दुर्घटना बीमा की जानकारी तथा इसके प्रकार : Personal Accident Insurance

आजकल जागरूकता की वजह से बड़ी संख्‍या में लोग हेल्‍थ इंश्‍योरेंस और लाइफ इंश्‍योरेंस तो लेने लगे हैं, लेकिन एक्‍सीडेंटल इंश्‍योरेंस (दुर्घटना बीमा) नहीं लेते हैं | जबकि सड़क और रेल हादसों सहित अन्य कई  तरह की दुर्घटनाएं बढ़ने से यह सबसे जरूरी बीमा है | हादसा कभी भी, कहीं भी, किसी के साथ भी हो सकता है आजकल सडको पर वाहनों की भीड़ बढने से दुर्घटना होना एक आम बात हो गई है। किसी एक्सीडेंट की वजह से अस्थायी अथवा जीवन भर के लिए अपंगता आ सकती है। इसकी वजह से कमाई पर असर पड़ता है। लाइफ इन्सुरेंस पॉलिसी से ऐसी स्थिति में अधिक मदद नहीं मिल पाती, क्योंकि यहाँ संबंधित व्यक्ति जिंदा है। उसकी मौत नहीं हुई है। ऐसी स्थिति में स्वास्थ्य बीमा पॉलिसी डॉक्टरी खर्चे में मदद तो करती है, लेकिन अपाहिज हो जाने की स्थिति में आपको कोई मदद नहीं मिलती है और आपको जीवन भर आर्थिक तौर पर दूसरों पर निर्भर रहना पड़ सकता है । दुर्घटना बीमा (Accident Insurance) का इस समस्या के हल के रूप में आने से पहले आर्थिक बोझ उठाना तो असंभव सा था । इन्हीं तमाम दुःखदायी परेशानियों से उबरने के लिए Personal Accident Insurance पॉलिसी को बनाया गया है । इस पॉलिसी के अंतर्गत दुर्घटना से पीडित या अपाहिज व्यक्ति को हुई हानि की आर्थिक भरपाई मिलती है।

“दुर्घटना बीमा” के हिसाब से दुर्घटना की परिभाषा ये है—वह घटना जो बाहरी शरीर को चोट पहुँचाती है तथा दिखने वाले कारणों की वजह से अचानक घटित हो जाती है और जिसमें कोई योजना या जानबूझकर बुलाई गई दुर्घटना नहीं होती है, उसे एक्सीडेंट या दुर्घटना कहते हैं। दुर्घटना में आम तौर पर चार बातों की संभावना होती है |

  • मृत्यु |
  • हमेशा के लिए पूर्ण विकलांगता (हैंडीकैप्ड)|
  • हमेशा के लिए अंशतया विकलांगता।
  • अस्थायी तौर पर विकलांगता।

किसी एक्सीडेंट की वजह से विकलांगता होने पर व्यक्ति की आमंदनी बंद  हो जाती है ऐसे व्यक्ति कोई काम करने की हालत में नहीं होते हैं जैसे शारीरिक रूप से अक्षम हो जाना या फिर किसी अंग का काम करना बंद कर देना आदि ऐसी स्थिति में दुर्घटना बीमा पॉलिसी की वजह से बीमे की पूरी रकम या उसकी कुछ प्रतिशत रकम क्षतिपूर्ति के तौर पर मिलती है। और यदि किसी हादसे में बीमित व्यक्ति की मौत हो जाती है तो बीमा की पूरी राशि उसके आश्रितों को दे दी जाती है।

दुर्घटना बीमा की जानकारी

जानिए क्या है दुर्घटना बीमा : Personal Accident Insurance
जानिए दुर्घटना बीमा क्या है ?
  • दुर्घटना बीमा पॉलिसी को उम्र के 5 वर्ष से 70 वर्ष के बीच खरीदा जा सकता है। इस पॉलिसी में बढ़ती उम्र में कोई बदलाव नहीं आता। बीमे के फार्म में पूछी गई पूरी जानकारी, चिकित्सीय इतिहास तथा यदि पहले से ही कोई विकलांगता है तो उसे भी बताना पड़ता है।
  • दुर्घटना बीमा को तीन प्रकारों में बाँटा गया है। खरीदने वाले के व्यवसाय के अनुसार जोखिम के ग्रुप तैयार किए गए हैं। पहले समूह के अंतर्गत वकील, डॉक्टर, आर्किटेक्टर, चार्टर्ड अकाउंटेंट, प्रशासकीय अधिकारी, बैंक के कर्मचारी आदि ऐसे लोगों को शामिल किया गया है, जो एक जगह बैठकर काम करते हैं। इन सभी के लिए बीमे की किश्त छोटी होती है।
  • दुर्घटना बीमा के दूसरे समूह में ड्राइवर, कामगार, राज मिस्तरी, खिलाड़ी, खतरे वाले खेलों में भाग लेनेवाले खिलाड़ी, विस्फोटक पदार्थों का काम करनेवाले कामगार आदि शामिल होते हैं। इनके लिए बीमे की किश्त थोड़ी बड़ी होती है। इसके साथ ही जोखिम की अधिकता के अनुसार किश्त भी बदलती है जैसे -यदि सिर्फ ‘दुर्घटना में मृत्यु’ नामक जोखिम है, तब बीमे की किश्त छोटी होती है, परंतु यदि मृत्यु, आजीवन पूर्ण विकलांगता, आंशिक विकलांगता, अस्थायी विकलांगता भी दर्ज है, तब इस जोखिम की किश्त भी बड़ी होती है।
  • साथ ही दुर्घटना की वजह से होनेवाले डॉक्टरी खर्चे की वापसी के लिए ‘Accident Mediclaim Rider’ भी लिया जा सकता है।
  • दुर्घटना बीमा की किश्त का निर्धारण, आपके व्यवसाय तथा बीमे की रकम पर निर्भर करता है।
  • दुर्घटना बीमा का एक अच्छा पहलू यह भी है की एक्सीडेंट की वजह से चल रहे इलाज के दौरान आप काम पर नहीं जा सकते और प्रतिदिन की आमदनी भी डूबती है। इसलिए आप जितने हफ्ते काम पर नहीं जा सकते, उतने हफ्तों तक आपको आपके बीमे की रकम का 1 प्रतिशत राशी हर हफ्ते मिलती रहेगी । कई प्राइवेट बीमा कंपनियों ने इस रकम को बढ़ाया भी है।
  • आप अपनी मासिक आय के 80 से 100 गुना (अधिकतम) की दुर्घटना बीमा पॉलिसी खरीद सकते हैं। दुर्घटना चिकित्सा विकल्प की पॉलिसी की अधिकतम सीमा 5 लाख रुपए है। बीमा रकम की 25 प्रतिशत रकम दुर्घटना इलाज खर्च के लिए मिलती है।
  • कोई भी व्यक्ति अपनी आय के अनुसार दुर्घटना बीमा खरीदने का हकदार है। क्लेम करते समय दुर्घटना की पूरी जानकारी, चिकित्सा प्रमाण-पत्र, पुलिस को दी गई प्राथमिक जानकारी (यदि दुर्घटना दर्ज होगी तब), मासिक आय प्रमाण-पत्र अथवा आय का सबूत, पॉलिसी के दस्तावेज आदि बीमा कंपनी के पास जमा करने होते हैं। तमाम दस्तावेजों की गहरी जाँच करने के बाद बीमा कंपनी दावे की रकम अदा कर देती है।
  • जरूरत पड़ने पर बीमा कंपनी स्पेशल डॉक्टरों से भी जाँच करवाती है। आंशिक परंतु स्थायी विकलांगता के लिए जिला हॉस्पिटल द्वारा दिए गए विकलांगता अनुपात में बीमे की रकम दी जाती है। दुर्घटना बीमे की किश्त बहुत ही छोटी होती है, अतः आज के युग में दुर्घटना बीमा पॉलिसी आवश्यक है।
  • रास्ते में हुई दुर्घटना, बिजली का झटका, पानी में डूबने से हुई मौत, ऊपर से गिरकर हुई मौत, जल जाना आदि सभी दुर्घटनाएँ कहलाती हैं। बाथरूम में फिसलकर गिर जाना भी दुर्घटना ही होती है, लेकिन इन सभी दुर्घटनाओं में सच्चाई का होना भी अनिवार्य है इसकी एक्सीडेंट बीमा देने वाली कंपनी द्वारा अच्छी तरह जाँच की जाती है ।

दुर्घटना बीमा में इन सब कारणों से क्लेम नहीं मिलते है

  • युद्ध, सिविल वार, आत्महत्या, प्रसव के दौरान म्रत्यु, किसी पुरानी बीमारी की वजह से मौत, जानबूझकर अपने आप को खतरे में डालना, पहले से ही मौजूद विकलांगता आदि में दुर्घटना बीमा पॉलिसी का क्लेम नहीं मिलता। इसके साथ ही पॉलिसी लेते समय की विकलांगता के लिए भी भरपाई नहीं दी जाती। यदि नशे में रहते हुए दुर्घटना होती है, तब भी दावे की रकम नहीं मिलती।

दुर्घटना मेडिक्लेम पॉलिसी (रास्ते में दुर्घटना तथा काम पर दुर्घटना)

  • इस पॉलिसी को रोड सेफ्टी पॉलिसी कहा जाता है। इस पॉलिसी के अंतर्गत दुर्घटना होने पर यदि मौत हो जाती है अथवा पूर्णतया विकलांगता आ जाती है, तब बीमा कंपनी की ओर से 1 लाख रुपए मिलते हैं। दुर्घटना के बाद यदि अस्पताल में भरती होना पड़े, तब अस्पताल के खर्च के 1 लाख रुपए दिए जाते हैं। कई बार ऐसा होता है कि दुर्घटना के बाद आहत व्यक्ति जख्मी हो जाता है, पर विकलांग नहीं होता, तब ऐसी हालत में अस्पताल का खर्च बहुत आ जाता है और तब एक लाख रुपए की नुकसान भरपाई देनेवाली यह पॉलिसी वाकई मददगार साबित होती है।
  • इस पॉलिसी की शर्त यही है कि दुर्घटना या तो रास्ते में हो अथवा नौकरी-व्यवसाय की जगह पर हो, तभी क्लेम मिलेगा। दुर्घटना के तुरंत बाद एफ.आई.आर. दर्ज कराना आवश्यक है, वरना क्लेम नहीं मिलता। इस पॉलिसी की सालाना किश्त सिर्फ 240 रुपए है और साथ ही 5 वर्षों का प्रीमियम एक बार भी भरा जा सकता है यानी प्रतिदिन सिर्फ 60 पैसे का खर्च कर हम एक अच्छी पॉलिसी ले सकते हैं। सामान्य जन भी इसे आसानी से करवा सकते हैं।

समूह व्यक्तिगत दुर्घटना बीमा योजना : Group Accident Insurance

  • यह एक्सीडेंट इन्शुरन्स एक व्यक्ति लिए नहीं है होती यह कंपनी या कॉर्पोरेट द्वारा अपने कर्मचारियों के लिए लिया जाता है। बीमे करवाने वालो की संख्या के हिसाब से प्रीमियम पर छूट मिलती है यदि आप कोई छोटे व्यवसाई है तो अपने कर्मचारियों को यह सुविधा दे सकते है इसका प्रीमियम कर्मचारी और नियोक्ता दोनों मिलकर भर सकते है जो बहुत मामूली सी रकम होती है लेकिन सुरक्षा काफी बड़ी मिलती है |
  • यदि आप किसी छोटी इकाई या फैक्ट्री में कार्य करते है तो ग्रुप एक्सीडेंट इन्शुरन्स सुविधा लेने का सुझाव अपने मेनेजमेंट को दे सकते है |

गरीब महिलाओं-लड़कियों के लिए दुर्घटना बीमा पॉलिसी

इस संरक्षण पॉलिसी के अंतर्गत दो योजनाओं का समावेश किया गया है

  • राजराजेश्वरी महिला कल्याण बीमा योजना।
  • भाग्यश्री गर्ल चाइल्ड वेलफेयर बीमा योजना।

राजराजेश्वरी महिला कल्याण बीमा योजना-राजराजेश्वरी बीमा योजना 10 वर्ष से 70 वर्ष तक की महिलाओं के लिए उपलब्ध है। इसमें यदि महिला की दुर्घटना में मौत हो जाती है अथवा पूर्ण विकलांगता आ जाती है, तब वारिस को 25,000 रुपए मिलते हैं। यदि संबंधित महिला के पति की मौत हो जाती है, तब उस महिला को 25,000 रुपए मिलते हैं यानी एक ही पॉलिसी में पति तथा पत्नी का समावेश किया गया है। अब यदि संबंधित महिला विवाह से पहले दुर्घटनाग्रस्त हो जाती है, तब कानूनन वारिस को रकम दी जाती है।

इस पॉलिसी के अंतर्गत दुर्घटना, नसबंदी, सिजेरियन, बच्चेदानी का ऑपरेशन, गर्भाशय में आई गाँठ का ऑपरेशन, कैंसर की वजह से स्तन का ऑपरेशन और बच्चा होने के दौरान यदि महिला की मौत हो जाती है, तब भी पॉलिसी का भुगतान किया जाता है।

राजराजेश्वरी पॉलिसी के अंतर्गत 3 और सुविधाएँ प्रदान की जाती हैं |

  • दुर्घटना की वजह से काम पर नहीं जाने पर, हर्जाने के तौर पर तीन माह तक प्रतिमाह 500 रुपए के हिसाब से 1,500 रुपए दिए जाते हैं। कानूनी तलाक होने पर 2,000 रुपए मिलते हैं। 3. चोरी, डाका, दंगा, आगजनी, बिजली गिरना, तूफान, बाढ़, भूकंप आदि से हुए नुकसान पर 2,000 रुपए दिए जाते हैं। राजराजेश्वरी महिला कल्याण बीमा पॉलिसी की सालाना किश्त सिर्फ 15 रुपए है और अन्य सुविधाओं के लिए सिर्फ 35 रुपए हैं।
  • भाग्यश्री गर्ल चाइल्ड पॉलिसी 0 से 18 वर्ष की बालिकाओं के लिए है। परंतु बालिका के माता-पिता की उम्र 60 वर्ष से अधिक नहीं होनी चाहिए, यह शर्त भी रखी गई है। इस पॉलिसी की सालाना किश्त सिर्फ 15 रुपए है। यदि बालिका के पिता अथवा माता अथवा दोनों की मौत दुर्घटना से होती है, तब बालिका के नाम से 25,000 रुपए फिक्स डिपॉजिट में रख दिए जाते हैं और उसी रकम में से निम्नलिखित मदद दी जाती है |

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