पतंजलि आयुर्वेद औषधि : कफ,अस्थमा, ह्रदय रोग, और रक्ताल्पता

इस लेख में पतंजलि आयुर्वेद में विभिन्न रोगों की चिकित्सा के लिए उपलब्ध दवाओ की जानकारी दी गयी है | साथ ही यह भी बताया गया है की इन औषधियों का सेवन कैसे करें और क्या परहेज रखें | इस लेख में निम्नलिखित बीमारियों के लिए आयुर्वेदिक औषधियां बताई गई है |

  • ब्रोन्कियल अस्थमा, खाँसी, क्रोनिक राइनाइटिस, साइनसिसिस
  • सूखी खांसी
  • ह्रदय रोग , तृष्णा रोग
  • पेट के रोग अतिसार, पेचिश, दस्त, आमातिसार, अपक्व आँव व अपचन
  • रक्तातिसार अनीमिया

ब्रोन्कियल अस्थमा, खाँसी, क्रोनिक राइनाइटिस, साइनसिसिस के उपचार के लिए उपलब्ध पतंजलि आयुर्वेद की दवाइयां | Baba Ramdev Patanjali Yogpeeth medicines for Bronchial Asthma, Cough, Chronic Rhinitis, Sinusitis.

पतंजलि आयुर्वेद /Patanjali medicine for heart Cough Anemia
पतंजलि आयुर्वेदिक दवाइयां

कृपया नोट करें- नीचे दी गई औषधियां पुरानी खांसी या साँस से जुडी अन्य गंभीर बिमारियों के लिए सम्पूर्ण आयुर्वेदिक उपचार है | यदि आपको सामान्य खांसी या कफ है तो आप पतंजलि आयुर्वेद द्वारा निर्मित कफ सिरप दिव्य श्वासारि प्रवाही का प्रयोग कर सकते है | 

खांसी की दवा रामदेव दिव्य श्वासारि प्रवाही स्वामी रामदेव की पतंजलि दिव्य फार्मेसी में निर्मित आयुर्वेदिक दवा
दिव्य श्वासारि प्रवाही

ब्रोन्कियल अस्थमा, खाँसी, क्रोनिक राइनाइटिस की दवा :-

  • दिव्य श्वासारि क्वाथ – 200 ग्राम
  • दिव्य मुलेठी क्वाथ – 100 ग्राम

दोनों औषधियों को मिलाकर 1 चम्मच (लगभग 5-7 ग्राम) की मात्रा में लेकर 400 मिली पानी में पकाएं। 100 मिली शेष रहने पर छानकर प्रात: खाली पेट तथा सायं भोजन के बाद सेवन करें।

  • दिव्य श्वासारि रस – 20 ग्राम
  • दिव्य अभ्रक भस्म – 05 ग्राम
  • दिव्य प्रवाल पिष्टी – 10 ग्राम
  • दिव्य त्रिकटु चूर्ण – 10 ग्राम
  • दिव्य सितोपलादि च्चूर्ण – 25 ग्राम

सभी औषधियों को मिलाकर 60 पुड़िया बनाएं। प्रतिदिन 1-1 पुड़िया प्रात: नाश्ते एवं साय-भोजन से आधा घण्टा पहले जल/शहद/मलाई से सेवन करें।

  • दिव्य लक्ष्मीविलास रस – 40 ग्राम
  • दिव्य संजीवनी वटी – 40 ग्राम

दोनो में से 1–1 गोली दिन में तीन बार प्रात: नाश्ते व दोपहर-भोजन एवं सायं-भोजन के बाद गुनगुने जल से या हल्दी मिलाकर उबाले हुए दूध के साथ सेवन करें।

  • नोट- जीर्ण रोग की अवस्था में 1 माह की औषध में दिव्य स्वर्ण वसन्तमालती रस 2 से 3 ग्राम तक मिलाने से अत्यन्त लाभ होता है।
  • क्षतक्षीण की अवस्था में कहरवापिष्टी 5 से 10 ग्राम मिला लें।
  • श्वास-कास के साथ यदि सामान्य दौर्बल्य भी हो तो शिलाजीत रसायन वटी 1-1 गोली प्रात: एवं सायं सेवन करने से विशेष लाभ होता है।
  • उपरोक्त औषधों के साथ दिव्यधारा को सूंघने से तथा पतंजलि बाम को लगाने से विशेष लाभ होता है।
  • षड़बिन्दु तैल का नस्य लेने से विशेष लाभ होता है।
  • परहेज- घी, तेल, खटाई, ठण्डी वस्तुए, केला, दही, आइस्क्रीम आदि का सेवन न करें एवं सुखोष्ण जल का सेवन करें।

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सूखी खांसी के उपचार के लिए उपलब्ध पतंजलि आयुर्वेद की दवाइयां | Baba Ramdev Patanjali Yogpeeth medicines for Dry Cough.

  • दिव्य सितोपलादि चूर्ण – 50 ग्राम
  • दिव्य टंकण भस्म – 10 ग्राम
  • दिव्य गोदन्ती भस्म – 5 ग्राम
  • दिव्य अभ्रक भस्म – 5 ग्राम

सभी औषधियों को मिलाकर 60 पुड़िया बनाएं। प्रतिदिन प्रात: नाश्ते एवं सायं-भोजन से आधा घण्टा पहले जल/शहद/मलाई से सेवन करें।

  • दिव्य लक्ष्मीविलास रस – 4O ग्राम
  • दिव्य त्रिभुवनकीर्ति रस – 40 ग्राम

दोनो की 1-1 गोली प्रात: व सायं भोजन के बाद गुनगुने जल से सेवन करें। नोट-लवङ्गादि वटी (1–2 वटी) को प्रात: एवं सायं चूसने से शुष्क खांसी में चामत्कारिक लाभ होता है।

ह्रदय रोगों के उपचार के लिए उपलब्ध पतंजलि आयुर्वेद की दवाइयां | Baba Ramdev Patanjali Yogpeeth medicines for Cardiac Diseases.

दिव्य अर्जुन क्वाथ – 300 ग्राम

4 कप पानी अथवा 1 कप दूध एवं 3 कप पानी में 1 चम्मच (5 ग्राम) अर्जुन क्वाथ को पकाएं और जब 1 कप शेष रह जाय तब छानकर प्रात: खाली पेट एवं सायं को भोजन से 1 घण्टा पूर्व सेवन करें।

  • दिव्य मुक्ता पिष्टी – 4 ग्राम
  • दिव्य संगेयशव पिष्टी – 10 ग्राम
  • दिव्य अकीक पिष्टी 5 ग्राम
  • दिव्य गिलोय सत् – 10 ग्राम
  • दिव्य योगेन्द्र रस 1 ग्राम
  • दिव्य जहरमोहरा पिष्टी – 5 ग्राम
  • दिव्य अभ्रक भस्म – 5 ग्राम
  • इन सभी औषधियों को मिलाकर 60 पुड़िया बनाएं, प्रात: नाश्ते एवं सायं-भोजन से आधा घण्टा पहले जल/शहद से सेवन करें।
  • दिव्य हृदयामृत वटी – 40 ग्राम
  • दिव्य आरोग्यवर्धिनी वटी – 4O ग्राम

2–2 गोली प्रात: नाश्ते के बाद एवं सायं-भोजन के बाद गुनगुने जल से सेवन करें। नोट-रोग की अधिकता होने पर योगेन्द्र रस को 2-3 ग्राम की मात्रा में प्रयोग किया सकता है।

परहेज– घी, तेल, तली हुई चीजें, मैदा तथा गरिष्ठ व संश्लेषित आहार का सेवन न करें। साथ ही प्राणायामों का नियमित एवं धीरे-धीरे अभ्यास अवश्य करें।

उदकवह-स्रोत की व्याधियाँ उदकवह-स्रोत के मूल- तालु एवं क्लोम हैं। उदकवह-स्रोत की व्याधियाँ- तृष्णा, अतिसार, प्रवाहिका तथा विसूचिका आदि।

तृष्णा रोग के उपचार के लिए उपलब्ध पतंजलि आयुर्वेद की दवाइयां | Baba Ramdev Patanjali Yogpeeth medicines for Polydipsia.

  • दिव्य मुलेठी क्वाथ 200 ग्राम
  • सौफ – 50 ग्राम

1 चम्मच मुलेठी क्वाथ तथा आधा चम्मच सौंफ को मिलाकर 400 मिली पानी में पकाएं। 100 मिली शेष रहने पर छानकर प्रात: एवं सायं सेवन करें। दिव्य चन्दनासव 450 मिली 4 चम्मच औषध में 4 चम्मच पानी मिलाकर प्रात: एवं सायं भोजन के बाद सेवन करें। नोट- आवला स्वरस में मिश्री मिलाकर प्रात: एवं सायं पीने से तृष्णा में लाभ होता है। तृष्णा रोग में शीतल जल तथा विधिपूर्वक निर्मित षडंग पानी का सेवन लाभकारी होता है।

अतिसार, पेचिश, दस्त के उपचार के लिए उपलब्ध पतंजलि आयुर्वेद की दवाइयां | Baba Ramdev Patanjali Yogpeeth medicines for diarrhea Dysentry. 

  • दिव्य बिल्वादि चूर्ण – 100 ग्राम
  • दिव्य गंगाधार चूर्ण – 50 ग्राम
  • दिव्य शांखभस्म – 10 ग्राम
  • दिव्य कपर्दक भस्म – 10 ग्राम
  • सभी औषधियों को मिलाकर 60 पुड़िया बनाएं। प्रतिदिन 1-1 पुड़िया प्रात: नाश्ते एवं सायं-भोजन से आधा घण्टा पहले जल/शहद से सेवन करें। दिव्य कुटजारिष्ट – 450 मिली – 4 चम्मच औषध में 4 चम्मच पानी मिलाकर प्रात: व सायं भोजन के बाद सेवन करें। दिव्य कुटजघन वटी – 40 ग्राम 2-2 गोली प्रात: व सायं भोजन के बाद गुनगुने जल या कुटजारिष्ट के साथ सेवन करें।

आमातिसार के उपचार के लिए उपलब्ध पतंजलि आयुर्वेद की दवाइयां |

  • दिव्य लवणभास्कर चूर्ण – 50 ग्राम
  • दिव्य शंखभस्म 10 ग्राम
  • भुना हुआ पीसा जीरा – 10 ग्राम

इन सभी औषधियों को मिलाकर 60 पुड़िया बनाएं प्रतिदिन प्रात: नाश्ते एवं सायं-भोजन से आधा घण्टा बाद गुनगुने जल से सेवन करें।

  • दिव्य कुटजघन वटी – 40 ग्राम
  • दिव्य उदरामृत वटी – 40 ग्राम
  • दिव्य चित्रकादि वटी – 40 ग्राम

1–1 गोली प्रात: नाश्ते के बाद एवं सायं-भोजन के बाद गुनगुने जल से सेवन करें।

रक्तातिसार के उपचार के लिए उपलब्ध पतंजलि आयुर्वेद की दवाइयां | Baba Ramdev Patanjali Yogpeeth medicines for Anemia.

  • दिव्य बिल्वादि चूर्ण -100 ग्राम
  • सौंफ चूर्ण – 50 ग्राम
  • दिव्य इसबगोल – 50 ग्राम
  • जीरा चूर्ण (आधा भुना हुआ) – 25 ग्राम

इन सभी औषधियों को मिलाकर रख लें। 1-1 चम्मच की मात्रा दिन में तीन बार प्रात:, दोपहर व साय ठण्डे जल से सेवन करें। नोट-रक्तातिसार अधिक होने पर उपरोक्त पुड़िया में 10 ग्राम कहरवा पिष्टी मिला लें।

अपक्व आँव व अपचन के उपचार के लिए उपलब्ध पतंजलि आयुर्वेद की दवाइयां | Baba Ramdev Patanjali Yogpeeth medicines for Dyspepsia and indigestion.

  • दिव्य सर्वकल्प क्वाथ – 3OO ग्राम

1 चम्मच औषध को 400 मिली पानी में पकाएं और 100 मिली शेष रहने पर छानकर प्रात: सायं खाली पेट पिएं।

  • दिव्य अजमोदादि चूर्ण-100 ग्राम

1-1 चम्मच अजमोदादि चूर्ण को सर्वकल्प क्वाथ के साथ सेवन करें।

  • दिव्य उशीरासव – 450 मिली
  • दिव्य कुटजारिष्ट – 450 मिली

4 चम्मच औषधि में 4 चम्मच जल मिलाकर प्रात: एवं सायं भोजनोपरान्त सेवन करें।

  • दिव्य लवणभास्कर चूर्ण – 50 ग्राम
  • दिव्य हिंग्वाष्टक चूर्ण – 50 ग्राम
  • दिव्य शंख भस्म – 10 ग्राम
  • दिव्य कपर्दक भस्म – 10 ग्राम

उपरोक्त औषधियों को मिलाकर 1-1 चम्मच की मात्रा में प्रात: तक्र के साथ तथा दोपहर व सायं गुनगुने जल के साथ सेवन करने से विशेष लाभ होता है।

  • दिव्य चित्रकादि वटी – 40 ग्राम

1-1 गोली को दिन में 2 या 3 बार चूसने से विशेष लाभ होता है।

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Reference – इस पोस्ट में पतंजलि आयुर्वेद दवाओ की सारी जानकारी बाबा रामदेव जी के दिव्य आश्रम प्रकाशन की पुस्तक (आचार्य बाल कृष्ण द्वारा लिखित “औषधि दर्शन”, मई 2016 के 25 वें संस्करण से ली गई है)

Disclaimer – यह जानकारी केवल आपके ज्ञान वर्धन और जागरूकता के लिए है | बिना चिकित्सक के परामर्श के दवाइयों का सेवन नहीं करना चाहिए | Never Take Medicines without Consulting the Doctor.

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