पीठ दर्द क्यों होता है कमर दर्द के मुख्य कारण

पीठ दर्द एक ऐसा शब्द है जो आसानी से किसी भी घर में सुना जा सकता है। यह तेजी से पूरी दुनिया में परेशानी का कारण बनता जा रहा है। इसकी अनेक वजह हो सकती हैं पर हमारी खराब ‘जीवन-शैली’ इसकी सबसे बड़ी वजह है। इसके सुधार से जुड़े पहलू पर ध्यान देने से पहले हम यह जानने की कोशिश करें कि पीठ का दर्द किन कारण से पैदा होता है। इनमें से कुछ कारण निम्नलिखित हैं:

पीठ दर्द क्यों होता है ? इसके प्रमुख कारण

पीठ दर्द के सामान्य कारण peeth dard kyu hota hai karan

 

आयु व डीजेनेरेटिव (degenerative) बदलाव:

  • यह बदलाव भी पीठ दर्द की वजह हो सकते हैं। आयु भी रीढ़ की हड्डी में सभी जोड़ों पर एक सा असर डालती है लेकिन कभी-कभी कोई एक जोड़ जल्दी ही टूट जाता है। कई बार छोटी उम्र में ही डिजेनेरेटिव बदलाव दिखाई देने लगते हैं पर ऐसा केवल एक या दो जोड़ों में ही होता है।

डिस्क का खिसकना:

  • डिस्क का बाहर की ओर उभरना भी पीठ दर्द का कारण बन जाता है। शारीरिक काम ज्यादा करने वाले पुरुषों में महिलाओं की अपेक्षा यह रोग ज्यादा पाया जाता है। ऐसी हालत में डिस्क शॉक एब्जावर का काम करना बंद कर देती है। उभार स्नायु पर ऐसा दबाव डालता है जिससे शियाटिका का दर्द भी उभर आता है। डिस्क की कमजोरी से इस बात का पता भी चलता है कि आस-पास के जोड़ और लिगामेंट भी लगातार तनाव झेल रहे हैं। और कभी भी टूट सकते हैं।

 जोड़ों का खुलना व टूटना:

  • अगर रीढ़ की हड्डी के जोड़ों को आपके खींचने, धकेलने, उठाने व झटका देने जैसे कई काम लगातार करने पड़े (खासतौर पर जब लापरवाही से किए जाऐं) तो उनके कार्टिलेज खुल सकते है और जिस स्थान से नाडियाँ होकर गुजरती हैं, वे सँकरे हो सकते हैं। ऐसी स्थिति में इतना तेज पीठ दर्द पैदा हो जाता है। जो पूरा जीवन आपका साथ नहीं छोड़ता।

लिगामेंट की परेशानी

  • अगर आप अपनी रीढ़ की हड्डी में खिंचाव नहीं लाते, तो आगे चल कर इनके लिगामेंट अकड़े हुए, पतले, बिना लोच के और दर्दनाक हो सकते हैं। लिगामेंट में अकड़न से रीढ़ की हड्डी में भी जकड़न आ सकती है। इससे खतरनाक हालात बन सकते हैं। पीठ और गर्दन के लिए कई बड़ी समस्याएं खड़ी हो सकती हैं।

अपच तथा पेट का अल्सरः

  • वैसे अपच और पेट के अल्सर से होने वाले दर्द का असर पेट के ऊपरी हिस्से के बीचों-बीच होता है, लेकिन कई बार यह पीठ के बीचों-बीच भी हो सकता है। भारी, वसायुक्त भोजन हजम न हो पाने की वजह से यह दर्द और भी बढ़ जाता है। इससे बचाव के लिए आपको अपनी जीवन-शैली में बदलाव लाना होगा। अगर आप अपच और पेट के अल्सर से पीड़ित हैं तो अपनी खुराक पर ध्यान दें और तनाव से दूर रहें। इसके लिए तंबाकू व शराब की मात्रा भी घटानी होगी।

अचानक झुकना या मुड़ना:

  • अगर आप अचानक झुंके या मुड़े तो आपके कशेरुक को संभालने वाले लिगामेंट टूट सकते हैं। आपकी इंटरवा टिंबरल डिस्क को भी चोट पहुँच सकती है। अगर चोट ज्यादा हो तो डिस्क कमजोर हो कर बाहर की ओर उभर आएगी जिससे असहनीय दर्द होगा।

शरीर को वार्म-अप किए बिना कसरत करना:

  • अगर आप शरीर को वार्म-अप किए बिना अचानक कसरत करते हैं तो कमजोर मासपेशियाँ थक जाती हैं। अगर आप वर्षों के बाद अचानक एक दिन कसरत करने लगें, सब्जी उगाने की क्यारी खोदने लगे या टेनिस का एक जोरदार खेल खेलें तो आपकी पीठ को कोई भी तकलीफ हो सकती है क्योंकि कसरत के अभाव में आपके शरीर की मांसपेशियाँ ढीली पड़ जाती हैं।

भारी सामान उठाना:

  • जब आप कोई भारी सामान उठाते हैं तो पीठ पर अचानक दबाव बढ़ जाता है। अगर आपकी पीठ में पहले से ही दर्द हो तो यह तकलीफ बढ़ सकती है और ज्यादा नुकसान हो सकता है।

मोटापाः

  • अगर आपका वजन ज्यादा है तो आपकी रीढ़ की हड़ी पर लगातार दबाव रहेगा। गर्भवती महिलाओं को भी अक्सर पीठ पर दबाव महसूस होता है जो आखिरी महीनों में और भी बढ़ जाता है।

गलत पोस्चर:

  • अगर आप गलत तरीके से उठते-बैठते हैं तो आने वाले कुछ सालों में आपको रीढ़ की हड्डी से जुड़ी कई तकलीफें झेलनी पड़ सकती हैं। इससे आपका शारीरिक ढाँचा बिगड़ सकता है। हड़ियाँ, जोड़ व मांसपेशियाँ कमजोर हो कर दूसरी हड्डियों, जोड़ों व मांसपेशियों पर बुरा असर डालते हैं जिससे वे भी कमजोर पड़ जाती हैं।

दुर्घटना में पीठ को नुकसान पहुँचना:

  • अगर आप देखें कि किसी दुर्घटनाग्रस्त व्यक्ति के गर्दन में तेज दर्द है या उसके हाथों-पैरों में लकवा मार गया है तो हो सकता है कि उसकी गर्दन या रीढ़ की हड्डी का कोई हिस्सा टूट गया हो। ऐसे रोगी को बिल्कुल हिलाएं-डुलाएँ नहीं, इससे रीढ़ की हड्डी को नुकसान हो सकता है। इससे रोगी को हमेशा के लिए लकवा मार सकता है या उसकी मौत भी हो सकती है। ऐसी हालत में एंबुलेंस मँगवा कर रोगी को शीघ्र ही अस्पताल ले जाएं, जहाँ उसका एक्स-रे आदि किया जा सके। अगर रोगी को आग लगने या पानी भरने जैसी खतरनाक स्थिति में हटाना पड़े तो पूरी सावधानी बरतें। उसके मेरुदंड को मोडे या झुकाए बिना, सीधा रखने की कोशिश करें। अगर कोई चपटा तख्ता या स्ट्रेचर मिल जाए तो रोगी को उस पर लिटा कर बाँध दें ताकि रीढ़ की हड़ी हिले नहीं और उसे सहारा मिलता रहे। अगर रोगी को खतरनाक जगह से हटाने का कोई साधन न हो तो आप उसे हाथ-पाँव पकड़ कर घसीट भी सकते हैं, बस इतना ध्यान रहे कि उसकी रीढ़ सीधी रहे।

महिलाओं में पीठ दर्द की शिकायतः

  • निम्नलिखित कारणों से महिलाओं में पीठ दर्द की शिकायत हो सकती है।
  • प्रतिमाह कोशिकाएँ बच्चेदानी के भीतर हार्मोन के साथ पनपती हैं। अगर वे अंडे संसेचित न हों पाए तो यह लाइनिंग टूटती है और बच्चेदानी से ब्लीडिंग होने लगती है, जिसे मासिक धर्म कहते हैं।
  • अगर मासिक धर्म में कोई रूकावट आ जाए तो इससे पीठ दर्द हो सकता है।
  • बच्चेदानी को सहारा देने वाली मांसपेशियों और लिगामेंट का कमजोर पड़ना:- आमतौर पर गर्भाशय या बच्चादानी पेट के निचले हिस्से में होती हैं। मांसपेशियों और लिगामेंट का जाल इसे सहारा देता है। अगर ज्यादा बच्चों को जन्म देने या किसी और वजह से यह सहारा कमजोर पड़ जाए तो पीठ दर्द का कारण बन जाता है।
  • इसके अलावा मेनोपोज़ (इसमें हार्मोनल बदलाव आते हैं), मोटापा (जिससे मेरुदंड के उत्तकों पर सीधा असर पड़ता है), भारी सामान उठाना (अगर ठीक तरह से न उठाया जाए तो मांसपेशियों पर दबाव डाल कर उन्हें कमजोर बना सकता है), बुरी तरह से स्वाँसी या छींके आना (जिससे पेट के निचले हिस्से पर दबाव पड़ता है) यही सब कारण बच्चेदानी के खिसकने की वजह हो सकते हैं। यदि यह अपने स्थान से थोड़ा-सा ही खिसकी हो तो कुछ व्यायामों से इसकी स्थिति में सुधार किया जा सकता है। गर्भाशय को अपने स्थान पर रखने के लिए ‘रिंग पैसेरी’ जैसे कुछ उपाय भी खोजे गए हैं। अगर परेशानी ज्यादा बढ़ जाए तो उत्तकों की मरम्मत के लिए शल्य क्रिया करनी पड़ सकती है।
  • पीठ दर्द की परेशानी से बचने के लिए सबसे पहले कमजोर पड़ चुकी मांसपेशियों का पता लगाना होगा। इसके लिए आपको पीठ दर्द के उभरने का इंतजार नहीं करना होगा, इसे अपने अनुभव से पहले भी जाना जा सकता है। इन्हें जानने के बाद, कुछ ऐसे व्यायाम शुरू करें जो मांसपेशियों को मजबूत और लचीला बना सके ज्यादातर मामलों में प्रतिदिन व्यायाम व योगासन करने पर एक माह में ही सुधार होने लगता है।

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