माहवारी रुकने के कारण तथा नियमित करने हेतू खानपान के उपाय

महिलाओं में माहवारी रुकने या पीरियड से जुडी कठिनाइयाँ एक आम समस्या है | अधिकतर मामलो में माहवारी नहीं आने या माहवारी रुकने के कई कारण होते हैं, लेकिन महिलाओं को इस बात का डर बैठ जाता है कि कहीं फिर से गर्भावस्था तो नहीं हो गयी है | यह डर महिलाओं में तनाव को बढ़ाता है | इस प्रक्रिया में अच्छा व बुरा संकेत होना भी प्राकृतिक प्रक्रिया है | अचानक माहवारी रुकने होने पर महिलाओं को घबराने की जरूरत नहीं है. यह कई अन्य कारणों से भी हो सकता है तथा आप इसे अपने भोजन में मामूली बदलाव करके तथा कुछ घरेलू नुस्खो की सहायता से आसानी से पीरियड नियमित कर सकती है |

माहवारी रुकने के कारण

  • माहवारी रुकने का एक प्रमुख कारण शरीर में खून की कमी होती है। इसके अलावा शारीरिक श्रम कम करने, ज्यादा मानसिक तनाव, क्रोध-भावुकता से भी माहवारी रुक सकती है। ज्यादा ठंडी चीजें खाने और भोजन में अनियमितता से भी यह परेशानी आती है।
  • माहवारी के समय अधिक ठंडी चीजे खाना, सर्दी लगना, ऋतु के समय खाने पीने में असावधानियाँ करना आदि कारणों से माहवारी रुक जाती है। या देर से आती है।
  • इस दौरान आपका वजन तेजी से बढ़ा या घटा हो | मलेरिया, टाइफाईड , पीलिया हुआ हों, ऐसी बिमारियों की वजह से भी पीरियड्स बंद हो सकते हैं या देरी से हो सकते हैं |
  • थाइराइड की समस्या बढ़ जाये या मोटापे जैसी समस्या होने पर भी महिलाओं में माहवारी रुकने की कठिनाई हो सकतीहै |
  • गर्भ निरोधक गोलियों के लगातार सेवन से या एक साल से ज्यादा तक ये गोलियां लेने से दो तीन महीने तक पीरियड्स बंद या माहवारी रुकने की समस्या हो सकती हैं |

माहवारी रुकने लक्षण

  • पेडू में दर्द, भूख न लगना, जी मिचलाना, कब्ज होना, स्तनों में दर्द, तेज दिल धडकन, साँस लेने में तकलीफ, नींद न आना, दस्त, पेट दर्द, शरीर में कहीं भी सूजन, हाथ, पैर, कमर में दर्द, थकावट, शरीर में दर्द आदि इसके लक्षण हैं।

माहवारी रुकने की समस्या में क्या खाना चाहिए तथा क्या नहीं

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माहवारी रुकने पर उपाय
  • माहवारी रुकने की कठिनाई में आपको संतुलित आहार लेना चाहिए जैसे साबुत अनाज, गिरियाँ, बीज, खासकर अंकुरित रूप में, भी शामिल करने चाहिए। रोगी महिला को लो ब्लड शुगर की परेशानी से बचने के लिए थोड़े-थोड़े समय के अंतर से पाँच बार खाते रहना चाहिए। दिन में एक या दो बार भरपेट खाना हानिकारक हो सकता है, विशेषकर मासिक धर्म के दिनों में, क्योंकि इन दिनों महिला को ब्लड शुगर कम हो जाता है।

खून की कमी इन पदार्थों से दूर करें

  • खुबानी, केला, कीवी, सेब, आडू, स्ट्रॉबेरी जैसे फल खाएं।
  • सेम और अन्य फलीदार सब्जियां खाएं।
  • हरी पत्तेदार सब्जियों को भोजन में शामिल करें।
  • चुकंदर को भी अपनी डाइट में शामिल करें |
  • शकरकंद, कढू, लौकी, टिंडे, गाजर जैसी सब्जियों को भी भोजन में जरूर लें।
  • राजमा, उड़द, मसूर, मूंग और अन्य दालों को भी उपलब्धता के अनुसार नियमित लें।
  • अंकुरित अनाज (स्प्राउट) जरूर खाएं। इनसे बहुत अच्छा पोषण मिलता है।
  • दूध, दही, पनीर भी जरूरी हैं। खा सकें तो अंडा भी जरूर खाएं।

माहवारी रुकने पर ये उपाय भी काम करेंगे

  • माहवारी रुकने की समस्या में पपीता बड़े काम की चीज है। रोजाना पपीते का रस पीएं। खासकर कच्चे पपीते की सब्जी का सेवन बहुत लाभ पहुंचाता है।
  • 50 ग्राम मेथी और इससे थोड़े-से ही कम मूली के बीजों को एक साथ पीसकर चूर्ण बनाएं। दस दिन तक रोजाना इस चूर्ण की एक चम्मच मात्रा पानी के साथ लें।
  • करेले का दो चम्मच रस रोजाना थोड़ी-सी चीनी मिलाकर लें। करेले की सब्जी का भी सेवन करें।
  • रोजाना चार-पांच काली मिर्ची का चूर्ण बनाएं और करीब 25 दिन तक एक चम्मच शहद के साथ सेवन करें।
  • माहवारी रुकने पर बराबर मात्रा में मेथी, मूली और गाजर के बीज लें और तीनों को मिलाकर चूर्ण बना लें। अब करीब दस ग्राम चूर्ण रोजाना पानी के साथ खाएं।
  • चुकंदर उपलब्ध हो तो रोजाना इसका एक कप रस निकालें और उसमें थोड़ा-सा सेंधा नमक मिलाकर दस दिन तक पीएं।
  • रोजाना सुबह-शाम आधा चम्मच मुलेठी का चूर्ण शहद के साथ चाटें। एक माह तक ऐसा करें, काफी फायदा होगा।
  • माहवारी रुकने पर सौंठ, गुग्गुल और गुड़ की बराबर मात्रा लेकर काढ़ा बनाएं और रोज रात को सोने से पहले पी जाएं।
  • 10-15 दिन तक रोजाना भोजन के साथ पुदीने की चटनी खाएं।
  • गाजर के बीजों को पीस लें और 20-25 दिन तक रोजाना थोड़ा-सा चूर्ण मिश्री मिलाकर खाएं।
  • तिल और गुड़: तिल में जरूरी फैटी एसिड होते जो हारमोन संबंधी किसी भी समस्या को ठीक करने में मदद करता है। गुड़ शरीर में गर्मी पैदा कर मासिक धर्म को नियमित करता है। तिल को थोड़ा भून ले और उसमे बराबर की मात्रा में गुड़ मिला कर पीस ले। पीरियड चालू होने से 15 दिन पहले रोजाना 1 चम्मच खाली पेट खाये। कम से कम 2 महिना खाये। मासिक धर्म के दौरान इसको नहीं खाना है।
  • पीरियड्स न हो तो क्या करे : – हल्दी एक ऐसा मसाला है जो न सिर्फ आपके मासिक धर्म को नियमित करने में मदद करता है बल्कि हार्मोन संबंधी समस्या से निजात दिलाने में भी मदद करता है। इसका इमानेगोज (Emmenagogue) गुण माहवारी रुकने संबंधी समस्या को दूर करने में मदद करता है। इसका एन्टी,इन्फ्लेमटोरी गुण मासिक धर्म के दौरान दर्द से भी राहत दिलाने में मदद करता है। विधि, एक चौथाई छोटा चम्मच हल्दी को एक गिलास दूध में डालें और उसमें स्वाद लाने के लिए थोड़ा शहद या गुड़ डाल सकते हैं। जब तक कि समस्या से निजात न मिल जायें कुछ हफ्तों तक इसको पी सकते हैं।

माहवारी रुकने की समस्या में क्या नहीं खाना चाहिए

  • माहवारी के दिनों में मैदा और मैदा से बने पदार्थ, शक्कर, टॉफी, चॉकलेट, केक, पैस्ट्री, मिठाइयाँ, साफ की गई दालें और मांसाहार, घी-तेलयुक्त गरिष्ठ पदार्थ, डिब्बाबंद खाद्य पदार्थ, कड़क चाय, कॉफी, शराब, सिरका, अचार, चटनी इत्यादि खाद्य पदार्थों से एकदम परहेज करना चाहिए।
  • यदि कोई महिला धुम्रपान की आदी है तो उसे वह भी छोड़ देना चाहिए, क्योंकि धुम्रपान से मासिक संबंधी विकार बढ़ते हैं।
  • माहवारी रुकने की बीमारी में सादा भोजन करें।
  • मिर्च-मसाले वाला, ज्यादा तैलीय भोजन न करें।
  • रोजाना हल्का व्यायाम करें। आधा घंटा तेज चलें।
  • कब्ज की समस्या हो तो कब्ज दूर करें। कब्ज का रामबाण इलाज – 22 आयुर्वेदिक उपचार

माहवारी रुकने या अन्य मासिक धर्म सम्बंधी बिमारियों में चिकित्सक को कब दिखाएं

  • कभी माहवारी के बहाव में बाधा हो सकती है. इस तरह की स्थिति बहुत कम आती है। लेकिन अगर हो तो डॉक्टर से मिलना चाहिए |
  • मासिक धर्म से सबन्धित समस्याएँ होना साधारण बात है अक्सर माहवारी की अनियमित्ता हो जाती है, अर्थात कई बार रक्तस्त्राव बहुत अधिक हो जाता है और कई बार माहवारी रूक जाती है |
  • कभी-कभी ऐसा भी होता है की ये 2-3 दिन होना चाहिए लेकिन 1 ही दिन होता है, और कई बार 15 दिन में ही दुबारा आ जाता है. और कई बार 2 महीने तक नहीं आता. तब डाक्टर के पास जाना जाहिए |
  • यदि स्व-उपचार से लगातार तीन महीने में दर्द ठीक न हो या रक्त के बड़े-बड़े थक्वे निकलते हों तो डाक्टर से परामर्श लेना चाहिए |
  • यदि माहवारी होने के पांच से अधिक दिन पहले से दर्द होने लगे और माहवारी के बाद भी होती रहे तब भी डाक्टर के पास जाना जाहिए.
  • माहवारी चक्र का रिकॉर्ड रखें- कब खत्म हुए, कितना स्राव हुआ (कितने पैड में काम में आए उनकी संख्या नोट करें और वे कितने भीगे थे) और अन्य कोई लक्षण आप ने महसूस किया हो तो उसे भी शामिल करें, यदि तीन महीने से ज्यादा समय तक समस्या चलती रहे तो डाक्टर से परामर्श करें |

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