वयस्कों में टीकाकरण के बारे में जानकारी तथा टीकाकरण क्यों आवश्यक है ?

शरीर को संक्रमण और रोगों से बचाने का सबसे सुरक्षित और सुविधाजनक उपाय है टीकाकरण. पैरेंट्स होने के नाते हम सभी समय-समय पर अपने बच्चों का टीकाकरण करवाते हैं, लेकिन जब बात बड़ों की सेहत की होती है, तो हम लापरवाह हो जाते हैं, जबकि बड़ों के लिए भी वैक्सीनेशन यानि वयस्कों में टीकाकरण भी ज़रूरी है | हालाँकि हमारे देश में जागरूकता के अभाव में वयस्क एवं बुजुर्गों में टीकाकरण का अभाव है; लेकिन ऐसी कई बीमारियाँ हैं, जिनसे सही समय पर टीके लगाकर बचा जा सकता है। हाल के वर्षों में जागरूकता आने तथा चिकित्सा सुविधाओं की उपलब्धता बढ़ने के कारण वयस्कों में टीकाकरण की दर में बढ़ोतरी हुई है।

वयस्कों में टीकाकरण (वैक्सीनेशन) क्यों ज़रुरी है ?

वयस्कों में टीकाकरण वेक्सीन की जानकारी
वयस्कों में टीकाकरण वेक्सीन की जानकारी

वैक्सीनेशन का उद्देश्य शरीर में किसी बीमारी के प्रति प्रतिरोधक क्षमता विकसित करना होता है, ताकि शरीर बाहरी संक्रमण और रोगों से लड़ने के लिए हर समय तैयार रहे | सेंटर्स फॉर डिसीज़ कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (सीडीसी) के अनुसार। वयस्कों में एक बार टीकाकरण करके आप जीवनभर अनेक प्रकार के संक्रमण से बच सकते हैं, लेकिन टीकाकरण न करने पर कभी-न-कभी आप पैपिलोमा वायरस (एचपीवी) व हेपेटाइटिस बी (जिनके कारण कैंसर भी हो सकता है), दाद, इंफ्लूएंजा और न्यूमोकोकल डिसीज़ की चपेट में आ सकते हैं, बैक्टीरिया और वायरस के कारण बीमारियां तेज़ी से फैलती हैं. कुछ बैक्टीरिया और वायरस इतने स्ट्रॉन्ग होते हैं कि उनके संक्रमण से मौत भी हो सकती है | समय-समय पर किए गए टीकाकरण से असमय होनेवाली मृत्यु को टाला जा सकता है, जिस तरह से संतुलित भोजन, रेग्युलर एक्सरसाइज़ और नियमित चेकअप ज़रूरी है, उसी तरह से नियमित रूप से टीकाकरण भी ज़रूरी है | कुछ गंभीर व जटिल मामलों में टीकाकरण को आवश्यकता केवल नवजात या बुर्जुगों को ही नहीं होती, बल्कि स्वस्थ युवाओं को भी होती है, इसलिए उन्हें समय-समय पर टीकाकरण कराते रहना चाहिए |

वयस्कों में टीकाकरण एक सरल, सुरक्षित और सुविधाजनक उपाय है इम्युनिटी को बढ़ाने का और बैक्टीरिया व वायरस द्वारा फैले संक्रमण को रोकने का इसके जरिये आप अनेक गंभीर व जानलेवा बीमारियों से बच सकते है |

वयस्कों को किस तरह के टीके लगाए जाने हैं, यह उम्र के अलावा उनकी जीवन-शैली, यात्रा संबंधी उनकी योजना और उनके कार्य एवं रहन-सहन की स्थितियों के अलावा इस बात पर भी निर्भर करता है कि उन्हें पहले किस-किस के टीके लगाए जा चुके हैं।

हालाँकि सभी को बचपन में कई टीके लगाए जाते हैं, लेकिन कई टीके तभी कारगर रहते हैं, जब उनके बूस्टर लगाए जाएँ। काली खाँसी या टिटनस जैसी कई बीमारियों के टीके जिंदगी भर के लिए कारगर नहीं रहते, ऐसे में इन बीमारियों के बूस्टर हर 10 साल पर लगने चाहिए। कई टीके वयस्कों के लिए होते हैं। मिसाल के तौर पर त्वचा रोग, दाद या हर्पिज जोस्टर के टीके। उम्र बढ़ने के साथ इस बीमारी का खतरा बढ़ जाता है, इसलिए 60 साल या उससे अधिक उम्र के लोगों को यह टीका लगवाना चाहिए। जिन लोगों ने बचपन में पूरे टीके नहीं लगवाए हैं, उन्हें बाद में टीके लगाने की जरूरत पड़ती है। खसरा, कंठमाल, रूबेला और छोटी चेचक के टीके अगर बचपन में नहीं लगे हैं तो जवान होने पर ये टीके लगवाने चाहिए।

वयस्कों को होने वाली जिन सामान्य बीमारियों के लिए टीके लगाए जाते हैं, वे हैं- इंफ्लूएंजा (फ्लू), न्यूमोकोकल रोग, हर्पिज जोस्टर (दाद), ह्यूमन पैपिलोमा वायरस (एच.पी.वी.), काली खाँसी, हेपेटाइटिसए और हेपेटाइटिस-बी, खसरा, कनफेड, रूबेला (जर्मन खसरा), टिटनेस, डिप्थीरिया और छोटी चेचक जैसी बीमारियों के लिए भी कुछ लोगों को टीके लगाने की जरूरत होती है। जिन लोगों को इन बीमारियों के होने की आशंका हो सकती है या जो लोग इन बीमारियों वाले क्षेत्रों में रहते हैं, उन्हें ये टीके लगाने चाहिए, ताकि वे इनसे बच सकें।

वयस्क अवस्था में टीके लगवाकर गर्भवती महिलाएँ न केवल खुद को बल्कि अपने बच्चे को भी बीमारियों से बचा सकती हैं। गर्भवती महिला को गर्भधारण के 27 वें एवं 36 वें सप्ताह के बीच काली खाँसी के टीके लगवाने चाहिए। इसके अलावा जो लोग नवजात शिशु के संपर्क में रहते हैं, उन्हें भी ये टीके लगवाने चाहिए। यह फ्लू वैक्सीन के मामले में भी लागू होता है।

अगर आप किसी खास देश की यात्रा करने वाले हैं, तब वहाँ प्रचलित बीमारियों के टीके लगवाने चाहिए। मिसाल के तौर पर उप-सहारा अफ्रीकी देश एवं ट्रापिकल दक्षिणी अमरीकी देशों की यात्रा करने पर येलो फीवर के टीके लगाने जरूरी हैं। हज की यात्रा के दौरान मेनिंकोकल टीके लगवाने जरूरी हैं। अमरीका जैसे कई देशों में लोगों को हर साल फ्लू के टीके लगाने की सलाह दी जाती है।

जो लोग अस्पतालों या चिकित्सा केंद्रों में काम करते हैं, उन्हें विभिन्न तरह के रक्त, शारीरिक तरल एवं विषाणुओं के संपर्क में आने की संभावना होती है, ऐसे में उन्हें समुचित टीके लगवाने चाहिए। इसके अलावा उन्हें खसरे, कंठमाल, रूबेला एवं छोटी चेचक के टीके हर साल लगवाने चाहिए।

यौन कर्मियों एवं यौन सक्रिय लोगों को हेपेटाइटिस-बी के टीके लगवाने चाहिए, क्योंकि वे इन बीमारियों से ग्रस्त लोगों के संपर्क में आते हैं और इन्हें यह बीमारी होने का खतरा बहुत अधिक होता है।

जिन लोगों को दमा, हृदय रोग, फेफड़े की बीमारी, मधुमेह या अन्य गंभीर रोग हो अथवा जो लोग धूम्रपान करते हैं, उनकी रोग प्रतिरक्षण प्रणाली कमजोर हो जाती है। ऐसे में न्यूमोकोकल टीके लगाकर निमोनिया, मेनिंगजाइटिस एवं स्ट्रेपोकोकस निमोनियाई जीवाणुओं से होने वाले रक्त संक्रमण से बचाव हो सकता है। जो । लोग 65 साल या अधिक उम्र के हैं अथवा जिन लोगों को 4 साल से 64 साल की उम्र में मधुमेह, हृदय रोग, फेफड़े, लीवर या किडनी की समस्या रही है, उन्हें न्यूमोकोकल रोग से बचाव के लिए टीका लगवाना चाहिए अथवा उन्हें अपने चिकित्सक से परामर्श करना चाहिए।

वयस्कों में टीकाकरण वेक्सीन की जानकारी  

वयस्कों में टीकाकरण : टिटनस, डिप्थीरिया, काली खाँसी से बचाव के लिए

  • खुराक – 0.5 एम.एल माध्यम – इंटरमैस्कुलर
  • 19-49 वर्ष उम्र के व्यक्ति – हर 10 साल पर टिटनस एवं डिप्थीरिया बूस्टर टिटनस, डिप्थीरिया एवं काली खाँसी के लिए टीका |

वयस्कों में टीकाकरण : ह्यूमन पैपिलोमा वायरस (एच.वी.पी.)

  • खुराक – 0.5 एम.एल
  • माध्यम – इंटरमैस्कुलर
  • 19-49 वर्ष उम्र के व्यक्ति – 3 खुराक (महिला)

वयस्कों में टीकाकरण :  – खसरा कंठमाला, रूबेला (एम.एम.आर.)

  • खुराक – 0.5 एम.एल
  • माध्यम – सबक्युटेनियसली
  • 19-49 वर्ष उम्र के व्यक्ति – एक या दो खुराक
  • 50-64 वर्ष उम्र के व्यक्ति – एक खुराक

वयस्कों में टीकाकरण : छोटी चेचक

  • खुराक -0.5 एम.एल
  • माध्यम – सबक्युटेनियसली
  • 19-49 वर्ष उम्र के व्यक्ति -दो खुराक (पहली खुराक के बाद दूसरी खुराक चार से आठ सप्ताह के बीच)

वयस्कों में टीकाकरण : इंफ्लुएंजा

  • खुराक – 0.5
  • माध्यम- इंटरमैस्कुलर
  • 19-49 वर्ष – हर साल एक खुराक
  • 50-64 वर्ष – हर साल एक खुराक
  • 64 वर्ष से अधिक उम्र के व्यक्ति – हर साल एक खुराक

वयस्कों में टीकाकरण : न्यूमोकोकल (पॉलीसैक्राइड)

  • खुराक – 0.5 एम.एल.
  • माध्यम – इंटरमैस्कुलर
  • 19-49 वर्ष उम्र – एक से दो खुराक
  • 64 वर्ष से अधिक – एक खुराक

वयस्कों में टीकाकरण : हेपेटाइटिस-ए

  • खुराक-1.0 एम.एल.
  • माध्यम – इंटरमैस्कुलर
  • 19-49 वर्ष उम्र -दो खुराक (पहली खुराक के बाद 6 से 12 माह के बीच (दूसरी खुराक) या पहली खुराक के बाद 6-18 माह के बीच दूसरी खुराक)

वयस्कों में टीकाकरण : हेपेटाइटिस-बी

  • खुराक-1.0 एम.एल.
  • माध्यम – इंटरमैस्कुलर
  • 19-49 वर्ष- तीन खुराक (पहली खुराक के बाद 1 से 2 माह के बीच (दूसरी खुराक) और 4-6 माह के बीच तीसरी खुराक)

वयस्कों में टीकाकरण : टायफाइड

  • खुराक – 0.5 एम.एल.
  • माध्यम- इंटरमैस्कुलर
  • 19-49 वर्ष – हर तीन साल में एक खुराक

वयस्कों में टीकाकरण से जुडी इन बातों का भी रखें ख्याल

  • सभी वयस्कों को टिटनस एवं डिप्थीरिया के टीके 10 साल के अंतराल पर लगाने चाहिए। इसके अलावा 26 साल या उससे कम उम्र की महिलाओं को ह्यूमन पैपिलोमा वायरस (एच.पी.वी.) के टीके लगवाने चाहिए।
  • 50 साल से अधिक उम्र के सभी लोगों के लिए इंफ्लुएंजा के टीके लगवाने चाहिए। इसके अलावा अगर इंफ्लुएंजा का प्रकोप हो और कोई महिला उस दौरान गर्भवती हुई हो या होनेवाली हो, उन्हें भी यह टीका लगवाना चाहिए।
  • स्वास्थ्यकर्मियों को जोखिमवाले समूहों के लिए हेपेटाइटिस-बी के टीके लगवाने चाहिए, जो काम के दौरान संक्रमित रक्त के संपर्क में आ सकते हैं। इसके अलावा यौनकर्मियों एवं यौन सक्रिय लोगों को भी ये टीके लगवाने चाहिए, क्योंकि इसके विषाणु यौन संपर्को से भी फैलते हैं।

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