पेशाब रुक रुक कर आने की बीमारी का इलाज : मूत्रवर्धक फल और सब्जियां

कुछ भोज्य पदार्थ यूरिन बढ़ाने वाले यानि मूत्रवर्धक होते हैं। हालांकि पौधों से मिलने वाले पदार्थ मूत्रवर्धक दवाओं की तरह काम नहीं करते, विशेषज्ञों के अनुसार मूत्रवर्धक दवाएं शरीर से पानी और लवण दोनों को बाहर निकाल देती हैं जबकि मूत्रवर्धक भोज्य पदार्थ केवल पानी को बाहर निकलते हैं, उसमें लवण नहीं होते। ये पदार्थ किडनी की कोशिकाओं की छलनी को सक्रिय बनाते हैं जिनसे पानी की अतिरिक्त मात्रा बाहर निकल जाती है। हालांकि यह क्रिया उन व्यक्तियों के लिए हानिकारक हो सकती है जिन्हें किडनी से संबंधित बीमारी हो अतः उन्हें मूत्रवर्धक पदार्थों का प्रयोग नहीं करना चाहिए।

पेशाब में रुकावट को दूर करने फल और सब्जियां

  • अल्फा अल्फा, केले का तना, जौ, पान का पत्ता, लौकी, इलायची, नारियल, खीरा, सिंहपर्णी, सहजन के फूल, अंगूर, शहद, भिंडी, खरबूज, प्याज, संतरा, लोनिया, अजवायन, मूली, पालक, गन्ना और तरबूज |

मूत्रवर्धक फल और सब्जियां – अल्फ़ा-अल्फ़ा

urine peshab ruk ruk kar aana ilaj पेशाब रुक रुक कर आने की बीमारी का इलाज : मूत्रवर्धक फल और सब्जियां
अल्फ़ा-अल्फ़ा
  • अल्फ़ा अल्फ़ा में कई पाचक एंजाइम और करीब दो प्रतिशत क्लोरोफिल होता हैं। यह मात्रा अन्य सभी पदार्थों में सर्वाधिक है। क्लोरोफिल नमक यह हरा और चमत्कारी पदार्थ शरीर की चिकित्सा में तो मदद करता ही है, यह पाचक, मूत्रवर्धक और उपयोगी टॉनिक के समान भी काम करता है। मूत्रवर्धक होने के कारण यह किडनी पर प्रभाव डालता है। कई चिकित्सकों ने अल्फ़ा अल्फ़ा का उपयोग ड्रॉप्सी और ब्लेडर में जलन की बीमारियों के इलाज में सफलतापूर्वक किया है। अल्फ़ा-अल्फ़ा का उपयोग पत्तियों के रस या चाय के रूप में किया जा सकता है। चाय को बीजों या सूखी हुई पत्तियों द्वारा बनाया जाता है। बीजों से चाय बनाने के लिए बीजों को कलाई वाले बर्तन में पानी के साथ ढंककर पकाया जाता है। बीजों के पकने के बाद उन्हें निचोड़कर छान लिया जाता है। इसे फ्रिज में रखना चाहिए और पीते समय इसमें गरम या ठंडा पानी और स्वादानुसार शहद मिलाकर पीना चाहिए। इससे पेशाब खुलकर आने के उपाय के लिए प्रयोग करें |

केले का तना

  • केले के तने से निकाला गया रस मूत्रवर्धक का काम करता है। इसमें पोटेशियम, विटामिन और अन्य लवण बहुतायत में होते हैं। इस रस को एक गिलास की मात्रा में रोज़ सुबह लेने से पेशाब में रुकावट जल्दी ही दूर हो जाती है और यूरिन खुलकर आता है | यह बेहतरीन मूत्रवर्धक का काम करता है और उस स्थिति में लाभ देता है जब शरीर से अधिक मात्रा में मूत्र बाहर निकाला जाना ज़रूरी हो।

जौ

  • जौ में भी मूत्रवर्धक गुण होते हैं। जौ को दलिया के रूप में खाया जाना चाहिए। इस दलिया को छाछ और नींबू के रस के साथ मिलाकर लेने से यह उपयोगी मूत्रवर्धक के रूप में काम करता है। यह नुस्खा मूत्र संबंधी बीमारियां जैसे किडनी सूजन और मूत्राशय के संक्रमण में बहुत लाभ देता है।

पान का पत्ता

  • पान के पत्तों में भी मूत्रवर्धक गुण होते हैं। इसकी पत्तियों का रस निकालकर इसे पतले दूध के साथ मिलाना चाहिए, शहद मिलाकर थोड़ा मीठा करना चाहिए। यह मिश्रण बढ़िया मूत्रवर्धक का काम करता है जो मूत्र के उत्सर्जन को बढ़ाता है। यह पेशाब नली सिकुड़ने पर पेशाब बंद हो जाये तो उसके इलाज के लिए अच्छी दवा है।

लौकी

  • लौकी भी मूत्रवर्धक भोजन में महत्वपूर्ण स्थान रखती है। यह मूत्राशय के संक्रमण में लाभकारी है। एक लौकी के रस में एक चम्मच नींबू का रस मिलाकर लेना लाभ देता है। अम्ल की अधिकता के कारण मूत्र मार्ग में जलन की स्थिति में इसे नियमित रूप से लिया जाना चाहिए। मूत्राशय के संक्रमण की अवस्था में इसे सल्फा औषधि के साथ लेना चाहिए। इस अवस्था में यह क्षारीय मूत्रवर्धक के समान काम करता है। अधिक जानकारी के लिए पढ़ें यह पोस्ट – लौकी जूस के बेहतरीन 29 औषधीय गुण

इलायची

  • इलायची भी मूत्र के निर्माण और उत्सर्जन में मदद करती है। इलायची के दानों के चूर्ण को केले के पत्ते और आंवले के रस के एक चम्मच के साथ मिलकर दिन में तीन बार लेना लाभदायक होता है। यह सुजाक, मूत्राशय शोध, किडनी शोध, पेशाब करते समय जलन होना, और कम मूत्र बनने से पेशाब खुलकर न आना जैसी बीमारियों में लाभदायक है।

नारियल

  • नारियल का पानी भी प्रभावकारी मूत्रवर्धक है। इसमें पोटेशियम और क्लोरीन बहुत अधिक मात्रा में पाया जाता है। यह मूत्र संबंधी बीमारियों के इलाज में महत्वपूर्ण है। यह हृदय, किडनी और पित्ताशय की बीमारियों में पेशाब कम बनने की शिकायत को दूर करने का बढ़िया उपाय है। यह श्वेत प्रमेह, सुजाक, जलोदर और मूत्र की अम्लीयता के लिए भी बढ़िया इलाज है। यह ऐसा मूत्रवर्धक पदार्थ है जो सबसे सस्ता है और मूत्रवर्धक दवाओं के उलट प्रभाव से शरीर की रक्षा करता है। किडनी के काम न करने की स्थिति में नारियल का पानी चिकित्सक की सलाह पर ही दिया जाना चाहिए।

खीरा

  • खीरा भी महत्वपूर्ण मूत्रवर्धक पदार्थों में से एक है। इसका रस मूत्राशय के रोगों जैसे मूत्राशय का संक्रमण, किडनी शोध और अल्प मूत्रता के उपचार में लाभ देता है। इसका एक गिलास रस रोज़ दो बार लिया जाना चाहिए। इस रस में दो चम्मच शहद और एक चम्मच नींबू का रस मिलाना चाहिए। यह मिश्रण इन बीमारियों के इलाज में शक्तिशाली मूत्रवर्धक के समान काम करेगा।

सिंहपर्णी  

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सिंहपर्णी
  • सिंहपर्णी एक कठोर तनेवाली सब्जी है जो सलाद के रूप में उपयोग में लाया जाता है। यह स्वादिष्ट होता है। इसमें पोषक तत्व अधिक होते हैं। इसमें पालक की बराबर मात्रा में लौह तत्व, सलाद पत्ते से चार गुना ज्यादा विटामिन ए और मैग्नीशियम, पोटेशियम, विटामिन सी, कैल्शियम और सोडियम बहुत अधिक मात्रा में पाया जाता है। इसमें प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट्स और वसा भी होते हैं। सिंहपर्णी मूत्रवर्धक भोज्य पदार्थ है। यह मूत्र की मात्रा और उसके उत्सर्जन की दर को बढ़ाता है। इसकी कलियों, पत्तियों, फूलों से बनी चाय मूत्र विकारों जैसे पेशाब रुक रुक कर आना, मूत्र प्रवाह में कमी आदि के इलाज में काम आती है। इस उपचार के साथ पानी की अधिक मात्रा लेना बहुत आवश्यक है। सिंहपर्णी की नरम पत्तियों को सलाद के रूप में उपयोग में लाया जाता है। इन्हें पानी में उबालकर पकाया जा सकता है या पालक के समान या पालक के साथ मिलाकर भी खाया जा सकता है। कटी हुई पत्तियों से सूप भी बनाया जा सकता है। इसकी सूखी हुई पत्तियों से चाय बनाई जाती है, साथ ही ये पोषक पेय पदार्थों का भी आवश्यक घटक होती हैं।

सहजन के फूल

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सहजन के फूल
  • सहजन भारत भर में उगाई जानेवाली प्रचलित सब्ज़ी है। इसे इसकी कोमल फलियों के लिए उपयोग में लाया जाता है। यह जीवाणुरोधी और रेचक का काम करता है। सहजन के फूल मूत्रवर्धक होते हैं। इन फूलों से ताज़ा रस निकाला जाना चाहिए। इसके फूलों के एक चम्मच रस में आधा गिलास नारियल पानी मिलकर बना पेय उत्तम मूत्रवर्धक औषधि का काम करता है। मूत्राशय के संक्रमण की स्थिति में जल्दी लाभ हेतु इसे दिन में दो बार लिया जा सकता है।

अंगूर

  • अंगूर में अधिक मात्रा में उपस्थित पानी और पोटेशियम की मात्रा के कारण यह उत्तम मूत्रवर्धक भोज्य पदार्थ है। इसमें एल्ब्यूमिन और सोडियम की मात्रा कम होती है जिससे मूत्र उत्सर्जन तंत्र के विकार दूर करने में मदद मिलती है। किडनी की पथरी, किडनी सूजन और मूत्राशय के संक्रमण में यह रामबाण औषधि का काम करता है। पेशाब में रुकावट होने होने पर इसका प्रयोग बहुत लाभकारी है |
  • अंगूर तथा इसके जूस के औषधीय गुणों की जानकारी

शहद

  • शहद भी उपयोगी मूत्रवर्धक पदार्थ है। इसमें लवणों की मात्रा अधिक होती है अत: यह मूत्र के उत्सर्जन को बढ़ाता है। यह मूत्र के अवधारण (रिटेंशन) के लिए उचित उपचार है। इस बीमारी के उपचार के लिए 70 ग्राम शहद को 4 ग्राम शक्कर के साथ मिलकर लिया जाना लाभ देता है। यह मूत्रवर्धक के रूप में जल्दी प्रभाव उत्पन्न करता है और पेशाब का उत्सर्जन तुरंत शुरू हो जाता है।

भिंडी

  • भिंडी बहुत ही लोकप्रिय सब्ज़ी है जो भारत भर में उगाई जाती है। इसमें एक नरम चिपचिपा पदार्थ होता है जो त्वचा की जलन को ठीक करता है। यह त्वचा और म्यूकस झिल्ली पर सकारात्मक प्रभाव डालता है। भिंडी का काढा प्रभावशाली मूत्रवर्धक पदार्थ है। इस काढ़े को बनाने के लिए 90 ग्राम ताजी भिन्डियों को खड़ा काटकर आधा लीटर पानी में बीस मिनिट तक उबालते हैं और छानकर उसे शहद से मीठा बनाते है। मूत्रमार्ग में जलन, सुजाक, श्वेत प्रदर आदि बीमारियों में अच्छे परिणामों के लिए इसे 60 से 90 मिली की मात्रा में लगातार लिया जा सकता है। इसके अलावा भी किसी भी संक्रमण के कारण शरीर को मूत्र विसर्जन में आ रही दिक्कत की अवस्था में भी इसे लिया जा सकता है।

खरबूजा

  • खरबूज गरमी में स्वाद बढ़ाने वाले भोजन के रूप में मशहूर है। इसमें से आनेवाली कस्तूरी (मस्क) जैसी गंध के कारण इसे अंग्रेज़ी में मस्कमेलन कहा जाता है। पका हुआ फल अत्यधिक पोषक होता है। इसके बीजों में से भी तेल निकाला जाता है जो खाने योग्य होता है तथा पोषक और मूत्रवर्धक होता है। खरबूज बेहतरीन मूत्रवर्धक फल है। इस फल की 250 ग्राम जितनी मात्रा को गरमी में रोज लिया जा सकता है और इसके बाद थोड़ी शक्कर खानी चाहिए। खरबूज को दिन में तीन या चार बार लेने से पेशाब करते समय बेहोशी आने की बीमारी दूर की जा सकती है। इसके साथ पानी नहीं पीना चाहिए। इसकी बजाय हल्का मीठा दूध लिया जा सकता है। इसका गूदा मूत्रवर्धक होता है और पेशाब की रुकावट की बीमारी में लाभ देता है। खरबूज का प्रयोग मूत्र के निर्माण और उत्सर्जन को उत्तेजित करता है।आयुर्वेद में खरबूज का छिलका भी मूत्र की मात्रा बढ़ाने का शत प्रतिशत उपाय माना जाता है। इसका छिलका पानी के साथ मसला जाता है और इस पानी को छानकर गर्मियों में रोगी को दिया जाता है। सदियों में इसे मसलने से पहले पानी को थोड़ा गरम किया जाता है। इससे मूत्र त्याग करते समय बेहोश होने की बीमारी भी ठीक होती है।

प्याज

  • प्याज एक प्रभावशाली मूत्रवर्धक भोजन है। और मूत्र उत्सर्जन तंत्र के संक्रमण को ठीक करने में उपयोगी है। मूत्र त्याग के समय जलन और बेहोशी की अवस्था में प्याज का काढ़ा लाभ देता है। इस काढ़े को छह ग्राम प्याज को आधा लीटर पानी में उबालकर बनाया जाता है। जब पानी आधा रहा जाए, तो इसे आंच से उतार लेना चाहिए। फिर इसे छानकर ठंडा करके रोगी को पिलाना चाहिए। मूत्र के प्रतिधारण (रिटेंशन) के लिए प्याज को पानी में मसलकर उसमें साठ ग्राम शक्कर मिलानी चाहिए। इस मिश्रण को रोगी द्वारा लेते ही ज़रा सी देर में मूत्र अवरोध दूर हो जाता है। यदि इस मिश्रण में ज़रा सा पोटेशियम नाइट्रेट मिला दिया जाए तो प्रभाव दोगुना हो जाता है।

संतरा

  • संतरे के रस को जब नारियल के पानी के साथ मिलाकर लिया जाता है तो यह प्रभावकारी मूत्रवर्धक का काम करता है। यह पेशाब बंद होना, जलोदर, किडनी शोध, मूत्राशय शोध, सुजाक, मूत्र मार्ग के अन्य संक्रमण और अति अम्लीयता के कारण मूत्र विसर्जन में जलन होने जैसी बीमारियों में यह रस बहुत ही लाभदायक होता है।

लोनिया

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लोनिया
  • यह हरी पत्तेदार सब्ज़ी भी मूत्रवर्धक का काम करती है। यह मूत्र की मात्रा को बढ़ाती है अतः यह पेशाब की रुकावट, जिसमें पेशाब करने के दौरान तकलीफ होती है, में उपयोगी दवा है। इसके उपचार के लिए इसकी पत्तियों के रस का एक चम्मच दिन में दो बार दिया जाना चाहिए। इस सब्ज़ी के बीज भी पसीने की अधिकता के अकारण होने वाले मूत्रावरोध को रोकने में सक्षम होते हैं। इसके लिए रोगी को लोनिया के बीजों को पीसकर नारियल के पानी में मिलाकर रोगी को दिया जा सकता है। इस मिश्रण को दिन में तीन बार दिया जाना चाहिए। यह मूत्राशय के संक्रमण को भी दूर करता है।

अजमोद या प्राजमोड़ा

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अजमोद
  • प्राजमोड़ा में भी मूत्रवर्धक गुण होते हैं। यह जलीय भोजन है जो पानी की कमी को पूरा करता है प्राजमोड़ा की चाय पीने से शरीर में पानी की कमी नहीं होती। इस चाय को प्राजमोड़ा की सूखी हुई पत्तियों को एक कप पानी में उबालकर बनाया जा सकता है। यह पेशाब की मात्रा और उसके उत्सर्जन को बढ़ाती है। आर.डी.रोप जिन्होंने इस विषय पर खासा शोध किया है, के अनुसार प्राजमोड़ा मूत्र मार्ग और जनन मार्ग के संक्रमणों की अचूक दवा है। यह किडनी और मूत्राशय के संक्रमण, पथरी, किडनी शोध, श्वेतप्रमेह और अन्य संक्रमणों में लाभदायक है।

मूली

  • मूली की जड़ और पत्तियां मूत्रवर्धक का काम करती हैं और ये मूत्र के निर्माण और उत्सर्जन की दर को बढ़ाती है। पंद्रह दिनों तक मूली की पत्तियों का एक कप रस लेने से किडनी की पथरी जिसके कारण पेशाब रूक जाता है और मूत्र मार्ग में जलन होती है, को दूर किया जा सकता है। यह रस पेशाब करते समय होनेवाली जलन और बूंद-बूंद की मात्रा में पेशाब आने की दिक्कत को भी दूर करता है। साथ ही सुजाक की स्थिति में भी लाभ देता है। इस रस को ऊपर बताई गई मात्रा के अनुसार लिया जा सकता है, साथ ही आवश्यकता पड़ने पर इसकी अवधि को बढ़ाया भी जा सकता है। मूली के फायदे और 35 औषधीय गुण

पालक

  • पालक की पत्तियां भी प्रभावकारी मूत्रवर्धक हैं। ये मूत्र की मात्रा और उत्सर्जन की दर को बढ़ाती हैं। पालक की ताज़ा पत्तियों के रस को नारियल के पानी में मिलाकर दिन में एक या दो बार लेने से यह पेय प्रभावशाली मूत्रवर्धक का काम करता है। यह पेय सुरक्षित भी होता है क्योंकि इसमें नाइट्रेट्स और पोटेशियम होता है। इसे मूत्राशय के संक्रमण, किडनी की सूजन और पानी की कमी के चलते पेशाब की रुकावट की दशा में दिया जा सकता है। पालक के फायदे तथा बेहतरीन औषधीय गुण

गन्ना

  • गन्ना पौधों के परिवार का महत्वपूर्ण सदस्य है जो कि चीनी की पूर्ति और उसके चयापचय द्वारा शरीर में ऊर्जा का संचार करता है। यह बढ़ते हुए पौधों में ग्लूकोज़ और फ्रक्टोज़ के रूप में पाया जाता है। गन्ना ऊर्जा देनेवाले पदार्थ का सबसे सस्ता साधन है। इसका रस पोषक और ताज़गी देनेवाला होता है। इसमें 15 प्रतिशत प्राकृतिक शर्करा, प्राकृतिक लवण और विटामिन्स होते हैं। गन्ने का रस प्रभावकारी मूत्रवर्धक होता है। यह कम पेशाब आने की स्थिति में लाभ देता है। यह मूत्र मार्ग को स्वच्छ रखता है और किडनी को अपना काम सुचारू रूप से करने में मदद करता है। यह अम्लीयता के कारण मूत्र मार्ग में जलन, सुजाक, प्रोस्टेट ग्रंथि का बढ़ना, वृक्क शोध और वृक्क में पथरी आदि रोगों की चिकित्सा के लिए लाभदायक है। इसे नींबू के रस, अदरक और नारियल पानी के साथ मिलाकर लिया जाना चाहिए।

तरबूज

  • तरबूज में पानी का प्रतिशत अन्य सभी फलों की तुलना में अधिक होता है। इसमें पोटेशियम की मात्रा अधिक होती है। इसके कारण यह एक सुरक्षित और प्रभावकारी मूत्रवर्धक है जिसका प्रयोग अल्प मूत्रता, मूत्राशय और वृक्क में पथरी तथा मूत्र में फॉस्फेट की अधिक मात्रा का होना आदि बीमारियों के इलाज में किया जा सकता है। यह सुजाक के उपचार में भी लाभ देता है। इसके गूदे का रस निकालकर गूदे को हटाया जा सकता है क्योंकि इसके रस में ही सारे गुण होते हैं।

इस प्रकार आप इन सब फल सब्जियों का यहाँ बताये अनुसार सेवन करके इन सब बीमारियों से छुटकारा पा सकते है या इन बिमारियों को काफी हद तक काबू कर सकते है जैसे – पेशाब में रुकावट, पेशाब नली सिकुड़ने पर पेशाब बंद हो, पेशाब खुलकर ना आना, पेशाब रुक रुक कर आना , पेशाब रुक जाना आदि |

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