विटामिन ए की कमी से होने वाले रोग तथा विटामिन ए के मुख्य स्रोत और खुराक

शरीर के लिए विटामिन की जरुरत तथा उपयोगिता से भला कोई इनकार कैसे कर सकता है | 1910 के आस-पास जब विटामिन पहचाने जाने लगे, तब सबसे पहले विटामिन ए की पहचान की गई थी। इसे ही कैरोटीन कहा जाता है। विटामिन ए पानी में घुलनशील नहीं है। विटामिन ए का शरीर में जमा होना कुदरती तौर पर होता है इसलिए विटामिन ए की कुछ मात्रा शरीर में हमेशा जमा रहती है। शरीर में विटामिन ए की कमी होने से काफी हानि भी हो सकती है। लेकिन शरीर में स्टोर विटामिन ए ऐसा मौका नहीं आने देते। लेकिन इसकी कमी हो ही जाये तो इसे पूरा करने के दो तरीके है एक खाने पीने की कुछ चीजे और दूसरा विटामिन ए की गोलियां और सप्लीमेंट आदि | शरीर के लिए विटामिन ए की आवश्यकता कई मायनों में होती है इसलिए शरीर को समय-समय पर विटामिन्स की पूर्ति करते रहना चाहिए |

विटामिन ए की कमी से होने वाले रोग

विटामिन ए की कमी से होने वाले रोग तथा विटामिन ए के मुख्य स्रोत और खुराक vitamin a ki kami se rog k fayde strot
विटामिन ए
  • विटामिन ए की कमी के लक्षण :- रतौंधी या शाम से ही धुँधला दिखाई पड़ना, आँखों के दोष, त्वचा रोग, फेफड़े का कैंसर, हृदय रोग, बालों का झड़ना, बच्चों के श्वसन-तंत्र में बार-बार संक्रमण होने की बीमारियाँ होने लगती है।
  • विटामिन ए की कमी से बहरापन होता है।
  • सर्दी, खांसी, जुकाम, नजला विटामिन ए की कमी से होता है।
  • फेफड़ों के संक्रमण विटामिन ए की कमी से होते हैं।
  • विटामिन ए की कमी से रोगी तेज रोशनी सहन नहीं कर पाता है।
  • विटामिन ए की कमी से कील-मुंहासे आदि कई त्वचा रोग हो जाते हैं।
  • विटामिन ए की कमी से आँखों में आंसू सूख जाते हैं।
  • विटामिन ए की कमी से नाखून भुरभुरे होकर आसानी से टूटने लगते हैं।
  • विटामिन ए की कमी से रतौंधी हो जाती है।
  • विटामिन ए की कमी से अनेक आँखों के रोग आ घेरते हैं।
  • विटामिन ए की कमी से रोगी अंधा हो सकता है।
  • जिसके शरीर में विटामिन ए की कमी हो जाए, यह रतौंधी का शिकार हो जाता है। यह रोग रात के समय अधिक परेशान करता है।
  • विटामिन ए की कमी से फेफड़ों का कैंसर और हृदय रोग होने की आशंका बढ़ जाती है।
  • विटामिन ए की कमी से दांत कमजोर हो जाते हैं। दांतों का एनामेल बनने में रुकावट हो जाती है। दांतों में गड्ढे विटामिन ए की कमी से होते हैं। हमारे दांतों की सहीं बनावट के लिए यह जरूरी है।
  • विटामिन ए की कमी से पुरुष के जननांगों पर प्रभाव डालता है।

क्यों ज़रूरी है विटामिन ए ?

  • विटामिन ए शरीर को रोग प्रतिरोधक क्षमता देता है। छोटे बच्चों को विटामिन ए की सबसे ज्यादा जरुरत होती है।
  • गर्भावस्था में भी विटामिन ए की ज्यादा आवश्यकता होती है।
  • संक्रामक रोगों से शरीर जब घिर गया हो तब विटामिन ए की आवश्यकता होती है।
  • यह हमारी हड्डियों की वृद्धि करने व मजबूती देने का काम करता है |
  • हमारी आंखों की रोशनी को तेज़ बनाए रखने में सहायक होते है।
  • रोगों से लड़ने और संक्रमण को खत्म करने में सहायक होता है।
  • यह विटामिन शरीर के लिए जरूरी श्लेष्मिक को ताकतवर बनाए रखता है। श्लेष्मिक हमारे मुंह, श्वास प्रणाली, आंखों, आमाशय आदि पर कवच बनाकर इनकी रक्षा करते है।
  • हमारे शरीर की त्वचा को पूरी तरह तंदुरुस्त बनाए रखने के लिए भी विटामिन ए बहुत जरुरी होता है। किसी के भी शरीर से विटामिन ए की कमी होने पर उसकी त्वचा सख्त हो जाती है। त्वचा के गड्ढे साफ़ दिखने लगते हैं। हमारी त्वचा सूखी खुरदरी तथा सिकुड़ जाती है, जिससे चेहरे तथा बाकी शरीर की सारी चमक खत्म हो जाती है।
  • संक्रामक रोगों से सुरक्षा : त्वचा की ऊपरी परत तथा आँख, आँतों, फेफड़ों; जैसे अंगों की आंतरिक कोशिकाओं से बनी होती है। इसे स्वस्थ बनाए रखने में विटामिन ए मदद करता है। इस परत में से कीटाणुनाशक रसायन निकलता है, जो संक्रामक रोगों से शरीर को बचाता है।
  • भ्रूण के उचित विकास के लिए यह आवश्यक है।

विटामिन ए की खुराक

  • किसी भी विटामिन के अधिक सेवन से बचना चाहिए इसलिए विटामिन ए भी सीमित मात्रा में लें। जिसकी हमारी दैनिक आवश्यकता इस प्रकार है |
  • प्रति व्यक्ति को प्रतिदिन लगभग 5,000 भारतीय मानक इकाई मात्रा के विटामिन-ए की आवश्यकता होती है और यह मात्रा पके आम के 100 ग्राम भार के रस से प्राप्त हो सकती है। आँखों के लिए विटामिन-ए सबसे लाभदायक और जरुरी विटामिन होता है।
  • दूध पिलाने वाली स्त्रियों को 7500 से 8000 आई. ई. प्रतिदिन।
  • गर्भवती युवती को 6000 से 6500 आई. ई. प्रतिदिन।
  • बड़े पुरुषों के लिए 5000 से 5500 आई. ई. प्रतिदिन।
  • साधारण महिलाओं के लिए 5000 आई. ई. प्रतिदिन।

 शिशुओं तथा किशोरों के लिए विटामिन ए की खुराक

  • एक वर्ष तक के बच्चों को 1400 आई. ई. प्रतिदिन।
  • एक से चार वर्ष तक को 1900 से 2100 आई ई. प्रतिदिन।
  • एक से चार वर्ष तक को 1900 से 2100 आई ई. प्रतिदिन।
  • चार से सात वर्ष तक 2400 से 2600 आई. ई प्रतिदिन।
  • सात से नौ वर्ष तक 3600 आई. ई. प्रतिदिन।
  • दस से बारह वर्ष तक 4500 से 4800 आई. ई. प्रतिदिन।
  • युवा लड़कियों के लिए 5000 आई. ई. प्रतिदिन।।
  • युवक लड़कों के लिए 5800 से 6200 आई. ई. प्रतिदिन।
  • विटामिन ए का आवश्यकता से अधिक उपयोग करने पर सिर चकराना, उलटी, मितली, नींद में कमी, थकान, अनजानी घबराहट आदि लक्षण प्रकट हो सकते हैं। कभी-कभी इसका परिणाम ‘सूडो मेटर सेरेब्री’ नामक रोग के रूप में भी सामने आता है।

विटामिन ए किसमें पाया जाता है  ?

  • हमारे शरीर को विटामिन ए भोजन से प्राप्त होता है। यदि हम अपने भोजन का चुनाव ठीक से करें, तो हमें विटामिन ए की कमी कभी भी महसूस नहीं होगी।
  • विटामिन ए के मुख्य स्रोत हैं :- शुद्ध घी, मक्खन, दूध, दही, पनीर, अंडा (पीला भाग), मछली का तेल, लाल मिर्च, टमाटर, सभी ताजा हरे रंग वाली सब्जियां, पाम का तेल, गाजर, मूली, बंदगोभी, मीठे आलू, पालक, सोयाबीन, कददू, प्याज, सरसों, बथुआ, चुकंदर, केला, पपीता, सहजन, रसभरी, सेम, पीले रंग के फल सभी प्रकार का सलाद, पुदीना, हरा धनिया आदि ये सभी विटामिन ए के अच्छे सोर्स हैं ।
  • विटामिन ए सबसे ज्यादा गाजर और चुकंदर में पाया जाता है | रोजाना केवल एक कप गाजर का जूस पीने से आपकी जरुरत पूरी हो सकती है | गाजर के फायदे और 20 बेहतरीन औषधीय गुण
  • यदि किसी कारणवश खानपान से Vitamin A की कमी पूरी ना हो सके तो विटामिन ए की कमी के उपचार के लिए किसी डॉक्टर की सलाह से आप Vitamin A Supplement, Vitamin A Tablets, Capsules आदि का सेवन कर सकते है |

आँखों का रोग रतौंधी और विटामिन ए

  • रतौंधी रोग आम तौर पर दो से पाँच वर्ष के बच्चों में अधिक होता है। यह रोग विटामिन ‘ए’ की कमी के कारण होता है। इसमें बच्चे को रात में ठीक से दिखाई नहीं पड़ता। उसके बाद आँखें शुष्क होने लगती हैं, आँखों का सफेद हिस्सा अपना रंग खोने लगता है और बाद में उस पर झुर्रियाँ पड़ने लगती हैं। आँखों में छोटे-छोटे बुलबुलों का चकत्ता-सा बन जाता है, जो कभी भी फट सकता है। इसमें आँखों में दर्द नहीं होता। यह बीमारी उस समय शुरू होती है या गंभीर हो जाती है, जब बच्चे को दस्त, काली खाँसी या तपेदिक जैसे रोग होते हैं। यह बीमारी आसानी से ठीक नहीं होती, लेकिन विटामिन ‘ए’ सप्लीमेंट लेने से रोगी की देखने की क्षमता में थोड़ा सुधार होने की संभावना होती है। इसलिए इसके इलाज के तौर पर Vitamin ‘A’ या (placenta extract treatment) लेने की सलाह दी जाती है, क्योंकि आँखों की अधिकतर बीमारियों में विटामिन ‘ए’ का बहुत योगदान होता है। बच्चों को इस बीमारी से बचाने के लिए विटामिन ‘ए’ युक्त आहार काफी मात्रा में देना चाहिए और बच्चे को दो साल तक स्तनपान कराना चाहिए। छह माह की उम्र से बच्चे को हरे रंग की पत्तेदार सब्जियाँ, पीले और लाल रंग के फल देने चाहिए |

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