मानसिक रोग के लक्षण, कारण और प्रकार

हमारे शरीर से कहीं अधिक जटिल हमारा मन है। शायद यही कारण है कि हम मन को समझने में अकसर भूल करते हैं। हम शरीर दर्द को तो आसानी से समझ लेते हैं और हम उसका जल्द ही इलाज भी शुरू कर देते हैं, लेकिन मन के दर्द को अक्सर नजरअंदाज कर देते हैं, और जब हम मन के दर्द को महसूस करते हैं, तब तक काफी देर हो चुकी होती है। और वो किसी मानसिक रोग में बदल जाती है और हमारा व्यवहार सामान्य से असामान्य हो जाता है | धीरे-धीरे हमारे आसपास के लोग इन बदलावों के बारे में हमे बताने लगते है, पर उनका यकीन ना करते हुए ज्यादातर पीड़ित उसे अनदेखा कर देते है |

आज की भाग-दौड़ भरी जिंदगी में मन को समझने का समय भी ज्यादातर लोगो के पास नहीं होता। आज की जबरदस्त प्रतिस्पर्धा और व्यस्त दिनचर्या में भावनाओं तथा संवेदनाओं को समझने की चेष्टा भला कौन करता है ? वैसे तो समस्याएँ पहले भी थीं, लेकिन उन समस्याओं का सामना करने में हर व्यक्ति को समाज से सहयोग मिलता था। पर आज इस सपोर्ट का आभाव है, खासतौर से शहरी जीवन में ऐसे में आज मानसिक तनाव, डिप्रेशन, एंग्जाइटी, स्किजोफ्रेनिया आदि मानसिक बीमारियाँ तेजी से बढ़ रही हैं।

चिकित्सा विज्ञान के क्षेत्र में हुई प्रगति से आज ज्यादातर मानसिक रोग जैसे (एंग्जाइटी), डिप्रेशन, ऑब्सेसिव कंपल्सिव डिसऑर्डर, स्किजोफ्रेनिया आदि का उपचार संभव हो गया है। अगर मानसिक रोगियो को सही समय पर इलाज दिया जाए तो वे सामान्य जीवन बिता सकते हैं।

जीवन में सिर्फ शारीरिक सुंदरता और अच्छा स्वास्थ्य ही जरुरी नहीं हैं बल्कि एक स्वस्थ मानसिक संतुलन का होना भी बहुत जरुरी होता है, इसलिए मानसिक बीमारियों के प्रति आपको जागरूक बनाने के लिए इस पोस्ट को हम अपनी वेबसाइट पर पब्लिश कर रहे है और आगे भी समय-समय पर इस जरुरी विषय पर लिखते रहेंगे, हमे विश्वास है की यह प्रयास लोगों में मानसिक बीमारियों के बारे में समझ बनाने, उनका मुकाबला करने और मानसिक रोगियों के प्रति समाज में फैले अंधविश्वासों को दूर करने में मददगार साबित होगा ।

इस पोस्ट के तीन भाग होंगे पहले भाग में मानसिक रोग होने के प्रमुख कारण, दूसरे भाग में प्रमुख मानसिक रोग और उनके लक्षण और तीसरे और अंतिम भाग में मानसिक रोग से जुडी कुछ जरुरी जानकारियां |

मानसिक रोग के मुख्य कारण :

The main cause of mental illness & Personality disorders.

  • मन की गुत्थियों को समझना आसान नहीं है। हमारा मन कब किस बात से आहत होकर मानसिक रोग से घिर जाए, कहना मुश्किल है। कौन व्यक्ति किस बात या स्थिति के कारण मानसिक तनाव या दुःख से पीडित हो सकता है, यह बताना कठिन है। कोई बात किसी के दिमाग को गहराई तक भेद सकती है, लेकिन वही बात किसी ओर आदमी के लिए मामूली सी हो सकती है।
  • मानसिक रोग के मुख्य कारण ये होते हैं – आपसी संबंधों में तनाव, किसी प्रिय व्यक्ति का गुजरना, सम्मान को ठेस लगना, काम में भारी नुकसान, शादी, नशा, तलाक, एक्जाम या प्यार में असफलता आदि मानसिक रोग के कारण बन सकते हैं।
  • कोई व्यक्ति किसी दुर्घटना या किसी अपने की अकाल मौत के कारण सदमे से मानसिक रोग में घिर सकता है या हमेशा के लिए मानसिक संतुलन खो सकता है, लेकिन कोई व्यक्ति ऐसे दुःख को आराम से झेल जाता है। निश्चित ही किसी का मानसिक रूप से दुखी होना उसकी मानसिक रूप से मजबूती एवं मनोवृति पर निर्भर होता है, लेकिन कई बार वे परिस्थितियाँ एवं वातावरण भी मानसिक बीमारी का कारण बन जाते हैं।
  • मानसिक बीमारियाँ आमतौर पर किसी भी व्यक्ति को उसके जीवन के शुरू के वर्षो, खासकर किशोरावस्था व युवावस्था, में अपना शिकार बनाती हैं। हालाँकि इनसे कोई भी प्रभावित हो सकता है, लेकिन युवा और बूढ़े लोग इनसे सबसे अधिक प्रभावित होते हैं।
  • आर्थिक गतिविधियों और रोजगार के तौर-तरीकों में आए बदलावों के कारण लोगों को सामाजिक अलगाव का सामना करना पड़ रहा है। शहरीकरण, संयुक्त परिवार के बिखराव और युवाओं के रोजगार की तलाश में गाँव से शहर आने के कारण होने वाले संघर्ष से मानसिक समस्याएँ बढ़ रही हैं।
  • पुरुषों की तुलना में महिलाओं में मानसिक बीमारियाँ दो से तीन गुना अधिक पाई जाती है इसके प्रमुख कारण है महिलाओ में आत्मविश्वास की कमी, समाज और परिवार में उन्हें सम्मान न मिलने, उनके आत्म केंद्रित स्वभाव, घरेलू हिंसा और दुर्व्यवहार के कारण महिलाएँ डिप्रेशन का शिकार ज्यादा होती हैं।
  • बेरोजगारी, निर्धनता, घरेलू समस्याएँ और शारीरिक अस्वस्थता डिप्रेशन को और बढ़ाती हैं। जैसे-जैसे व्यक्ति और उसके परिवार की आर्थिक स्थिति बदतर होती जाती है वैसे-वैसे मानसिक रोग भी बढ़ता जाता है।
  • मानसिक रोग के आनुवंशिक कारण भी हो सकते हैं जैसे मंदबुद्धि होना, मिर्गी रोग उन लोगों में ज्यादा मिलते हैं, जिनके परिवार में इसका कोई इतिहास रहा हो, ऐसे लोगो के बच्चो को इनका खतरा सामान्‍य लोगों के मुकाबले लगभग दोगुना हो जाता है।

मानसिक बीमारियाँ या मानसिक रोग और उनके लक्षण :

मानसिक रोग mansik rog ke lakshan karan Types
मानसिक रोग

Signs and Symptoms of major Mental Health Problems:

  • (Acute stress disorder ) एक्यूट स्ट्रेस डिसऑर्डर– यह सदमे की स्थिति है, जो किसी दुर्घटना के बाद पैदा हो सकती है और दो से चार सप्ताह तक रह सकती है। इस मानसिक रोग में रोगी अपने आप को डरा हुआ और असहाय महसूस करता है। उसके बाद वह सबसे अलग-थलग रहने लगता है, किसी पर विश्वास नहीं करता और उसकी याद रखने की ताकत भी कम हो जाती है। इस दौरान उसमें एंग्जाइटी के भी लक्षण दिखाई देते हैं। वह खुद को और अन्य लोगों को भी नुकसान पहुँचा सकता है तथा आत्महत्या की कोशिश भी कर सकता है। समय पर इसका उपचार कराने पर यह रोगी ठीक हो जाता है।
  • (Addictive Disorders ) लत-संबंधी बीमारियाँ (एडिक्टिव डिसऑर्डर)- ये शराब, सिगरेट या अन्य मादक पदाथों के प्रति अत्यधिक लगाव या लत के कारण पैदा होने वाली समस्याएँ हैं। इस मानसिक रोग में रोगी बैचैन हो जाता है, शरीर कापने लगता है, नींद की कमी और स्वभाव चिडचिडा हो जाता है |
  • (adjustment disorder) समायोजन संबंधी बीमारियाँ (एडजस्टमेंट डिसऑर्डर)- ये बदली हुई परिस्थितियों के साथ तालमेल नहीं बिठा पाने के कारण उत्पन्न मानसिक समस्याएँ हैं। ये समस्याएँ छोटे बच्चों और किशोरों की तुलना में युवाओं में कम होती हैं और आमतौर पर छह महीने से अधिक नहीं रहतीं। ये समस्याएँ किन्हीं अन्य पैदा करनेवाली परिस्थितियों में कम-से-कम तीन महीने तक तनाव में रहने पर रोगी इनसे पीडित हो जाता है और सामान्य परिस्थितियों में भी असामान्य व्यवहार करने लगता है।
  • (Anxiety Disorder) एंग्जाइटी डिसऑर्डर- यह बहुत सामान्य सा मानसिक रोग है। इसका इलाज संभव है, लेकिन दुर्भाग्यवश इसके एक चौथाई रोगी का सही इलाज नहीं हो पाता। इसके लक्षणों में घबराहट, दिल की धड़कन तेज होना, ज्यादा पसीना आना, आत्मविश्वाश की कमी, बैचैनी किसी काम में मन नहीं लगना और नींद की कमी |
  • (Childhood disorder ) बाल मनोवैज्ञानिक बीमारियाँ (चाइल्डहुड डिसऑर्डर)- जब बच्चे मानसिक या भावनात्मक डिसऑर्डर से पीडित हो जाते हैं तो माता-पिता इसके लिए बच्चों को ही दोषी ठहराते हैं जबकि इसके लिए कई कारण जिम्मेदार होते हैं। इसके उपचार से बच्चे का स्वस्थ मानसिक विकास संभव होता है।
  • (Alzheimer’s disease )- अधिक उम्र के लोगों में अपंगता का मुख्य कारण अल्जाइमर रोग है। एक अनुमान के अनुसार, 65 वर्ष से अधिक उम्र के हर 20 में से एक व्यक्ति तथा 80 वर्ष से अधिक के हर पाँच में से एक अल्जाइमर रोग से पीडित है। इस मानसिक रोग में याददाश्त बहुत कमजोर हो जाती है | अन्य लक्षणों में क्रोध, उदासीनता, सामान्य असंतोष, अकेलापन, या मूड बदलते रहना |
  • (Cognitive disorder ) कॉगनिटिव डिसऑर्डर- इन मानसिक बीमारियों में सोचने-समझनेवाले कार्य करने में दिक्कत होती है।
  • संवाद संबंधी डिसऑर्डर- ठीक से बोल ना पाना घोर आत्मविश्वास की कमी अथवा अपने आप की अभिव्यक्ति में दिक्कत होना |
  • (Depressive disorder ) डिप्रेसिव डिसऑर्डर- यह सामान्य मानसिक रोग है। यह किसी भी उम्र में हो सकती है। हर पाँच में से एक महिला और दस में से एक पुरुष कभी-न-कभी डिप्रेशन से पीडित होते हैं। डिप्रेशन के 90 प्रतिशत रोगियों का इलाज संभव है। इसके लक्षण है – चिंता, उदासीनता, असंतोष, अपराध गतिविधियों में रुचि, निराशा, अकेलापन, खुशी की कमी, उदासी या भावनात्मक संकट, रोना, चिड़चिड़ापन, बेचैनी, थकान, सामाजिक अलगाव, अत्यधिक भूख लगना या बिलकुल भूख ना लगना, अधिक नींद आदि |
  • डेवलपमेंटल डिसऑर्डर- ये मानसिक विकास को प्रभावित करने वाली बीमारियाँ हैं।
  • Dissociative Identity Disorder (DID) (डी.आई.डी.)- इसे ‘मल्टिपल पर्सनालिटी डिसऑर्डर’ भी कहते हैं। यह बीमारी आमतौर पर बचपन के किसी मानसिक आघात के कारण होती है। इसमें रोगी अपनी अलग पहचान बनाता है। वह अपने विचार, सोच, सोचने का तरीका, उद्देश्य सबसे अलग रखता है।
  • (Eating Disorder) ईटिंग डिसऑर्डर- महिलाएँ, खासकर किशोरियाँ और युवा महिलाएँ, स्लिम दिखने की चाह में खान-पान की गलत आदतों को अपना लेती हैं, जिससे वे ईटिंग डिसऑर्डर का शिकार हो जाती हैं। इसमें जरुरत से ज्यादा डाइटिंग करने से शरीर में कई विटामिन की कमी हो जाती है |
  • (Mood Disorder) मूड डिसऑर्डर – कठिन परिस्थितियों में उदास और हतोत्साहित होना सामान्य भावनात्मक प्रतिक्रिया है। लेकिन जब ऐसे लक्षण एक सप्ताह से अधिक समय तक रहें तो ये मूड डिसऑर्डर के लक्षण हैं। इसका उपचार किया जाना जरूरी होता है। गहरी नींद के लिए आजमाए ये 26 टिप्स
  • (Panic disorder) पैनिक डिसऑर्डर- इस मानसिक रोग के लक्षण एंग्जाइटी डिसऑर्डर से मिलते हैं, लेकिन यह सामान्य एंग्जाइटी से भिन्न है। दूसरे एंग्जाइटी डिसऑर्डर में रोगी को सर्वनाश होने का भय होता है, जबकि पैनिक डिसऑर्डर में रोगी को अचानक आक्रमण होने का भय होता है। इस कारण रोगी चिंतित रहता है और उसके व्यवहार तथा दैनिक क्रिया-कलाप में परिवर्तन आ जाता है।  जाने क्या है ब्रेन वेव जो बढ़ाये मानसिक शांति और शक्ति?
  • (Phobia) फोबिया- किसी खतरे का आभास होने पर डर का होना स्वाभाविक है, लेकिन जब किसी व्यक्ति का डर इतना ज्यादा बढ़ जाए कि उसके कारण उसकी दिनचर्या प्रभावित होने लगे तो वह फोबिया का शिकार हो सकता है। फोबिया सभी मानसिक बीमारियों में सबसे सामान्य है। इसका इलाज सफलतापूर्वक किया जा सकता है।
  • (Substance Abuse) सब्सटांस एब्यूज- आज के समय में यह समाज की सबसे सामान्य समस्या है। आज सही या गलत का निर्णय लेना हर व्यक्ति के लिए गंभीर समस्या है। किसी भी मामले में गलत निर्णय लेने से जीवन प्रभावित हो सकता है।
  • (Late Life Depression ) लेट लाइफ डिप्रेशन- वृद्धों में डिप्रेशन एक मानसिक रोग है। 65 वर्ष से अधिक उम्र के 20 प्रतिशत से अधिक लोग किसी-न-किसी हद तक डिप्रेशन से पीडित होते हैं। इसके अलावा डिमेंसिया से पीडित 10 प्रतिशत वृद्धों के भी डिप्रेशन से पीडित होने की आशंका होती है। युवावस्था में मानसिक स्वास्थ्य खराब होने और उसका इलाज करा लेने का अर्थ यह नहीं है कि उस व्यक्ति को बाद में कोई मानसिक बीमारी नहीं होगी। वृद्धावस्था में भी कोई व्यक्ति मानसिक रोग से पीडित हो सकता है। लेकिन इसके उपचार और देखभाल से इसके लक्षणों को कम या खत्म किया जा सकता है।
  • लेट लाइफ सुसाइड- कई लोग अधिक उम्र होने पर या नौकरी के दौरान जो ऐच्छिक कार्य वे नहीं कर पाते हैं, उन्हें रिटायर होने के बाद करते हैं तथा अपनी जिंदगी से संतुष्ट रहते हैं। लेकिन वृद्धावस्था में कई लोगों की जिंदगी दर्दनाक होती है, इसलिए उनमें किसी मानसिक रोग होने से आत्महत्या के विचार आ सकते हैं।
  • (Manic Depressive Disorder) मैनिक डिप्रेसिव डिसऑर्डर– मैनिक डिप्रेशन को चिकित्सकीय शब्दावली में ‘बाईपोलर डिसऑर्डर’ कहते हैं। यह एक गंभीर मानसिक रोग है। एक अनुमान के अनुसार, 1 प्रतिशत व्यक्ति मैनिक डिप्रेशन से पीडित होते हैं। यह आमतौर पर पैंतीस साल की उम्र से पहले ही होता है। इसके लक्षण कुछ इस प्रकार हैं – कुछ ना होने की भावना , थकान या कम ऊर्जा, एकाग्रता की कमी, निर्णय लेने या विस्मृति के साथ समस्याएं |
  • (Obsessive compulsive disorder) ऑब्सेसिव कंपल्सिव डिसऑर्डर- यह मानसिक रोग किसी भी उम्र में सकता है। इसका निदान संभव है, जिसके बाद रोगी सक्रिय जीवन जी सकता है।
  • Schizophrenia स्किजोफ्रेनिया- यह सामान्य मानसिक रोग नहीं है। इससे प्रति एक लाख लोगों में से 150 लोग प्रभावित होते हैं। यह रोग आमतौर पर किशोरावस्था या युवावस्था के दौरान होता है। समाज से दूरी बनाना, चिंता, भ्रम, दु: स्वप्न, पागलपन की भावना या उत्पीड़न की भावनाएं शरीर की स्वच्छता पर ध्यान ना देना, भूखे रहना, अकेले में बडबडाना, हिंसक व्यवहार आदि |
  • किशोरावस्था में आत्महत्या (टीन सुसाइड)- किशोरावस्था जिंदगी का सबसे कठिन दौर होता है। इस समय शरीर में बदलाव आते हैं, संबंध जटिल हो जाते हैं। वे (किशोर) सामाजिक भूमिका को समझने लगते हैं और जल्द-से-जल्द बड़े होना चाहते हैं। ये परिवर्तन और चाह किशोरों को असहाय, अति संवेदनशील, भ्रमित और निराशावादी बना देते हैं।

इन सबके अलावा और भी बहुत सारे गम्भीर मानसिक रोग होते है, लेकिन पक्के तौर पर यह कहना की ये लक्षण इस मानसिक रोग के है, यह बिना मनोवैज्ञानिक परामर्श (Psychological Counseling) के बहुत मुश्किल होता है | क्योंकि प्राय सभी मानसिक रोगों के लक्षण मिलते-जुलते से ही होते हैं | Counseling की प्रक्रिया मानसिक रोग को Diagnose की एक वैज्ञानिक विधि है जो एक प्रशिक्षित मानसिक रोग विशेषज्ञ Psychiatrist Doctor द्वारा की जाती है | इसके बाद इलाज प्रारम्भ किया जाता है |

मानसिक रोग तथा अन्य बहुत सारी बीमारियों का मुख्य कारण मानसिक तनाव होता है, जिसको हम पिछले पोस्ट में बता चुके है | अगर आपने वो पोस्ट नहीं पढ़ें है तो उनके लिंक नीचे दिए गये है |

मानसिक रोग से जुडी अन्य महत्तवपूर्ण जानकारियां :

  • मानसिक रोग का उपचार न कराने के कारण रोगी आत्महत्या करने या अकेले अलग-थलग जीवन जीने की सोच से बंध जाता है।
  • मानसिक बीमारियों की पहचान शुरुआती अवस्था में ही तो इलाज अधिक फायदेमंद साबित होता है। इलाज में शीघ्रता बरतने से दिमाग को कम नुकसान होता है और रोगी जल्दी स्वस्थ होता है।
  • मानसिक रोग से पीड़ित लोगों में यह विश्वास पैदा करना चाहिए कि मानसिक बीमारियों का उपचार संभव है। रोगियों में ऐसी उम्मीद जगाने से वे जल्दी स्वस्थ होते हैं।

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20 thoughts on “मानसिक रोग के लक्षण, कारण और प्रकार”

  1. Hello sir and mem
    M parmod Kumar .jabse meri saddi hui hai tabse meri or meri wife ki ladae ho he rahi hai 3 yrs se upper ho gaya hai saddi ko meri wife pure din mobile use karte hai kuch bolta hu to gussa ho jati hai sak bahut karte hai kabhi kabhi jab m job se let aata hu to sak or bad jata hai .kise baat me bhi bol ki palat Jana .morning me jaldi na utna.

    Reply
  2. mam meri wife akele me apne aap se baate karti hai or akele hi hasti rahti hai sabse ladti hai bina senc ki baate kerti hai may bahut presan rhta hu mera ek beby hai 6 year ka jab may office jata hu bo use marti hai may bahut paresan rhta hu

    Reply
    • मिश्रा जी,
      अपने आप से बातें करना कोई मानसिक रोग नहीं होता है | हम सभी अपने आप से बाते करते है, हाँ कुछ लोग कभी-कभी थोड़ी ऊँची आवाज में भी बोलते है अकसर बुजर्गो में ऐसी आदत होती है | लेकिन कम उम्र में इस तरह के लक्षण जो नज़र आये वो किसी मानसिक समस्या का चिन्ह जरुर है | आप अपनी पत्नी को किसी “Psychiatrists” यानि मनोरोग विशेषज्ञ को दिखाएँ | ऐसी सामान्य समस्याओ का इलाज बहुत आसान तथा कम खर्च में उपलब्ध है | लेकिन इसके इलाज में ज्यादा समय ना गवाएं |
      धन्यवाद

  3. Hello mera name sameer he meri age 31 year he
    Mera problem ye he …..
    Akele me beth kar sab plan banate regta hu
    Doctor told me tumhara mansik problem he physical nahi
    I m not able to perform in my personal life
    Koi madecine course ho to muze suggest kijiye
    plz help me out in this
    Thanks

    Reply
    • समीर जी ,
      कृपया आप किसी Psychiatrist Doctor से संपर्क करें यह मामूली डिप्रेशन के चिन्ह है जो आजकल बहुत आम बात है आप जल्दी ही ठीक हो जायेंगे | ऑनलाइन डॉक्टर की सेवा अभी भारत में उपलब्ध नहीं है इसलिए आपको अपने आस-पास मौजूद किसी psychiatrist से इलाज करवाएं इसका सफल इलाज मौजूद है |यह पोस्ट पढ़ें इसमें भी तनाव दूर करने के कुछ सुझाव दिए गए है – http://healthbeautytips.co.in/mansik-tanav-se-mukti-ke-upay/

      धन्यवाद !!

  4. Hello mam meri mother ko bhi 12 year se mental problem hai hmare badhe bhai ki death ki bad unki think an behaiviour bchcho jaisa ho gya hai aur vo akele hi bate krti rhti hm kis psychologist ke pas jay plzz help me

    Reply
    • दीपज्योति जी,
      हमे आपकी माँ के साथ पूरी सहानभूति है !! ऐसे हालात में कोई भी माँ मानसिक रूप से परेशान हो सकती है | आप किसी भी psychiatrist doctor को अपनी माताजी को दिखा सकते है| हालाँकि आपने काफी समय गवां दिया है लेकिन आप अभी भी जल्द से जल्द उन्हें किसी मनोचिकित्सक को दिखाएँ |

  5. hello mam mujhe 1 saal se 3 month say sir dard hota hai or gabrhat bhi hoti hai asa lgta hai mujhe kuch ho jye ga negative thoughts jyada ate hai or mujhe night me sote time bhi problem hoti hai weight loss ho chuka h

    Reply
  6. Hello mam ji meri umar 24 year ki hai mujhe bachpan se kuch log mandbuddhi kahte the lekin maine dhyan ab diya hai ki mere dimag me bahut tarike ke vichar aate rahte hai mere na chahte hue bhi aur mai bhoolta bhi normal se jyada hu

    Reply
  7. हैलो सर,
    मेरे पिता जी का दिमाग बच्चे जैसा हो गया है और वो दिन भर कुछ ना कुछ धुन‍डता रहता है और दिन भर इधर उधर करता रहता है और घर को भी नहीं पहचान पाता है और किसी को पहचान नहीं पाता है हम लोग बहुत परेशान है प्लीज़ सर कुछ उपाय बताए l

    Reply
    • चन्द्रमणि जी,
      आप अपने पिताजी को किसी मनोवैज्ञानिक चिकित्सक को दिखाएँ | मनोचिकित्सक प्राय सभी सरकारी हॉस्पिटल में उपलब्ध होते है आपके पिताजी जरुर ठीक हो जायेंगे |

  8. Mem mujhe mansik problem feel ho rahe h actuly me hamesha chidchida rahta hu ,nind nahe ati rat ko,kisi cheez ke baare samjh nahe pata ya samjhne me time lagta h.

    Reply
  9. हॅलो मैडम
    mere bahnko achank gharke upr chalneki
    awaje ani lagi Dr dikhane ke bad thik hui
    lekin shadi ke usko jada ho gaya .
    o abhi hasti rehti he dawai chalu kiya to
    utnehi samay thik rehti he pliz help

    Reply
    • विशाल जी मानसिक बिमारियों के इलाज में थोडा समय लगता है | आप दवा के उपचार के साथ साथ उनकी काउंसलिंग भी किसी मनो वैज्ञानिक से करवाएं जल्दी लाभ होगा |

  10. (Depressive disorder ) डिप्रेसिव डिसऑर्डर- यह सामान्य मानसिक रोग है। यह किसी भी उम्र में हो सकती है। हर पाँच में से एक महिला और दस में से एक पुरुष कभी-न-कभी डिप्रेशन से पीडित होते हैं। डिप्रेशन के 90 प्रतिशत रोगियों का इलाज संभव है। इसके लक्षण है – चिंता, उदासीनता, असंतोष, अपराध गतिविधियों में रुचि, निराशा, अकेलापन, खुशी की कमी, उदासी या भावनात्मक संकट, रोना, चिड़चिड़ापन, बेचैनी, थकान, सामाजिक अलगाव, अत्यधिक भूख लगना या बिलकुल भूख ना लगना, अधिक नींद आदि |

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