पानी के साथ सेवन करने से ऊपर बताए गए सभी रोगों में आराम मिलता है और पेट साफ हो जाता है।

  • पेट दर्द -अजमोद पीसकर 3 ग्राम और पिसा हुआ काला नमक 1 ग्राम मिलाकर सेवन करने से पेटदर्द दूर हो जाता है।
  • अजमोद के तेल की 2-3 बूंदें सोंठ चूर्ण 1 ग्राम में मिलाकर गर्म पानी के साथ सेवन करने से पेट का दर्द दूर हो जाता है।
  • अजमोद का बारीक कपड़छान चूर्ण 2 से 5 ग्राम तक और लौंग 2-3 पिसी हुई 1 चम्मच शहद में मिलाकर सेवन करने से उलटी बंद हो जाती है।
  • हिचकी आना – यदि भोजनोपरांत हिचकियां आती हों तो इसके बीज 10-15 मुंह में रखने से हिचकियां आनी बंद हो जाती हैं।
  • सूखी खांसी (ड्राई कफ) -अजमोद को पान में रखकर चूसने से सूखी खांसी में बहुत लाभ होता है।
  • दमा (अस्थमा) -इसको 3 से 6 ग्राम तक की मात्रा में दिन में 2 बार रोगी को सेवन करनी चाहिए |
  • मस्तिष्क विकार -अजमोद के मूल की कॉफी सेवन करना मस्तिष्क और वात नाड़ियों में उपयोगी है।
  • पेशाब सम्बंधित रोगों में अजमोद का बारीक कपड़छान चूर्ण 2 से 5 ग्राम तक की मात्रा में ताजा पानी के साथ दिन में 2 बार सुबह-शाम सेवन करने से लाभ होता है।
  • पेशाब की जलन-अजमोद की जड़ को कूटकर उसका चूर्ण बनाकर रख लें। आधा चम्मच या 5 ग्राम चूर्ण का सेवन ताजे पानी से करने पर पेशाब की जलन शांत हो जाती है। पानी खूब पीना इसमें फायदेमंद होता है।
  • सर्वांगशोथ (Anasarca) के उपचार हेतू -अजमोद, छोटी पीपल, रास्ना, गिलोय, सोंठ, सौंफ, शतावरी और अश्वगंधा इन सभी आठों औषधियां समान मात्रा में लेकर पीसकर कपड़छान कर चूर्ण तैयार करके सुरक्षित रख लें। इस चूर्ण की 14-14 ग्राम की मात्रा दिन में 2 बार सुबह-शाम 10-10 ग्राम गाय के घी में मिलाकर सेवन करने से सर्वांग शोथ, और अन्य सभी वायु विकार दूर होते हैं।
  • सर्वांग पीड़ा/पार्श्वपीड़ा – सर्वांग पीड़ा या पार्श्व पीड़ा के दर्द में अजमोद को तेल में औटाकर मालिश करने से अथवा इसके पत्तों को गर्म करके रोगी के बिस्तर पर बिछाकर और रोगी को लिटाकर ऊपर से रोगी को हल्का कपड़ा/चादर ओढ़ाकर सुला देने से लाभ होता है।
  • अजमोद 4 ग्राम तक रोजाना सुबह ठंडे पानी के साथ बिना चबाए निगलने से पुराना बुखार तथा शरीर की सर्दी आदि दूर हो जाती है।
  • गठिया बाय के इलाज हेतु – अजमोद, बायबिडंग, देवदारू, चित्रक, पिपला मूल, सौंफ, पीपल छोटी, काली मिर्च 20-20 ग्राम, शृंठी 200 ग्राम, विधारा 200 ग्राम लेकर उन्हें पीसकर चूर्ण बना लें और कपड़े में छान लें। प्रतिदिन 5 या 10 ग्राम की मात्रा पुराने गुड़ के साथ गर्म पानी से दिन में तीन बार सेवन करें। इससे ‘गठिया बाय’, ‘जोड़ों का दर्द’ ‘पीठ व जाँघ का दर्द’ तथा ‘वायु विकार’ आदि में बड़ा आराम मिलता है। इसके अतिरिक्त शरीर के किसी भी हिस्से में दर्द हो तो, वह ठीक हो जाता है।
  • त्वचा रोगों में -अजमोद के चूर्ण को आधा चम्मच गुड़ के साथ मिलाकर कम से कम 10-15 दिन तक पानी के साथ सेवन करें। इससे रक्त शुद्ध होता है और त्वचा के अनेक रोग खत्म हो जाते हैं।
  • पथरी- 5 ग्राम अजमोद का चूर्ण 15 ग्राम मूली के पत्तों के रस के साथ 500 ग्राम जवाखार मिलाकर कुछ समय तक रोजाना सुबह-शाम थोड़ा-थोड़ा करके पीना चाहिए। कुछ ही दिनों में पथरी निकल जाएगी और दर्द में आराम आ जाएगा।
  • यह हाई ब्लड प्रेशर को भी कम करता है इसके लिए इसके बीज का सेवन करना चाहिए |
  • अजवायन के फायदे तथा घरेलू उपाय जो कई बिमारियों को रखे दूर
  • अजमोद का जूस भी औषधीय गुणों से भरपूर होता है, जो इसकी कच्ची हरी पत्तियों से बनाया जाता है जो दिखने में बिलकुल हरे धनिये जैसी होती है इसका रस दिल के रोगों में है फायदेमंद है साथ ही किडनी भी डीटोक्स करता है, सूजन जलन मिटाता है, पिपंल्स, मुहांसे, झुर्रियोंदूर करता है, मोटापा कम करता है तथा यह बालों और त्वचा के लिए भी लाभकारी है | चूँकि यह दिखने में बिलकुल हरे धनिये जैसा होता है तो इनके बीच का अंतर जानकर ही बाज़ार से इसे खरीदें |

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    • अजमोद की हरी पत्तियां

अजमोद के सेवन में सावधानियां

  • गर्भवती महिलाएँ अजमोद का सेवन बिलकुल न करें। क्योंकि इसकी तासीर गर्म होती है, जो छाती में कुछ देर के लिए जलन-सी पैदा करती है। इसका गर्भ के बच्चे पर भी विपरीत असर हो सकता है।
  • इसका सेवन के बाद छाती में हल्की सी जलन पैदा होती है इसलिए अधिक मात्रा में इसका सेवन नुकसान दायक होता है।
  • अपस्मार/मिर्गी (एप्पीलेप्सी) से पीड़ित रोगियों को अजमोद का प्रयोग नहीं करना चाहिए ।

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