गिलोय के फायदे काढ़ा बनाने की विधि और 32 बेहतरीन औषधीय गुण

आयुर्वेद के अनुसार अधिकांश मनुष्य वात विकारों से पीड़ित होते हैं और गिलोय के रस और पत्तियों में वात विकारों को दूर करने की गुणकारी औषधि होती है। इसको कई नामों से जाना जाता है जैसे अमृता, गुडुची, छिन्नरुहा, चक्रांगी, आदि | गिलोय की बेल घरों के बाहर, बाग-बगीचों में लगाई जाती है। गिलोय की बेल हमेशा हरी भरी रहने के कारण इसको सजावट के लिए भी लगाया जाता है, लेकिन जो व्यक्ति इसके गुण से परिचित होते हैं, वे विभिन्न रोगों के निवारण के लिए इसका उपयोग करते हैं। गिलोय की पत्त‍ियां दिखने में पान के पत्ते की तरह होती हैं | गिलोय की पत्त‍ियों में कैल्शि‍यम, प्रोटीन, फॉस्फोरस अच्छी मात्रा में पाया जाता है और इसके तनों में स्टार्च की भी काफी मात्रा में होता है | नीम के पेड़ पर गिलोय की बेल को चढ़ा देने से इसके गुणों में अधिक बढ़ोतरी हो जाती है |

गिलोय की बेल को टुकड़े-टुकड़े करके, उनका रस निकालकर इस्तेमाल किया जाता है। इसका रस कड़वा और कसैला होता है। गिलोय का पौधा अपने गुणों के कारण वात, पित्त और कफ से पैसा विभिन्न बीमारियों को ठीक करती है। स्वास्थ्य लाभ – तेज़ बुखार, अर्श (बवासीर), खांसी, हिचकी, मूत्राअवरोध, पीलिया, अम्लपित्त, एसिडिटी, आँखों के रोग, मधुमेह, खून में शूगर के नियंत्रण में रखने और रक्त विकारों को इसके सेवन से ठीक किया जा सकता है। आयुर्वेद में गिलोय का प्रयोग सांस संबंधी रोग जैसे दमा और खांसी को ठीक करने में विशेष रूप से किया जाता है। रक्तवर्द्धक होने के कारण यह खून की कमी यानी एनीमिया में बहुत लाभ पहुंचाती है। रक्तातिसार और प्रवाहिका रोग में जब पेट में कोई खाद्य नहीं पचता है तो गिलोय के सेवन से बहुत लाभ होता है। गिलोय का क्वाथ /काढ़ा बनाकर भी उपयोग किया जाता है। गिलोय की तासीर काली मिर्च और अदरक की तरह गर्म होती है |

गिलोय के गुणकारी औषधीय उपयोग

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  • बहुत पुरानी खांसी के इलाज के लिए गिलोय रस का सेवन किया जाता है। दो चम्मच गिलोय का रस हर रोज सुबह लेने से खांसी से काफी राहत मिलती है। यह उपाय तब तक आजमाए जब तक खांसी पूरी तरह ठीक ना हो जाए |
  • आजकल चिकनगुनिया जैसे वायरल बुखार के ठीक होने के बाद भी मरीज महीनों तक जोड़ों के दर्द से परेशान रहते है इस स्थिति में गिलोय की पत्तियों से बना काढ़ा लाभ करता है | इसमें 10-20 मि.ली. अरंडी के तेल को मिलाकर पीने से और भी लाभ मिलता है |
  • सर्दी जुकाम, बुखार आदि में एक अंगुल मोटी व 4 से 6 इंच लम्बी गिलोय का तना लेकर 400 मि.ली पानी में उबालें, 100 मिली रहने पर पिएं। यह रोग प्रतिरोधक क्षमता (इम्यून-सिस्टम) को मजबूत करती है बुजुर्ग व्यक्तियों में कमजोर रोग प्रतिरोधक क्षमता होने की वजह से बार-बार होने वाली सर्दी-जुकाम, बुखार आदि को ठीक करता है |
  • सामान्य जुकाम: गिलौय का पांच इंच तना लेकर इसको अच्छी तरह से कुट कर एक कप पानी में उबाले , जब अधा कप पानी रह जाए तो इसकी चाय बनाकर और इसमें तीन काली मिर्च का पाउडर डालकर गरम-गरम पी जाये। एकदम असर करेगा।
  • बच्चों के सामान्य जुकाम नजला, खांसी, बुखार होने पर गिलोय के पत्तों का रस निकालकर उसको शहद में मिलाकर दो तीन बार चटा दे। एक दम असर करेगा।
  • तेज़ बुखार : आधे गिलास पानी में 3 इंच गिलोय का तना कुट कर अच्छी तरह मिलाकर मिट्टी कि हाण्डी में रात के लिये रख दे, सुबुह होने पर छान कर इसको पी जाए। ऐसा 3 दिनों तक लगातार करे।
  • पुराने बुखार और बुखार से आई कमजोरी को दूर करने के लिए गिलोय सत्व बहुत गुणकारी औषधि है ।
  • गिलोय के तने से बनाये गए पाउडर को दूध में मिला कर पीने से गठिया के रोगियों को बहुत राहत मिलती है |
  • गिलोय रस से शरीर में रक्त बढ़ता है। रक्ताल्पता (एनीमिया) के रोगी को गिलोय रस का सेवन करने से बहुत लाभ होता है।
  • गिलोय रस का सेवन करने से हृदय की निर्बलता ठीक होती है। हृदय को शक्ति मिलने से दिल की कई बीमारियाँ दूर रहती है।
  • सभी तरह के बुखारो को ठीक करने के लिए गिलोय का रस अत्यंत गुणकारी औषधि है।
  • मधुमेह रोग (डायबिटीज) में गिलोय रस का सेवन करने से बहुत लाभ होता है |
  • पीलिया रोग में गिलोय की पत्तियों का पाउडर शहद के साथ लेने से लाभ होता है इसके अतिरिक्त गिलोय का काढ़ा शहद में मिलाकर दिन में दो बार पीने से में आराम मिलता है |
  • हाथ पैरो या हथेलियों में जलन होने पर इसकी पत्तियों को पीसकर सुबह-शाम पैरों पर और हथेलियों पर लगाएं | जलन ठीक हो जाएगी
  • पथरी के ऑपरेशन के बाद गिलोय का रस के सेवन से बहुत लाभ होता है। इसके सेवन से दुबारा पथरी होने की संभावना नहीं होती है।
  • गिलोय रस से वृक्कों की प्रक्रिया तेज करके अधिक मूत्र का निकालता है। वात की खराबी से पैदा मूत्र सम्बंधित रोग में गिलोय रस से दूर होते है।
  • स्त्रियों के रक्त प्रदर रोग में गिलोय रस का सेवन करने से बहुत लाभ होता है।
  • गिलोय रस में कष्माण्ड का रस और मिसरी मिलाकर पीने से एसिडिटी दूर होती है।
  • गिलोय की बेल पर लगे फलों को पीसकर चेहरे पर मलने से मुंहासे, फोड़े-फुसियां और झाइयां ठीक होती हैं।
  • यह भी पढ़ें – जानिए गिलोय का पौधा कैसा होता है तथा गिलोय की पहचान कैसे करे ? और गिलोय का रस बनाने की विधि
  • गिलोय रस में बाकुची का चूर्ण मिलाकर लेप करने से शीतपित्त (Urticaria/अर्टिकरिया) की बीमारी में बहुत लाभ होता है। इस बीमारी में त्वचा पर लाल चकत्तेउभर आते है |
  • कान दर्द होने पर गिलोय की पत्तियों को पीसकर एक दो बूंदे कान में डालें फ़ौरन आराम मिलेगा इससे कान बहना भी बंद हो जाएगा।
  • इसके पत्तो के रस में शहद मिलाकर आँखों में लगाने से आँखों की सभी छोटी मोटी बीमारियाँ ठीक हो जाती है |
  • छाछ के साथ एक चम्मच गिलोय की पत्तियों का पाउडर लेने से बवासीर रोगी को बहुत लाभ होता है और पाईल्स की बीमारी से जल्द ही मुक्ति मिलती है |
  • आंवले और गिलोय रस को मिलाकर पीने से आँखों की रौशनी तेज होती है |
  • गिलोय पत्तो के रस में हल्दी मिलाकर शरीर पर लेप करने से खुजली ठीक होती है और त्वचा भी चमक उठती है।
  • गिलोय का क्वाथ बनाकर या रस निकालकर पीने से मलेरिया में बहुत लाभ होता है।
  • गिलोय और शतावरी का रस बराबर मात्रा में लेकर उसमें गुड़ मिलाकर पीने से ठंड का बुखार ठीक होता है।
  • गिलोय रस में इलायची के दो दानों का चूर्ण और मिसरी मिलाकर सेवन करने से पित्त बुखार ठीक होता है।
  • गिलोय रस में मिसरी मिलाकर पीने से उलटी होने की बीमारी दूर होती है।
  • खून की खराबी होने पर गिलोय को पानी में उबालकर क्वाथ (काढ़ा) बनाएं। इस क्वाथ को छानकर शहद और मिसरी मिलाकर सुबह-शाम पीने से खून साफ़ होता है।
  • गिलोय का शीत कषाय बनाकर, उसमें पिपली का चूर्ण डालकर सुबह-शाम सेवन करने से टीबी रोग में बहुत लाभ होता है।
  • टीबी (तपेदिक), खाँसी, आदि में गिलोय का रस प्रतिदिन मिश्री मिलाकर रोगी को कम-से-कम बीस दिनों तक पिलाएँ। इस उपाय से इन तपेदिक के अतिरिक्त पित्त, ज्वर, जलन, प्यास, अरुचि आदि रोग भी दूर हो जाते हैं।
  • गिलोय के रस का सेवन करने से सभी तरह के प्रमेह विकार (वीर्यविकार) ठीक होते हैं।
  • मौसमी बीमारियों जैसे (डेंगू, स्वाइन फ्लू, मलेरिया, वायरल बुखार हैजा ) के समय खासतौर से मानसून के सीजन में बीमारियों से बचने के लिए इस काढ़े को एक कप रोजाना पियें :
  • गिलोय का काढ़ा कैसे बनाये – ताज़ा गिलोय की पत्तियों का पेस्ट, महासुदर्शन चूर्ण, कुटकी चिरायता, दशमूल, अडूसा पत्र, तुलसी पत्र, काली मिर्च, आदि को मिलाकर काढ़ा तैयार करें |

गिलोय तुलसी के फायदे

  • तेज बुखार, नाक बहना, आंखे लाल रहना, सिरदर्द, खांसी, गले में सूजन के कारण दर्द और सांस लेने में दिक्कत हो रही है तो तुलसी, नीम और गिलोय की पत्तियों को पीसकर रस बनाएं। इसे दिन में तीन बार आधा कप लें।

रोग प्रतिरोधक क्षमता यानी इम्यूनिटी पावर बढ़ाने वाला गिलोय का काढ़ा बनाने की विधि

  • गिलोय के करीब एक फुट लंबी डंडी को छोटे-छोटे टुकड़ों में काट लें। इसके साथ नीम के पत्तियों के 5-7 डंठल, 8-10 तुलसी की पत्तिया और करीब 20 ग्राम काला गुड़ लें। गिलोय डंडी को कुचलकर एक बर्तन में डालें। इसके साथ ही बाकि सभी चीजो को भी बर्तन में डालें इसके बाद इसमें 4 कप पानी डालें। इसके बाद इसे मीडियम आच में चाय की तरह पकाएं। इसे उतनी देर तक पकाना है जब तक कि चार कप पानी का तीन हिस्सा भाप बनकर उड़ ना जाए। यानी एक कप पानी ही रह जाए। अब इसे छानकर पियें | यह सभी तरह के वायरस जनित बिमारियों में भी लाभकारी है |

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