बाबा रामदेव आयुर्वेदिक दवा – इस पोस्ट में पतंजलि आयुर्वेद में विभिन्न रोगों की चिकित्सा के लिए उपलब्ध दवाओ की जानकारी दी गयी है | यह जानकारी देने का उद्देश्य यह है की आप पतंजली की जो दवा ले रहे है वो किस बीमारी में काम आती है | कई बार मरीजो को दवा के बारे में शंका होती है की वो बीमारी के अनुसार सही औषधि ले रहे है या नहीं ? दूसरे आपको इन औषधियों की सेवन का सही ज्ञान और क्या परहेज रखने हैं , जो अक्सर मरीज भूल जाते हैं इन सबको बताना इस लेख का मुख्य उद्देश्य हैं | इस लेख में निम्नलिखित बीमारियों के लिए आयुर्वेदिक औषधियां बताई गई है |
- हाई ब्लड प्रेशर के लिए पतंजलि की दवा
- गाँठ Tumor के उपचार के लिए पतंजलि की दवा
- पेट के रोगों, उदर रोग उपचार के लिए पतंजलि की दवा
- ज्वर, बुखार के उपचार के लिए पतंजलि की दवा
- Ulcerative Colitis रोग उपचार के लिए पतंजलि की दवा
- यकृत शोथ Hepatitis B/C उपचार के लिए पतंजलि की दवा
- सर्वाङ्गशोथ (Anasarca) उपचार के लिए पतंजलि की दवा
- रक्तपित्त रोग उपचार के लिए पतंजलि की दवा
हाई ब्लड प्रेशर, हाई बी पी, उच्च रक्त चाप /Hypertension) की चिकित्सा के लिए बाबा रामदेव आयुर्वेदिक दवाई :

- दिव्य मुक्तावटी – 120 गोली
1-1 या 2-2 गोली प्रात: खाली पेट व सायंकाल खाने से 1 घण्टा पहले पानी से लें।
नोट- अर्जुन क्षीरपाक के साथ मुक्तावटी का सेवन अत्यधिक लाभप्रद है।
1 कप लौकी के रस में आंवला का स्वरस, सेब स्वरस तथा पुदीना व थोड़ा धनिया मिलाकर नियमित सेवन करने से हृदय रोगों में लाभ होता है। नमक कम खाएं। अर्जुन छाल का क्वाथ बनाकर सेवन करें।
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मांसवह शरीर में कहीं भी ग्रन्थि या गाँठ होने की चिकित्सा के लिए बाबा रामदेव आयुर्वेदिक दवाई :
( Tumor or any growth )
मासंवह-स्रोत का मूल- स्नायु, त्वचा व रक्तवाही धमनियां हैं। मांसवह-स्रोत की व्याधिष्यां-अधिमांस, अबुंद, मांसकील, गलशुण्डी, अलजी, गलगण्ड (घेघा), गण्डमाला एवं उपजिह्विका आदि।
- दिव्य कांचनार गुग्गुलु – 60 ग्राम
- दिव्य वृद्धिवाधिका वटी – 40 ग्राम
2-2 गोली प्रात: व सायं भोजन के बाद गुनगुने जल से सेवन करें।
ग्रन्थि का आकार बड़ा होने की स्थिति में चिकित्सा
- दिव्य शिलासिन्दूर- 2 ग्राम
- दिव्य ताम्र भस्म – 1 ग्राम
- दिव्य मुक्ता पिष्टी – 4 ग्राम
- दिव्य प्रवालपिष्टी – 10 ग्राम
- दिव्य गिलोय सत् – 20 ग्राम
सभी औषधियों को मिलाकर 60 पुड़ियां बनाएं। प्रात: नाश्ते एवं रात्रि-भोजन से आधा घण्टा पहले जल/शहद/मलाई से सेवन करें।
- दिव्य कांचनार गुग्गुलु – 60 ग्राम
- दिव्य वृद्धिवाधिका वटी – 40 ग्राम
- दिव्य आरोग्यवर्धिनी वटी – 40 ग्राम
दो-दो गोलियां सुबह नाश्ते और रात को भोजन करने से आधा घंटे पहले जल/शहद/मलाई से सेवन करें।
- दिव्य गोधन अर्क – 20 मिली
- दिव्य धर्तकुमारी स्वरस – 20 मिली
इन दोनों को मिलाकर सुबह शाम सेवन करें
पेट के रोगों , उदर रोग की चिकित्सा के लिए बाबा रामदेव आयुर्वेदिक दवाई :
- अग्नि का मूल स्थान उदर है एवं मंदाग्नि को समस्त उदररोगों का मुख्य कारण कहा गया है।
- उदर रोगों में अन्नवह-स्रोत, रसवह-स्रोत, स्वेद एवं पुरीषवह-स्रोत तथा उदकवह-स्रोत की विकृति मिलती है।
- दुर्बल अग्नि वाले व्यक्ति जब मलिन आहार का निरन्तर सेवन करते हैं तब अग्निमांद्य के कारण आहार का उचित पाक नहीं हो पाता है एवं उदर प्रदेश में दोषों का संचय होने लगता है।
- दिव्य सर्वकल्प क्वाथ – 3OO ग्राम
1 चम्मच औषध को 400 मिली पानी में पकाएं और 100 मिली शेष रहने पर छानकर प्रात: सायं खाली पेट पिएं।
- दिव्य चित्रकादि वटी – 40 ग्राम
- दिव्य उदरामृत वटी – 6O ग्राम
2–2 गोली प्रात: व सायं भोजन के बाद गुनगुने जल से सेवन करें।
- दिव्य कुमार्यासव – 450 मिली
- दिव्य पुनर्नवारिष्ट – 450 मिली
4 चम्मच औषध में 4 चम्मच पानी मिलाकर प्रात: एवं सायं भोजन के बाद सेवन करें।
- दिव्य त्रिफला चूर्ण – 100 ग्राम या
- दिव्य हरीतकी चूर्ण – 100 ग्राम
1 चम्मच चूर्ण रात को सोने से पहले गुनगुने जल के साथ सेवन करें।
ज्वर, बुखार (Fever) की चिकित्सा के लिए बाबा रामदेव आयुर्वेदिक दवाई :
- दिव्य ज्वरनाशक क्वाथ – 200 ग्राम
- दिव्य सर्वकल्प क्वाथ – 100 ग्राम
दोनों औषधियों को मिलाकर 1 चम्मच की मात्रा में लेकर 400 मिली पानी में पकाएं और 100 मिली शेष रहने पर छानकर प्रात: सायं खाली पेट पिएं।
- दिव्य ज्वरनाशक वटी – 40 ग्राम
इसकी 2-2 गोली प्रात: व सायं उपरोक्त क्वाथ से सेवन करें।
- दिव्य महासुदर्शनघन वटी – 4O ग्राम
- दिव्य आरोग्यवर्धिनी वटी – 40 ग्राम
- दिव्य गिलोयघन वटी – 40 ग्राम
गोली प्रात: व सायं भोजन के बाद गुनगुने जल से सेवन करें।
- दिव्य अमृतारिष्ट – 450 मिली
चार चम्मच औषधि में चार चम्मच पानी मिलाकर सुबह शाम खाना खाने के बाद लें |
Ulcerative Colitis की चिकित्सा के लिए बाबा रामदेव आयुर्वेदिक दवाई :
- दिव्य बिल्वादि चूर्ण – 100 ग्राम
- दिव्य गंगाधर चूर्ण – 50 ग्राम
- दिव्य शंखभस्म – 10 ग्राम
- दिव्य कपर्दक भस्म – 10 ग्राम
- दिव्य कहरवा पिष्टी – 10 ग्राम
- उपरोक्त सभी औषधियों को मिलाकर 1-1 चम्मच भोजन से आधा घण्टा पहले जल से सेवन करें।
- दिव्य कुटजघन वटी – 40 ग्राम
2–2 गोली प्रात: व सायं भोजन के बाद गुनगुने जल से सेवन करें।
- दिव्य कुटजारिष्ट – 450 मिली
4 चम्मच औषध में 4 चम्मच पानी मिलाकर प्रात: एवं सायं भोजन के बाद सेवन करें।
नोट- दूध और दूध से बने हुए पदार्थों का सेवन न करें। तक्र (छाछ) का सेवन पथ्य है।
यकृत शोथ Hepatitis B/C की चिकित्सा के लिए बाबा रामदेव आयुर्वेदिक दवाई :
- दिव्य सर्वकल्प क्वाथ – 200 ग्राम
- दिव्य कायाकल्प क्वाथ – 100 ग्राम
दोनों औषधियों को मिलाकर 1 चम्मच (लगभग 5-7 ग्राम) की मात्रा में लेकर 400 मिली पानी में पकाएं और 100 मिली शेष रहने पर छानकर प्रात:, सायं खाली पेट पिएं।
- दिव्य प्रवाल पंचामृत – 10 ग्राम
- दिव्य कासीस भस्म – 5 ग्राम
- दिव्य गिलोय सत् – 10 ग्राम
- दिव्य स्वर्णमाक्षिक भस्म – 5 ग्राम
- दिव्य स्वर्ण वसन्तमालती रस – 2 ग्राम
इन सभी औषधियों को मिलाकर 60 पुड़िया बनाएं। प्रात: नाश्ते एवं रात्रि-भोजन से आधा घण्टा पहले जल/शहद से सेवन करें।
- दिव्य उदरामृत वटी – 6O ग्राम
- दिव्य आरोग्यवर्धिनी वटी – 4O ग्राम
- दिव्य पुनर्नवादि मण्डूर – 40 ग्राम
तीनों से 1-1 गोली दिन में 3 तीन बार प्रात: नाश्ते, दोपहर-भोजन एवं सायं भोजन के आधे घण्टे बाद गुनगुने जल से सेवन करें।
- दिव्य टोटला क्वाथ – 300 ग्राम
- चम्मच औषध को रात को मिट्टी के बर्तन में 1 कप पानी में भिगो दें, प्रात: मसलकर छानकर खाली पेट पिएं।
(सर्वाङ्गशोथ (Anasarca) की चिकित्सा के लिए बाबा रामदेव आयुर्वेदिक दवाई :
- दिव्य दशमूल क्वाथ – 20O ग्राम
- दिव्य सर्वकल्प क्वाथ – 100 ग्राम
दोनों औषधियों को मिलाकर 1 चम्मच (लगभग 5-7 ग्राम) की मात्रा में लेकर 400 मिली पानी में पकाएं और 100 मिली शेष रहने पर छानकर प्रात:, सायं खाली पेट पिएं।
- दिव्य पुनर्नवादि मण्डूर – 40 ग्राम
- दिव्य त्रिफला गुग्गुलु – 4O ग्राम
2-2 गोली प्रात: व सायं भोजन के बाद गुनगुने जल से सेवन करें।
- दिव्य पुर्ननवारिष्ट – 45o मिली
4 चम्मच औषध में 4 चम्मच पानी मिलाकर प्रात: एवं सायं भोजन के बाद सेवन करें।
रक्तपित्त की चिकित्सा के लिए बाबा रामदेव आयुर्वेदिक दवाई :
पित्त से दूषित रक्त का शरीर के किसी भी मार्ग से बाहर निकलना रक्तपित्त कहलाता है।
- दिव्य मुक्ता पिष्टी – 4 ग्राम
- दिव्य स्फटिका भस्म – 5 ग्राम
- दिव्य गिलोय सत् – 10 ग्राम
- दिव्य प्रवाल पिष्टी – 10 ग्राम
- दिव्य कहरवा पिष्टी – 10 ग्राम
सभी औषधियों को मिलाकर 60 पुड़िया बनाएं। प्रतिदिन 2-3 बार भोजन से आधा घण्टा पहले जल/शहद से सेवन करें।
- दिव्य उसीराष्सव – 450 मिली
चार चम्मच औषध में 4 चम्मच पानी मिलाकर प्रात: एवं सायं भोजन के बाद सेवन करें। नोट- रक्तपित्त की स्थिति में दूर्वा-स्वरस तथा पीपलपत्र-स्वरस का प्रयोग करने से विशेष लाभ होता है। (पीपल के पत्रों को जल के साथ पीसकर, छानकर स्वरस निकाल लें। 1 कप स्वरस में मिश्री मिलाकर पिएं। ठण्ड लगने पर काली मिर्च मिलाने से विशेष लाभ होता है। शीशमपत्र-स्वरस का प्रयोग भी विशेष लाभकारी है।
Reference – इस पोस्ट में पतंजलि आयुर्वेद दवाओ की सारी जानकारी बाबा रामदेव जी के दिव्य आश्रम प्रकाशन की पुस्तक (आचार्य बाल कृष्ण द्वारा लिखित “औषधि दर्शन”, मई २०१६ के २५ वें संस्करण से ली गई है)
Disclaimer – यह जानकारी केवल आपके ज्ञान वर्धन और जागरूकता के लिए है | बिना चिकित्सक के परामर्श के दवाइयों का सेवन नहीं करना चाहिए | Never Take Medicines without Consulting the Doctor.